Biography of Bhakta Prahlad- हमारी हिन्दू धार्मिक, पौराणिक ग्रंथों में बालक धुर्वे, उपमन्यु, आरुणी, श्रवण कुमार जैसे महान बालकों के उदाहरण मिलते हैं. जिन्होंने अपने पुण्य प्रताप से संसार में अपना नाम अमर कर दिया. हमारे पौराणिक आखायनो में दानव कुल में जन्मे एक ऐसे ही, ईश्वर भक्त बालक की कथा मिलती है. जिसका संबंध होली से भी है, वह बालक था भक्त प्रहलाद. भक्त प्रहलाद हिरण्यकश्यप दानव का बेटा था. हिरण्यकश्यप ने हजारों वर्ष तक तप करके ब्रह्मा जी को प्रसन किया था. उसकी तपस्या से प्रभावित होकर ब्रह्मा जी ने उसे यह वरदान दिया था. कि तुम ब्रह्मा जी द्वारा बनाए गए किसी भी अस्त्र-शस्त्र से नहीं मारे जाओगे, न रात में, दिन में, न धरती में, न आकाश में.
इतने वरदान पाकर हिरण्यकश्यप देवताओं से अपने छोटे भाई हिरण्याक्ष के वध का बदला लेने के लिए परेशान करने लगा था. वह देवताओं का शत्रु मानकर देवताओं को तंग करने लगा. यज्ञ, कर्मकांड का विरोधी हो गया. जब हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रहलाद को विद्याअध्यन हेतु गुरुओं के पास भेजा. तो 5 वर्षीय बालक प्रहलाद भगवान श्री हरि का नाम स्मरण करने लगा. हिरण्यकश्यप को जब बालक प्रहलाद के इस व्यवहार का पता चला तो वह बहुत अधिक अचंभित हो गया.
Summary
नाम | प्रहलाद |
उपनाम | हरि भक्त प्रहलाद |
जन्म स्थान | – |
जन्म तारीख | — |
वंश | दैत्य |
माता का नाम | कयाधु |
पिता का नाम | हिरण्यकश्यप |
पत्नी का नाम | – |
उत्तराधिकारी | – |
भाई/बहन | – |
प्रसिद्धि | हरि भक्त, दैत्य राजा पुत्र |
रचना | — |
पेशा | राजकुमार |
पुत्र और पुत्री का नाम | — |
गुरु/शिक्षक | शुक्राचार्य, शंड तथा मर्क और दत्तात्रेय |
देश | भारत |
राज्य क्षेत्र | सम्पूर्ण भारत |
धर्म | हिन्दू सनातन |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
भाषा | संस्कृत, हिंदी |
मृत्यु | — |
मृत्यु स्थान | — |
जीवन काल | — |
पोस्ट श्रेणी | Biography of Bhakta Prahlad (भक्त प्रह्लाद की जीवनी) |
हरि भक्त प्रहलाद की परीक्षा
बालक प्रहलाद की हरीभक्ति की परीक्षा लेने के लिए सर्वप्रथम हिरण्यकश्यप में उसे कुछ प्रश्न पूछे. उनके उत्तर प्रहलाद ने श्रेष्ठ ईश्वर भक्ति का उदाहरण देते हुए दिए. हिरण्यकश्यप ने क्रोध में आकर प्रहलाद को बहुत डराया-धमकाया. उसने प्रहलाद के गुरु और साथियों से यह कहा कि वे प्रहलाद के मन से हरीभक्ति निकाल दें. और उसे केवल राजनीति की शिक्षा दे. बालक प्रहलाद का मन तो पूरी तरह से हरीभक्ति के रंग में पूरी तरह से रंगा हुआ था. उसने भगवान के शील, चरित्र एवं लीलाओं का जो वर्णन किया, उससे हिरण्यकश्यप आग बबूला हो उठा.
उसमें उसने प्रहलाद को लाख समझाया किंतु प्रहलाद की अविचल भक्ति देखकर हिरण्यकश्यप के मन में दुष्ट विचार आया. उसने प्रहलाद को ईश्वरीय भक्ति की राह से दूर करके करने के लिए तरह-तरह की यातनाएं लेनी प्रारंभ कर दी. हिरण्यकश्यप ने अपने दैत्य सेवकों को आज्ञा दी कि वे इस दुस्ट प्रहलाद को मार डाले. असुरों ने प्रहलाद पर तीर, भाले, अस्त्र-शस्त्र के अनेक वार किये, किंतु प्रहलाद के शरीर के ऊपर से सब प्रभाव हीन हो गए.
भक्त प्रहलाद के चमत्कार
हिरण्यकश्यप ने त्रस्त होकर प्रह्लाद को हाथी के पांव के नीचे कुचलने का आदेश दिया. हाथी ने उन्हें उठाकर अपने मस्तक पर बिठा लिया, हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को मारने हेतु सांप छोड़ें, इसमें भी असफल रहा, खतरनाक शेर के सामने भेजा वे भी विनम्र हो गए. पहाड़ की ऊंची चोटी से फेका गया उसका बाल भी बांका नहीं हुआ. अब की बार उसे विष दिया गया, विष भी अमृत हो गया.ऐसे में हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को बुलावा भेजा जिसे आग में न जलने का वरदान प्राप्त था. हिरण्यकश्यप के कहने पर होलीका प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर आग की लपटों में बैठ गई. प्रहलाद जीवित बच निकला और होलिका जल गयी.
अब हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद से कहा मैं तुम्हारा वध करूंगा. देखता हूं कहां है तुम्हारा भगवान? तब प्रहलाद ने कहा वह तो हर जगह विद्यमान है पिता जी. हिरण्यकश्यप ने कहा इस खंभे में भी है तुम्हारा भगवान? प्रहलाद ने कहा है है. हिरण्यकश्यप ने क्रोध में आकर खंभे में लात मारी थी कि खंभे में से नरसिंह भगवान आकर हिरण्यकश्यप के सामने खड़े हो गए. उन्होंने हिरण्यकश्यप को अपनी गोद में रखा और नको से उसका शरीर चीर दिया। इस तरह हिरण्यकश्यप अपने वरदान के अनुरूप न पृथ्वी पे, न आकाश में,न किसी अस्त्र-शस्त्र से, न देव सेना व् मानव प्राणी के हाथों मारा गया. बालक प्रहलाद नरसिंह भगवान के श्री चरणों पर गिर पड़ा और बोला. भगवान आप से विनती है कि मेरे पिता को आपकी निंदा से मुक्त कर दें. वे इस पाप से छूट जाये, श्री हरि ने कहा ऐसा ही होगा.
उपसंहार
इस तरह बालक प्रहलाद अपनी दृढ़ भरी हरीभक्ति में सफल रहा. ईश्वर अपने सच्चे भक्तों की रक्षा के लिए दौड़े चले आते हैं. यह बात प्रहलाद जीवन चरित्र में देखने को मिलती है. सच्ची सच्ची भक्ति से सब कुछ पाया जा सकता है, ईश्वर को भी प्राप्त किया जा सकता है.
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FAQs
Ans- हरि भक्त प्रहलाद की माता का नाम कयाधु और पिता का नाम हिरण्यकश्यप था जो दानव वश में जन्म लिया था.