Jammu-Kashmir History and Tourist Places- दोस्तों हम यहाँ शेयर करने जा रहे है, जम्मू कश्मीर का इतिहास और पर्यटन स्थल (Jammu-Kashmir History and Tourist Places). की वो रोचक और अद्भुत जानकारी जिसके बारे में आप आज से पहले अनजान थे. तो दोस्तों चलते है और जानते है. जम्मू कश्मीर की आश्चर्यजनक जानकारी. दोस्तों सरकार ने 05-अगस्त-2019 को जम्मू कश्मीर से लद्दाक को अलग केन्द्री शाशित प्रदेश बनाया है. मित्रों जम्मू कश्मीर की गिनती आजादी से पहले देश की बड़ी रियासत में की जाती थी. इस राज्य की कुल जनसंख्या लगभग १ करोड़ के आस पास है. इस राज्य की राजधानी यदि इस राज्य की चारों दिशाओं की सीमा पर नजर डाली जाए तो. ग्रीष्म काल के दौरान श्रीनगर और शीतकाल के दौरान जम्मू को इसकी राजधानी बनाया जाता है.
जम्मू कश्मीर भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी भाग में पश्चिमी पर्वत श्रेणियों के निकट स्थित है. यदि इस राज्य की चारों दिशाओं की सीमा पर नजर डाली जाए तो. पूर्वोत्तर में सिक्यांग के ऊतरी स्वायत्त क्षेत्र में तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र से दक्षिण में हिमाचल प्रदेश में पंजाब राज्य से पश्चिम में पाकिस्तान और पश्चिमोत्तर में पाकिस्तान अधिकृत भूभाग से घीरा है. इसमें पाकिस्तान से लगी सीमा को लेकर बार-बार विवाद होता रहता है.
जम्मू कश्मीर का इतिहास
कश्मीर के नामकरण को लेकर लोगों का मानना है. कि प्रसिद्ध ऋषि कश्यप के नाम पर इसका नाम कश्मीर पड़ा. क्योंकि इस समय भूभाग को उन्होंने भूमि की एक विशाल झील से मुक्त या पुनर पर्याप्त किया था. इसलिए इसे पूर्ण पुनर पर्याप्त भूमि या कश्यप मार के नाम से जाने लगा. जो बाद में कश्मीर हो गया सम्राट अशोक ने इसे बौद्ध धर्म में परिचित कराया है. और बाद में यह क्षेत्र हिंदू संस्कृति का प्रमुख केंद्र बन गया. 1346 तक हिंदू राजवंशों की एक श्रंखला ने कश्मीर पर शासन किया. इसके बाद वह मुस्लिम शासन के अधीन हो गया. 1819 में यह पंजाब के सिख शासन के अंतर्गत आया और सन 1846 में डोगरा राजवंश के अधीन हो गया.
वैसे तो इस राज्य में अधिकांश संख्या मुसलमानों की मानी जाती है. परंतु अन्य धर्मों के लोग भी यहां रहते हैं. इस राज्य में बौद्ध धर्म और हिंदू धर्म का प्रवेश बहुत पहले हो गया था. नौवीं से 12वीं शताब्दी में संभवत है इस क्षेत्र में हिंदू संस्कृति के केंद्र के रूप में काफी महत्व प्राप्त कर लिया था. 14 वी शताब्दी में यह मुस्लिम शासन के अंतर्गत आया और 5 शताब्दियों तक इसी प्रकार रहा. इसके बाद सिख और फिर डोगरा पहाड़ी राजपूत शासकों ने 19वीं शताब्दी में इस पर आधिपत्य स्थापित किया था.
Summary
राज्य का नाम | जम्मू कश्मीर |
राज्य का उपनाम | पृथ्वी का स्वर्ग |
राजधानी | केंद्र शासित प्रदेश/श्रीनगर (मई–अक्टूबर)/जम्मू (नवम्बर-अप्रैल) |
स्थापना | 31 अक्टूबर 2019 |
जम्मू कश्मीर राज्य में में कितने जिले है | 20 जिले |
प्रसिद्ध शहर | जम्मू, श्रीनगर, पहलगाम |
राज्य की जनसंख्या | 1 करोड़ 25 लाख (लगभग) |
क्षेत्रफल | 6,309 वर्ग मील |
प्रमुख भाषा | हिंदी/उर्दू/कश्मीरी/डोगरी/अंग्रेजी |
साक्षरता | 77% |
लिगं अनुपात | 1000/850 (लगभग) |
सरकारी वेबसाइट | WWW.jk.gov.in |
कश्मीर का वर्तमान स्वरूप कब बना था
इस समय जम्मू कश्मीर का जो स्वरूप है. उसे ब्रिटिश शासन काल के दौरान सन 1846 से रोपीयत किया गया था. जब प्रथम सिख युद्ध के अंत में लाहौर और अमृतसर के संधियों के द्वारा जम्मू के डोगरा शासक का राजा गुलाब सिंह एक विस्तृत, लेकिन अनिश्चित से हिमालय क्षेत्रीय राज्य जिसे सिंधु नदी के पूर्व की ओर वर रावी नदी के पश्चिम की ओर शब्दावली द्वारा परिभाषित किया गया था. कि महाराजा मनाया गए अंग्रेजों के लिए इसे सरक्षित देशी रियासत की रचना ने उनके साम्राज्य के उत्तरी भाग को सुरक्षित कर दिया था.
जिससे वह 19 वी सदी के अंतिम चरण में सिंधु नदी तक और उसके आगे बढ़ सके. इस प्रकार यह है राज्य एक जटिल राजनीतिक मध्यवर्ती क्षेत्र का भाग बन गया. जिसे अंग्रेजों ने उत्तर में अपने भारतीय साम्राज्य और उसी में चीनी साम्राज्य के बीच स्थापित कर दिया था. गुलाब सिंह को इस पर्वतीय अंचल पर शासन अधिकार मिल जाने से लगभग एक चौथाई शताब्दी से पंजाब के सिख साम्राज्य की उत्तरी सीमा रेखा के पास की छोटी छोटी रियासतों के बीच चल रही मुहिम और कूटनीतिक चर्चा समाप्त हो गई.
इस क्षेत्र के सीमा निर्धारण हेतु 19वीं शताब्दी में कुछ प्रयास किए गए. लेकिन विशेष कारणों की वजह से सफलता नहीं मिल पाई. सीमा निश्चित हो पाने का कारण यह था, कि सुदूर उत्तर में महाराजा की सत्ता काराकोरम पर्वत श्रेणी तक फैली हुई थी. लेकिन उसके आगे तुर्किस्तान और मध्य एशिया के सिकोयंग क्षेत्रों में की सीमा रेखा पर एक विवादास्पद क्षेत्र बना रहा. और सीमा रेखा कभी निश्चित नहीं हो पाई. इसी प्रकार की संकाय उस सीमा रेखा क्षेत्र के बारे में बनी रही. जो उत्तर में अक्साई चीन को आसपास से घिरे हुए हैं.
और आगे जाकर तिब्बत की सुस्पष्ट सीमा रेखा से मिलता है. और जो सदियों से लद्दाख क्षेत्र की पूर्वी सीमा पर बना हुआ था. पश्चिमोत्तर में सीमाओं का स्वरूप 19वीं शताब्दी में आखिर दशक में अधिक स्पष्ट हुआ. जब ब्रिटेन ने पामीर क्षेत्र में सीमा निर्धारण संबंधी समझौते अफगानिस्तान और उसके साथ संपन्न किए. इस समय गिलगित जो हमेशा कश्मीर का भाग समझा जाता था. रणनीति कारणों से सन 18 सो 89 में एक ब्रिटिश एजेंट के तहत एक विशेष एजेंसी के रूप में गठित किया गया था.
जम्मू कश्मीर की भू-आकृति
दोस्तों जम्मू कश्मीर राज्य पहाड़ों से पूरी तरह ढका हुआ है. मैदानी क्षेत्रों की तुलना में पहाड़ी क्षेत्र कहीं ज्यादा है. इस क्षेत्र को भौगोलिक आकृति की दृष्टि से 7 भागों में बांटा गया है. जो पश्चिमी हिमालय के सृजनात्मक घटा को से जुड़े हैं. दक्षिणी पश्चिमी से पूर्वोत्तर तक इन क्षेत्रों में मैदान निचली पहाड़ियों पीर पंजाल पर्वत श्रेणी, कश्मीर की घाटी हिमालय क्षेत्र, ऊपरी सिंधु घाटी और काराकोरम पर्वत श्रेणी का विस्तार है. जलवायु की दृष्टि से इसमें पूर्वोत्तर की आरपीए जलवायु से लेकर दक्षिण पश्चिम में ऊपोषण जलवायु तक की पर्याप्त विविधता है. राज्य के सभी दिशाओं में वृष्टि के दर अलग-अलग. औसत वार्षिक वर्षा उत्तर में 75 से लेकर दक्षिण पूर्व में 1150 तक है.
जम्मू कश्मीर में एक विशेष बात यह पाई जाती है. कि यहां की तराई यो में से निकली जल धाराओं द्वारा अवसाद और दोमट मिट्टी में लॉयर्स से ढके एकदम अलग हो चुके. अपरदित चट्टान से निर्मित रेतीले जलोढ़ पंख से अंतर बंधन है. यह अभी नूतन युग के हैं, यहां वर्षा 380 से 500 मिनी वार्षिक तक होती है. गर्मी के मौसम में जब मानसूनी हवाएं चलती है. तब तेज लेकिन अनयमित फुवारों के रूप में वर्षा होती है. अंदरूनी इलाकों पेड़ों से पूरी तरह भिन्न हो गया कटीली झाड़ियां या मोटी घर से यहां की प्रमुख वनस्पति है।
जम्मू कश्मीर के बाह्य व आंतरिक क्षेत्रों के निर्माण में हिमालय की तराइन का व्यापक योगदान है, जो 610 से 2134 मीटर की ऊंचाई वाली है. बाहरी क्षेत्र के रचना बलुआ पत्थर चिकनी मिट्टी पंख और संपीड़ित चट्टानों से हुई है. यह क्षेत्र हिमालय की वर्णन गतिविधि से प्रभावित होकर और अपरदन के कारण लंबे पर्वतीय कट को और घाटीयों के आकार के हो गए हैं. अंदरूनी क्षेत्र अधिक भीम का हेतल चली चट्टानों से जिसमें नियोजन योगिक के लाल बलुआ पत्थर शामिल हैं से बनना है.
जिनके मुड़ने टूटने और चरित होने से खड़ी ढलान वाले पर्वत सकंधों व पठानों का निर्माण हुआ. नदी घाटियों के कटान तीखी वर्सिटी दार है. और अंशु से उधमपुर तथा पूछ जैसे जलोढ़ मिट्टी के बेसिन बन गए हैं. ऊंचाई के साथ-साथ वर्षा बढ़ती जाती है, जैसे-जैसे ऊंचाई बढ़ती है वैसे-वैसे निचली सीढ़ीदार भूमि समाप्त होती जाती है. और इसके स्थान पर देवदार पेड़ पाया जाता है.
पीर पंजाल पर्वत श्रेणी
यह पर्वत शृंखला हिमाचल से लगी हुई है, जम्मू कश्मीर की प्रथम व आकर्षक किसी-किसी चोटी की ऊंचाई पर्वत श्रंखला ऊंचाई 4572 मीटर तक ऊंची है. ग्रेनाइट सेव वाटर वर्ष रेट से बनी चट्टानों वाली यह पर्वत श्रेणी अभिनंदन युग में कई बार उत्थान तथा दरार पड़ने जैसी भौगोलिक घटनाओं का शिकार हुई. और ग्लेशियरों से प्रभावित हुई फिर भी इसके आकर्षण में इस समय कोई कमी नहीं आई है. शीत ऋतु के दौरान इस पर्वत श्रंखला पर बर्फ अधिक पड़ती है. और गर्मी में काफी बारिश होती है, इसमें विशाल चारागाह क्षेत्र है जो वृक्ष क्षेत्र में ऊपर की तरफ है.
कश्मीर की घाटी
पीर पंजाल और विशाल हिमालय पर्वत श्रेणी के पश्चिमी छोर के मध्य में स्थित कश्मीर की घाटी एक गहराई युक्त विषम वेसीन है. इसकी ऊंचाई लगभग 1600 मीटर है. अभीनूतन युग के दौरान यह कभी करेवा झील की तलहटी थी. अब यह ऊपरी जेलम नदी द्वारा जमा की गई तलछट और जलोढ़ मिट्टी से भरी हुई है. इस घाटी की मिटी और जल में काफी भिन्नता पाई जाती है. जलवायु की दृष्टि से यहां लगभग 750 मिमी वार्षिक वर्षा होती है. कुछ तो ग्रीष्मकालीन मानसूनी हवाओं से और कुछ शीत ऋतु में कम दाब की प्रणाली से संबंधों से होती है.
अक्सर हिमपात का साथ वर्षा और ओले पड़ते हैं. ऊंचाई के कारण तापमान काफी परिवर्तित हो जाता है. श्रीनगर में न्यूनतम तापमान जनवरी में 2 डिग्री सेल्सियस होता है. और अधिकतम तापमान जुलाई में 31 डिग्री सेल्सियस रहता है. यहां देवदार, नीला सीड, अखरोट, विलोम और पॉपुलर के वनों का विस्तार 2134 मीटर की ऊंचाई तक पाया जाता है. लगभग 2134 से 3200 मीटर की ऊंचाई पर चीड़ तथा स्पर्शु जैसे शंकुधारी वृक्षों के जंगल मिलते हैं. लगभग 3200 से 3658 मीटर की ऊंचाई पर भोज वृक्ष पाए जाते हैं. और 3658 मीटर की ऊंचाई पर हरे-भरे मैदान है. जिनमें वरुण वृक्ष बोनेविले और मधु मालती लताएं पाई जाती है.
हिमालय क्षेत्र के तहत भूविज्ञान और स्थलाकृति के दृष्टिकोण से लगभग 6096 मीटर से अधिक तक ऊंचाई वाली कुछ पर्वत श्रेणियों में पाई जाती है. जिनके बीच-बीच में बहुत गहरी घाटियां हैं, अभी नूतन युग में यह क्षेत्र भारी ग्लेशियरों के अंतर्गत आता था. और ग्लेशियरों के अवशेष व क्षेत्र रहे होने के चिन्ह अभी भी यहां मौजूद हैं. इस प्रक्षेत्र में गर्मी के महीनों में दक्षिण पश्चिम मानसून युवाओं से कुछ वर्षा होती है. इसके निचले ढलान वनाच्छादित हैं लेकिन हिमालय एक जलवायु विभाजक जैसा है. इसके एक और भारतीय उपमहाद्वीप की मानसूनी जलवायु है तो दूसरी और मध्य एशिया की शुष्क महाद्वीपीय जलवायु मिलती है.
ऊपरी सिंधु नदी की घाटी
यह तिब्बत की सीमा से पश्चिम की ओर आगे बढ़ते हुए पाकिस्तानी भूभाग में संख्या यहां काफी है. विशाल नंगा पर्वत का चक्कर काटकर दक्षिण की और इसके आर पार कट्टे महा खंड की ओर जाती है. यह नदी ऊपरी भागों में दोनों तरफ बजरी की सीडी नुमा संरचनाओ से घिरी हुई है. इसकी हर एक सहायक नदी मुख्य घाटी में बाहर निकलते हुए एक जलोढ़ पंख बनाती है. समुद्र तल से लगभग 3500 मीटर की ऊंचाई पर लेह नगर इसी प्रकार की एक जलोढ़ पंख पर स्थित है.
वर्षा का लगभग ना होना सूर्य की किरणों का तीखापन और तापमान के दैनिक एवं वार्षिक में भारी उतार-चढ़ाव यहां की जलवायु की विशेषताएं हैं. यहां पर जल की कुछ समस्या है, अधिकांश लोग आसपास के पर्वतों से पिघले हुए पानी पर निर्भर है. यहां की वनस्पति पहाड़ियों की सीमा रेखा के ऊपर की वनस्पति है जो पतली परत वाली मिट्टी पर उड़ती है.
ग्रेनाइट का विशाल काराकोरम श्रंखला भारत से लेकर पाकिस्तान की भूमि तक विस्तृत है. जो विश्व की कुछ सर्वोच्च चोटियों से आच्छादित है. इन चोटियों में एक k 2 है जिसकी ऊंचाई 8611 मीटर है कम से कम 30 अन्य चोटियों 7315 मीटर से अधिक ऊँची है. यह पर्वतमाला जो बड़े भारी ग्लेशियरों से पटी पड़ी है. शुष्क और वीरान पठार और से ऊपर उभरी हुई है. विषम तापमान और विखंडित चट्टानों के मलबे इसकी विशेषताएं हैं. काराकोरम को लोग दुनिया की छत की भी कहते हैं.
जम्मू कश्मीर का जनजीवन
एक पहाड़ी राज्य होने के कारण यहां की भू-आकृति में काफी विविधता पाई जाती है. इस विविधता के कारण यहां के व्यवसाय में भी व्यापक विभिन्नता है. लोगों के पंजाब से आकर बसने की दीर्घकालीन प्रवृत्ति के कारण मैदानों और तराई यों में कृषि बस्तियां है. लोग और उनकी संस्कृति दोनों ही पंजाब के पड़ोसी क्षेत्रों और पश्चिमी की अन्य निम्न भूमि केक समरूप है. यहां की मिट्टी जलोढ़ है, जो संचित क्षेत्र होने के कारण कृषि की दृष्टि से बहुत ही उपयोगी है. गेहूं और जो यहां की मुख्य फसल है. यह फसल बसंत में काटी जाती है और चावल तथा मक्का ग्रीषम के अंत खरीब की फसलें हैं. साथ ही कृषि कार्य के अलावा यहां पशुपालन भी व्यापक तौर पर किया जाता है.
घाटी के ऊपरी क्षेत्र में जनसंख्या घनत्व बहुत ही कम है. यहां के जीवन का आधार मक्का की खेती, पशुपालन और वन्य उपजे हैं. दक्षिणी मैदानी बाजारों के लिए दूध और शुद्ध घी के उत्पादन के लिए वसंत में उनके चरणों की ओर परवाज जरूरी होता है. पहाड़ों पर रहने वाले लोग सर्दी के मौसम में निचले क्षेत्रों में लौट आते हैं. और शासकीय बनाया लकड़ी की मिलों में काम करते हैं. खेतिहर छोटी बस्तियों और गांव की बहुतायत है. जम्मू और उधमपुर जैसे नगर ग्रामीणों और आसपास के स्टेट के लिए बाजार केंद्र व प्रशासनिक मुख्यालय का काम करते हैं.
जम्मू डोगरा सत्ता पक्का परंपरागत केंद्र रहा है. यहां पर हिंदुओं की कुल जनसंख्या का दो तिहाई से भी ज्यादा है. इनमें से अधिकांश इस अंचल के दक्षिण पूर्वी भाग में निवास करते हैं. सांस्कृतिक तथा मानव विज्ञान और भाषा की दृष्टि से भी लोग पंजाब के पंजाबी भाषी लोगों के निकट से संबंधित हैं. बहुत से लोग डोगरी भाषा बोलते हैं. सिखों में भी अधिकांश जम्मू क्षेत्र में रहते हैं, लेकिन पश्चिमोत्तर में मुसलमानों का अनुपात बढ़ गया है. और पश्चिमी नगर उच्च तथा उसके निकटवर्ती भागों में मुसलमान अधिक है. कश्मीर घाटी के अलावा उसके आसपास के क्षेत्र में काफी प्रसिद्ध रहे हैं. इनकी पहचान हमेशा कुछ अलग प्रकार से रही है, जनसंख्या का अधिकांश भाग मुस्लिमों का है.
जो सांस्कृतिक और मानव विज्ञान की दृष्टि से पाकिस्तानी इलाके गिलगित जिले के पश्चिमोत्तर के ऊंचे क्षेत्र के लोगों से निकटतम रूप से संबंधित हैं. कश्मीरी भाषा संस्कृत से प्रभावित है और गिलगित की विभिन्न पहाड़ी जनजातियों द्वारा बोली जाने वाली भारतीय आर्य समाज भाषाओं की दर्दिए शाखा की है. जनसंख्या का बड़ा भाग घाटी के निचले इलाकों में रहता है. झेलम नदी के किनारे स्थित श्रीनगर इस राज्य का सबसे बड़ा शहर है.
जम्मू कश्मीर में कितने जिले है?
दोस्तों जैसा आपको मालूम ही है भारत सरकार ने 05-अगस्त-2019 को कश्मीर राज्य को दो भागों में बाट दिया था. और धारा 370 को हटाकर जम्मू कश्मीर और लद्दाख दो केंद्रीय शासित प्रदेशों का निर्माण कर दिया था. वर्तमान में देखे तो जम्मू कश्मीर में 20 जिले है. जिनके नाम इस प्रकार है.
डोडा जिला | जम्मू जिला | कठुआ जिला | किश्तवाड़ जिला |
पुंछ जिला | राजौरी जिला | रामबन जिला | रियासी जिला |
सांबा जिला | उधमपुर जिला | अनन्तनाग जिला | बांदीपोरा जिला |
बारामूला जिला | बड़गांव जिला | गान्दरबल ज़िला | कुलगाम जिला |
कुपवाड़ा जिला | पुलवामा जिला | शोपियां जिला | श्रीनगर जिला |
परिवहन
जम्मू कश्मीर में सड़क रेल और वायु मार्ग तीनों की व्यवस्था है। कश्मीर में सड़क मार्ग की कुल लंबाई 25000 किलोमीटर के आस पास मानी जाती है. बनिहाल पर्वत से गुजरने वाली जवाहर सुरंग श्रीनगर एवं जमू जोड़ती है. यहां रेल मार्ग की कुल लंबाई 77 किलोमीटर है. यहां का प्रमुख हवाई अड्डा श्रीनगर जम्मू एवं लेह में है. जहां से सड़क मार्ग द्वारा अन्य स्थानों पर पहुंचा जा सकता है।
जम्मू-कश्मीर के प्रमुख पर्यटन स्थल
दोस्तों जैसा आपने सुना ही होगा, जम्मू-कश्मीर को धरती का स्वर्ग कहाँ जाता है. तो दोस्तों जाहिर सी बात है, की इस छेत्र की सुन्दरता विचित्र होगी. यहाँ अनेक ऐसे धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल है. जो पर्यटक की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है. यहाँ के प्रमुख पर्यटक स्थलों को संक्षेप में नीचे प्रस्तुत कर रहे है.
- कटरा– इसकी प्रसिद्धि किले, धार्मिक स्थल, वैष्णो देवी की यात्रा का उद्गम स्थल होने के कारण है.
- आरू- इस क्षेत्र की प्रसिद्ध प्राकृतिक सौंदर्य घास के जंगल आदि के लिए हैं.
- अथवाट –इसकी प्रसिद्ध मनोरंजन स्थल के रूप में है.
- वस्माशाही-रोग निवारक गुणकारी झरने उडान डल झील पर्यटन स्थल के रूप में है.
- अवंतीपुरा-इसकी प्रसिद्ध मनोरंजन के भग्नावशेष के रूप में है.
- डचीगाम– इसकी प्रसिद्धि वन्यजीव अभयारण्य राष्ट्रीय उद्यान आदि के रूप में है.
- बिलोर –इसकी प्रसिद्धि तीर्थ स्थल के रूप में है.
- बसोली –इसकी प्रसिद्ध मंदिरों महलों में भित्ति चित्र आदि के रूप में है.
- अचबल – इसकी प्रसिद्धि कैंपिंग और पर्यटन स्थल बाग बगीचे मछली पालन आदि के लिए रूप में है.
- अखनूर– यहां पर्यटक स्थल दुर्ग के लिए है.
- आल्पी गोम्पा– यहां भित्ति चित्र के लिए जाना जाता है.
- अंचल झील – यहां हजरत बल दरगाह प्रमुख मुस्लिम तीर्थ स्थल आदि आकर्षण के प्रमुख केंद्र हैं.
- अनंतनाग- इस पवित्र स्रोत बाग बगीचे आदि के रूप में प्रसिद्धि मिली है.
- गुलमर्ग– इसे अवकाश मनोरंजक स्थल गोल्फ फूलों का मैदान शीतकालीन खेल आदि के लिए जाना जाता है.
- पूरमंडल – इसकी प्रसिद्धि हिंदू तीर्थ स्थल के रूप में है.
- वाटलाब -इसकी प्रसिद्धि कैंपिंग के रूप में है.
- मानसबल झील– इसकी प्रसिद्धि कमल पक्षी दर्शन आदि के रूप में जाना जाता है.
- मानसर झील– अपनी प्राचीनता के लिए प्रसिद्ध है.
- मार्तंड – इसे मंदिरों में भग्नावशेष सूर्य मंदिर पवित्र स्रोत आदि के लिए जाना जाता है.
- मूलबेख –इसे अपनी स्थापत्य कला के लिए जाना जाता है.
- पटनीटॉप –इसे पर्यटन स्थल तीर्थ स्थल सुधमहादेव मंदिरों में भित्ति चित्र मेले आदि के लिए जाना जाता है.
- पहलगाम- किसकी मनोरंजन में पिकनिक स्थल मछली पकड़ना केसर की खेती आदि के रूप में है.
- कुण्ड- इसकी प्रसिद्धि प्राकृतिक सौंदर्य पर्वतीय स्थल आदि के रूप में है.
- रामनगर– महल के लिए जाना जाता है.
- बटोटी– परिसर के लिए प्रसिद्ध है.
- हेमिस गोम्पा– इसे सबसे बड़े व समृद्ध बौद्ध मठ के रूप में जाना जाता है.
- बुर्जहोम– इसकी प्रसिद्धि प्राचीन काल के अवशेषों के उत्खनन के लिए हैं.
- चरार ए शरीफ -इसकी प्रसिद्धि मुस्लिम तीर्थ स्थल के रूप में है.
- अमरनाथ-इसकी प्रसिद्धि एमराल्ड झील जो कि जून तक जमी रहती है और प्रमुख हिंदू तीर्थ स्थल के रूप में है.
- द्रास– यह एशिया का सबसे ठंडे क्षेत्र है.
- गंगाजल – यह हिंदुओं का प्रमुख तीर्थ स्थल है, हर बार इसकी प्रसिद्धि उत्खनन मछली पकड़ना आदि के लिए है.
- जम्मू– इसकी प्रसिद्धि महल कला दीर्घा ए दुर्गमंदिर मकबरे संग्रहालय राज्य की शीतकालीन राजधानी आदि के लिए है.
- वैष्णो देवी – यह हिंदुओं का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है जो पूरे भारत में प्रसिद्ध है.
- शेषनाग – इसकी प्रसिद्धि ग्लेशियर जिला आदि के कारण है.
- खिलनमर्ग – यह फूलों के मैदान के रूप में प्रसिद्ध है.
- खीरभवानी – यह एक हिंदू तीर्थ स्थल है.
- किस्तवानी – इसे नीलम मकबरे आदि के लिए जाना जाता है.
- कोकरनाग – इसे बाग बगीचे मछली पकड़ना खनिज स्रोत आदि के रूप में जाना जाता है.
- तारसर शरीफ – यह हिंदू मुस्लिम धार्मिक स्थल के लिए प्रसिद्ध है.
- लीडरवात – इसकी प्रसिद्धि कैंपिंग के घास के जंगल के लिए हैं.
- वेरनाग – इसकी प्रसिद्धि भाग धार्मिक स्थल पर सीधे झरना के लिए है.
- लाभायारू – इसकी प्रसिद्धि भित्ति चित्र प्राचीनतम मठ आदि के लिए है.
- लेह – इस खबर से भी सबसे ऊंचा हवाई अड्डा में गोल्फ कोर्स महल बौद्ध मठ मस्जिद हस्तकला ट्रेकिंग के लिए है.
- वूलर झील – इसकी प्रसिद्धि एशिया की सबसे बड़ी झील प्राकृतिक सौंदर्य मछली पकड़ना आदि के लिए है.
- युस्मार्ग – इसकी प्रसिद्धि सुंदर चारागाह पर कैंपिंग के लिए है.
- सानसर – इसकी प्रसिद्धि प्राकृतिक सौंदर्य के लिए है.
- कटरा – इसकी प्रसिद्धि दुर्ग धार्मिक स्थल वैष्णो देवी की यात्रा का उद्गम स्थल होने के कारण है.
- सोनमर्ग – इसे फूलों के बाद जेल कैंपिंग आदि के लिए जाना जाता है.
- स्पीटॉक गोम्पा – इसे लद्दाख के मुख्य लामा का मठ के लिए जाना जाता है
- कारगिल – से पर्वतारोहण दर्शनीय मठ व फलों के बाग आदि के लिए जाना जाता है.
- तंगमर्ग – से कैंपिंग के लिए जाना जाता है.
- तरासर – इसे झील प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है.
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FAQs
Ans- प्रसिद्ध ऋषि कश्यप के नाम पर इसका नाम कश्मीर पड़ा था.