श्री जलाराम बापा का जीवन परिचय | Jalaram Bapa

By | December 17, 2023
Biography of Shree Jalaram Bapa
Biography of Shree Jalaram Bapa

दोस्तों भारत संत, ऋषियों की भूमि रही है. यहाँ एक से बढ़कर एक संत महात्माओं ने जन्म लिया है. हम यहाँ गुजरात के सुप्रसिद्ध संत जलाराम बापा की जीवनी (Biography of Shree Jalaram Bapa) के बारे में आपको संक्षित में जानकारी शेयर करने वाले है. और दोस्तों साथ ही आप जानेगे संत जलाराम बापा के चमत्कार. तो दोस्तों चलते है और जानते है संत जलाराम जी के जीवन की रोचक जानकारी.

संत श्री जलाराम बापा सौराष्ट्र (गुजरात ) के एक सामान्य मानव होते हुये भी. अपने श्रेष्ठ कार्यों एवं आदर्शों के कारण महात्मा के रूप में शृद्धा और आदर भाव से पूजे जाते है. अपना समस्त जीवन एक साधारण गृहस्थ की तरह जीते हुये भी उन्होने मानव सेवा के लिए अपना जीवन अर्पित किया. इस कारन आज भी संत जलाराम बापा को घर घर में आस्था के साथ पूजा जाता है.

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Biography of श्री Jalaram Bapa (श्री जलाराम बापा की जीवनी)

मित्रों वैसे तो संत महात्मा अजर अमर होते है, उनका कोई जीवन मरण नहीं होता है. क्यों की वो एक युग पुरुष और परोपकारी योनि में समय समय पर जन्म लेते है. ऐसे ही एक संत श्री जलाराम बापा जी का जन्म 1799 में कार्तिक महीने के सातवें दिन वीरपुर, राजकोट जिले, गुजरात, भारत में हुआ था. उनके पिता प्रधान ठक्कर थे, और आपकी माता का नाम राजबाई ठक्कर थीं जो लोहाना वंश की थीं, आपक की फॅमिली भगवान राम के भक्त थे. श्री जलाराम बापा जी को शुरू से ही सांसारिक जीवन में रूचि नही थी. और इसीलिए वे पिता के व्यवसाय में ध्यान देने लगे. अपना ज्यादातर समय वे तीर्थयात्रीयो की सेवा करने और साधू-संतो की सेवा करने में ही व्यतीत करते थे. बाद में कुछ समय बाद वे अपने पिता के व्यवसाय से अलग होकर अपने अंकल वालजी भाई के साथ रहने लगे थे.

आप 18 साल की उम्र में ही तीर्थयात्रा से वापिस आने के बाद फतेहपुर के भोज भगत के शिष्य बन गये थे. और गुरु भोज भगत ने श्री जलाराम बापा जी को के शिष्य के रूप में अपना लिया था. भक्त जलाराम का जन्म संवत 1856 को कार्तिक शुक्ल सप्तमी को राजकोट के वीरपुर ग्राम में हुआ था. आपके पिता प्रधान ठक्कर तथा माता राजबाई धार्मिक संस्कारों वाली महिला थीं. जिसका प्रभाव संत श्री जलाराम पर भी हुआ.

श्री जलाराम बापा के सिद्धांत

बाल्यावास्था में उनकी भेंट गिरनार पर्वत के एक संत से हुयी। उसके बाद से तो संत श्री जलाराम बापा के मन में भक्ति की धारा फूट पड़ी थी. मित्रों मात्र 16 वर्ष की अवस्था में अनिच्छापूर्वक उनका विवाह सुशीलाबाई से हुआ था. पर आप की पत्नी ने धर्म पालन में किसी भी प्रकार की बाधा उपस्थित नहीं की थी. श्री जलाराम बापा जी दयालू प्रवृत्ति और दानशीलता का कभी भी विरोध नहीं किया था. संवत 1937 में माघ कृष्ण दशमी को जलाराम बापा गोलोकवासी हो गये.

संत श्री जलाराम बापा जी यह मानते थे. कि सभी जीवों में ईश्वर बसता है. अतः दान – दक्षिणा देकर भी दीन – दुखियों में ईश्वर को पाया जा सकता है. साधु-संतों, दीन-दुखियों को अन्नदान देकर ईश्वर की भक्ति को पाने के साथ-साथ जीवन को सार्थक बनाया जा सकता है. आज भी सौराष्ट्र के लोग तथा उनके अनुयायी अन्नदान के परम्परा को शृद्धापूर्वक स्वीकार करते है तथा अन्य क्षेत्र स्थापित कर हजारों मन अनाज प्रतिमास दान में देते है.

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Summary

नामजलाराम बापा
उपनामजलाराम
जन्म स्थानगुजरात राजकोट के वीरपुर ग्राम में
जन्म तारीखजन्म 1799 में कार्तिक महीने के सातवें दिन
वंशलोहाना वंश
माता का नामराजबाई ठक्कर
पिता का नामराजबाई ठक्कर
पत्नी का नामसुशीलाबाई (वीरबाई)
पेशासंत
बेटा और बेटी का नामजमनाबेन
गुरु/शिक्षकभोज भगत
देशभारत
राज्य छेत्रगुजरात
धर्महिन्दू
राष्ट्रीयताभारतीय
मृत्युसंवत 1937 में माघ कृष्ण दशमी
पोस्ट श्रेणीBiography of Shree Jalaram Bapa (श्री जलाराम बापा की जीवनी)
Biography of Shree Jalaram Bapa

संत श्री जलाराम बापा के चमत्कार

दोस्तों संत श्री जलाराम बापा के बहुत चमत्कार किये है, पर हम यहाँ प्रमुख चमत्कारों का वर्णन कर रहे है. दोस्तों एक बार संत श्री जलाराम बापा अपने काका के यहाँ दुकानदारी के साथ–साथ इस कर्म में भी लगे. तो जलाराम ने दस-बारह साधुओं को दान में न केवल आठ–दस गज बड़े थान से काटकर दे दिया, वरन उन्हें भोजन भी करवाया. और दुकान से आटा, दाल, घी, भी दिया। रास्ते में काका ने दान देते हुये श्री जलाराम जी की गठरी को देखकर पूछा – “इसमें क्या है ?” भयवश उन्होने कह दिया – “इसमें उपले और पानी है. काका ने खोलकर देखा, तो उपले और पानी ही निकला. थोड़े दिनों बाद काका से अलग होकर पत्नी के साथ मेहनत –मजदूरी करने लगे, निजी संपत्ति न होने के बाद भी दान-दक्षिणा का कर्म चलता रहा.

एक बार एक महात्मा ने जब उनके अन्न बांटने की परोपकार वृत्ति के बारे में सुना, तो उन्हें आशीर्वाद दिया, किन्तु कुछ दिनों बाद जमा किया गया अन्न घटने लगा. तो संत श्री जलाराम बापा जी की पत्नी ने आभूषण उतारकर दे दिये. इसके बाद तो अन्य क्षेत्र में कार्य में सहयोग करने वाले भी आ गये. उनके इस अन्नदान की प्रशंसा वीरपुर के ठाकुर मूलजी ने सुनी, तो उन्होनें दो सौ बीघा जमीन और एक कुआं उनको दे दिया. जलाराम प्रतिदिन साधु-संतों को दान-पुण्य में कुछ-न-कुछ देते और नियमानुसार प्रतिदिन “सीताराम” महामंत्र का सुबह-शाम जाप करते.

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श्री जलाराम बापा के चमत्कार

आपके अन्य प्रमुख चमत्कारों में एक घटना है, जमाल नामक मुसलमान तेली के जीवन से जुड़ी हुयी है. जमाल का लड़का अचानक इतना अधिक बीमार हो गया कि किसी भी वैद्य की दवा-दारू उस पर काम नहीं आयी. सब तरफ से निराश होकर जमाल जलारामजी की शरण में आया और बोला –“प्राणों से प्यारे मेरे इस पुत्र को आप स्वस्थ कर दो, तो मैं पाँच बोरी बाजरा चढ़ाऊँगा. “जलाराम ने जमाल के लड़के को अभिनिमंत्रित जल पिलाया था कि दो घंटे बीतते ही लड़के ने आँखें खोलकर अपने पिता से बात की. इसके बाद जमाल ने चालीस पैमाना (पाँच बोरी) अनाज व बैलगाड़ी भी दे दी. “जला सो अल्ला, जिसको न दे अल्ला, उसको दे जल्ला. इस तरह वह 22 वर्षीय जलाराम बापा का शुक्रिया अदा करता हुआ खुशी-खुशी अपने घर को लौट गया.

इसी तरह एक बार ध्रांगध्रा के महाराज के 150 सिपाही वीरपुर आए हुये थे. जलाराम बापा ने उन्हें प्रसाद के तौर पर दो लड्डू और सेब एक पात्र से दिये. उस अक्षय पात्र से प्रसाद सभी सिपाहियों को भरपूर मिला. वह पात्र पुनः ज्यों का त्यों हो गया. इस घटना की खबर महाराज ने सुनी, तो उन्होने बहुत-सा धन और बहुत सारे बढ़िया पत्थरों की चक्कियाँ आश्रम में भिजवायीं, ताकि साधु-संतों को अन्नदान में सुविधा हो सके. कहा जाता है कि आश्रम में आज भी वही चक्कियाँ मौजूद है. एक बार ईश्वर के रूप में आए एक संत ने सामान्य वृद्ध का रूप लेकर जलाराम बापा से सेवा हेतु उनकी पत्नी मांग ली. जलाराम ने निःसंकोच सहमति दे दी. यह सुनते ही संत कहीं अंतरध्यान हो गये.

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FAQs

Q-संत श्री जलाराम बापा का जन्म कहाँ हुआ था?

Ans- आपका जन्म वीरपुर, राजकोट जिले, गुजरात, भारत में हुआ था.

Article Written By- यह आर्टिकल परम यादव जो मोगरढाना राजाबरारी मध्यप्रदेश के रहने वाले ने लिखा है. इस आर्टिकल में दर्ज जानकारी ऑनलाइन वेबसाइट और समाचार पत्रों से इकठा की हुई है. इस से सम्बंदित कोई भी सवाल हो तो, पाठको को कमेंट बॉक्स में अपने सवाल रखने चाहिए. हमारी टीम जल्दी से जल्दी इसका जवाब देने की कोशिश करेगी.

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