Story and Biography of Rani Padmavati | पद्मावती का जीवन परिचय

By | December 26, 2023
Story and Biography of Rani Padmavati
Story and Biography of Rani Padmavati

मित्रों वैसे तो चित्तौड़गढ़ मेवाड़ का इतिहास के पन्नो में बहुत ही सुनहरा रहा है. यहाँ राणा सांगा, महाराणा प्रताप और हल्दीघाटी और अन्य इतिहासिक घटनावो ने हर किसी का ध्यान अपनी और खींचा है. आज इसी कड़ी में दोस्तों हम यहाँ राजस्थान के चित्तौड़गढ़ के राजा रतन सिंह जी की पत्नी रानी पद्मावती के जीवन की (Story and Biography of Rani Padmavati) वो रोचक जानकारी शेयर करने वाले है. जिसके बारे में पढ़ कर आप दंग रह जाओगे. रानी पद्मिनी का मूल नाम पद्मावती था, रानी पद्मिनी की मां का नाम चंपावती था. आपके पिता जी का नाम गंधर्वसेन था जो एक राजा थे.

https://www.youtube.com/watch?v=gxIeK-Cd3NU&t=7s
Story and Biography of Rani Padmavati

पद्मिनी कौन थी?

सन 1540 ईस्वी मलिक मोहम्मद जायसी द्वारा अवधी भाषा में रचित पद्मावत ग्रंथ में पद्मनी प्रकरण का वर्णन मिलता है. जो अमीर खुसरो तारा द्वारा लिखित पद्मावत से लिया गया है. इसके अनुसार पद्मिनी सीहल दीप (श्रीलंका) के गंधर्वसेन नामक राजा की पुत्री थी. हीरामन तोता द्वारा रतन सिंह से पद्मिनी की सुंदरता का वर्णन करने पर रतन सिंह ने सीहल दीप श्रीलंका पहुंचकर रानी पद्मिनी जी से विवाह किया था.

दोस्तों रानी पदमिनी की सुंदरता में लोकोक्तियों के अनुसार रानी पद्मावती जब पानी पीती थी उसको को भी अंदर जाते हुए देखा जा सकता था. दोस्तों मेवाड़ के राणा रतन सिंह की रानी पद्मिनी महान सुंदरी थी. उनकी सुंदरता के चर्चे देश विदेश में हो रहे थे. उसी समय भारत के दिल्ली का सुल्तान खिलजी वंश का शासक था अलाउद्दीन खिलजी. अपने सगे चाचा और ससुर फिरोज खिलजी को दिल्ली का सुल्तान था का घोर विश्वासघात करके कत्ल कर दिया था. और खुद दिल्ली के तख्त पर बैठ गया था. कहा जाता है कि उसी समय मेवाड़ के राणा रतन सिंह ने राघव चेतन नामक अपने एक फरेबी ज्योतिषी को अपने यहां से निकाल बाहर किया था. उसने अलाउद्दीन को रानी पदमिनी की सुंदरता का बखान किया और उस से प्रभवित हो कर अलाउद्दीन ने चित्तौरगढ़ पर आक्रमण किया था.

अलाउद्दीन खिलजी द्वारा चित्तौड़ पर आक्रमण के मुख्य कारण

  • राघव चेतन नामक ब्राह्मण द्वारा रतन सिंह के देश निकाला दिए जाने पर बदले बदले की भावना से प्रेरित होकर वह अलाउद्दीन के पास गया और रानी पद्मिनी के सौंदर्य का वर्णन किया.
  • चित्तौड़गढ़ दुर्ग का सामरिक महत्व भौगोलिक स्थिति दिल्ली से मालवा गुजरात और दक्षिण भारत जाने वाला मुख्य मार्ग चित्तौड़ के पास होकर गुजरता था इसलिए इसका ध्यान चितौड़गढ़ पर पड़ा था.
  • अलाउद्दीन खिलजी अत्यधिक मैं उत्तल महत्वकांक्षी साम्राज्यवादी था.

Summary

नामरानी पद्मावती
उपनामपद्मिनी/सीहल दीप की राजकुमारी
जन्म स्थानसीहल दीप (श्रीलंका)
जन्म तारीखअपरिचित
वंशराजपूत
माता का नामरानी चंपावती
पिता का नामराजा गंधर्वसेन
पति का नामराणा रतन सिंह
पेशाराजकुमारी/रानी
बेटा और बेटी का नाम
गुरु/शिक्षकराजा गंधर्वसेन
देशभारत
राज्य छेत्रचित्तौड़गढ़
धर्महिन्दू
राष्ट्रीयताभारतीय
मृत्यु26-अगस्त सन 1303 साका (जौहर)
पोस्ट श्रेणीStory and Biography of Rani Padmavati
Story and Biography of Rani Padmavati

राजस्थान के जिलों का इतिहास और पर्यटक स्थल और रोचक जानकारी

झुंझुनू जिले का इतिहास और झुंझुनू क्यों प्रसिद्ध हैझुंझुनू के प्रसिद्ध घूमने लायक जगह
चूरू जिले का इतिहास और चूरू क्यों प्रसिद्ध हैचूरू के प्रसिद्ध पर्यटक स्थल
नागौर जिले का इतिहास और नागौर क्यों प्रसिद्ध हैबीकानेर जिले का इतिहास और बीकानेर क्यों प्रसिद्ध है
सीकर जिले का इतिहास और सीकर क्यों प्रसिद्ध हैटोंक जिले का इतिहास और टोंक क्यों प्रसिद्ध है
जोधपुर जिले का इतिहास और जोधपुर क्यों प्रसिद्ध हैकोटा जिले का इतिहास और कोटा क्यों प्रसिद्ध है
अजमेर जिले का इतिहास और अजमेर क्यों प्रसिद्ध हैबूंदी जिले का इतिहास और बूंदी क्यों प्रसिद्ध है
भीलवाड़ा जिले का इतिहास और भीलवाड़ा क्यों प्रसिद्ध हैबारा जिले का इतिहास और बारा क्यों प्रसिद्ध है
झालावाड जिले का इतिहास और झालावाड क्यों प्रसिद्ध हैश्रीगंगानगर जिले का इतिहास और श्रीगंगानगर क्यों प्रसिद्ध है
हनुमानगढ़ जिले का इतिहास और हनुमानगढ़ क्यों प्रसिद्ध हैपाली जिले का इतिहास और पाली क्यों प्रसिद्ध है
सिरोही जिले का इतिहास और सिरोही क्यों प्रसिद्ध हैशेखावाटी का इतिहास
Story and Biography of Rani Padmavati

Biography of Rani Padmavati (रानी पद्मावती की जीवनी)

माना जाता है आपको बचपन से पद्मावती के नाम से जाना जाता था. आप सीहल दीप श्रीलंका में राजा की पुत्री थी. आपकी माता जी का नाम चंपावती था और पिता जी का नाम गंधर्वसेन था जो एक राजा थे. मेवाड़ के राजा रतन सिंह जी आपको युद्ध करके आपका मन जित कर आपसे विवाह किया था. आप मेवाड़ की महारानी बनी और राजा राणा रतन सिंह के युद्ध में मारे जाने के बाद 16000 रानियों के साथ 26-अगस्त सन 1303 साका (जौहर) कर लिया था. आपके द्वारा किया गया जौहर (पति की मर्त्यु पर पत्नी द्वारा आत्म दाग) कर लिया.

हीरामन तोता द्वारा राजा रतन सिंह जी को पद्मावत की सुंदरता का बखान

दोस्तों हर युग में संचार के अलग अलग साधन होते आये है. 12-13 वी ईस्वी में दुनिया में समाचारो का आदान प्रदान जानवरो और पछियो के द्वारा होता था. इसी क्रम में 1540 में लिखित महाकाव्य “पद्मावत” के अनुसार, रानी पद्मावती का जन्म सिंहल साम्राज्य के राजा गंधर्व सेन के घर हुआ था. गंधर्व सेन (रानी पद्मावती के पिता) उनके प्रति काफी सुरक्षात्मक थे, जिसके चलते उन्हें पद्मावती का किसी और से बात करना पसंद नहीं था. जिसके कारण रानी पद्मावती का लगाव एक तोते (हीरामणी) से हो गया था.

जब उनके पिता को तोता (हीरामणी) व पद्मावती के घनिष्ठ संबंधों के बारे में पता चला तो, उनके पिता ने तोते को मारने का आदेश दे दिया. हालांकि, वह तोता अपनी जान बचाकर वहाँ से उड़ गया. उसी दौरान, एक शिकारी ने तोते को पकड़ लिया और उसे एक ब्राह्मण को बेच दिया. उस ब्राह्मण ने वह तोता चितौड़ के राजा रतन सिंह को बेच दिया. क्योंकि राजा रतन सिंह उस तोते के क्रियाकलापों से काफी प्रभावित थे.

तोते (हीरामणी) ने राजा रतन सिंह के समक्ष रानी पद्मावती की सुंदरता की प्रशंसा करते हुए, राजा रतन सिंह को रानी पद्मावती के प्रति ललायित किया. जिसके कारण राजा रतन सिंह ने रानी पद्मावती से विवाह करने का निश्चय किया और अपने सोलह हजार सैनिकों के साथ सात समुद्र पार कर सिंहल साम्राज्य की ओर प्रस्थान किया. राजा रतन सिंह के द्वारा अपने सोलह हजार सैनिकों के साथ सिंहल साम्राज्य पर आक्रमण किया, जिसके परिणामस्वरूप राजा रतन सिंह को पराजय का सामना करना पड़ा और उन्हें क़ैद कर लिया गया था.

भारत के प्रमुख युद्ध

हल्दीघाटी का युद्धहल्दीघाटी का युद्ध 1576 ईचित्तौड़गढ़ किला
विश्व की प्राचीन सभ्यताएंझेलम का युद्धकलिंग युद्ध का इतिहास
1845 ई. में सिखों और अंग्रेजों का युद्धभारत चीन युद्ध 1962कश्मीर का इतिहास और युद्ध 1947-1948
सोमनाथ का युद्धतराइन का प्रथम युद्धतराइन का दूसरा युद्ध
पानीपत का प्रथम युद्धपानीपत की दूसरी लड़ाईपानीपत की तीसरी लड़ाई 1761 ई
खानवा की लड़ाई 1527नादिरशाह का युद्ध 1739 ईसवीप्लासी का युद्ध 1757 ई
Story and Biography of Rani Padmavati

कहाँ जाता है, जैसे ही राजा रतन सिंह को को फांसी दी जाने वाली थी, उनके साम्राज्य के गायक ने वहां मौजूद लोगों को बताया कि रतन सेन दरअसल चितौड़ राजस्थान के राजा हैं. यह सुनने के बाद, गंधर्व सेन ने पद्मावती का विवाह रतन सिंह के साथ करने का निर्णय लिया. और साथ-ही-साथ रतन सेन के साथ आए हुए, सोलह हजार सैनिकों का विवाह भी सिंहल साम्राज्य की सोलह हजार पद्मनियों के साथ सम्पन्न करवा दिया था.

सुल्तान अलाउद्दीन का चित्तौड़गढ़ पर आक्रमण

दोस्तों मेवाड़ के राणा रतन सिंह की रानी पद्मिनी महान सुंदरी थी. उनकी सुंदरता के चर्चे देश विदेश में हो रहे थे. उसी समय भारत के दिल्ली का सुल्तान खिलजी वंश का शासक था अलाउद्दीन खिलजी. अपने चाचा और ससुर फिरोज खिलजी को दिल्ली का सुल्तान था का घोर विश्वासघात करके कत्ल कर दिया था. और खुद दिल्ली के तख्त पर बैठ गया था. कहा जाता है कि उसी समय मेवाड़ के राणा रतन सिंह ने राघव चेतन अपने एक फरेबी ज्योतिषी को अपने यहां से निकाल बाहर किया था.

सुना है वह ज्योतिषी राघव चेतन राणा रतनसिंह जी से बदला लेने के लिए सुल्तान अलाउद्दीन के पास पहुंचा और उसने सुल्तान को चित्तौड़गढ़ की रानी पद्मिनी की सुंदरता का बखान कर उस जैसी सुंदरी को अपने महलों में ले आने के लिए तैयार किया. अतः पद्मिनी को पाने के लिए अलाउद्दीन खिलजी ने वर्ष 1303 इसी में दिल्ली से चलकर अपना पड़ाव बयाना में किया. और इसके बाद वह रणथंबोर आया यहां से चंबल नदी पार कर बूंदी मांडलगढ़ होता हुआ दक्षिण पूर्व की ओर चित्तौड़गढ़ पहुंचा. और चित्तौड़गढ़ की तलहटी मैदान में गंभीरी, बेडच, नदियों के बीच में अपना सैनिक शिविर स्थापित किया था. अलाउद्दीन के चित्तौड़ के घेरे के समय राजा रतन सिंह मेवाड़ का शासक था. कहा जाता है कि उनकी पत्नी रानी पद्मिनी अत्यंत सुंदर थी उसी की सुंदरता की प्रशंसा से प्रेरित होकर अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़ पर आक्रमण किया था.

अलाउद्दीन खिलजी का चित्तौड़गढ़ पर आक्रमण और घेरा बंदी

अलाउद्दीन खिलजी 8 माह तक चित्तौड़गढ़ के किले को घेरे रहा परंतु जब उसे दुर्ग विजय करने में कोई सफलता प्राप्त नहीं हुई. तब अलाउद्दीन खिलजी ने राणा रतन सिंह को मैत्री संधि करने के लिए संदेश भिजवाया. बादशाहा अलाउद्दीन ने शर्त रखी कि यदि उसे एक बार रानी पद्मावती को दर्पण में दिखा दी जाए तो वह संतुष्ट होकर वापस दिल्ली चला जाएगा. राजा रतन सिंह ने देश रक्षा और प्रजा हित को ध्यान में रखकर बादशाह अलाउद्दीन को दुर्ग आमंत्रित कर दर्पण में रानी की आकृति के दर्शन करवा दिए.

और जब राजा रतन सिंह अपनी राजपूती प्रथा के अनुसार खिलजी उसका अतिथि था उसे छोड़ने बाहर गया तब अलाउद्दीन ने छल से राजा रतन सिंह को कैद कर लिया था. और कहला भेजा कि रानी को उसको सोप दी जाये. तब वहां के सरदार गोरा और बादल और रानी ने राजा को अलाउद्दीन खिलजी मुक्त करने का एक तरीका खोज लिया और संदेश भेजा की रानी अपनी सहेलियों के साथ खिलजी से मिलने आ रही है. 1670 सैनिक रानी की सहेलियों के वेश में सुल्तान अलाउद्दीन के पड़ाव की ओर भेजे गए. और सुल्तान को यह संदेश भेजा की रानी पहले अपने पति से मिल कर फिर आप से मिलने आएगी. वहां पहुंचकर पालकियों में से सशस्त्र सैनिक बाहर निकले और अलाउद्दीन की सेना से युद्ध करके राजा रतन सिंह को छोड़ा लाए.

किंतु तुर्कों की सेना ने उनका पीछा किया और रतन सिंह अपने कई वीर सैनिकों सहित दुर्ग की रक्षा करता हुआ वीरगति को प्राप्त हुए. उधर रानी पद्मिनी भी हजारों राजपूत स्त्रियों के साथ जोर की ज्वाला में कूद पड़ी और सब ने अपने अमर बलिदान दिए अलाउद्दीन को तब रानी की राखी आग लगी थी.

रानी पद्मावती और राजा रतन सिंह और अलाउद्दीन खिलजी की कहानी सही है?

कुछ इतिहासकार इस घटना को असत्य मानते हैं किंतु गोपीनाथ शर्मा का कहना है कि वास्तव में रतन सिंह समर सिंह का पुत्र था. जो अलाउद्दीन के आक्रमण के समय मौजूद था. इसके अलावा चित्तौड़गढ़ दुर्ग में मौजूद पद्मिनी महल इस बात का प्रमाण है कि उस नाम की रानी चित्तौड़ की महारानी थी. चित्तौड़गढ़ दुर्ग विजय के पश्चात अलाउद्दीन ने अपने पुत्र खिज्र खां को सौंप दिया था. और उसका नाम खिजराबाद रख दिया था. परंतु राजपूतों की सेना के भय के कारण खिज्र खां का दिल्ली चला आया तथा वर्ष 1313 इसी के आसपास जालौर के मालदेव को इस शर्त पर चित्तौड़गढ़ दिया गया था. कि वह निरंतर खिलजी शासक को वार्षिक कर देता रहेगा.

नैंसी के अनुसार अगले 7 वर्ष तक चित्तौड़गढ़ मालदेव के कब्जे में रहा और उसके पश्चात ही सिसोदिया वंश के हमीद ने इस पर अपना अधिकार कर लिया. मालदेव ने अपनी पुत्री का विवाह भी हमीर राव से कर दिया था. उसका 28 वर्ष का शासन काल प्राचीन गौरव को प्रतिष्ठित करने में सहायक बना. उसके उत्तराधिकारी क्षेत्र सिंह ने अजमेर मांडलगढ़ जहाजपुर को विजय करके राज्य को सुदृढ़ किया और प्रसार किया था. उसके बाद उसके पश्चात कुंभा के काल में तो मेवाड़ अपनी प्रतिष्ठा के चरम सीमा पर विराजमान हो गया था.

जौहर (साका) प्रथा क्या है!

दोस्तों भारत की इस पवित्र भूमि पर महिलाओ के समान में अनेक युद्ध हुए है. जैसे महाभारत, रामयण, और अनेक हजारो उदाहरण है. ऐसे ही राजस्थान में राजा के युद्ध में हारने पर उनकी रानियाँ और दासी अपनी इज्जत के लिए आग के कुंड में कूद कर अपने आपक को खतम कर लेती थी. साका, जौहर, राजस्थान में राजपूत रानियों और उनकी दासियों द्वारा मुंगलो और दुश्मन सेना और राजाओ द्वारा महिलाओ की इज्जत लूटने के डर से खास कर राजपूत रानिया युद्ध में हार के बाद जलती चिता में कूद जाती थी.

महान साधु संतों का जीवन परिचय और रोचक जानकारी

भगवान श्री राम की जीवनीभगवान श्री कृष्ण की जीवनी
भीष्म पितामह की जीवनीराधा स्वामी सत्संग इतिहास और गुरु जीवनी
आदिगुरु शंकराचार्य जी की जीवनीकृष्णसखा सुदामा जी की जीवनी
भगवान महादानी राजा बालिक की जीवनीमीराबाई की जीवनी
राजा हरिश्चंद्र जी की जीवनीगौतम बुद्ध की जीवनी
संत झूलेलाल जी की जीवनीगुरु नानक की जीवनी और चमत्कार
महर्षि वाल्मीकि जी की जीवनीश्री जलाराम बापा की जीवनी
संत ज्ञानेश्वर जी की जीवनीरानी पद्मिनी की जीवनी
गुरु गोबिंद सिंह जी की जीवनीपन्ना धाय की जीवनी
भक्त पीपा जी की जीवनीमहाराणा कुंभा की जीवनी
गुरुभक्त एकलव्य जी की जीवनीमहाराणा सांगा की जीवनी
वेद व्यास जी की जीवनीसमर्थ गुरु रामदास की जीवनी
स्वामी हरिदास जी की जीवनीवेदव्यास जी की जीवनी
ठाकुर बिल्वमंगल की जीवनीगुरु अर्जुन देव की जीवनी
चैतन्य महाप्रभु की जीवनीदेवनारायण का जीवन परिचय
महर्षि दधीचि की जीवनीमहर्षि रमण का जीवन परिचय
स्वामी दादू दयाल की जीवनीरंतीदेव जी की जीवनी
संत नामदेव की जीवनीगोविंद गिरि की जीवनी
सन्त एकनाथ की जीवनीसन्त तुकाराम की जीवनी
संत रैदास की जीवनीसंत गुरु घासीदास जी की जीवनी
संत तिरुवल्लुवर की जीवनीसेवा मूर्ति ठक्कर बापा की जीवनी
स्वामी रामतीर्थ जी की जीवनीसंत माधवाचार्य जी की जीवनी
संत वल्लभाचार्य जी की जीवनीमत्स्येंद्रनाथ जी की जीवनी
राजर्षि अंबरीश की जीवनीदिव्यदृष्टा संजय की जीवनी
ठाकुर बिल्वमंगल की जीवनीगुरु तेग बहादुर की जीवनी
सप्तऋषियों की जीवनीमलूकदास जी की जीवनी
निम्बार्काचार्य जी की जीवनीसंत शेख सादी की जीवनी
भक्त प्रह्लाद की जीवनीमहारथी कर्ण की जीवनी
भक्त बालक ध्रुव की जीवनीजिज्ञासु नचिकेता की जीवनी
महारथी कर्ण की जीवनीगुरु भक्त अरुणी की जीवनी
भक्त उपमन्यु की जीवनीकृष्ण सखा उद्धव की जीवनी
महावीर स्वामी की जीवनीओशो की जीवनी

1857 ईस्वी की क्रांति के महान वीरों का जीवन परिचय और रोचक जानकारी

1857 ईस्वी क्रांति के महान वीरों की गाथा1857 की क्रांति में महान रानियों का योगदान
अजीजन बेगम की जीवनीअकबर खान की जीवनी
अज़ीमुल्लाह खान की जीवनीपृथ्वीराज चौहान III की जीवनी
आनंद सिंह जी की जीवनीअवन्ति बाई लोधी की जीवनी
अमरचंद बांठिया जी की जीवनीस्वामी दयानंद सरस्वती जी की जीवनी
बंसुरिया बाबा की जीवनीतात्या टोपे की जीवनी
मंगल पांडे की जीवनीमहारानी तपस्विनी की जीवनी
बेगम हजरत महल की जीवनीगोविंद गिरि की जीवनी
भास्कर राव बाबासाहेब नरगुंडकर कौन थेकुमारी मैना की जीवनी
महारानी जिंदा कौर की जीवनीवीर सुरेंद्र साय की जीवनी
झलकारी बाई की जीवनीवृंदावन तिवारी की जीवनी
तिलका मांझी की जीवनीसूजा कंवर राजपुरोहित की जीवनी
पीर अली की जीवनीबाबू कुंवर सिंह की जीवनी
ईश्वर कुमारी की जीवनीठाकुर कुशल सिंह की जीवनी
उदमी राम की जीवनीचौहान रानी की जीवनी
जगत सेठ रामजीदास गुड़ वाला की जीवनीजगजोत सिंह की जीवनी
ज़ीनत महल की जीवनीजैतपुर रानी की जीवनी
जोधारा सिंह जी की जीवनीटंट्या भील की जीवनी
ठाकुर रणमत सिंह की जीवनीनरपति सिंह जी की जीवनी
दूदू मियां की जीवनीनाहर सिंह जी की जीवनी
मौलवी अहमदुल्लाह फैजाबादी की जीवनीखान बहादुर खान की जीवनी
गोंड राजा शंकर शाह की जीवनीरंगो बापूजी गुप्ते की जीवनी
बरजोर सिंह की जीवनीराजा बलभद्र सिंह की जीवनी
रानी तेजबाई की जीवनीवीर नारायण सिंह जी की जीवनी
वारिस अली की जीवनीवलीदाद खान की जीवनी
झांसी की रानी लक्ष्मी बाई की जीवनीनाना साहब पेशवा की जीवनी
राव तुलाराम की जीवनीबाबू अमर सिंह जी की जीवनी
रिचर्ड विलियम्स की जीवनीबहादुर शाह ज़फ़री की जीवनी
राव रामबख्श सिंह की जीवनीभागीरथ सिलावट की जीवनी
महाराणा बख्तावर सिंह की जीवनीअहमदुल्लाह की जीवनी
Story and Biography of Rani Padmavati

भारत के राज्य और उनका इतिहास और पर्यटन स्थल

जम्मू कश्मीर का इतिहास और पर्यटन स्थलहिमाचल प्रदेश का इतिहास और पर्यटन स्थल
पंजाब का इतिहास और पर्यटन स्थलहरियाणा का इतिहास और पर्यटन स्थल
उत्तराखंड का इतिहास और पर्यटन स्थलपश्चिम बंगाल का इतिहास और पर्यटन स्थल
झारखंड का इतिहास और पर्यटन स्थलबिहार का इतिहास और पर्यटन स्थल
उत्तर प्रदेश का इतिहास और पर्यटन स्थलराजस्थान का इतिहास और पर्यटन स्थल
मध्य प्रदेश का इतिहास और पर्यटन स्थलछत्तीसगढ़ का इतिहास और पर्यटन स्थल
उड़ीसा का इतिहास और पर्यटन स्थलगुजरात का इतिहास और पर्यटन स्थल
Story and Biography of Rani Padmavati

Youtube Videos Links

आदिगुरु शंकराचार्य की जीवनीhttps://youtu.be/ChQNNnW5BpI
महादानी राजा बलि की जीवनीhttps://youtu.be/Xar_Ij4n2Bs
राजा हरिश्चंद्र की जीवनीhttps://youtu.be/VUfkrLWVnRY
संत झूलेलाल की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=oFiudeSc7vw&t=4s
महर्षि वाल्मीकि की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=PRg2D0b7Ryg&t=206s
संत ज्ञानेश्वर जी की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=-zo8M3i3Yys&t=38s
गुरु गोबिंद सिंह की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=amNaYHZm_TU&t=11s
भक्त पीपा जी की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=5MEJPD1gIJw
गुरुभक्त एकलव्य की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=jP5bUP6c2kI&t=232s
कृष्णसखा सुदामा की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=Y2hAmKzRKt4&t=217s
मीराबाई की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=d6Qe3dGN27M&t=3s
गौतम बुद्ध की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=ookD7xnURfw&t=4s
गुरु नानक जी की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=mHui7KiZtRg&t=21s
श्री कृष्ण की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=9bSOn2TiAEg&t=1s
भगवान श्री राम की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=aEaSpTMazEU&t=52s
मलूकदास जी की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=ALYqc0ByQ8g
श्री जलाराम बापा की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=s2xbAViUlfI&t=6s
Story and Biography of Rani Padmavati

FAQs

Q- अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़गढ़ को जीतने के बाद उसका क्या नाम रखा था?

Ans- अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़गढ़ को जीतने के बाद उसको अपने बेटे खिज्र खां को सौंप दिया और इसका नाम खिजराबाद रखा.

Q- चित्तौड़ दुर्ग में कितने जौहर हुए?

Ans- चित्तौड़ किले में तीन बार जौहर हुए है, जिनको साका भी कहते है. पहला साका (जौहर) 1303 में राजा रतनसिंह के बाद चित्तौडग़ढ़ की रानी पद्मावती और उनके साथ हजारो महिलाओ ने जौहर किया था.

Rajasthan State Govt Official Website

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *