History of Chittorgarh Fort | चित्तौड़गढ़ किले का इतिहास

By | September 11, 2023
History of Chittorgarh Fort
History of Chittorgarh Fort

दोस्तों अगर आप पुराने महलों, किलों के बारे में पढ़ना और उनकी विचित्र जानकारी लेने का शोक रखते है. तो हम यहाँ आपको चित्तौड़गढ़ किला का इतिहास और उसकी वो रोचक जानकारी शेयर करेंगे जिसके बारे में आज से पहले शायद ही आपने पढ़ा हो. मित्रों चित्तौड़गढ़ किला का इतिहास (History of Chittorgarh Fort) शुरू होता है, 7 वी से कुमारपाल प्रबंद के अनुसार राजा चित्रांगद मौर्य ने चित्तोड़ किले का निर्माण कराया था. आधुनिक चित्तौड़गढ़ किला का निर्माण राणा कुम्भा जी ने कराया था. आचार्य चाणक्य द्वारा बताई गयी चार दुर्ग कोटियों तथा आचार्य शुक्र द्वारा बताई गयी 9 दुर्ग कोटियों में से केवल एक कोटि धान्वन दुर्ग को छोड़कर चित्तोड़ दुर्ग को सभी कोटियों में रखा जा सकता है. इन कारणों से राजस्थान में एक कहावत है, “गढ़ तो गढ़ चित्तौड़गढ़, बाकी सब गढ़ैया”. चित्तौड़गढ़ किला गंभीरी और बेडच नदियों के तट पर स्थित है.

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History of Chittorgarh Fort

चित्तौड़गढ़ 1568 तक मेवाड़ की राजधानी के रूप में देखा गया था. उसके बाद उदयपुर को मेवाड़ की राजधानी बना दिया गया. ऐसा माना गया है की इसकी स्थापना सिसोदिया वंश के शासक बप्पा रावल ने की थी. बप्पा रावल को चित्तौड़गढ़ 8वी शताब्दी में सोलंकी राजकुमारी से विवाह करने पर दहेज़ के एक हिस्से के रूप में मिला था. उसके बाद बप्पा रावल के वंशजो ने इस पर राज किया. इतिहास के पन्नो के अनुसार इस किले पर 7वी शताब्दी से 1568 तक राजपूतों के सूर्यवंशी वंश ने राज किया. राजपूतों ने इस राज्य का परित्याग किया था, क्योंकि 1567 में मुग़ल शासक अकबर ने इस किले को घेरा था. उसके बाद अकबर ने इस किले को कई बार नष्ट भी किया. लम्बे समय बाद 1902 में इसकी फिर से मरम्मत करायी गयी. इतिहास में इस किले के कई बार टूटने और कई बार निर्माण की कहानियाँ है.

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चित्तौड़गढ़ के किले का इतिहास (Chittorgarh Fort History) एक ऐसा किला जिसने सबसे अधिक खूनी लड़ाईयां देखी, जिस किले में सबसे अधिक जौहर हुए, हम बात कर रहे हैं. राजस्थान के प्रसिद्ध चित्तौड़गढ़ के दुर्ग की Chittorgarh Fort History का यह सबसे महत्वपूर्ण किला हैं. वीरता, त्याग, बलिदान, और स्वाभिमान का प्रतीक चित्तौड़ का किला स्थापत्य की दृष्टि से भी विशिष्ठ हैं. किले के सम्बन्ध में प्रसिद्ध लोकोक्ति ”गढ़ तो चित्तौड़ बाकी सब गढ़ैया” किले की सुदृढ़ता और स्थापत्य श्रेष्ठता की ओर इंगित करती हैं.

उत्तर भारत के सबसे महत्वपूर्ण किलों में से एक चित्तौड़गढ़ का किला राजपूतों के साहस, शौर्य, त्याग, बलिदान और बड़प्पन का प्रतीक है. चित्तौड़गढ़ का यह किला राजपूत शासकों की वीरता, उनकी महिमा एवं शक्तिशाली महिलाओं के अद्धितीय और अदम्य साहस की कई कहानियों को प्रदर्शित करता है.

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चित्तौड़गढ़ का किला कहाँ है?

राजस्थान का गौरव और किलों का सिरमौर कहलाने वाला चित्तौड़गढ़ का किला अजमेर खंडवा रेलमार्ग पर चित्तौड़गढ़ जक्शन से 3 किलोमीटर दूर गम्भीरी एवं बेडच नदियों के संगम तट के निकट अरावली पर्वतमाला के एक विशाल पर्वत शिखर पर बना हुआ हैं. इस दुर्ग में नौ खण्डों वाला विजय स्तम्भ है, इसकी ऊंचाई 120 फीट है. विजय स्तम्भ का निर्माण महाराणा कुम्भा ने मालवा के सुल्तान महमूद खिलजी पर विजय के उपलक्ष्य मे करवाया था. इस स्तम्भ का वास्तुकार जैता था, विजय स्तम्भ को हिन्दू देवी-देवताओं का अजायबघर कहा जाता है. चित्तौड़गढ़ दुर्ग को प्राचीन किलों का सिरमौर कहा जाता है. चित्तौड़गढ़ दुर्ग गंभीरी और बेड़च नदियों के संगम पर स्थित है. चित्तौड़गढ़ दुर्ग में सात मंजिला जैन कीर्ति स्तम्भ है. माना जाता है कि इसका निर्माण बघेरवाल जैन जीजा द्वारा करवाया गया है.

चित्तौड़ दुर्ग को समुद्र तल से ऊँचाई लगभग 1850 फीट है. चित्तौढ़ दुर्ग की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त होने वाले जयमल और फत्ता की वीरता से प्रसन्न होकर अकबर ने आगरा के किले के प्रवेश द्वार पर इनकी हाथी पर सवार संगमरमर की प्रतिमाए स्थापित करवाई थी.

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चित्तौड़गढ़ के किले में कुछ ऐतिहासिक जगह

चित्तौड़ के किले में अनेक पुराने महल, भव्य मंदिर, कीर्ति स्तम्भ, जलाशय, पानी की बावड़ियाँ, शस्त्रागार, अन्न भंडार, गुप्त सुरंग इत्यादि हैं. रानी पद्मिनी का महल, नवलखा भंडार, कुम्भ श्याम मंदिर, समिद्धेश्वर मंदिर, मीरा बाई का मंदिर, तुलजा भवानी का मंदिर, कालिका माता का मंदिर, श्रंगार चौरी आदि स्थापत्य स्मारक दर्शनीय हैं. यह राजस्थान का सबसे बड़ा लिविंग फोर्ट हैं. चित्तौड़गढ़ दुर्ग मे विजय स्तम्भ, कुम्भ स्वामी मंदिर, कुम्भा के महल, श्रृंगार चंवरी का मंदिर, चार दिवारी सात द्वार का निर्माण महाराणा कुम्भा ने करवाया था.

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Interesting information about Chittorgarh Fort (चित्तौड़गढ़ किले की रोचक जानकारी)

  • यह भारत तथा राजस्थान राज्य का सबसे बडा दुर्ग है.
  • चित्तौड़गढ़ दुर्ग का सबसे बडा आकर्षण राणा रत्नसिह की पत्नी रानी पद्मिनी का महल है.
  • भारत का यही एक मात्र दुर्ग है जिसमे आज भी कृषि की जाती है.
  • करीब 700 एकड़ की जमीन में फैला यह विशाल किला अपनी भव्यता, आर्कषण और सौंदर्य की वजह से साल 2013 में यूनेस्को द्धारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है.
  • चित्तौड़गढ़ दुर्ग में प्रमुख जल स्त्रोत भीमलत कुंड, रामकुंड व चित्रांगद मोरी तालाब है.
  • यह दुर्ग सबसे बडा लिविंग फोर्ट है, इसके बाद जैसलमेर किले का नंबर आता है.
  • इस दुर्ग के प्रमुख मंदिर कुम्भ श्यामा, मीरां, श्रृंगार चंवरी, नीलकंठ व कालिका माता का है.
  • माना जाता है कि भीम ने महाभारत काल में अपने घुटने के बल से यहाँ पानी निकाला था
  • समुद्रतल से इसकी ऊँचाई 1850 फ़ीट हैं. क्षेत्रफल की दृष्टि से इसकी लम्बाई लगभग 8 किलोमीटर व चौड़ाई 2 किलोमीटर हैं.
  • चित्तौड़ के किले में अनेक पुराने महल, भव्य मंदिर, कीर्ति स्तम्भ, जलाशय, पानी की बावड़ियाँ, शस्त्रागार, अन्न भंडार, गुप्त सुरंग इत्यादि हैं.
  • माना जाता है कि भीम ने महाभारत काल में अपने घुटने के बल से यहाँ पानी निकाला था
  • गुहिलों ने नागदा के विनाश के बाद चित्तौड़गढ़ को अपनी राजधानी भी बनाया था.

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चित्तौड़गढ़ किले के जौहर

मित्रों चित्तौड़गढ़ का किला जौहर कुंड के लिए भी जाना जाता है. हम आपको बता दें की ‘जौहर प्रथा’ राजस्थान में काफी प्रचलित है. यह सती प्रथा की तरह ही है. परन्तु इसका उपयोग तब किया जाता था जब कोई राजा किसी युद्ध में अपने शत्रु से हार जाता था. और अपने सम्मान को बचाने के लिए शत्रुओं के हाथ लगने की बजाय, महल की स्त्रियां कुंड की अग्नि में खुद को न्योछावर कर देती थी.

एक चित्तौड़गढ़ का किला राजपूतों के साहस, शौर्य, त्याग, बलिदान और बड़प्पन का प्रतीक है। चित्तौड़गढ़ का यह किला राजपूत शासकों की वीरता, उनकी महिमा एवं शक्तिशाली महिलाओं के अद्धितीय और अदम्य साहस की कई कहानियों को प्रदर्शित करता है. यहाँ विभिन समय पर राजपूतो और इनकी रानियों ने अपनी मान समान मर्यादा के लिए जोहर हुई थी. जिनमे राजा रतन सिंह की पत्नी श्रीमती पद्मिनी ने चित्तौड़ के किले के साथ 1303 ई मेंजौहर एवं गोरा बादल की अप्रितम वीरता एवं 1534 ई में राणा सांगा की पत्नी कर्णावती का जौहर. तथा 1568 ई में जयमल व पत्ता की पत्नियों के जौहर एवं इन वीरों के साहसिक बलिदान की गाथाएं जुड़ी हुई हैं. ये चित्तौड़ के तीन साके कहलाते हैं.

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FAQs

Q- चित्तौड़गढ़ किले का निर्माण किसने करवाया था?

Ans- चित्तौड़गढ़ किले का निर्माण मौर्य वंश के शासक चित्रांग मौर्य ने 7वी शताब्दी में करवाया था.

Q- चित्तौड़गढ़ किला किस पठार पर बना हुआ है और इसकी क्या उचाई है?

Ans- चित्तौड़गढ़ किला मेसा पठार पर बना हुआ है?. जो समुंदर ताल से लगभग 1700 फिट से अधिक ऊँचा है.

Q- विजय स्तम्भ किस किले में स्थित है?

Ans- विजय स्तम्भ चित्तौड़गढ़ किले में स्थित है.

Q- कीर्ति स्तम्भ किले में स्थित है?

Ans- कीर्ति स्तम्भ चित्तौड़गढ़ किले में स्थित है.

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