महाभारत में जितने भी वीर पुरुष, माहन योद्धाओ तथा महापुरुषों का वर्णन आया है. उसमें एक प्रमुख नाम दिव्य दृस्टि रखने वाले संजय विद्वान का है. जिसने महाभारत का सम्पूर्ण वर्णन धृतराष्ट्र को ठीक उसी प्रकार सुनाया था. जिस तरह आज के युग में हम दूरदर्सन पर किसी घटना का जीवंत प्रसारण देखते है. हम यहाँ दिव्यदृष्टा संजय की जीवनी हिंदी में (Biography of Divyadrishita Sanjay In Hindi). और उनसे जुड़ी वो रोचक जानकारी शेयर करने वाले है. जिसके बारे में आप अब से पहले अनजान थे.
महाभारत के प्रमुख पात्र में संजय का भी अपना विशिष्ट स्थान है. भगवान श्रीकृष्ण के परम भक्त थे, दिव्य दृष्टि संपन्न संजय को सारा संसार उनके इन गुणों के कारण आज भी समरण करता है.
दिव्यदृष्टा संजय कौन थे? संजय का जीवन परिचय
संजय गावाल्गण नामक सूत के पुत्र थे और जाति से बुनकर थे. हमारे पौराणिक ग्रंथ और महाभारत की कहानियां बताती हैं कि संजय विद्वान बेहद विनम्र और धार्मिक स्वाभाव के थे. वे बड़े ही विशिष्ट, संस्कृति, ज्ञान-विज्ञान सम्पन्न, सदाचारी,निर्भय, स्पष्टभाषी भगवान श्री कृष्ण के भगत थे. साथ ही महाभारत अर्जुन के बाल सखा थे. अर्जुन के राजमहल में संजय कभी भी आने जाने का अधिकार रखते थे. महाभारत के युद्ध में भगवान वेदव्यास जी ने संजय को दिव्य दृष्टि दी थी. जिसके प्रभाव से उन्होंने अन्धे धृतराष्ट्र को युद्ध का पूरा हाल सुनाया था.
Summary
नाम | संजय विद्वान |
उपनाम | दिव्यदृष्टा संजय |
जन्म स्थान | — |
जन्म तारीख | — |
वंश | बुनकर |
माता का नाम | — |
पिता का नाम | गावाल्गण |
पत्नी का नाम | — |
उत्तराधिकारी | — |
भाई/बहन | — |
प्रसिद्धि | दिव्य दृष्टि से अंधे धृतराष्ट्र को महाभारत युद्ध का पूरा हाल सुनाया था. |
रचना | — |
पेशा | कवी विद्वान् |
पुत्र और पुत्री का नाम | — |
गुरु/शिक्षक | महर्षि वेद व्यास |
देश | भारत |
राज्य क्षेत्र | सम्पूर्ण उत्तर भारत |
धर्म | हिन्दू |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
भाषा | संस्कृत |
मृत्यु | — |
मृत्यु स्थान | कुरुक्षेत्र, हरियाणा |
जीवन काल | — |
पोस्ट श्रेणी | Biography of Divyadrishita Sanjay In Hindi |
महाभारत का युद्ध, दिव्य दृष्टि संजय विद्वान ने धृतराष्ट्र को क्या क्या बताया और उनके प्रमुख कार्य
दोस्तों जैसा आपने ऊपर पढ़ा है, महाभारत के युद्ध में भगवान वेद व्यास जी ने संजय को दिव्य दृष्टि दी थी. जिसके प्रभाव से वे कहीं का और कहाँ तक देख सकते थे. इसका अंदाजा केलव भगवान श्री कृषणजी को ही था. संजय ने कौरवो के अन्धे धृतराष्ट्र को महाभारत युद्ध के 18 दिनों का पूरा हाल सुनाया था. संजय भगवान श्री कृष्ण जी के असली रूप से परिचित थे. उन्होंने धृतराष्ट्र को यह बताया था. की में स्त्री-पुत्र आदि के मोह में पड़कर कभी अविधा का सेवन नहीं करता और न ही अधर्म का आचरण करता हु.
संजय ने धृतराष्ट्र को बताया, कि भगवान कृष्ण तो इतने व्यापक और तेजपुंज से प्रकाशित हैं. कि वे इच्छा अनुकूल व्यापक से व्यापक रूप धारण कर सकते हैं. पृथ्वी, अंतरिक्ष और स्वर्ग उनके बस में है, पांडवों के बहाने कृष्ण जी तुम्हारे अधर्मी, मूर्ख पुत्रों का विनाश करने वाले हैं. संसार के संतुलन को बनाए रखने के लिए उन्हें संहार भी करना होता है. इस तरह भगवान श्री कृष्ण के संबंध में सुंदर अर्थ धृतराष्ट्र को सुनाएं. संजय ने यद्यपि अपनी तरफ से महाभारत के युद्ध को रोकने का काफी प्रयास किया गया था. किंतु इसमें वे असफल रहे. धृतराष्ट्र जब वन जाने लगे तो संजय भी उनके साथ वन चले गए थे.
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FAQs
Ans- महाभारत के संजय के पास दिव्य दृष्टि की एक अनोखी शक्ति थी, जिसके माध्यम से उन्होंने धृतराष्ट्र को महाभारत के युद्ध का आँखों देखा हाल बताया था.