हरियाणा का अर्थ है भगवान का घर हरि विष्णु और अयन घर से मिलकर हरियाणा शब्द बना है. हरियाणा भी पंजाब की तरह एक कृषि प्रधान राज्य है. हालांकि यहां औद्योगिक क्षेत्र भी बहुत है. भारत के मानचित्र पर इसका जन्म “1 नवंबर 1966 को हुआ था. इससे पहले यह पंजाब का ही एक अंग था. लगभग तीन करोड़ की जनसंख्या वाले इस राज्य का विस्तार लगभग 44212 वर्ग किमी के भू छेत्र पर है. यहां के लोग प्रमुख तह हिंदी भाषा बोलते हैं. हिंदी भाषी होने के कारण ही इसे पंजाब से अलग राज्य बनाया गया. हम यहाँ हरियाणा का इतिहास और पर्यटन स्थल (History and Tourist Places of Haryana) की वो रोचक और अद्भुत जानकारी आपके साथ शेयर करेंगे, जिसके बारे में आप आज से पहले अनजान थे. तो दोस्तों चलते है, और जानते है हरियाणा की आचर्यजनक जानकारी.
दोस्तों हरियाणा राज्य पश्चिम में पंजाब और राज्य और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ उत्तर में हिमाचल प्रदेश पूर्व में उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली. और एक छोटा सा हिस्सा उत्तराखंड के और दक्षिण तथा दक्षिण-पश्चिम में राजस्थान राज्य से घिरा हुआ है. केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ न केवल पंजाब की बल्कि हरियाणा की राजधानी भी है.
हरियाणा का इतिहास
हरियाणा का इतिहास काफी प्राचीन है. इसके कुरुक्षेत्र का उल्लेख महाभारत में भी है. जहां यह भयंकर युद्ध लड़ा गया था. हरियाणा को ही उत्तर वैदिक युग लगभग 805 ईस्वी पूर्व मध्यमा देश यानी मध्य क्षेत्र हिंदू धर्म का जन्म स्थल माना जाता है. यह उस क्षेत्र में है, जहां आर्यों का पहला स्रोत गाया गया था. और सर्वाधिक प्राचीन पांडुलिपिया लिखी गई थी. पश्चिमोत्तर और मध्य एशियाई क्षेत्रों से हुई घुसपैठ के मार्ग में पड़ने वाले इस राज्य को सिकंदर महान 326 ईसवी पूर्व के समय से अनेक सेनावो के हमलों का सामना करना पड़ा है. हरियाणा के इतिहास पर यदि दृष्टिपात करें तो यह स्पष्ट होता है. कि कर्म युद्ध का यह केंद्र रहा है. यहां कई महत्वपूर्ण लड़ाइयां लड़ी गई है सबसे प्रसिद्ध युद्ध काल महाभारत कथा जो कौरव और पांडव की मध्य कुरुक्षेत्र में हुआ था.
इसके बाद कलयुग के दौरान मध्यकाल में पानीपत की लड़ाई सन 1526 जब मुगल बादशाह बाबर ने इब्राहिम लोदी को हराकर भारत में मुगल साम्राज्य की नींव डाली। सन 1556 जब अफगानी सेना मुगल शाहजहां अकबर की सेना से पराजित हुई. और 1761 जब अहमद शाह अब्दाली ने मराठा सेना को निर्णायक हार दी थी. 1739 में करनाल की लड़ाई जब फारस के नादिर शाह ने ध्वस्त होते मुगल साम्राज्य को जोरदार शिकस्त दी भी शामिल है. वर्तमान हरियाणा राज्य में आने वाला क्षेत्रसन 1803 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को सौंप दिया गया था. सन 18 सो 32 में यह तत्कालीन पश्चिमोत्तर राज्य को हस्तांतरित कर दिया गया. और सन 1858 में यह क्षेत्र पंजाब का अंग बन गया था.
Summary
राज्य का नाम | हरियाणा |
राज्य का उपनाम | भगवान का घर |
राजधानी | चंडीगढ़ |
स्थापना | 1 November 1966 |
जम्मू कश्मीर राज्य में में कितने जिले है | 22 जिले |
प्रसिद्ध शहर | फरीदाबाद/करनाल |
राज्य की जनसंख्या | 2 करोड़ 70 लाख |
क्षेत्रफल | 17,070 square miles |
प्रमुख भाषा | हिंदी/पंजाबी/अंग्रेजी |
साक्षरता | 84% (लगभग) |
लिगं अनुपात | 1000/910 (लगभग) |
सरकारी वेबसाइट | www.haryana.gov.in |
श्रेणी | History and Tourist Places of Haryana |
हरियाणा के जिले
दोस्तों हरियाणा में 21 ज़िले है, 2022 की जन गणना के अनुसार फरीदाबाद की जनसँख्या सर्वाधिक है. और क्षेत्रफल के अनुसार सिरसा जिले का सर्वाधिक है. तो साक्षरता रेवाड़ी ज़िले की सर्वाधिक है.
- गुरुग्राम
- हिसार
- झज्जर
- जींद
- कैथल
- करनाल
- कुरुक्षेत्र
- महेंद्रगढ़
- मेवात
- पलवल
- पंचकूला
- अम्बाला
- भिवानी
- फतेहाबाद
- पानीपत
- रेवाड़ी
- रोहतक
- सिरसा
- सोनीपत
- यमुनानगर
- चरखी दादरी
हरियाणा क्षेत्र को अलग राज्य बनाने की मांग कब हुई थी?
देश का विभाजन होने तक इसकी यह स्थिति बनी रही. हालांकि हालात अलग हरियाणा राज्य की मांग सन 1947 में भारत की आजादी के काफी पहले से उठने लगी थी. राष्ट्रीय आंदोलन के प्रमुख नेता लाला लाजपत राय और आसिफ अली ने पृथक हरियाणा राज्य राष्ट्रीय आंदोलन के समर्थन में थे. स्वतंत्रताके पूर्व एवं बाद में पंजाब का एक हिस्सा होने के बावजूद इसे विशिष्ट सांस्कृतिक और भाषाई इकाई माना जाता था. फिर भी सामाजिक आर्थिक रूप से यह पिछड़ा क्षेत्र था. वयोवृद्ध स्वतंत्रता सेनानी श्रीराम शर्मा की अध्यक्षता में बनी हरियाणा विकास समिति ने. यह स्वायत्त राज्य की अवधारणा पर ध्यान केंद्रित किया था.
बीसवीं सदी के छठे दशक के शुरू में उतरी पंजाब के पंजाबी भाषा और दक्षिण में हरियाणा क्षेत्र के हिंदी वासी हिंदुओं द्वारा बसाई आधार पर राज्यों की स्थापना की मांग जोर पकड़ने लगी थी. लेकिन यह मांग अधिक उग्र उस समय हो गया पंजाबी भाषा के लोग भी अलग राज्य की मांग करने लगे. सन 1966 में पंजाब पुनर्गठन अधिनियम पारित हुआ. और उसके बाद पंजाब और हरराणा अलग अलग राज्य बने. सामाजिक और आर्थिक विकास के दृष्टिकोण से छोटे राज्यों के गठन का प्रयोग सफल साबित हुआ. बशर्ते उन्हें सबल और योग्य नेतृत्व में मिले, जैसा कि इन दो राज्यों ने सिद्ध किया है.
भू आकृति और जलवायु
दोस्तों भू-क्षेत्र के दृष्टिकोण से इस राज्य को दो भागों में बांटा जा सकता है राज्य का एक बड़ा हिस्सा समतल जलोद मैदानों से युक्त है पूर्वोत्तर में पीके ढाल वाली शिवालिक पहाड़ियां तथा संकरा पहाड़ी क्षेत्र है समुद्र की सतह से 210 मीटर से 270 मीटर ऊंचे मैदानी इलाकों से पानी बहकर एकमात्र बारहमासी नदी यमुना में आता है यह राज्य की पूर्वी सीमा से होकर बहती है शिवालिक पहाड़ियां अनेक मौसमी नदियों का उद्गम स्थल है जो राज्य के मैदानी भागों से गुजरती है इनमें सबसे प्रमुख धनगर राज्य की उत्तरी सीमा के निकट एक नदी है क्षेत्रों में आर्य पूर्व सभ्यता के अवशेष मिले हैं इसके अलावा दक्षिण हरियाणा के महेंद्रगढ़ रेवाड़ी और गुड़गांव जिलों में दक्षिण से उत्तर की ओर दिल्ली तक विस्तृत अरावली पर्वत श्रृंखला के भी अवशेष मिलते हैं
भू -क्षेत्र के दृष्टिकोण से इस राज्य को दो भागों में बांटा जा सकता है. राज्य का एक बड़ा हिस्सा समतल जलोद मैदानों से युक्त है. पूर्वोत्तर में पीके ढाल वाली शिवालिक पहाड़ियां तथा संकरा पहाड़ी क्षेत्र है. समुद्र की सतह से 210 मीटर से 270 मीटर ऊंचे मैदानी इलाकों से पानी बहकर एकमात्र बारहमासी नदी यमुना में आता है. यह राज्य की पूर्वी सीमा से होकर बहती है. शिवालिक पहाड़ियां अनेक मौसमी नदियों का उद्गम स्थल है. जो राज्य के मैदानी भागों से गुजरती है. इनमें सबसे प्रमुख घग्गर नदी राज्य की उत्तरी सीमा के निकट से बहती है. निचले क्षेत्रों में आर्य पूर्व सभ्यता के अवशेष मिले हैं. इसके अलावा दक्षिण हरियाणा के महेंद्रगढ़, रेवाड़ी और गुड़गांव जिलों में दक्षिण से उत्तर की ओर दिल्ली तक विस्तृत अरावली पर्वत श्रृंखला के भी अवशेष मिलते हैं.
यहां का अधिकतर क्षेत्र शुष्क और अर्ध शुष्क है. केवल पूर्वोत्तर में थोड़ी आद्रता मिलती है. यद्यपि राज्य में नहर सिंचाई प्रणाली और बड़े पैमाने पर नलकूप हैं. इसके बावजूद यहां कुछ अत्यधिक सूखाग्रस्त क्षेत्र है. खासकर दक्षिण और दक्षिण पश्चिमी हिस्सों में. तथापि यमुना व घग्गर नदी की सहायक नदियों में कभी-कभी बाढ़ भी आ जाती है. यहां पर ग्रीष्म ऋतु में गरमी तो शरद ऋतु में ठण्ड बहुत होती है. गर्मियों में मई-जून अधिकतम तापमान 40-45 डिग्री तक पहुंच जाता है. जनवरी में कभी-कभी न्यूनतम तापमान जमाव बिंदु तक पहुंच जाता है. राज्य के हिसार शहर में सबसे ज्यादा गर्मी पड़ती है.
हरियाणा के पूर्व अंतर में पहाड़ के तलहटी वाले क्षेत्रों के अलावा मिट्टी गहरी व उवर्रक है. और दक्षिण पश्चिम में राजस्थान के मरुस्थल से सटे सीमावर्ती क्षेत्रों में जमीन रेतीली है. राज्य के कुल क्षेत्र के 45 भाग खेती होती है. और इनमें से लगभग तीन चौथाई क्षेत्र सिंचित है. यहां पर सिंचाई के प्रमुख स्रोत नहर व नलकूप है. हरियाणा में वनों की संख्या न के बराबर है. राजमार्गों के किनारे व उससे जमीनों पर यूकेलिप्टस के पेड़ उगाए गए हैं. राज्य के उत्तरी भागों में राजमार्गों के किनारे वाउचर जमीनों पर आमतौर पर शीशम के पेड़ पाए जाते हैं. जबकि दक्षिणी और दक्षिण-पश्चिम हरियाणा में सामान्यतः कीकर के पेड़ पर झाड़ियां मिलती हैं.
हरियाणा का जनजीवन व संस्कृति
दोस्तों हरियाणा हिंदू बहुत राज्य है जो कुल जनसंख्या का 90% है. इसके अलावा सिख, मुसलमान व अन्य जातियों के लोग भी इस राज्य में रहते हैं, सिखों की अधिकांश आबादी पूर्वोत्तर व पश्चिमोत्तर में और मुसलमानों की आबादी दिल्ली के आसपास दक्षिण पूर्वी जिलों में से केंद्रित है, हिंदू जाट एक कृषक सैनी जाति हरियाणा की कृषि अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है. और पंजाब के सिखों की तरह भारत की सशस्त्र सेनाओं में इनका प्रमुख स्थान है. यद्यपि राज्य की 75% आबादी गांवों में रहती है. किंतु औद्योगिक व्यापारिक और कृषि विपणन केंद्रों के रूप में शहर में भी तेजी से उभर रहे हैं. फरीदाबाद संकुल, यमुनानगर, रोहतक, पानीपत, हिसार, करनाल, सोनीपत, अंबाला शहर और गुडगाव, भिवानी और सिरसा शामिल है.
भारत की प्राचीन परंपराओं में लोक कथाओं को अपने में समेटे हुए हरियाणा की राज्य की स्थानीय भाषा भी कुछ विशिष्ट प्रकार की है. इसकी खास बात यह है कि इसमें स्थानीय मुहावरों का प्रचलन है. इस राज्य के सांस्कृतिक जीवन की झलक यहां के स्थानीय लोकगीत और नृत्य में देखे जा सकते हैं. जिनका अपना ही अंदाज और आकर्षण है. यह ओज से भरे हैं और स्थानीय संस्कृति की विनोदप्रियता से जुड़े हैं. यहां पर होली के त्योहार को सभी वर्ग के लोग काफी उत्साह पूर्वक बनाते हैं. भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन जन्माष्टमी का हरियाणा में विशिष्ट धार्मिक महत्व है. क्यों कि कुरुक्षेत्र ही वह रणभूमि थी, जहां भगवान श्री कृष्ण ने योद्धा अर्जुन को भागवत गीता महाभारत का एक हिस्सा का उपदेश दिया था.
कुरुक्षेत्र क्यों प्रसिद्ध है?
हरयाणा के कुरुक्षेत्र में सूर्य ग्रहण के अवसर पर पूरे भारत से लाखों लोग स्नान के लिए आते हैं. लोगों का मानना है कि इस अवसर पर यहां स्नान करने से आदमी पाप मुक्त हो जाता है. अग्रोहा हिसार के निकट पर पेहोवा सहित सहित राज्य में अनेक प्राचीन तीर्थ स्थल है. यह अमरोहा अग्रसेन के जन्म स्थल के रूप में जाना जाता है. जो अग्रवाल समुदाय और उसकी उप जातियों के प्रमुख पूर्वजक या प्रवर्तक माने जाते हैं. इसलिए अग्रोहा समूचे अग्रवाल समुदाय की जन्मभूमि है. भारत के व्यापार वर्गों में प्रमुख यह समुदाय अब देश में फैल गया है.
अग्रसेन की जन्म भूमि के सम्मानरूपी इस समुदाय ने कुछ वर्ष पहले अग्रोहा में एक चिकित्सा विद्यालय की स्थापना की है. हरियाणा की पवित्र नदी सरस्वती जी ने वेदों में ज्ञान और कला की देवी की संज्ञा दी गई है. के किनारे स्थित पेहोव को पूर्वजों के श्राद्ध पिंडदान के लिए महत्वपूर्ण पवित्र स्थान माना जाता है. प्राकृतिक और प्राकृतिक दोनों तरह की आत्मा की शांति के लिए पेहोवा में धार्मिक क्रियाएं की जाती है. विभिन्न देवताओं और संतों की स्मृति में आयोजित होने वाले मेले हरियाणा की संस्कृति का महत्वपूर्ण अंग है. अनेक स्थानों पर पशु मेले भी आयोजित किए जाते हैं. यह क्षेत्र अच्छी नस्ल की दुधारू पशुओं खासकर भैसों और खेतों के काम आने वाले पशु और संकरति पशुओं के रूप में प्रसिद्ध है.
हरियाणा की हवेलियां
मित्रों हरियाणा की हवेलियां भी काफी आकर्षक है. वास्तुशिल्प की सुंदरता विशेष रूप से उनके दीवारों का अभिकल्पन और हेल्थकौशल ही विविध नहीं बल्कि इन पर विभिन्न विषयों की श्रंखला भी विचित्र है. यह हवेलियां हरियाणा की गलियों को मध्ययुगीन स्वरूप और सुंदरता प्रदान करती है. इन भवनों में अनेक चबूतरे बने होते हैं. इनका उपयोग रिहायशी सुरक्षा धार्मिक और अदालती कार्य के लिए किया जाता है. इन दोनों से इनके स्वामियों की सामाजिक स्थिति का संकेत मिलता है. इन चबूतरो पर उकेरी हुई कलाकृतियां इस क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का स्मरण कराती है.
हरियाणा की अर्थव्यवस्था
दोस्तों हरियाणा जो की कृषि प्रधान राज्य है, इसलिए यहां की अर्थव्यवस्था बहुत हद तक कृषि पर निर्भर है. कृषि के दृष्टिकोण से इसे देश का संपन्न राज्य माना जाता है. यह केंद्रीय भंडार अतिरिक्त खाद्यान्न की राष्ट्रीय संग्रहण प्रणाली में बड़ी मात्रा में गेहूं और चावल देता है. कपास, राई, सरसों, बाजरा, चना, जमार मक्का और आलू अन्य प्रमुख फसलें हैं. राज्य की कृषि प्रधानता में हरित क्रांति में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. जिसके अंतर्गत सिंचाई उर्वरक और उच्च गुणवत्ता के बीजों में बड़े पैमाने पर निवेश शामिल है. राज्य की अधिकांश 58 श्रम शक्ति कृषि कार्य में सलंग्न है.
यहां के उद्योगों में कपास और चीनी प्रसारण कृषि उपकरण रसायन और अनेक प्रकार की उपभोक्ता वस्तुएं जिसमें साइकिल उल्लेखनीय है. प्रमुख राजमार्ग और रेलवे लाइनें हरियाणा से होकर गुजरती है और दिल्ली से मिलती है. इस वजह से यह प्रदेश औद्योगिक और वाणिज्यिक विकास का गलियारा बन गया है. खासकर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली से जुड़े रहने के कारण पंजाब के बजाय हरियाणा में निवेश करना अधिक सुरक्षित है. और लाभदायक है इसका कारण राष्ट्रीय राजधानी के निकट होना है.
परिवहन
परिवहन इस राज्य में यातायात की सुविधाएं लगभग अच्छी हैं. जहां रेल सड़क तथा वायु परिवहन उन्नत दशा में है. यहां छह नागरिक हवाई अड्डे हैं जिसमें हिसार, करनाल, पिंजौर, नारनौल, जींद और भिवानी सम्मिलित है. हरियाणा में सड़क परिवहन का निरंतर विकास हो रहा है. सड़क निर्माण का वास्तविक कार्य सन १९६६ से प्रारंभ हुआ. ये सड़कें हरियाणा के प्रमुख नगरों जिला मुख्यालय तथा अन्य महत्वपूर्ण स्थानों को जोड़ती है. इनका निर्माण व रखरखाव का वह राज्य लोक निर्माण विभाग द्वारा हरियाणा सरकार कराती है.
हरियाणा में सड़क परिवहन की तुलना में रेलमार्गो का निर्माण एवं विस्तार कम हुआ है. राज्य में देश के कुल रेलमार्गो का ६ प्रतिशत भाग पाया जाता है. देश में दिल्ली रेल परिवहन का एक बड़ा केंद्र है. और दिल्ली को हरियाणा ने तीन और से घेर रखा है. अंत दिल्ली से निकलने वाले अनेक रेलमार्ग हरियाणा से होकर देश के दूसरे भागो से जाते है.
हरियाणा के पर्यटन स्थल
पर्यटन के क्षेत्र में हरियाणा का महत्वपूर्ण स्थान है. यहां पर कई प्रकार के तीर्थ स्थल है. यहां लगभग पूरे देश के लोग अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए आते हैं. कुछ प्रमुख तीर्थस्थलो को संक्षेप में निम्न प्रकार प्रस्तुत किया गया है.
- करनाल – इसे ऐतिहासिक नगर, पशुधन केंद्र के लिए जाना जाता है.
- फरीदाबाद- इसे औद्योगिक केंद्र के लिए जाना जाता है.
- कुरुक्षेत्र- इसे ऐतिहासिक नगर तीर्थ स्थल मंदिर के लिए जाना जाता है.
- हथनीकुंड- इसे मछली पकड़ने के लिए जाना जाता है.
- हिसार- इसे दुर्ग पशुधन के लिए जाना जाता है.
- चक्रवती झील – इसे पर्यटन स्थल, नौकाविहार, मछली पकड़ना के लिए जाना जाता है. यह झील करनाल से 8 किमी दूर पर है.
- धारूहेड़ा- औद्योगिक केंद्र के लिए जाना जाता है.
- झज्जर- इसे प्राचीन शहर, महल संग्रहालय, गुरुकुल के लिए जाना जाता है.
- अंबाला- इसे सिख तीर्थ स्थल,वैज्ञानिक सम्मान के लिए जाना जाता है.
- बड़खल झील- इसे नौकाविहार, पर्यटन, स्थल मछली पकड़ने के लिए जाना जाता है.
- सूरजकुंड – इसे हस्तशिल्प मेला, मंदिरो के खंडरो, किलो, नौकाविहार, मछली पकड़ने के लिए जाना जाता है. यह फरीदाबाद में स्थित है.
- मोरनी- इसे पहाड़ी मनोरंजन केंद्र,वीर शिकारगढ़ वन्य जीव अभ्यारण के लिए जाना जाता है.
- रोहतक- इसे नौका विहार कुस्ती केंद्र उत्खनन के लिए जाना जाता है.
- सोहना – इसे गंधक स्रोत के लिए जाना जाता है.
- हांसी – इसे ऐतिहासिक नगर, दुर्ग, मंदिर के लिए जाना जाता है.
- पेहोवा- इसे हिन्दू तीर्थ-स्थल, मंदिर के लिए जाना जाता है.
- जींद- इसे महल के लिए जाना जाता है.
- भिवानी- से मंदिर, राजघराने, जवाहरात के लिए जाना जाता है.
- कालेसर- इसे वन्य जीव अभ्यारण के लिए जाना जाता है.
- गुरुग्राम- साइबर सिटी, मेट्रो, बड़े बड़े मोल, औद्योगिक केंद्र और NRI कॉलोनी के लिए जाना जाता है.
- पिंजौर- इसे १७वी शताब्दी के उधान, नौका विहार आदि के लिए जाना जाता है.
- नारनौल – को पुरातन वस्तुओं के लिए जाना जाता है.
- पानीपत- इसे ऐतिहासिक नगर, बाबर की मजीद, मकबरा एवं टेंक आदि के लिए जाना जाता है.
महान संतों की जीवनी
1857 ईस्वी क्रांति और उसके महान वीरों की जीवनी और रोचक जानकारी
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FAQs
Ans- हरियाणा मुख्य रूप से कृषि, खिलाड़ियों, और फौज के लिए प्रसिद्ध है.