Biography of Sant Guru Ghasidas || संत गुरु घासीदास का जीवन परिचय

By | December 18, 2023
Biography of Sant Guru Ghasidas
Biography of Sant Guru Ghasidas

दोस्तों सन्त गुरु घासीदास का जन्म ऐसे समय हुआ जब समाज में छुआछूत, ऊंचनीच, झूठ-कपट का बोलबाला था. गुरु घासीदास बाबा ने ऐसे समय में समाज में समाज को एकता, भाईचारे तथा समरसता का संदेश दिया था. महान् सन्त एवं समाजसुधारक बाबा गुरुघासीदास का जीवन छत्तीसगढ़ की धरती के लिए ही नहीं, अपितु समूची मानव-जाति के लिए कल्याण का प्रेरक सन्देश देता है. हिन्दू वैदिक धर्म/सतनामी धर्म के प्रवर्तक छत्तीसगढ़ के यह महान् पुरुष एक सिद्धपुरुष होने के साथ-साथ अपनी अलौकिक शक्तियों एवं महामानवीय गुणों के कारण बड़ी श्रद्धा से आज पुरे देश में पूजे जाते है. हम यहाँ सन्त गुरु घासीदास जी की जीवनी (Biography of Sant Guru Ghasidas). और उनसे जुड़ी वो अद्भुत और रोचक जानकारी शेयर करने वाले है. जिसके बारे में आप अब से पहले अनजान थे. तो दोस्तों चलते है और जानते है, गुरु घासीदास बाबा जी की आश्चर्यजनक जानकारी.

गुरु घासीदास की सत्य के प्रति अटूट आस्था की वजह से ही इन्होंने बचपन में कई चमत्कार दिखाए. जिसका लोगों पर काफी प्रभाव पड़ा था. गुरु घासीदास ने समाज के लोगों को सात्विक जीवन जीने की प्रेरणा दी थी. उन्होंने न सिर्फ सत्य की आराधना की, बल्कि समाज में नई जागृति पैदा की और अपनी तपस्या से प्राप्त ज्ञान और शक्ति का उपयोग प्राणी मात्र की सेवा के कार्य में किया.

सन्त गुरु घासीदास कौन थे? गुरु घासीदास बाबा का जीवन परिचय

सन्त गुरु घासीदास बाबा जी का जन्म बिलाईगढ़ के गोद में बसे ग्राम गिरौदपुरी जिला रायपुर, तहसील बालूदा बाज़ार छत्तीसगढ़ में 18 दिसम्बर- सन् 1756 की पूर्णिमा की रात्रि में चार बजे की पवित्र बेला में एक गरीब और साधारण परिवार हुआ था. बचपन से ही गुरु घासीदासजी कुशाग्र एवं जिज्ञासु बुद्धि के थे. गुरु घासीदास जी के पिता का नाम महंगूदास और माता जी का नाम अमरौतिन था. आपकी धर्मपत्नी का नाम सफूरा देवी था, जो सिरपुर अंजोरी गांव की निवासी थीं.

Summary

नामघासीदास
उपनामसन्त गुरु घासीदास बाबा जी
जन्म स्थानबालूदा बाज़ार, रायपुर, छत्तीसगढ़
जन्म तारीख18 दिसम्बर- सन् 1756 ईस्वी
वंशसतनामी
माता का नामअमरौतिन
पिता का नाममहंगूदास
पत्नी का नामसफूरा देवी
भाई/बहन
उत्तराधिकारीगुरु बालकदास
प्रसिद्धिसतनाम के संस्थापक संतगुरु घासीदास जी
रचना
पेशासंतगुरु, कवि और सतनाम के संस्थापक
पुत्र और पुत्री का नाम
गुरु/शिक्षककोई नहीं
देशभारत
राज्य क्षेत्रछत्तीसगढ़
धर्मसतनाम (हिन्दू)
राष्ट्रीयताभारतीय
भाषाहिंदी
मृत्यु1850 ईस्वी
जीवन काल94 वर्ष
पोस्ट श्रेणीBiography of Sant Guru Ghasidas
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सतनाम के संस्थापक संतगुरु घासीदास जी सात शिक्षाएँ

संतगुरु घासीदास जी सात शिक्षाएँ निम्न प्रकार है.

  • सतनाम् नाम पर विश्वास रखना.
  • कभी भी जीव हत्या नहीं करना.
  • कभी भी किसी प्रकार का नशा सेवन नहीं करना.
  • मनुष्य और जाति-पाति के प्रपंच में नहीं पड़ना.
  • व्यभिचार नहीं करना.
  • कभी भी मांसाहार नहीं करना.
  • चोरी और जुआ से दूर रहना.

सन्त गुरु घासीदास जी ने समाज को कैसे सुधारा था?

उस समय में छत्तीसगढ़ के दलित, शोषित, पीड़ित समझे जाने वाले लोगों का जीवन बड़ा ही दु:खमय था. यहाँ के समाज में मानव-मानव में छुआछूत, अवर्ण-सवर्ण, ऊँच-नीच का भेदभाव व्याप्त था. मन्दिरों में धर्म-कर्म के नाम पर नरबलि और पशुबलि की परम्परा प्रचलित थी. मन्दिर और मठ अनाचार का केन्द्र बने हुए थे. नारी जाति के प्रति शोषण का भाव मन्दिरों में भी देखने को मिलता था. तन्त्र-मन्त्र, टोनही, बैगा, पंगहा आदि अन्धविश्वास के नाम पर लोगों को ठगा जा रहा था.

दोस्तों धार्मिक साधना का रूप काफी विकृत था, धार्मिकता की आड़ में यहाँ के लोग मांस और मदिरा का सेवन कर रहे थे. जनता छोटे राजाओं, सामंतो, पिंडारियों, सूबेदारों के लूट और आतंक से बहुत परेशान हो चुकी थी. लगान और राजस्व वसूली ने उनकी कमर तोड़कर रख दी थी. अत: ऐसे ही लोगों को समस्त प्रकार के शोषण से मुक्ति दिलाने व उनकी अज्ञानता को दूर करने के लिए संत गुरु घासीदास जी का अवतार हुआ था. आपके द्वारा मानव धर्म का प्रचार कर शोषण से मुक्ति दिलाना उनका ध्येय था.

संत घासीदास जी को सतनाम नाम की प्राप्ति कब और कैसे हुई थी?

बाबा गुरु घासीदास जी अपनी धर्म पत्नी और चार बच्चों को छोड़कर वे वैराग्य धारण करने के संकल्प को लेकर जगन्नाथपुरी की ओर चल पड़े. वहां से सारंगढ़ होते हुए गिरौदपुरी के औरा-धौरा पेड़ के नीचे धुनी रमाने लगे. यहां उन्हें आत्मज्ञान की प्राप्ति हुई, इस आत्मज्ञान से उन्होंने सतनाम को प्राप्त किया और सतनाम पंथ की स्थापना भी की थी. उनके ज्ञान से प्रभावित विभिन्न जाति और समुदाय के लोग उनके अनुयायी होने लगे थे.

तत्कालीन शासकों व उच्च वर्ग को उनका यह प्रभाव रास नहीं आया, उन्होंने गुरु घासीदास जी को परेशान करने का कोई मौका उनहीं जाने दिया था. अपने परिवार सहित घासीदास जी भण्डारपुरी आ गये. भण्डारपुरी में एक धर्मनिष्ठ लुहारिन विधवा ने तो अपनी साधना स्थली उसी गांव को बना लिया.

गुरु घासीदास जी के क्या उपदेश थे?

गुरु घासीदास जी ने सत्य का आवरण, आडम्बरों का त्याग. जीवो और मनुष्य पर दया, मांस-मदिरा, जीव-हत्या, चोरी, जुआ, व्यभिचार, पररत्रींगगन से दूर रहना, मूर्तिपूजा व आडम्बरों का विरोध, कर्म में शुद्धि, रहन-साहन गे सादगी, ब्रह्माचर्य पालन, सभी जीवों वे प्रति समानता का भाव अतिथि सत्कार का अदिर्श, मानव-मानव भेद को न रखना आदि उनके प्रमुख उपदेश थे. घासीदास जी का कहना था, सभी मानव का धर्म एक है. प्रत्येक मनुष्य में एक देवालय और भगवान का निवास है. इन उपदेशों और संदेशों के माध्यम से सन्त गुरु घासीदास जी ने समाजसुधार के साथ-साथ धर्म का सही मार्ग दिखलाया था. और समाज में एक नयी रोशनी पैदा की थी.

सन्त गुरु घासीदास जी के चमत्कार

दोस्तों घासीदास जी के चमत्कार बहुत है. पर हम यहाँ संत गुरु घासीदास जी के कुछ अलौकिक चमत्कारों में प्रमुख हैं. पांच एकड़ में पांच काठा धान का बोना और भारी फसल उगाना, बैंगन के पौधे में मिर्च फलाकर दिखाना, गरियार (कमजोर) बैलों से हल चलवाना, खेत की सम्पूर्ण जली हुई फसल को रातो-रात पुन: लहलहाते हुए दिखाना आदि प्रमुख चमत्कार थे.

ऐसे सिद्ध पुरुष गुरु घासीदास जी ने अपने गांव तथा निवास स्थल में जैतखाम (21 लम्बाई माप का खम्भा) लगाकर अपनी समाधि ले ली. सतनाम पंथ के अनुयायी इस पर श्वेत ध्वजा प्रतिवर्ष 18 दिसम्बर को फहराते हैं. इसका चबूतरा भी चौकोर होता है, यह सभी उपदेशों एवं वाणियों के संचय एवं भण्डार स्वरूप का प्रतीक है.

संत गुरु घासीदास जी का अंतिम समय

छत्तीसगढ़ की जनता को नया जीवन-दर्शन, आध्यात्मिक ज्ञान का प्रकाश देने वाले संत बाबा गुरु घासीदास जी धार्मिक सन्त और समाजसुधारक थे. उन्होंने सत्य को ही आत्मा माना था. तथा सत्य ही आदिपुराण है, और प्रकृति का तत्त्व है. अत: सतनाम (सत्यनाम) को ही पूजने पर ईश्वर की प्राप्ति सम्भाव है. “सत्य से धरणी खड़ी, सत्य से खडा आकाश है. सत्य से उपजी पृथ्वी, कह गये घासीदास”.

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FAQs

Q- संत गुरु घासीदास जी ने कौन से पंथ की स्थापना की थी?

Ans- संत गुरु घासीदास जी ने सतनाम पंथ की स्थापना की थी.

Q- गुरु घासीदास जी की जयंती कब मनायी जाती है?

Ans- गुरु घासीदास जी की जयंती हर साल पूरे छत्तीसगढ़ में 18 दिसम्बर को मनाई जाती है.

भारत की संस्कृति

One thought on “Biography of Sant Guru Ghasidas || संत गुरु घासीदास का जीवन परिचय

  1. News4u36

    बहुत ही अच्छा लेख है इससे हमे महान लोगो के बारे में जानने का मौका मिला

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