दोस्तों हम यहाँ शेयर करने जा रहे है. कलिंग युद्ध किस किस के बिच हुआ था. कलिंग युद्ध का इतिहास (Kaling Yuddh Ka Itihas). और कलिंग युद्ध होने के कारन, एवं कलिंग युद्ध के क्या परिणाम रहे. साथ ही आप जानेंगे, कलिंग युद्ध के बाद भारत के इतिहास पर क्या प्रभाव पड़ा. उड़ीसा प्रांत में स्थित कलिंग राज्य अपनी शक्ति के लिए विख्यात था. कलिंग का शासक नृपति बड़ा शूरवीर एवं स्वाधीनता प्रेमी था. उसी के सम्मान उसकी प्रजा भी अपने राष्ट्र से प्रेम करती थी. कलिंग समुद्री व्यापार का केंद्र था. नृपति का पुत्र एवं पुत्री दोनों साथी एवं योद्धा थे. कलिंग को अपने राज परिवार पर पूर्ण भरोसा था. कलिंग राज्य के वैभव की चर्चा आसपास के राज्यों में हो रही थी. उन्हीं दिनों मौर्य सम्राट भी एक शक्ति का केंद्र था. जिसका सम्राट अशोक था. उसे महान अशोक की गरिमा से विभूषित किया गया है.
सम्राट अशोक के शासनकाल को सबसे बड़ी उपलब्धि कलिंग विजय थी. इस विजय का मुख्य कारण अशोक की साम्राज्यवादी नीति थी. अशोक मौर्य साम्राज्य के लिए, कलिंग को खतरा मानता था. सम्राट अशोक बड़ा ही युद्ध प्रिय था. वह शासन करने के लिए अपने साम्राज्य का विस्तार करना चाहता था. यही कारण था कि वह प्रारंभिक दिनों में शांति से नहीं बैठ पाया. सम्राट अशोक ने राज्य सिंहासन पर बैठते ही तक्षशिला पर आक्रमण करके विद्रोह की अग्नि को सदा सदा के लिए समाप्त कर दिया था. वह विद्रोहियों को दबाने में बड़ी निर्दयता का सहारा लेता था.
Biography of Chakravarti Emperor Ashoka
नाम | देवानांप्रिय अशोक |
उपनाम | चक्रवर्ती सम्राट अशोक, अखंड भारत के निर्माता, भारत का पहला चक्रवर्ती सम्राट |
जन्म स्थान | पाटलिपुत्र, बिहार |
जन्म तारीख | ईसा पूर्व 304 |
वंश | मौर्य |
माता का नाम | शुभाद्रंगी |
पिता का नाम | बिन्दुसार |
पत्नी का नाम | महादेवी और शाक्यानी या शाक्यकुमारी, कारुवाकी, रानी पद्मावती, तिष्यरक्षिता |
भाई/बहन | विगतशोक तथा छोटे भाई तिष्य |
प्रसिद्धि | चक्रवर्ती सम्राट, कलिंग पर विजय, पुरे भारत समेत, अफगानिस्तान, ईरान, म्यांमार, बंगलादेश, पाकिस्तान तक अपना राज्य विस्तार |
रचना | अशोक के शिलालेख |
पेशा | शासन, बौद्ध भिक्षु |
पुत्र और पुत्री का नाम | पुत्र महेंद्र, जालौक और पुत्री संघमित्रा |
गुरु/शिक्षक | बौद्ध भिक्षु उपगुप्त |
देश | भारत |
राज्य क्षेत्र | बिहार, उड़ीसा, सम्पूर्ण भारत, |
धर्म | जैन, बौद्ध |
राष्ट्रीयता | भारतीय, अफगानिस्तान, ईरान, म्यांमार, बंगलादेश, पाकिस्तान |
भाषा | हिंदी, संस्कृत |
मृत्यु | ईसा पूर्व 232 |
जीवन काल | लगभग 72 वर्ष |
पोस्ट श्रेणी | Kaling Yuddh Ka Itihas (कलिंग युद्ध का इतिहास) |
चक्रवर्ती सम्राट अशोक कौन था?
चक्रवर्ती सम्राट अशोक का जन्म ईसा पूर्व 304 में वर्तमान बिहार के पाटलिपुत्र में हुआ था. मौर्य साम्राज्य के प्रथम शासक चन्द्रगुप्त मौर्य के पोते और मौर्य सम्राट बिन्दुसार के पुत्र थे. आपकी माता का नाम शुभाद्रंगी था. सम्राट अशोक का पूरा नाम देवानांप्रिय अशोक अथार्थ राजा प्रियदर्शी देवताओं का प्रिय था. सम्राट अशोक विश्वप्रसिद्ध एवं शक्तिशाली भारतीय मौर्य राजवंश के तीसरे राजा थे. चक्रवर्ती सम्राट अशोक ने ईसा पूर्व 269 से, 232 प्राचीन भारत में शासक किया था, मौर्य वंश का यह राजा ही एक ऐसा राजा था जिसने अखंड भारत पर राज किया था.
सम्राट अशोक के समय भारत उत्तर में हिन्दुकुश से लेकर गोदावरी नदी तक राज्य का विस्तार किया था. इसके साथ ही बांग्लादेश से लेकर पश्चिम में अफगानिस्तान और ईरान तक राज्य विस्तार था. जिसके प्रमाण आज भी ईरान और अफगानिस्तान में मिलते है. कलिंग युद्ध के बाद सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म अपना लिया था.
कलिंग युद्ध कब और किसके मध्य हुआ था?
कलिंग का युद्ध मौर्य सम्राट अशोक और उड़ीसा प्रांत में स्थित कलिंग राज्य के राजा नृपति (अनंत पद्मनाभन) के बीच 261 ईo पूo लड़ा गया था. मौर्य साम्राज्य के प्रथम सम्राट और अशोक महान के दादा चन्द्रगुप्त मौर्य ने राज्य विस्तार के समय भी कलिंग पर हमला किया था. लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली थी, इसी का बदला लेने के लिए सम्राट अशोक ने कलिंग पर आक्रमण किया था. राज्य सिंहासन पर बैठने के 8 वर्ष बाद सम्राट अशोक की तीव्र दृष्टि कलिंग पर पड़ी उसने कलिंग नरेश के पास संदेश भेजा कि या तो वह उसकी दासता को स्वीकार करें या फिर युद्ध करें कलिंग नरेश ने अशोक की किए दासता प्रस्ताव को ठुकरा दिया परिणाम स्वरूप अशोक ने अपनी विशाल सेना के साथ 261 ईसवी पूर्व में कलिंग पर आक्रमण कर दिया था.
दोनों सेनाओं के मध्य भयंकर युद्ध हुआ. जो कि महीनों तक चलता रहा कलिंग वासियों ने अपनी स्वतंत्रता की रक्षा के लिए अपने प्राणों की बाजी लगा दी. इस युद्ध का वर्णन अशोक के 13वें शिलालेख से प्राप्त होता है. उसने लिखा है, राज्य अभिषेक के 9 वर्ष बाद महामना राजाधिराज ने कलिंग पर विजय प्राप्त की. डेढ़ लाख (150000) व्यक्तियों को बंदी बना लिया गया. तथा लगभग एक लाख (100000) व्यक्ति इस युद्ध में मारे गए. कलिंग राज्य में गांव के गांव और अनेक घर नष्ट हुए. अंत में सम्राट अशोक की विजय हुई तथा एक राजकुमार को कलिंग प्रदेश का शासक नियुक्त करके अशोक वापस अपनी राजधानी पाटलिपुत्र बिहार लौट आए.
मौर्य सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म कब और क्यों अपनाया था?
कलिंग युद्ध में हुए भीषण नरसंहार से सम्राट अशोक का हृदय बहुत दुःखी हो गया. कलिंग युद्ध में एक लाख व्यक्ति मारे गए, जिसके कारन वहां की धरती रक्त से लाल हो गई थी. गांव के गांव उजड़ गए, नगर नष्ट हो गए और खेल खलियान विरान हो गए थे. चारों ओर श्मशान सा दर्स्य दिखाई दे रहा था. माताओं के पुत्र और बहनों के भाई इस युद्ध ने छीन लिए, घर घर से कुर्दन और करुण चीत्कार उठ रहा था. अशोक ने युद्ध के विनाशकारी दृश्य को अपनी आंखों से देखा. जब उसके कानों में विधवा स्त्रियों के करुण रुदन के सवर पड़े उसका हृदय कांप उठा उसने म्यान से अपनी तलवार निकालकर तोड डाली और जीवन में फिर कभी नहीं युद्ध करने की प्रतिज्ञा कर डाली. वह सम्राट से बोध सन्यासी बन गया, उसने अहिंसा का व्रत धारण कर लिया.
अशोक ने अपने 13वें शिलालेख में लिखा है, “यदि इतनी हत्याओं, मृत्यु व जीवित पकड़ने के दुख का 100 वा या 1000 वां भाग भी कभी भविष्य में लोगों को होगा, तो वह सम्राट के लिए महान शोक का कारण होगा. इस प्रकार हम देखते हैं, कि अशोक के जीवन में महान परिवर्तन हुआ. तथा भविष्य में वह अहिंसा का पुजारी बन गया. और धर्म प्रचार के रूप में अपना जीवन व्यतीत करने लगा. कुछ विद्वानों ने कलिंग युद्ध के बाद सम्राट अशोक के हृदय परिवर्तन और उसके द्वारा बौद्ध धर्म स्वीकार करने को अचानक या रातों-रात हुआ परिवर्तन बताया. जबकि अन्य विद्वानों ने इसे उसके सतत चिंतन की प्रेरणा का परिणाम मानते हैं. जिसमें बौद्ध भिक्षु उपगुप्त का प्रभाव भी महत्वपूर्ण रहा था.
कलिंग युद्ध के बाद भारत की राजनीती और धार्मिक दशा में क्या परिवर्त्तन आया था
प्रसिद्ध इतिहासकार डॉक्टर राय चौधरी ने इस विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए लिखा है. कि मगध राज्य के इतिहास में कलिंग विजय एक महान घटना थी. इसके साथ ही प्रादेशिक विजय व बलपूर्वक राज्य विस्तार का युग जो बिम्बिसार द्वारा अंग राज्य पर अधिकार करने से शुरू हुआ था. समाप्त हो जाता है, उसके स्थान पर एक ऐसे युग का सूत्रपात होता है. जिसमें शांति सामाजिक उन्नति धर्म का व्यापक रूप से प्रचार होता है. किंतु उसके साथ ही राजनीतिक अचेतन वह सैनिक दुर्बलता भी आ जाती है. जिसका परिणाम यह होता है, कि मगध साम्राज्य की सैनिक भर्ती प्रयोग के अभाव में धीरे-धीरे नष्ट हो जाती है. इस प्रकार सैनिक विजय का युग समाप्त होता है. और हम आध्यात्मिक विजय का धर्म विजय के युग में प्रवेश करते हैं.
कलिंग युद्ध के बढ़ सम्राट अशोक ने क्या किया?
मगध राजवंश के सम्राट अशोक कलिंग युद्ध के बाद 35 वर्ष तक जीवित रहा. सम्राट के पद पर भी रहा पर उसने फिर कभी युद्ध नहीं किया. सम्राट अशोक चारों और शांति धर्म और वसुधा और ईशा का प्रचार किया. सम्राट अशोक ने जगह-जगह धर्मशाला बनवाई, प्यावु इस्थापित किये और बाग भी लगवाए. अशोक ने जगह-जगह ऐसे पत्थर भी गढ़वाए जिन पर उसके अहिंसा और शांति के उपदेश लिखे हुए थे. उसके द्वारा गढ़वाए हुए पत्थर आज भी जगह जगह मिलते हैं. सम्राट अशोक ने देश में ही नहीं विदेशों में भी शांति, अहिंसा और बौद्ध धर्म का प्रचार किया था. उसने अपने पुत्र एवं पुत्री के द्वारा बौद्ध वृक्ष की एक शाखा श्री लंका भेजी थी. जो आज भी एक वृक्ष के रूप में श्रीलंका में विद्यमान है. कलिंग युद्ध के बाद अशोक ने भेरी-घोष के स्थान पर धर्म-घोष तथा दिग्विजय के स्थान पर धर्म-विजय की नीति अपनाई.
सम्राट अशोक के समय भारत विश्व गुरु था?
कलिंग युद्ध जीतने के बाद सम्राट अशोक ने बुद्ध धम्म से प्रभावित होकर पूरे भारतवर्ष में लगभग चौरासी हजार (84000) स्तूप, बौद्धमठ व विश्वविद्यालय जिसमे तक्षशिला, नालंदा, सांची स्तूप आदि का निर्माण करवाया। सम्राट अशोक ने अपने पुत्र और पुत्री को भी बुद्ध धम्म के प्रचार में लगा दिया था. और कई देशों में अपने संघमित्र भेज कर बोधि वृक्ष( पीपल का पेड़) रोपित करवाएं। सम्राट अशोक का साम्राज्य वर्तमान अफगानिस्तान के कंधार प्रान्त, पाकिस्तान, अफगानिस्तान व नेपाल से लेकर पूरे भारत में था। सम्राट अशोक के शासनकाल में भारत एक अखंड भारत और विश्व गुरु बना था.
कलिंग युद्ध के प्रमुख कारण क्या थे?
- कलिंग युद्ध के प्रमुख एक कारण में से सम्राट अशोक के पिता और दादा ने कलिंग को कब्जाने की कोशिश की थी. लेकिन वे असफल रहे, अशोक उनके सपने पूरा करने के लिए ये युद्ध लड़ा था.
- कलिंग राज्य समृद्ध था, वहां की जनता राष्ट्रवादी थी, कलिंग राज्य के वैभव की चर्चा आसपास के राज्यों में हो रही थी. अशोक को ये बात रह-रह कर चुभ रही थी.
- अशोक की विस्तारवादी नीति और सिंहासन पर बैठते ही तक्षशिला पर आक्रमण करके जितना उसको और बल दिया.
- कलिंग नरेश ने अशोक की किए दासता के प्रस्ताव को ठुकरा देना.
- मौर्य सम्राट अशोक कलिंग राज्य को अपने राज्य के लिए एक खतरे के रूप में देखता था.
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FAQs
Ans- कलिंग का युद्ध 261 ई.पू में वर्तमान उड़ीसा राज्य के कलिंग प्रान्त के राजा और मगध के राजा के मध्य लड़ा गया था. इस युद्ध मर सम्राट अशोक विजय हुए थे.
Ans- कलिंग राज्य वर्तमान में भारत के ओडिशा राज्य की एक प्रान्त था, मौर्य कालीन इस राज्य की राजधानी तोशाली थी.
Ans- कलिंग युद्ध का वर्णन सम्राट अशोक के तेरहवां शिलालेख में मिलता है. तथा 13 वें शिलालेख में कलिंग युद्ध और सम्राट अशोक के ह्रदय परिवर्तन का वर्णन किया गया है.
Ans- कलिंग युद्ध के समय कलिंग का राजा नृपति था.
Ans- कलिंग युद्ध मौर्य साम्राज्य के राजा सम्राट अशोक और उड़ीसा राज्य के कलिंग प्रान्त के राजा नृपति के बीच हुआ था.
Ans- चन्द्रगुप्त मौर्य ने 321 ईसा पूर्व में पाटलिपुत्र बिहार को राजधानी बना कर मौर्य वंस की नीव रखी थी.
Ans- चक्रवर्ती सम्राट अशोक मौर्य वंश के तीसरे शासक थे, इनका राज्य पुरे भारत समेत, अफगानिस्तान, ईरान, म्यांमार, बंगलादेश, पाकिस्तान तक फैला था. ये भारत के पहले चक्रवर्ती सम्राट थे, जिन्होंने अखंड भारत का निर्माण किया था.