Biography of Lord Mahadani King Bali And Amazing Facts. दोस्तों हम यहाँ महादानी राजा बलि की जीवनी और उनसे जुड़े कुछ आश्चर्चकित तथ्य आपके साथ साझा करने जा रहे है. जिनके बारे में अब से पहले शायद ही आपको पता होंगे, इस लिए बने रहे हमारे साथ अंत तक. दोस्तों अगर भारत में प्रचलित कथाओ और इतिहास को उठा कर देखते है तो. भारत की भूमि धर्मभूमि रही है. इस धरती पर एक से बढ़ कर एक महान् दानी, वीर, तपस्वी, साधु-सन्तों ने जन्म लेकर इस भूमि को धन्य किया है. जैसे महर्षि दधीचि, कणाद, कर्ण, हरिश्चन्द्र, रंतिदेव जैसे महादानियों ने सर्वस्व दान कर मानव-समाज के समक्ष त्याग और दान का अनूठा आदर्श रखा. ऐसे ही त्यागमय, अनूठे आदर्श के उदाहरण हैं भगवान महादानी राजा बलि.
भारत की विभिन कथाओं में राजा बलि का बहुत बार उल्लेख मिलता हैं. जो ऋषि कश्यप के कुल से थे. राजा बलि के दादा का नाम भगवान प्रह्लाद तथा पिता का नाम विरोचन था. वह महर्षि कश्यप तथा दैत्य हिरण्यकश्यप के कुल में जन्मा एक दैत्य राजा था. वह स्वभाव से अपने दादा के समान दानवीर था. किंतु उसमे दैत्यों के गुण होने के कारण अहंकार तथा अधर्म भी था. आज हम आपको दानवीर महाबलि के जन्म, यज्ञ, शक्ति तथा पराक्रम के बारे में बताएँगे.
महादानी राजा बलि का जीवन परिचय (Biography of Mahadani King Bali)
महादानी राजा बलि के पिता का नाम विरोचन तथा माता का नाम विशालाक्षी देवी था. आपके दादा प्रह्लाद थे जो भगवान विष्णु के प्रिय भक्त थे. अपने पिता विरोचन की देवराज इंद्र के द्वारा छल से हत्या कर देने के बाद राजा बलि तीनों लोकों के सम्राट बने थे. वह अत्यंत शक्तिशाली तथा पराक्रमी राजा थे, तथा इसी के बल पर उसने तीनों लोकों पर अपना राज्य स्थापित कर लिया था. उसकी राजधानी दक्षिण भारत में केरल थी. राजा बली को केरल में ‘मावेली’ कहा जाता है. राजा बलि का संपूर्ण राज्य दक्षिण भारत में था. उन्होंने महाबलीपुरम को अपनी राजधानी बनाया था. आज भी केरल में ओणम का पर्व राजा बलि की याद में ही मनाया जाता है.
असुर कुल में पैदा हुए महादानी राजा बलि अत्यन्त धर्मात्मा, वीर, प्रतापी, उदार हृदय, दानी स्वभाव वाले राजा थे. वे भगवान प्रहलाद के पौत्र और राजा विरोचन के पुत्र थे. पाताललोक के राजा बलि तथा उनकी पत्नी दोनों का भगवान् विष्णु के प्रति एकनिष्ठ भक्ति एवं अटूट समर्पण भाव था. राजा बलि के दानी होने की चर्चा समस्त लोकों में व्याप्त थी.
Summary
नाम | बलि |
उपनाम | पाताललोक के राजा बलि |
जन्म तारीख | सतयुग |
जन्म स्थान | केरल |
पूरा नाम | महादानी राजा बलि |
माता का नाम | विशालाक्षी देवी |
पिता का नाम | विरोचन |
गुरु/शिक्षक | गुरु शुक्राचार्य |
राज्य छेत्र | दक्षिण भारत/तीनों लोक |
राजधानी | महाबलीपुरम |
खिताब/सम्मान | इंद्र पर विजय |
धर्म | हिन्दू (सनातन) |
वंश | दैत्य वंश |
राष्ट्रीयता | भारत |
मृत्यु | — |
पोस्ट श्रेणी | Biography of Lord Mahadani King Bali And Amazing Facts (महादानी राजा बलि की जीवनी) |
भगवान विष्णु जी का वामन अवतार और राजा बलि का त्याग
उनका त्याग और तपस्या देखकर वर्षा (बादलों) के देवता इन्द्र भी उनसे भयभीत रहता था. अपने पुण्य बल से वे इन्द्र का पद हासिल करना चाहते थे. अपने सिंहासन पर मंडराते संकट की आशंका से इन्द्र भगवान देवताओ के पास गए और अपने संकट को दूर करने के लिए भगवान विष्णु से प्राथना की. तब भगवान विष्णु ने राजा बलि की परीक्षा के लिए बोने का अवतार लिया और एक भिक्षु के भेस में राजा बलि के दरबार में पहुंचे और उनसे भिक्षा मांगी. विष्णु जी ने राजा बलि से 3 कद जमीन का टुकड़ा माँगा. अपने सवभाव पूर्व्र्क दानवीर राजा बलि ने इसके लिए हा कर दिया.
तब भगवान विष्णु ने अपना विशाल स्वरूप करके एक पैर रखकर राजा बलि का स्मत भूमण्डल ले लिया. दूसरे पैर से विष्णु जी ने स्वर्ग नापकर लिया. और तीसरा पैर उन्होंने राजा बलि के सिर पर रख दिया. इस तरह छलपूर्वक राजा बलि से दान लेकर वामन अवतारी भगवान् विष्णु जी ने अपने तीन पैरों को इतना विशाल और व्यापक रूप प्रदान किया कि तीन पैरों में समूचा पृथ्वीलोक, बलि का स्वर्गलोक तथा पाताललोक नापकर उसे पाताल नगरी के नीचे एक छोटे-से समुद्र में सीमित कर दिया.
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राजा बलि और ओणम त्योहार केरल
राजा बलि का संपूर्ण राज्य दक्षिण भारत में था. उन्होंने महाबलीपुरम को अपनी राजधानी बनाया था. आज भी केरल में ओणम का पर्व राजा बलि की याद में ही मनाया जाता है. दोस्तों केरल राज्य के निवासियों की मान्यता है की राजा बलि ओणम त्योहार के दिन केरल आज भी आते है. इस लिए आज भी ओणम पर केरल के हर घर के दरवाजे खोल कर रखते है. ओणम पर केरल में बहुत सांस्कर्तिक और खेल प्रीतयोगितायो का आयोजन किया जाता है. दोस्तों ओणम केरल का प्रमुख त्योहार है.
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महादानी राजा बलि की रोचक जानकारी!
- महादानी राजा बलि प्रहलाद के पोते और राजा विमोचन के पुत्र थे.
- राजा बलि असुर वंश के राजा थे.
- राजा बलि शुरू से ही दान और धर्मात्मा वीर प्रतापी और उदार ह्दय के थे.
- वीर राजा बलि ने अपने बचन पर अपना राजपाट दान कर दिया था.
- भगवान बलि पाताललोक के राजा थे और भगवान विष्णु जी के परम भगत थे.
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FAQs
Ans- दानवीर राजा बलि के दादा का नाम प्रहलाद था जो की राक्षस वंस के राजा थे. और भगवान विसनु जी के परम भगत थे.
Ans- भगवान राजा बलि के बेटे का नाम अंगद था.
Ans-दानवीर राजा बलि दैत्य जाति (राक्षस वंश) के थे.
Ans- भगवान श्री विष्णु (हरि) पाताल लोक में भगवान राजा बलि के द्वारपाल थे.
Ans- राजा बलि का संपूर्ण राज्य दक्षिण भारत में था.