कोयला उत्पादन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले झारखंड राज्य को देश के मानचित्र पर स्वतंत्र राज्य के रूप में अवतरित हुए अभी कुछ ही वर्ष हुए हैं. इससे पहले यह बिहार का एक अभिन्न अंग था. काफी आंदोलन व राजनीतिक गतिविधियों के चलते 15 नवंबर 2000 में इस राज्य का गठन किया गया था. लगभग 14012 किलोमीटर के क्षेत्रफल में विस्तृत इस राज्य की कुल जनसंख्या 04 करोड़ के करीब है. झारखंड राज्य की राजधानी रांची है, रांची के अलावा झारखंड राज्य में 23 जिले और भी हैं. हम यहाँ झारखंड का इतिहास और पर्यटन स्थल (History and Tourist Places of Jharkhand) की वो रोचक जानकारी शेयर करने वाले है. जिसके बारे में आप अब से पहले अनजान थे. तो दोस्तों चलते है और जानते है, झारखंड की आस्चर्यजक जानकारी.
झारखंड का इतिहास
झारखंड बिहार का दक्षिणी भूभाग है. इस राज्य के निर्माण संबंधी आंदोलन मुख्यतः छोटा नागपुर पठार और संथाल परगना क्षेत्र के आदिवासियों द्वारा प्रारंभ किया गया. अपनी आकांक्षाओं की पहचान कराने का उनका संघर्ष ब्रिटिश शासन के समय का है. सन 1895-1900 का बिरसा मुंडा आंदोलन गैर आदिवासी जमीदारों वह साहूकारों द्वारा आदिवासी जनजातियों के शोषण के खिलाफ हुए आरंभिक विद्रोह में से एक था.
वैसे तो यहां नैसर्गिक सम्पन्ता काफी है. फिर भी यह राज्य अन्य राज्यों की अपेक्षा कुछ विशेष विकास नहीं कर पाया है. यह प्रदेश निर्धनता वह निरक्षरता से घिरा रहा और स्थानीय लोगों में बिहार राज्य प्रशासन के विरुद्ध असंतोष पनपता रहा. अलग राज्य की मांग को लेकर शुरू हुआ आंदोलन सन 1980 के दशक में आरंभिक संग उन्नीस सौ नब्बे के दशक में आंदोलन जारी रहा. सन उन्नीस सौ नब्बे के दशक में मध्य में अलग राज्य की मांग को गति मिली और गैर आदिवासी लोग भी इस आंदोलन में रुचि लेने लगे. इसकी गतिविधियों में शरीक होने लगे छोटानागपुर मूलतः वनों से आच्छादित क्षेत्र था.
जहां पर मुख्य रूप से विभिन्न प्रकार के आदिम जनजातियों का शासन रहा. 18वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में 19वीं शताब्दी के आरंभ में धीरे-धीरे यहां उत्तर के मैदानों में ब्रिटिश अधिपत्य स्थापित हो गया. छोटा नागपुर में ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह होते रहे. जिनमें चार 1820, और 1827 का हो विद्रोह और सन 1831, और 1832 का मुंडा विद्रोह प्रमुख थे. जब संग 1765 में इस क्षेत्र पर ब्रिटिश शासन का अधिकार हो गया तो. बिहार व छोटानागपुर को बंगाल राज्य के साथ मिला दिया गया तब से लेकर 15 नवंबर सन 2000 तक यह बिहार का हिस्सा रहा और उसके इतिहास का भागीदार भी रहा.
झारखंड में कितने जिले है? और उनके नाम
- राँची जिला
- रामगढ़ जिला
- पूर्वी सिंहभूमि जिला
- पश्चिमी सिंहभूमि जिला
- साहिबगंज जिला
- धनबाद जिला
- पाकुर जिला
- पलामू जिला
- गढ़वा जिला
- दुमका जिला
- देवघर जिला
- गोड्डा जिला
- हजारीबाग जिला
- कोडरमा जिला
- चतरा जिला
- बोकारो जिला
- गिरिडीह जिला
- गुमला जिला
- लोहरदग्गा जिला
- सिमडेगा जिला
- सरायकेला जिला
- खुंटी जिला
- जामतारा जिला
- लातेहार जिला
झारखण्ड के प्रमुख पर्यटक और घूमने लायक जगह
झारखंड के प्रमुख पर्यटन स्थल झारखंड राज्य जंगली और पहाड़ी क्षेत्र में होने के कारण यहां पर्यटन स्थल के प्रमुख पर्यटन स्थलों का संक्षिप्त विवरण निम्न प्रकार है.
- रांची शहर यह झारखंड राज्य की राजधानी है जगन्नाथ मंदिर पहाड़ी मनोरंजन स्थल जलप्रपात सूर्यास्त पर्यटन स्थल के लिए जाना जाता है.
- देवघर- इसे हिंदू तीर्थ स्थल के लिए जाना जाता है इसे प्राकृतिक जलप्रपात के लिए जाना जाता है
- तोपचाची- इसे नौका विहार, झील, पर्यटन स्थल वन्य जीव अभ्यारण आदि के लिए जाना जाता है. यह धनबाद से लगभग 35 किलोमीटर दूर स्थित है.
- नेतरहाट- इसे पहाड़ी मंजन स्थल के लिए जाना जाता है.
- कोडरमा- इसे अभ्रक के उत्पादन के लिए जाना जाता है.
- पलामू- इसे मांडू राष्ट्रीय उद्यान और टाइगर रिजर्व सेंचुरी के लिए जाना जाता है.
- धनबाद- इसे कोयला की राजधानी अनुसंधान संस्थान आदि के लिए जाना जाता है.
- बोकारो- इसे इस्पात शहर व पर्यटन स्थल के लिए जाना जाता है.
- जसीडीह- इसे कोयला नगर के लिए जाना जाता है घाटशिला इसे प्राकृतिक सौंदर्य कई मनोरंजन स्थल तांबे की खाने के लिए जाना जाता है.
- दुमका- यह स्थान अपने प्राकृतिक सौंदर्य कई मनोरंजन स्थल के लिए जाना जाता है.
- मधुपुर- इसे अवकाश मनोरंजन स्थल के लिए जाना जाता है.
- हजारीबाग- राष्ट्रीय उद्यान इसे संघन वन्य जीव अभ्यारण के लिए जाना जाता है.
- पारसनाथ- इसे मुख्य जैन तीर्थ स्थल भगवान महावीर निर्माण स्थल 24 तीर्थ धार्मिक स्थल पारसनाथ मंदिर संताल आदिवासी धार्मिक स्थल आदि के लिए जाना जाता है.
भू-आकृति
छोटा नागपुर पठार झारखंड राज्य का प्रमुख रूप से एक भौतिक लक्षण भी है. पहाड़ो, पहाड़ियों में घाटियों की श्रंखला यहां लगभग पूरे राज्य के तहत विस्तृत है. और अधिकांश तय है स्पष्ट किए क्रिस्टल चट्टानों से बना है. हजारीबाग रांची यह दो मुख्य पठार दामोदर नदी के वंचित और कोयला युक्त अवसादी बेसिन से विभाजित है. इनकी ऊंचाई औसतन लगभग 610 मीटर है. पश्चिम में 300 से अधिक विच्छेद लेकिन सपाट शिखर वाले पठार हैं. जो लगभग 1365 मीटर ऊंची है, और यह पाट कहलाते हैं. झारखंड में उच्चतम बिंदु हजारीबाग स्थित पारसनाथ की चकवा कार ग्रेनाइट चोटी है. जिसकी ऊंचाई 1365 मीटर है. जैन मतल्वामबी और संथाल जनजाति दोनों ही इसे पवित्र मानते हैं. इस राज्य के पठार में अधिकतर लाल व दामोदर घाटी में बलुई मिट्टी पाई जाती है.
झारखंड की जलवायु
झारखंड राज्य में जलवायु में मुख्य रूप से 3 तरह की ऋतु हुए हैं. मार्च में मध्य जून तक ग्रीसम, मध्य जून से अक्टूबर तक दक्षिण पश्चिम मानसून वर्षा और नवंबर से फरवरी तक शीत ऋतु होती है. रांची वह हजारीबाग के पठारों के अलावा अन्य सभी स्थलों पर मई के महीने में सर्वाधिक गर्मी पड़ती है. जिसके दौरान औसत तापमान 32 डिग्री होता है. सामान्य वार्षिक वर्षा पश्चिम मध्य हिस्से में 1016 मिली मीटर से लेकर दक्षिण पश्चिम में 1525 मिली मीटर होती है. मैदानों की अपेक्षा पठार पर होने वाली वर्षा 1270 मिलीमीटर से अधिक होती है. लगभग अधिकांश वर्षा जून से अक्टूबर के बीच होती है. और वार्षिक वर्षा का लगभग 50% जुलाई व अगस्त के बीच होता है. शरद ऋतु के दौरान झारखंड के मौसम का कुछ विशेष ही आकर्षण रहता है.
वनस्पति एवं प्राणी जीवन
वन क्षेत्र के मामले में झारखंड को एक संपन्न राज्य माना जा सकता है. इसका गुण 30% भूभाग वनों से आच्छादित है. यहां की प्राकृतिक वनस्पति प्रणपाती है. इस राज्य के ज्यादातर वन छोटा नागपुर पठार में पाए जाते हैं. और मैदानों में स्थित जंगलों को कृषि योग्य बनाने के लिए काट दिया गया है. छोटा नागपुर में साल का समृद्ध क्षेत्र है. अन्य में लाख उत्पादन में काम आने वाली लकड़ी शामिल है. टसर रेशम के कीड़ों अंधेरिया फनी आई को ऐसन पेड़ की पत्तियों पर पाला जाता है. महुवा पूर्व भारतीय वृक्ष के फूल मीठे वह खाने योग्य होते हैं.
और इनका उपयोग शराब बनाने में किया जाता है. इसकी बनी शराब को यहां के लोग काफी पसंद करते हैं. छोटा नागपुर में बांस और सबई एक मूल्यवान भारतीय रेशेदार घास और भाभर नाम से भी जानी जाती है. जो कागज निर्माण के लिए कच्चे माल का स्रोत है. मैदानों में पाए जाने वाले कुछ अन्य सामान्य वृक्षों में बरगद, पीपल और पनई ताड प्रमुख है. झारखंड राज्य के हजारीबाग में जिले में स्थित वन्य अभ्यारण ने अपने बंगाल बागों के लिए काफी प्रसिद्ध है. इन संकट आपन प्राणियों के साथ ही तेंदुए, हाथी और भालू दुर्गम पहुंच वाले वनों में पाए जाते हैं. समूचे प्रायद्वीपीय भारत में पाए जाने वाले प्रजातियों के छोटे स्तनधारी प्राणी पक्षी सरीसृप और मछली भी यहां पाए जाते हैं.
झारखंड की जनजीवन एवं संस्कृति
वैसे तो झारखंड हिंदू बहुत राज्य हैं परंतु अन्य धर्मों के लोग भी यहां रहते हैं. मुसलमान वह ईसाई अल्पसंख्यक वर्ग में आते हैं. हिंदू जनसंख्या में कुलीन उच्च जातियां ब्राह्मण, राजपूत, भूमिहार और कायस्थ तथाकथित पिछड़ी जातियां जो पिछड़े बहुसंख्यक है. और अनुसूचित जनजाति है शामिल है. जनजातीय लोगों जो जाति अनुक्रम से बाहर हैं मैं अधिकांश हिंदू हैं. यहाँ मुंडा और उरांव जनजाति में भी अधिकांश लोग ईसाई धर्म को मानते हैं हिंदी उर्दू मुख्यता मुसलमानों की भाषा समेत भारोपीय भाषाएं भोजपुरी, मैथिली, और मगही बोलियां आमतौर पर बोली जाती है. छोटानागपुर जो यहां का एक विशेष क्षेत्र माना जा सकता है. आवास मुख्यतः है नदी घाटियों, वन रहित स्थलीय प्राय मैदानों अपरदन के कारण लगभग पूरी तरह मैदानों में परिवर्तित हो चुके क्षेत्र खनिज और औद्योगिक क्षेत्रों तक ही सीमित है.
झारखंड की जनसंख्या में अनुसूचित जाति व जनजाति के लोगों की संख्या 40% से भी ज्यादा है. यह एक ग्रामीण प्रधान राज्य है राज्य के अधिकांश लोग गांव में रहते हैं. बिखरे हुए ग्रामीण आवास इस पठार का एक प्रमुख लक्षण है. यहां की आदिम जनजातियां विशेषकर रांची, सिंहभूम और संथाल परगना में केंद्रित है. संथाल, उरांव, मुंडा यहां की प्रमुख जनजातियां है. जो यहां की कुल जनजातीय जनसंख्या का 80% भाग बनती है.
झारखंड राज्य में शहरीकरण कुछ विशेष नहीं है. यहाँ शहरो में रहने वाले लोगों में कुल जनसंख्या का मात्र 10% से ही कुछ ज्यादा है. यह राज्य भारत के कुछ सर्वाधिक ग्रामीण राज्यों में से एक है. रांची वह जमशेदपुर यहां के प्रमुख शहर है. प्रमुख नगर समूह में धनबाद, झरिया, सिंदरी, बोकारो और चास है. इस राज्य के सांस्कृतिक क्षेत्र अपने-अपने भाषाई क्षेत्रों से संबंधित है. हिंदी, संथाली, मुंडा, कुडुख, मैथिली, माल तो कुरमाली, खोरठा और उर्दू इस राज्य में बोली जाने वाली प्रमुख भाषाएं हैं.
भोजपुरी बोली का लिखित साहित्य ना होने के बावजूद इसका उल्लेखनीय मौखिक लोक साहित्य है. मकई का अपनी लोक परंपरा के कारण कुछ विशेष ही महत्व है. अधिकांश जनजातीय गांव में एक नित्य स्थली होती है. इस राज्य के पिकाचू जरूर कर्मा नवनी नटवा अग्नि छोकरा, संथाल, जामदा, गढवी, मेहता सोहारी लोरी शेरों प्रमुख के लोक नृत्य हैं. प्रत्येक गांव का अपना पवित्र वृक्ष होता है. जहां गांव के पुजारी द्वारा पूजा अर्पित की जाती है.
इसके अलावा अविवाहितओं का सामूहिक सोने की जगह होती है. साप्ताहिक हाट जनजातीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. जनजातीय त्यौहार जैसे सरहुल वनस तो सब और शीतल उल्लास के अवसर हैं. जनजातीय संस्कृति बाहरी प्रभाव जैसे ईसाइयत, औद्योगिकरण नए संचार संपर्क को जनजातीय कल्याण कार्यक्रमों और सामुदायिक विकास परियोजनाओं के कारण तेजी से बदल रही है.
झारखंड में अनेक ऐसे स्थल हैं जिनका धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से काफी महत्व है. जमशेदपुर में डिमना झील और दलमा वन्य अभ्यारण्य प्रसिद्ध वृंदावन उद्यान की प्रतिकृति जुबली पार्क जमशेदपुर के 225 एकड़ के क्षेत्र में विस्तृत है. नेतरहाट राज्य के प्रसिद्ध लोकप्रिय पर्यटन शेयर गांवों में से एक हैं. पवित्र नगर देवघर अपने वेदनाथ मंदिर के लिए पूरे देश में जाना जाता है. काफी संख्या में श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते हैं. विभिन्न हिंदू त्योहारों में होली व छठ शामिल हैं.
झारखंड की अर्थव्यवस्था
दोस्तों झारखंड राज्य की अर्थव्यवस्था में यहां उपलब्ध खनिजों का जिसमें कोयला प्रमुख है काफी योगदान है. कृषि कार्य भी बड़ी मात्रा में की जाती है. इस राज्य में अन्य भूमि तल वह भूमिगत जल अत्यधिक जैव विविधता युक्त भूमि और सम जलवायु जैसे संसाधन है. जो कृषि की वृद्धि और विकास हेतु मूल रूप से अनिवार्य है. यहां पर गुणात्मक है संख्यात्मक दृष्टि से बेहतर उन व मांस प्राप्ति के लिए एक पद नीति अपनाई गई है. इस नीति के तहत एक चैनआत्मक प्रजनन और शंकर प्रजनन कार्यक्रम चतरा में शुरू किया गया. और दो उन संग्रहण केंद्र पूर्वी सिंहभूम में स्थापित किए गए हैं.
झारखंड राज्य के दुमका देवघर और घोड़ा जिलों में व कार्यों की संख्या बहुत ज्यादा है. चतरा, रांची और साहिबगंज में 3 बकरी पालन केंद्र हैं. राज्य के गोरिया करमा कोतवाल सरायकेला जमशेदपुर और काके में सूअर पालन के केंद्र स्थापित हैं. जो यहां के लोगों की जीविका का प्रमुख साधन है. झारखंड के साथ-साथ पूरे देश में छोटा नागपुर सर्वाधिक खनिज संपन्न क्षेत्र है. यहां भारत में निकाले गए खनिजों का लगभग एक तिहाई भाग मूल्य के अनुसार पाया जाता है.
झारखंड में तांबे का लगभग समूचा भाग, एलुमिनियम सिलिका खनिज जिसका इस्तेमाल ताप प्रतिरोधी और प्लेन बनाने में किया जाता है. पाइराइट एक लोहे खनिज व फर्स्ट सेट के कुल राष्ट्रीय उत्पाद का लगभग पूरा और बॉक्साइट एलुमिनियम का एक स्रोत अध्यक्ष कोयला चीनी मिट्टी अग्नि सा है. मिट्टी लोहा का अधिकांश हिस्सा पाया जाता है. झारखंड के खनिज उत्पादन में सबसे बड़ा हिस्सा कोयले का है. दामोदर घाटी में स्थित मुख्य कोयला खदानों से लगभग पूरे भारत को कोयले की आपूर्ति की जाती है.
सिंहभूमि और पड़ोसी राज्य उड़ीसा मिलकर दुनिया के हेमाटाइट लोहे अयस्क का सर्वाधिक सिंचित क्षेत्रों में से एक का निर्माण करते हैं. यहां तांबे का भी खनन किया जाता है और इसे गलाने का काम सिंहभूमि जिले में घाटशिला के पास किया जाता है. सिंहभूमि में कया नाइट मैगनीज क्रोमाइट ऐपेटाइट और यूरेनियम की भी पर्याप्त उपलब्धता है. इस राज्य की अर्थव्यवस्था में यहां के उद्योगों का भी योगदान उल्लेखनीय है. यहां तीन औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण है इनके मुख्यालय आदित्यपुर बोकारो और रांची में स्थित है. सर्वाधिक सुविधाओं और ना अधिकार में आने वाले अन्य क्षेत्रों हेतु जिम्मेदार हैं.
झारखंड राज्य में कई बहुउद्देशीय परियोजनाएं चलाई गई है. जिनमें दामोदर घाटी निगम सबसे प्रमुख है. इसमें तिलैया, मैथन, कोनार और पंचायत पहाड़ियों पर चार पनबिजली बांधों का निर्माण किया गया है. जो जलाशयों की एक श्रृंखला बनाते हैं. इनके साथ ही अन्य पनबिजली परियोजनाएं हैं. और ताप विद्युत केंद्र भी स्थापित किए गए हैं. धीरे-धीरे इनका और भी विकास हो रहा है.
घरेलू उद्योग
यहां घरेलू उद्योग भी बहुत पाए जाते हैं, जिसमें अत्यधिक लोग कार्यरत हैं. कुछ अन्य लोग इस्पात एवं अन्य धातु आधारित उद्योगों व खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों में काम करते हैं. रांची, बोकारो और जमशेदपुर भारत के विशालतम औद्योगिक संघ कुलों में से हैं. मोटे तौर पर क्षेत्रीय औद्योगिक वितरण का केंद्र सिंहभूमि व धनबाद के दो पठारी जिलों में दिखाई देता है. लेकिन आर्थिक विकास के और भी महत्वपूर्ण क्षेत्र पहचाने जा सकते हैं. राज्य में कृषि के लिए सिंहभूमि जिला खनिज क्षेत्र में संपन्न होने के साथ ही भारी उद्योगों के लिए भी प्रसिद्ध है.
जमशेदपुर के लोहा एवं इस्पात कारखानों ने इससे जुड़े बहुत से इंजीनियरिंग उद्योगों को आकृष्ट किया है. घाटशिला के पास मंडार में तांबा गलाया जाता है. चाईबासा में जमशेदपुर धातु मल इस लेख से सीमेंट बनाया जाता है. कनक धरा में कांच और सूची परिशोधन में तंबाकू पर संकरण रेशम उत्पादन और झूठ मिले शामिल है.
पारंपरिक कांच का काम है तथा उत्पाद पीतल के बर्तन हस्तशिल्प व मिट्टी के बर्तन का निर्माण है. इस राज्य के कुछ जिलों जैसे हजारीबाग, रांची, सिंहभूमि और जमशेदपुर में सरकंडे वह बांस के उत्पादन का निर्माण काफी प्रचलित है. कुछ शिल्पी धातु का काम करने पत्थर पर नक्काशी हथकरघा लकड़ी का काम और पत्तल बनाने के कार्य में भी सलंग है.
परिवहन
झारखण्ड राज्य के ग्रामीण इलाकों में यातायात की व्यवस्था काफी चिंताजनक है. यहां के लगभग एक चौथाई गांव तक की पक्की सड़कें पहुंची हैं. जबकि राष्ट्रीय राजमार्ग का लगभग 1500 किमी राज्य से होकर गुजरता है. जिसमें ग्रांड ट्रक रोड भी शामिल है. छोटा नागपुर पठार के आसपास की सड़कें बेहतरीन है. जो यहां द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान किए गए काम का परिणाम है. झारखंड में रेल मार्ग की सुविधा भी है. यहां से चलने वाली कोलकाता दिल्ली रेल लाइन का प्रारंभ सन 1864 में किया गया था. राज्य में माल के आवागमन संबंधी सुविधाएं रांची, बोकारो, धनबाद और जमशेदपुर में उपलब्ध है. इसके अलावा लोहरदगा और सभी कोयला खदानों में अयस्क बहन की भी अच्छी सुविधाएं उपलब्ध है. यहां नियमित रूप में वायु सेवाएं भी चलाई जा रही हैं. जिसका आवागमन देश के कुछ प्रमुख शहरों तक है.
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FAQs
Ans- झारखंड की राजधानी रांची एक अच्छा ट्रैवल डेस्टिनेशन है. जहां कई सारे खूबसूरत वॉटफॉल्स हैं. ‘मैनचेस्टर ऑप ईस्ट’ के नाम से ही मशहूर रांची खनिज संपन्न राज्य है. रांची आकर आप हुंडरू, दसम, जोन्हा वॉटरफॉल, बिरसा जूलोजिकल पार्क, रांची लेक, कांके डैम और जगन्नाथ मंदिर जैसी दूसरी घूमने लायक जगह है.