भारत का यह पश्चिमी राज्य स्वतंत्रता से पहले एक बहुत बड़ा राज्य था. जो बंगाल कहलाता था. आजादी के दौरान जब देश का विभाजन हुआ तो इसके अधिकांश भाग को काटकर पूर्वी पाकिस्तान बनाया गया था. जिसे सन1971 में बांग्लादेश नाम से स्वतंत्र देश का दर्जा मिला। इसका शेष हिस्सा जो भारत में था, वह पश्चिमी बंगाल कहलाया. बंगाल राज्य का स्वरूप छोटा होने के कारण संग 1956 में बिहार के कुछ बांग्ला भाषी क्षेत्र इसमें शामिल कर राज्य का पुनर्गठन किया गया. लगभग 82752 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में पश्चिमी बंगाल की लगभग 10 करोड़ जनसंख्या निवास करती है. हम यहाँ पश्चिम बंगाल का इतिहास और पर्यटन स्थल (History and Tourist Places of West Bengal) की वो रोचक जानकारी शेयर करने वाले है. जिसके बारे में आप शायद अब से पहले अनजान थे.
इस राज्य की क्षेत्र आकृति काफी विचित्र है इसकी चौड़ाई 320 किलोमीटर से घटकर एक ही स्थान पर मात्र 16 किलोमीटर रह जाती है. बांग्लादेश के सीमा पर इस राज्य की अंतर्राष्ट्रीय सीमा 92000 किलोमीटर लंबी है. जो न तो प्राकृतिक है नहीं सुप्रभावित है लेकिन इसका सामरिक महत्व है.
यह उत्तर में भूटान तथा सिक्किम राज्य पूर्वोत्तर में असम राज्य पूर्व में बांग्लादेश दक्षिण में बंगाल की खाड़ी दक्षिण पश्चिम में उड़ीसा राज्य पश्चिम में झारखंड व बिहार और पश्चिमोत्तर दिशा में नेपाल से घिरा हुआ है. दोस्तों आज के दौरमें देखे तो क्षेत्रफल की दृष्टि से पश्चिमी बंगाल भारत के अपेक्षाकृत छोटे राज्यों में आता है. लेकिन जनसंख्या की दृष्टि से यह सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले राज्यों में से एक है. इसकी राजधानी कोलकाता है, भूतपूर्व कोलकाता भारत का दूसरा सबसे बड़ा शहर था.
पश्चिम बंगाल का इतिहास (history of west bengal)
पश्चिम बंगाल के इतिहास की विशेष जानकारी मौर्य शासन काल में जब यह अशोक को विरासत में मिले विशाल मौर्य साम्राज्य के हिस्से के रूप में था. मौर्य साम्राज्य समाप्त होते ही इस क्षेत्र में अराजकता व्याप्त हो गई. अपराधिक गतिविधियां बढ़ गई, चौथी शताब्दी में यह क्षेत्र समुद्रगुप्त के गुप्त साम्राज्य के अंतर्गत आ गया. बाद में यह पाल शासकों के अधीन हो गया. तेरहवीं सदी के अंतर्गत आरंभ से सन 1757 में रोबर्ट क्लाइव द्वारा इस राज्य पर विजय तक बंगाल मुस्लिम मुस्लिम शासकों के अधीन रहा. समय-समय पर इसके सूबेदारों ने दिल्ली सल्तनत की सर्वोच्चता को मान्यता दी.
हालांकि मुख्य रूप से यह राज्य स्वतंत्र शासकों के अंतर्गत ही रहा. मुगल शासन साह आलम को सन 1765 में अंग्रेजों ने पराजित कर बंगाल पर अधिकार कर लिया। इसके बाद इस्ट इंडिया कंपनी को बंगाल बिहार और उड़ीसा का दीवानी अधिकार मिला. जिसमें इन क्षेत्रों के राजस्व की वसूली और प्रशासन का अधिकार शामिल थे. सन 1773 के रेगुलेटिंग एक्ट द्वारा वॉरेन हेरिस्टिंग को बंगाल का पहला गवर्नर जनरल बनाया गया था. जिसे सर्वोच्च प्रशासन घोषित कर अन्य दो प्रेसीडेंसीओं मद्रास और मुंबई की देखने का अधिकार सौंपा गया.
कोलकाता से 31 किलोमीटर उत्तर में स्थित हुगली शहर में सन 1632 तक भारत आए सभी विदेशी यूरोपियों में सबसे पहली फैक्ट्री पुर्तगाली थी. इसके दक्षिण में अगले शहर हुगली चिनसुरा में सन 18 से 25 तक बस चुकी थी. और आज यह भारत के अग्नि चावल अनुसंधान केंद्रों में से एक है. इसका महत्व भी काफी है इससे अगला शहर श्रीरामपुर 1845 तक डेनिस चौकी था. और चंद्र नगर 1849 तक फ़्राँसीसीओ के अधिकार में बना रहा. सन 1800 बंगाल का गवर्नर जनरल के प्रत्यक्ष शासन से मुक्त कर इसे लेफ्टिनेंट गवर्नर के अंतर्गत दे दिया। इसके बाद भारत की सरकार ने बंगाल सरकार को एक अलग राज्य का रूप दे दिया था.
पश्चिमी बंगाल और 19वीं सदी
19 वी सदी के दौरान सन 18 सो 74 में असम को लेफ्टिनेंट गवर्नर की अधीनता से मुक्त कर एक अलग प्रशासन के अंतर्गत स्थानांतरित कर दिया गया. और उग्र हिंदू विरोध के बाद भी बंगाल को दो राज्यों में बांट दिया गया था. पश्चिम बंगाल बिहार और उड़ीसा और पूर्वी बंगाल और असम इसमें हर एक को एक लेफ्टिनेंट गवर्नर के अधीन कर दिया गया. इस विभाजन का निरंतर विरोध होता रहा जिसकी वजह से सन 1912 में बंगाल को एक गवर्नर के, बिहार और उड़ीसा को एक लेफ्टिनेंट गवर्नर तथा असम को एक चीफ कमिश्नर के अधीन कर दिया गया. इसी समय ब्रिटिश प्रशासन ने अपनी राजधानी कोलकाता से बदलकर दिल्ली कर दिया। सन 1937 में गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1935 के तहत बंगाल का एक स्वायत्त राज्य के रूप में गठन हुआ.
सन 1947 में अंग्रेजों ने वापस लौटने वह भारतीय उपमहाद्वीप की दो राष्ट्रों भारत और पाकिस्तान में विभाजन होने तक यही स्थिति बनी रही. बंगाल का पूर्वी भाग जिसमें ज्यादातर मुसलमान थे, पूर्वी पाकिस्तान तथा पश्चिमी हिस्सा भारत का पश्चिमी बंगाल बंगाल के विभाजन ने पश्चिमी बंगाल के सीमाओं को ठीक से परिभाषित नहीं किया. और पूर्वी पाकिस्तान से गैर मुसलमान शरणार्थियों जिसमें अधिकांश हिंदू थे भारत का प्रवास शुरू हो गया. 1947 के बाद 70 लाख से ज्यादा शरणार्थी पहले से ही सघन जनसंख्या वाले राज्य में आए.
उनके पुनर्वास ने प्रशासन पर बहुत ज्यादा भार डाल दिया था. भारत के स्वतंत्रता के बाद सन 1950 में कूचबिहार रियासत को पश्चिमी बंगाल में शामिल कर दिया गया. सन 1956 में भारतीय राज्यों के भाषाई एवं राजनीतिक आधार पर पुनर्गठन के समय पश्चिमी बंगाल में बंगाल को बिहार से लगभग 8177 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र मिला. इस अतिरिक्त क्षेत्र ने राज्य के अलहदा उत्तरी और दक्षिणी हिस्सों के मध्य संपर्क उपलब्ध कराया.
- वर्धमान जिला
- उत्तरी दिनाजपुर जिला
- दक्षिण दिनाजपुर जिला
- दार्जिलिंग जिला
- जलपाईगुड़ी जिला
- कूचबिहार जिला
- मुर्शिदाबाद जिला
- मालदा जिला
- उत्तर 24 परगना जिला
- दक्षिण 24 परगना जिला
- हुगली जिला
- बीरभूम जिला
- नादिया जिला
- बांकुरा जिला
- पुरुलिया जिला
- कोलकाता जिला
- पश्चिम मिदनापुर जिला
- हावड़ा जिला
- पूर्व मिदनापुर जिला
- अलीपुरद्रार जिला
- पश्चिमी वर्धमान जिला
- कलिम्पोग जिला
- झाड़ग्राम जिला
पश्चिमी बंगाल के पर्यटन स्थल/घूमने लायक जगह
पर्यटन की दृष्टि से पश्चिमी बंगाल को अच्छा माना जा सकता है. क्योंकि यहां पर विभिन्न प्रकार के आकर्षक पर्यटन स्थल हैं. पहाड़ी इलाकों में घूमना पसंद करने वाले पर्यटकों के लिए दार्जिलिंग एक अच्छी जगह है. यहां के कुछ प्रमुख पर्यटन स्थल से संबंधित जानकारी संक्षेप में निम्न प्रकार हैं.
- धुम- इसे बौद्ध मठ के लिए जाना जाता है.
- प्लासी- इसको ब्रिटिश शासन और नवाब की लड़ाई के लिए जाना जाता है.
- तारापीठ- इसे मंदिर, हिंदू तीर्थ स्थल के लिए जाना जाता है.
- सिलीगुड़ी- इसे दार्जिलिंग के लिए ट्रेन के लिए जाना जाता है.
- ताड़केश्वर- इसे हिंदू तीर्थ स्थल के लिए जाना जाता है.
- श्रीनिकेतन- इसे हस्तकला के लिए जाना जाता है.
- शांतिनिकेतन- इसे विश्व भारती, ललित कला विश्वविद्यालय, हिरण एवं पक्षी अभ्यारयण के लिए जाना जाता है.
- जनपुत्त- समुद्र तट पर मनोरंजन के लिए जाना जाता है.
- कांगसबाती- इसे बांध पर पर्यटन स्थल के लिए जाना जाता है.
- कुक बिहार- इसे महल, मंदिर के लिए जाना जाता है.
- कालीपांग- इसे पहाड़ी स्थल, खेत, हस्तकला बौद्ध मठ व मेला के लिए जाना जाता है.
- कोलकाता- इसे राज्य की राजधानी, हावड़ा ब्रिज, बाग बगीचे, संग्रहालय मंदिर सर्च पुस्तकालय चिड़ियाघर खेल केंद्र के लिए जाना जाता है.
- मालदा- इसे औद्योगिक केंद्र के लिए जाना जाता है.
- नवदीप इसे हिंदू तीर्थ स्थल के लिए जाना जाता है.
- मुर्शीदावाद- इससे महल मस्जिद हथकरघा सूत के लिए जाना जाता है.
- कृष्णानगर- इसे मिट्टी, हस्तकला, खाना-पीना के लिए जाना जाता है.
- सेंचल- इसे वन्यजीव अभयारण्य माउंट एवरेस्ट एवं कंचनजंगा पहाड़ियों के दर्शन, पर्यटन स्थल के लिए जाना जाता है.
- सीधा- इसे समुद्र तट पर मनोरंजक स्थल के लिए जाना जाता है.
- डायमंड हार्बर- इसे नदी पर पर्यटन स्थल और दुर्ग के लिए जाना जाता है.
- गौर- इसे मस्जिद मुस्लिम उत्सव के लिए जाना जाता है.
- जाल्धपाड़ा- इसे समुद्र तट पर मनोरंजन के लिए जाना जाता है.
- कार्सियांग- छोटा पहाड़ी प्राकृतिक सौंदर्य बोध मठ बाग बगीचों के लिए जाना जाता है.
- जयरामबाती कमरपुकुर- इसे तीर्थ स्थल के लिए जाना जाता है.
- चितरंजन- इसे औद्योगिक केंद्र के लिए जाना जाता है.
- दुर्गापुर- इसे औद्योगिक केंद्र हीर अनुदान के लिए जाना जाता है.
- काकद्वीप- सागर मेला के लिए जाना जाता है.
- चंदन नगर- इसे फ्रेंच स्मारक हथकरघा के लिए जाना जाता है.
- विष्णुपुर- इसे प्राचीन राजधानी के भग्नावशेष दुर्गमंदिर टेराकोटा काम के लिए जाना जाता है.
- बेथूआधारी- इसे वन्य जीव अभ्यारण के लिए जाना जाता है.
- बोक खाली- इसे समुद्र तट के लिए जाना जाता है.
- बेलूर- इसे पुर्तग़ालीन स्मारक पर्यटन स्थल के लिए जाना जाता है.
- बहरामपुर- इसे महल मस्जिद हथकरघा सूत के लिए जाना जाता है.
- आसनसोल- इसे औद्योगिक केंद्र के लिए जाना जाता है.
- बकरेश्वर- इसे मंदिर गर्म स्रोत के लिए जाना जाता है.
- अन्तपुर- इसे मंदिर टेराकोटा मंदिर केला हथकरघा के लिए जाना जाता है.
- दार्जिलिंग-इसे पहाड़ी मनोरंजक ट्रैकिंग पर्वतारोहण संस्थान बाग बगीचे संग्रहालय हस्तकला चाय के बाग, रोप वे के लिए जाना जाता है.
- पंडुवा- भग्नावशेष,संग्रहालय हस्तकला के लिए जाना जाता है.सुंदरवन- इसे वन्यजीव टाइगर रिजर्व जिले जंगल के लिए जाना जाता है.
भू आकृति एवं अपवाह
इस राज्य का प्राकृतिक भूगोल बहुत ही भिन्न है. इसके उत्तर में हिमालय के नाम वलित पर्वत श्रेणी के हिस्से हैं जिनमें सिक्किम से लगा दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कंचनजंगा परिदृश्य पर छाया हुआ है. पश्चिम में अत्यधिक प्राचीन युग की आगन्य एवं कायांतरित चट्टानों के अपरदन से निर्मित दक्कन के पठार का एक हिस्सा पुरुलिया जिले में है. हिमालयी तीस्ता, जल ढाका, तोरसा और उनकी सहायक नदियों द्वारा अपरदन से लाई गई सामग्रियों ने जलोढ़ पत्तों की एक जटिल श्रृंखला बनाई है.
जहां पर अफवाह अभी भी अस्थिर है. पुरुलिया विस्तार के निचले पठार के पूर्वी हिस्से से लगे लहरदार मैदान अत्यधिक चित्रित प्राचीन जलोढ़ मिट्टी वाले हैं. पश्चिमी बंगाल के बाकी क्षेत्र गंगा की उसकी सहायक व वितरक नदियों द्वारा लाए गए। अवसादो से निर्मित छिछली झीलों और दलदल वाला क्षेत्र विश्व के विशालतम डेल्टा का पश्चिमी हिस्सा है. इस डेल्टा के समुद्र तटीय क्षेत्र में विश्व का सबसे बड़ा मेग्रावे विकसित हो रहा है.
भारत में पूजनीय और पवित्र मानी जाने वाली गंगा नदी इस राज्य के छोटे से भूभाग से होकर बांग्लादेश में प्रवेश करती है. जहां यह पद्मा नदी के नाम से जानी जाती है. समय के साथ यह क्रम से पूर्व भर्ती होती जा रही है इसका बहुत कम पानी ही इसकी पश्चिमी सहायक नदियों के माध्यम से अब समुंद्र में मिल पाता है.
इनमें से सबसे प्रमुख भागीरथी है जिसके किनारे पर राज्य की राजधानी कोलकाता स्थित है. गंगा नदी पर बने बड़े बांध फरक्का द्वारा भागीरथी के लिए जल परिवहन की सुविधा उपलब्ध हुई है. दामोदर आर्थिक महत्व वाली दूसरी नदी है. जिसके इर्द-गिर्द कोयला का काफी भंडार पाया जाता है.
जलवायु
पश्चिमी बंगाल में उष्णकटिबंधीय वह सुस्त मानसूनी जलवायु पाया जाता है. जो दक्षिण पश्चिमी हिस्से में उष्णकटिबंधीय सवाना से उत्तर में 8 दिन कटिबंधीय के बीच में पावर परिवर्तित होती है. यहां का मानसून भी काफी भिन्न है यहां औसत वर्षा 330 मिली मीटर अगस्त में और केवल पर 25 मिली मीटर दिसंबर में होती है. राज्य को साल दर साल वर्षा में उल्लेखनीय विविधता का सामना करना पड़ता है. उप हिमालई क्षेत्रों में वर्षा दर अपेक्षाकृत काफी ज्यादा होती है. कोलकाता का औसत वार्षिक तापमान 27 डिग्री से है जो जनवरी में निमंत्रण पुलिस डिग्री से मई में अधिकतम 31 डिग्री तक रहता है.
यहां पर तीन प्रकार की रीत हुए हैं मार्च में आरंभिक जून तक काफी उम्र वाले दिनों में दिनों में तेज धार तूफानों खेरपति के रूप में जाना जाता है वाला गर्म और शुष्क मौसम रहता है. इसके बाद में जून से सितंबर तक और मौसम आता है. जब मानसूनी हवाएं दक्षिण पश्चिम से बारिश लाती है. अगस्त से फरवरी तक मौसम में ठंडा रहता है. तब दिन शुष्क और साफ होता है. तथा वायुमंडलीय परिस्थितियां स्थिर रहती है.
पश्चिमी बंगाल की वनस्पति और प्राणी जीवन
इस राज्य में वनों का विस्तार भी पाया जाता है. जो कुल क्षेत्रफल के आठवें हिस्से पर है. और समूचे क्षेत्र की वनस्पति समृद्ध और विविधता पूर्ण है. उप हिमालय मैदानों में प्रमुख जंगली जंगली वृक्षों में साल शोरिया रॉबस्टा सीट से जिसे मूल्यवान लकड़ी प्राप्त होती है जिसमे शीशम है. जबकि इन वनों में बीच-बीच में सरकंडे और लंबी घास के क्षेत्र हैं. हिमालय के ऊपर ऊंचाई के आधार पर वनस्पति के अंदर देखा जाता है. अपेक्षाकृत ऊंची सतह पर शंकुधारी पेड़ों की पटिया पाई जाती है. दक्षिण पश्चिमी सीमांत प्रायदीप में शुष्क प्रायद्वीपीय वन है.
जिनमें साल के वृक्ष बहुतायत में मिलते हैं. पश्चिमी छोर पर हुगली नदी का डेल्टा है. जिसमें सघन सत्यम एग्रोवन है. जो सुंदरवन कहलाता है. बांग्लादेश और बंगाल की खाड़ी की सीमा पर विरल जनसंख्या वाले क्षेत्र के अधिकांश हिस्सा वीरान है. और यहाँ राष्ट्रीय उद्यान बना दिया गया है. जो रॉयल बंगाल टाइगर का आवास है. पश्चिम बंगाल के उत्तरी जिलों में पाए जाने वाले वनों में शेर, चीता, हाथी, गौर, गेडे के साथ-साथ छोटे और बड़े भारतीय मैदानों में पाए जाने वाले अन्य पशुओं का प्रियवास है. यहां पर समूचे भारतीय उपमहाद्वीप में पाए जाने वाले सामान्य सरीसृप व पक्षियों की प्रजातियां भी मिलती है.
पश्चिमी बंगाल का जन जीवन एवं संस्कृति
इस राज्य में शहरीकरण फाफी हुआ है. परंतु अधिकांश जनसंख्या गांव में ही रहती है. कुल 3 लोगों का आधा से भी ज्यादा भाग कोलकाता में रहता है. विभिन्न धर्मों में हिंदू अपनी उपजाति व आदिवासी जनजातियों के साथ जनसंख्या का तीन चौथाई से अधिक हिस्सा पर अपना अधिकार रखते है. शेष में अधिकतर मुसलमान है. पूरे राज्य में बौद्ध, ईसाई, जैन व सिख अल्पसंख्यक समुदाय बनाते हैं.
बांग्ला इस राज्य की प्रमुख भाषा है जो अधिकांश जनसंवाद द्वारा बोली जाती है. इसके अलावा अन्य भाषाओं में हिंदी, संथाली, उर्दू वह नेपाली शामिल है. कुछ अल्पसंख्यक उरांव व अंग्रेजी बोलते हैं. अंग्रेजी के साथ बांग्ला प्रशासन की भाषा है. और अंग्रेजी तथा हिंदी राष्ट्रीय स्तर पर संपर्क भाषा के रूप में काम आती है. दार्जिलिंग के काफी लोग नेपाली भाषा बोलते हैं. इस राज्य में साहित्य कला संगीत और रंगमंच को हमेशा संरक्षण दिया जाता रहा है. यहां के निवासी भी इन्हें काफी महत्व देते हैं. बांग्ला साहित्य का आविर्भाव 12 वीं शताब्दी से पहले हुआ. हिंदू धर्म के एक सघन भावनात्मक स्वरूप चेतन ने आंदोलन को मध्यकालीन संत चेतन 1485 से 1533 ने प्रेरित किया.
जिस ने 19वीं शताब्दी के आरंभ तक बांग्ला कविता के पर्वती विकास को आकार दिया. इसके बाद पश्चिमी के साथ वे संपर्क में एक द्रुत बहुमुखी सृजनात्मक युग की शुरुआत की. आधुनिक युग में अन्य साहित्यकारों के साथ नोबेल पुरस्कार विजेता कवि रविंद्रनाथ ठाकुर हुए. जिनका योगदान आज भी भारतीय साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण माना जाता है.
परिवहन
पश्चिमी बंगाल में कुल मिलाकर यातायात की स्थिति संतोषजनक है. यहां सन 1854 के पूर्व भारतीय रेल प्रणाली का उद्घाटन हुआ था. नदियों में वाष्प चलित जलपरिवहन की शुरुआत पहली बार 19वीं शताब्दी में कोलकाता इलाहाबाद और गुवाहाटी के बीच हुई. डेल्टा वाली नदियों ने स्थानीय नदी जल परिवहन प्रणाली के विकास के अवसर उपलब्ध कराएं. आजादी के दौरान देश के विभाजन व नहरों के छह से नदी परिवहन प्रणाली लगभग पूरी तरह से ठप पड़ गई. इस समय राज्य में दो स्थानीय रेलवे मुख्यालय है और यह देश भारत के 2 राष्ट्रीय राजमार्गों से जुड़ा हुआ है. कोलकाता के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर आधुनिक जेट विमान के उतरने और उड़ने की सुविधा है. राज्य में 8 अन्य हवाई पट्टियां हैं, जहां से अन्य स्थानों पर आने जाने के लिए सड़क मार्ग की अच्छी सुविधा है.
पश्चिमी बंगाल की अर्थव्यवस्था
दोस्तों पश्चिमी बंगाल में कृषि कार्य तो होता ही है. साथ ही छोटे बड़े उद्योगों का भी छोटा थोड़ा बहुत विकास हुआ है. यहां पर लघु व कुटीर उद्योग भी काफी है. जो राज्य ही नहीं देश की अर्थव्यवस्था में काफी योगदान देते हैं. भारत को संपूर्ण सकल घरेलू उत्पाद का तकरीबन आठवां भाग अकेले पश्चिमी बंगाल उपलब्ध कराता है. भू परिदृश्य और अर्थव्यवस्था दोनों में कृषि की प्रधानता है राज्य के प्रत्येक चार में से तीन व्यक्ति प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि कार्य में सलंग्न है. सापेक्षिक कृषि योग्य भूमि के कुल क्षेत्र 65% के मामले में पश्चिमी बंगाल अन्य राज्यों से आगे है.
पश्चिमी बंगाल के पहाड़ी क्षेत्र के अलावा अन्य सभी क्षेत्रों में प्रमुख रूप से चावल की खेती होती है. वह बंगालियों का प्रमुख भोजन भी है. अपने छोटे आकार में के बावजूद देश के कुल चावल उत्पादक क्षेत्र का 14% भाग का उत्पादन पश्चिमी बंगाल में होता है. और देश की कुल उपज का 16% काटता है. इस अत्यधिक उपज का श्रेया संघन फसल पद्धति अपेक्षाकृत भारी मात्रा में उर्वरक का प्रयोग दोनों को जाता है.
धान के अलावा यहां जूट का उत्पादन भी प्रमुख रूप से किया जाता है. इसकी खेती विशेष रूप से बांग्लादेश के सीमांत वर्क गंगा नदी के दक्षिणी जिलों में प्रमुखता से जाया जाता है. सभी दक्षिणी जिलों में गेहूं व आलू को शीतकालीन फसल के रूप में उगाया जाता है. एक अरसे से दार्जिलिंग व जलपाईगुड़ी अपनी उच्च गुणवत्ता वाली चाय के लिए जाने जाते हैं. दार्जिलिंग में संतरा, सेब, इलायची और अदरक भी होते हैं. राज्य के दक्षिणी और मध्य क्षेत्र में आम तरबूज व केले का उत्पादन भी काफी व्यापक रूप से किया जाता है.
कोयला व मिट्टी राज्य के मुख्य खनिज संसाधन है. जुटऔर राज्य चाय राज्य के पारंपरिक उद्योग रहे हैं. कोलकाता से लगभग 48 किलोमीटर उत्तर 19 किलोमीटर दक्षिण में विस्तारित पट्टी में ऐतिहासिक रूप से सबसे अधिक महत्वपूर्ण औद्योगिक पट्टी विकसित हुई है. इस व्यापक औद्योगिक विकास का मुख्य कारण इसकी स्थिति है. जो झारखंड के छोटा नागपुर के कोयले चूना पत्थर के भंडार वाले क्षेत्र के 322 किलोमीटर पूर्व में है. इस राज्य के अन्य प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र दामोदर नदी से लगे हुए हैं.
पच्मि बंगाल के उद्योग धंधे
दुर्गापुर में मिश्रित इस्पात संयंत्र के अलावा और इस्पात संयंत्र दुर्गापुर और पूरनपुर में है रेल के इंजन बनाने का कारखाना चितरंजन में पश्चिमी बंगाल अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का भी केंद्र है. इसकी राजधानी कोलकाता और उस के दक्षिण में स्थित सहयोगी हल्दिया बंदरगाह से अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संचालित होता है. असम से आने वाली पाइप लाइन के सिरे पर स्थित हल्दिया पूर्वी भारत की सबसे बड़ी तेल शोधनशाला है. यहां अब पेट्रो रसायन उद्योग भी है. अन्य महत्वपूर्ण उद्योगों में जहाज निर्माण वाहन निर्माण रसायन उर्वरक रेल के डिब्बे का निर्माण इलेक्ट्रॉनिक्स केबल कागज और सूती वस्त्र के उद्योग शामिल हैं. राज्य में बड़ी संख्या में लघु और कुटीर उद्योग है. सन 1997 में राज्य का कुल विद्युत उत्पादन 6000 मेगावाट था. वर्तमान पश्चिमी बंगाल में हर गांव में बिजली उपलब्ध है.
पश्चिमी बंगाल में धर्म
पश्चिमी बंगाल में धर्म को काफी महत्व दिया जाता है. यहां पर पारंपरिक संगीत भक्ति और सांस्कृतिक गीतों के रूप में रविंद्र नाथ ठाकुर द्वारा लिखित एवं संयोजित रविंद्र संगीत है. जिसे विशुद्ध भारतीय शास्त्रीय संगीत के साथ साथ पारंपरिक लोकगीतों में पिरोया गया है. बंगालियों के सांस्कृतिक जीवन पर सशस्त्र प्रभाव छोड़ता है. यहां की दृश्य कला परंपरा के अनुसार है. मुख्यतः मिट्टी की मूर्तियों पर की मिट्टी की कृषि पर आधारित है. कोलकाता की इंडियन एसोसिएशन फॉर कल्टीवेशन ऑफ़ साइंस एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट और कलकत्ता विश्वविद्यालय का विज्ञान प्रयोगशालाओं ने विज्ञान के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया गया है.
19वीं सदी के समय सुविख्यात भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान तथा एशियाटिक सोसाइटी ऑफ़ बंगाल पश्चिम बंगाल में है. स स्थापित विश्व भारती विश्वविद्यालय भारतीयता एवं अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक संबंधों के अध्ययन का मूल रट है. जो पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है शांतिनिकेतन में रविंद्र नाथ ठाकुर द्वारा स्थापित विश्व भारती विश्वविद्यालय भारतीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक अध्ययन का मूल केंद्र है जो पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है.
बंगाल राज्य में रंगमंच
इस राज्य में रंगमंच को काफी महत्व दिया जाता है. यहां के लोग इसे काफी पसंद करते हैं. नए कलाकारों के साथ-साथ पेशेवर कलाकारों द्वारा मंच प्रस्तुति उच्च कोटि की होती है. पारंपरिक कार्यक्रम जात्रा की प्रस्तुति खुले रंगमंच पर की जाती है. इस की कथावस्तु अब स्पष्ट रूप से पौराणिक एवं ऐतिहासिक विषयों से समकालीन विषय वस्तु में परिवर्तित हो रही है. और यह ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में लोकप्रिय है. लोक गीतों पर आधारित ग्रामीण मनोरंजन का एक पारंपरिक स्वरूप है. ग्रामीण क्षेत्र में इसका काफी प्रचलन है.
बांग्ला भाषा फिल्म भी इस राज्य में बनाई जाती है. जो मनोरंजन का एक आधुनिक लोकप्रिय साधन है. बांग्ला फिल्मों ने भारतीय कथावस्तु की उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिए राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार हासिल किए हैं. सत्यजीत राय, तपन सिन्हा, मृणाल सेन और अपर्णा सेन जैसे निर्देशकों को के कार्य का विशिष्ट महत्व है.
भारत के महान संतों की जीवनी
1857 ईस्वी क्रांति और उसके महान वीरों की जीवनी और रोचक जानकारी
भारत के राज्य और उनका इतिहास और पर्यटन स्थल
भारत के प्रमुख युद्ध
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FAQs
Ans- पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता है.
Ans- दार्जिलिंग की चाय और पर्यटन स्थल पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है.