दोस्तों आप यहाँ जानेगे विश्व की प्राचीन सभ्यताएं (Ancient civilizations of the world) मनुष्य का जन्म कब कैसे हुआ. मानव ने दुनिया के कैसे जगह बनायीं आदि. एक समय ऐसा था जब इस पृथ्वी पर न तो कोई वनस्पति ही थी. ना कोई और फिर पहले जल में जिव पैदा हुए. यह कई करोड़ वर्ष पहले की बात है. उसके बाद विशालकाय डायनासोरों का प्रादुर्भाव हुआ हुआ कालांतर में किसी भयावह घटना के कारण में मारे गए. आज से लगभग 5000000 वर्ष पहले मनुष्य से मिलते जुलते प्राणी का जन्म हुआ था. पर वह मनुष्य और वानर के बीच का जिव था. मनुष्य की सबसे पुरानी हड्डियां 30 से 35000 वर्ष पहले की पाई गई है. एक अनुमान है कि मध्य एशिया में ही सबसे पहले मनुष्य जन्मा दूसरे प्राणियों की अपेक्षा मनुष्य का विकास अधिक हुआ.
बदलने वाली परिस्थितियों के अनुसार वह भी बदलता गया उसके पास बुद्धि थी. और बुद्धि का उपयोग कर उसने निरंतर प्रकृति से संघर्ष किया. तथा उन्नति करता गया अन्य प्राणियों की तरह होते हुए भी दुनिया में अपना प्रमुख स्थान बना लेना मनुष्य का ही काम है. संसार के विभिन्न भागों में अनेक रूप रंग आचार विचार विभिन्न भाषाओं के बोलने वाले असभ्य और उन्नत और अवनत मनुष्य अभी है. जिस मानव समाज की उन्नति जितनी अधिक हुई वह उतना ही सुसंस्कृत कहलाया केवल भोजन प्राप्ति और जीवित रहने से ही मनुष्य संतुष्ट नहीं होता है. वह कर्म से उन्नति करतार जाता है. उसके भौतिक और बौद्धिक जीवन के विकास का नाम है संस्कृति.
जानवर से आदमी कैसे बना?
आज से लगभग 30 से 35000 हजार वर्ष पहले जिस आदमी का जन्म हुआ वह एक साधारण जीव ही था. अन्य जानवरों की तरह है. उसने आदमी का रूप उस दिन ग्रहण करना शुरू किया. जिस दिन उसने सबसे पहले पत्थर से हथियार बनाकर शिकार करना शुरू किया. शिकारी मनुष्य ने धीरे-धीरे उन्नति की हड्डियों की अचार बनाएं जीवन अधिक सुरक्षित हुआ और कंदमूल आदि का उपयोग भी आदमी करने लगा.
अग्नि का उपयोग सीखते ही मानव अधिक समझदार हो गया. पत्थर और हड्डियों के साथ शास्त्रों से शिकार करने वाले मनुष्य की कोई भाषा नहीं थी. परंतु थोड़ी बहुत चित्रकला उसे आती थी. भय के कारण अनेक प्राकृतिक शक्तियों की पूजा की भी की जाने लगी पाषाण युग के अंत अंत में मनुष्य ने भाषा को जन्म दिया थोड़ा बहुत संगीत भी शुरू किया और कुछ देवी देवताओं का जन्म हुआ.
कृषि और पशुपालन पर प्रयोग शुरू होते हैं. मनुष्य की सभ्यता अधिक विकसित होने लगी मकान बने, कुटुंब, कबीले जातियां बनी समाज बना तो कुछ नियम भी बनने लगे. गुफाओं और पेड़ों पर रहने वाले मनुष्य ने जब घर बनाए तो ऊन और वृक्षों की छाल के वस्त्र बनाना सी भी सीख लिया. जानवरों से सवारी का काम लिया जाने लगा तो नोकाये बनी, युद्ध शुरू हुए और समाज संगठित भी होने लगा. कृषि और पशुपालन सबसे पहले दुनिया के किस भाग में किन मनुष्यों ने शुरू किया कहना कठिन है. परंतु यह बात साफ है कि नदियों के किनारे ही मध्य और दक्षिणी यूरोप पश्चिमी एशिया चीन भारत में उत्तरी अफ्रीका में सबसे पहले यह सभ्यता पनपी और बढ़ी.
मानव संस्कृति नदियों के किनारे क्यों फैली?
ईसा से कुछ हजार वर्ष पहले भारत में सिंध एशिया में दजला और फरात अफ्रीका में नींद, और चीन में होआगो तो तथा यांगटीसीक्यांग नदियों के तट पर कृषक मानव की बस्तियां बसी. जैसे-जैसे कृषि के द्वारा भोजन की समस्या हल हुई. मनुष्य एक स्थान पर जमकर रहने लगे. उनका ध्यान जीवन की उन्नति की ओर जाने लगा नदियों फसलों को पानी देती थी. और आवागमन का साधन भी थी अतः कर सक मानव के लिए वे 1 देन बन गई. नदियों के यह किनारे मानव संस्कृति के जन्मदाता हुए.
विश्व की प्राचीन सभ्यताएं
- मिस्र देश की सभ्यता.
- चीनी की सभ्यता.
- मेसोपोटामिया की सभ्यता.
- यूनानी सभ्यता.
- रोमन सभ्यता.
- भारत की संस्कृति और सभ्यता.
मिस्र देश की सभ्यता (Egyptian Civilization)
साथियो अफ्रीका महाद्वीप में नील नदी की देन मिस्र देश की संस्कृति प्राचीनतम मानी जाती है. नील नदी की घाटी में विकसित इस सभ्यता का उद्गम इससे भी 5000 वर्ष पहले माना जात है. मिस्र देश की अपनी विशेषता यह रही है पहले वह छोटे-छोटे नगर राज्य थे. यही नगर कुछ समय बाद एक राजा के अधीन हो गए. कुछ एशियाई देशों में भी मिश्र वासियों ने आक्रमण किए अंत में ईसा पूर्व में एक हजार के लगभग ग्रीक आक्रमणकारियों ने इस देश की संस्कृति को नष्ट कर दिया. मिस्र में राजा ईश्वर का प्रतिनिधि माना जाता था. यह फेरो कहलाते थे. राजा सबसे बड़ा न्यायाधीश और पुरोहित होता था.
पिता के बाद पुत्र राज्य सिंहासन पर बैठता था. नारियां भी मिस्र की प्रसिद्ध समरागी गिरी हुई है. पहले अनेक देवी देवताओं की पूजा होती थी. हमें ओके नामक सम्राट में एक ईश्वर की उपासना का प्रचार किया सैनिक कृषक व्यापारी पुरोहित मजदूर और दास आदि समाज के आधार थे. स्त्रियों का समाज में सम्मान था. वह अपना विवाह कर सकती थी. वस्त्र और आभूषणों का प्रयोग सुंदरता बढ़ाने के लिए किया जाता था. मिश्र जनता कृषक पशुपालक होने के साथ ही उम्दा व्यापार करने वाली भी थी दूसरे देशों से उनके व्यापारिक संबंध थे. मुद्रा का उपयोग न जानते हुए भी व्यापार में व्यस्त होने का उपयोग करते थे. व्यवस्था शीशा कागज और मिट्टी तथा धातु के बर्तन बनाते थे. वे प्रकृति की शक्तियों को देवी देवताओं के रूप में पूजते थे पशु और वनस्पतियां भी पूज्य समझे जाते थे मंदिरों में पूजा का आयोजन होता था.
मिस्र के पिरामिड क्यों बनाए गए थे?
दोस्तों मिस्र वासियो का मानना था, मनुष्य मरने के बाद वापस जिन्दा होता है. या पुनः जन्म में भरोसा करते थे. मृतक मनुष्य को मम्मी बनाकर गाड़ने ने की प्रथा थी. राजाओं के शव बड़े-बड़े स्तूपो में विशेष रासायनिक लेप लगाकर सुरक्षित रखे जाते थे. इन स्तूपो को पिरामिड कहते है. यह स्मारक अपनी प्राचीनता और वृहद आकार के कारण विश्व के आश्चर्य हैं. भवन निर्माण कला में मिश्र वासी उस समय भी दक्ष थे. विशाल भवनों तथा मंदिरों के खंडहर और पिरामिड इसके प्रमाण हैं. उन्होंने लिपि का आविष्कार किया नैहरे बनाई गई कागज सबसे पहले मिस्र में ही तैयार हुआ था.
चित्र और मूर्तियां में उनकी उत्तम कार्ययत्ता के दर्शन होते हैं. अंकगणित और रेखा गणित का ज्ञान उन्हें था. सूर्यग्रहण और समय के माप का आविष्कार संगीत चित्र कला भवन निर्माण और मूर्तिकला अनेक उद्योगों का विकास प्राचीन मिस्त्री संस्कृति की उन्नति के प्रमाण है. आज की विश्व संस्कृति पर मिश्री संस्कृति की छाप है.
मेसोपोटामिया की सभ्यता
आजकल तो प्रदेश इराक कहलाता है कभी वह मेसोपोटामिया कहलाता था. दजला और फरात नदियों के बीच के प्रदेश की राजधानी बेबीलोन थी. और पूरे प्रदेश को सुमेर कहते थे. कुछ विद्वानों के मतानुसार भारत में सिंधु घाटी की सभ्यता का प्रसार भी यहाँ तक हुआ था. इस समय के कुछ नहरों के अवशेष अभी तक शेष है. बेबीलोन के लोगो ने खेती में विशेष प्रगति की थी. नहरों के द्वारा वे सिंचाई करते थे. मकान पक्की चमकदार ईंटो के बनते थे. मिट्टी के सुंदर बर्तन और कलात्मक मूर्तियों का निर्माण भी सुमेरियन लोग करते थे. प्रत्येक नगर का एक राजा होता था, और जो धार्मिक मुखिया भी होता था. नगर का कोई एक विशेष देवता भी होता था उनकी अपनी भाषा और चित्र लिपि थी.
अन्य देशों की भांति यहां भी नगर राज्यों को जीतकर एक बड़ा राज्य बनाया गया बड़े-बड़े नगर राज्य में बसे थे. स्त्री पुरुषों के अधिकार लगभग समान थे. उनमे साहित्य निर्माण का भी शौक था. मिलीगमिस महाकाव्य का भी उल्लेख मिलता है. इस भू प्रदेश में सुमेर बेबीलोन असीरिया और चेल्डिया जाति का प्रभुत्व रहा है. साम्राज्य बने बिगड़े अनेक राजाओं ने कला और साहित्य के विकास में योग दिया. इससे 600 वर्ष पहले चेल्डियन सम्राटों ने भवन निर्माण और मूर्तिकला की ओर विशेष ध्यान दिया. और अनुमान है कि नक्षत्र विधा का जन्म नहीं हुआ. राज्य और समाज संगठन में उसके कुछ निश्चित नियम भी है.
चीनी की सभ्यता
दोस्तों मन जाता है, ईसा से लगभग 2700 वर्ष पहले चीन में होगती नामक सम्राट ने विशाल राज्य की स्थापना की थी. इस राजा ने नाव, गाड़ी, रंग, चुना, अस्तर, मुद्रा, और कुतुबनुमा आदि का आविष्कार कर चीनी सभ्यता के जीवन में क्रांति ला दी थी. इतिहास रचना भी उसमें प्रारंभ की परंतु चीन की संस्कृति का इतिहास इस राजा के कई हजार वर्ष पहले से शुरू होता है. इस सम्राट के बाद अनेक शासक बदले ईसा पूर्व में 255 तक चीनी मानव काफ़ी उन्नति कर चुका था.
भवन निर्माण सुव्यवस्थित सत्ता कृषि का उत्तम प्रबंध धातु विदा संगीत लेखन साहित्य का गजल कुतुबनुमा (दिशा सूचक यंत्र) यहां तक कि बारूद का आविष्कार भी चीनियों ने कर डाला. इससे 4000 वर्ष पहले चीन में छोटे-छोटे लड़ाकू सैनिक समुदाय थे. इन समुदायों का प्रमुख मुखिया होते थे. परंतु पूरे देश में रहन-सहन आचार विचार आदि की एकता थी. परिवार उनकी महत्वपूर्ण कथा साहित्य दर्शन इतिहास संगीत आदि विषयों की उन्नति क्रम से हो रही थी.
शुरू में चीन के लोग भी प्रकृति शक्तियों की पूजा करते थे. तथा बलि भी चढ़ाते थे ईश्वर की सत्ता में उनका विश्वास था. दार्शनिक विचारों का चीन में प्राचीन काल में ही विकास हुआ ईसापुर में छठी शताब्दी में कन्फ्यूशियन और रावत सेना में 2 विद्वानों ने धार्मिक विचारधारा में अद्भुत सुधार कर दिया प्रेम सद्भाव समानता आदि का उन्होंने प्रचार किया बाद में वह इस्लाम और ईसाई धर्म का भी वहां प्रचार हुआ.
चीनी बड़े विशाल हृदय उदार कुटुंब भक्त माने जाते हैं. कृषि संगीत स्थापत्य चित्रकला कागज का निर्माण लेखन कला आदि अनेक चीजों का आविष्कार चीन में हुआ. सहनशीलता और संतुष्टि की भावना अधिक होने के कारण संसार का सर्वप्रथम सबवे देश 3 अंत में पिछड़ गया परंतु उसकी संस्कृति कभी एक दम मिट नहीं सकती.
रोमन सभ्यता
रोमन सभ्यता विश्व की महानतम सभ्यताओं में से एक है. रोमन लोगों की राजनीतिक और सामाजिक परंपराओं को ही बाद में चलकर यूरोप के देशों ने ग्रहण किया. दोस्तों रोमन लोगों की सभ्यता और संस्कृति का प्रभाव सारे विश्व पर पड़ा. रोमन सभ्यता और संस्कृति 1000 पुरवा से 500 ईसवी तक रही है. इन 1500 वर्षों में रोमन जातीय राजनीति दर्शन कला विषयों में आश्चर्यजनक समृद्धि प्राप्त की.
रोम और रोमन जाति ने विश्व में सर्वप्रथम गणराज्य की स्थापना की थी. समस्त नागरिक महिलावों की कमेटी का निर्वाचन करते थे. और कौन सी पहली और कौन सी लास्ट चुनौती थी इसका प्रमुख ध्यान होता था. जो शासन चलाते थे वे वास्तविक अधिकार उच्च वर्ग के लोगों को ही प्राप्त थे. सामान्य जन को अधिकार नहीं थे. और गुलामों की हालत तो बहुत ही खराब थी, आगे सीनेट नामक समिति बनी जिसे शासन चलाने का अधिकार मिला.
वीर रोमन जाति ने अपना साम्राज्य बहुत बढ़ा लिया और इस जाति में इतना अभिमान आ गया कि रोम निवासी शेष दुनिया को ऐसा छोटी समझते थे. और रोम कोई समस्त विश्व में मानते थे. रोमन लोगों ने कानून बनाए और उन्हें लिपिबद्ध किया रोमन कानूनों ने सारे संसार की विधि व्यवस्था को प्रभावित किया है. रोमन लोग बहुत शक्तिशाली और बहुत विलासी है. यह दरिंदे और क्रूर भी हो गए थे. ये जहां जाते थे वहां ही अत्याचार करते थे. सौंदर्य और भोग विलास के साधन इन्होंने बहुत लूटा एवं मूर्ति कला और भवन निर्माण कला में उन्होंने बहुत विकास किया.
Ancient civilizations of the world
यह विदेशों में व्यापार भी करते थे नाविक विद्या के यह अच्छे जानकार थे. रोमन जाति के नागरिक भावना को जन्म दिया रोम का नागरिक होना गर्व की वस्तु बन जाती थी. रोमन लोग जहां भी गए उन्होंने अपनी विचारधारा और जीवन पद्धति फैलाई. इस तरह विश्वकोश खतम करने का प्रयत्न करते थे. रोमन संस्कृति की विश्व को सबसे बड़ी देन है. उसकी प्रजातांत्रिक प्रणाली और कानून सारे यूरोप पर इनका प्रभाव पड़ा और यूरोप की आधुनिक व्यवस्था रोमन जाति की व्यवस्था का ही विकसित रूप है.
भारत के महान साधु संतों की जीवनी
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1857 ईस्वी क्रांति और उसके महान वीरों की जीवनी
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FAQs
Ans- अफ्रीका महाद्वीप नील नदी के किनारे बसा है.