Ancient civilizations of the world || विश्व की प्राचीन सभ्यताएं

By | September 11, 2023
Ancient civilizations of the world
Ancient civilizations of the world

दोस्तों आप यहाँ जानेगे विश्व की प्राचीन सभ्यताएं (Ancient civilizations of the world) मनुष्य का जन्म कब कैसे हुआ. मानव ने दुनिया के कैसे जगह बनायीं आदि. एक समय ऐसा था जब इस पृथ्वी पर न तो कोई वनस्पति ही थी. ना कोई और फिर पहले जल में जिव पैदा हुए. यह कई करोड़ वर्ष पहले की बात है. उसके बाद विशालकाय डायनासोरों का प्रादुर्भाव हुआ हुआ कालांतर में किसी भयावह घटना के कारण में मारे गए. आज से लगभग 5000000 वर्ष पहले मनुष्य से मिलते जुलते प्राणी का जन्म हुआ था. पर वह मनुष्य और वानर के बीच का जिव था. मनुष्य की सबसे पुरानी हड्डियां 30 से 35000 वर्ष पहले की पाई गई है. एक अनुमान है कि मध्य एशिया में ही सबसे पहले मनुष्य जन्मा दूसरे प्राणियों की अपेक्षा मनुष्य का विकास अधिक हुआ.

बदलने वाली परिस्थितियों के अनुसार वह भी बदलता गया उसके पास बुद्धि थी. और बुद्धि का उपयोग कर उसने निरंतर प्रकृति से संघर्ष किया. तथा उन्नति करता गया अन्य प्राणियों की तरह होते हुए भी दुनिया में अपना प्रमुख स्थान बना लेना मनुष्य का ही काम है. संसार के विभिन्न भागों में अनेक रूप रंग आचार विचार विभिन्न भाषाओं के बोलने वाले असभ्य और उन्नत और अवनत मनुष्य अभी है. जिस मानव समाज की उन्नति जितनी अधिक हुई वह उतना ही सुसंस्कृत कहलाया केवल भोजन प्राप्ति और जीवित रहने से ही मनुष्य संतुष्ट नहीं होता है. वह कर्म से उन्नति करतार जाता है. उसके भौतिक और बौद्धिक जीवन के विकास का नाम है संस्कृति.

जानवर से आदमी कैसे बना?

आज से लगभग 30 से 35000 हजार वर्ष पहले जिस आदमी का जन्म हुआ वह एक साधारण जीव ही था. अन्य जानवरों की तरह है. उसने आदमी का रूप उस दिन ग्रहण करना शुरू किया. जिस दिन उसने सबसे पहले पत्थर से हथियार बनाकर शिकार करना शुरू किया. शिकारी मनुष्य ने धीरे-धीरे उन्नति की हड्डियों की अचार बनाएं जीवन अधिक सुरक्षित हुआ और कंदमूल आदि का उपयोग भी आदमी करने लगा.

अग्नि का उपयोग सीखते ही मानव अधिक समझदार हो गया. पत्थर और हड्डियों के साथ शास्त्रों से शिकार करने वाले मनुष्य की कोई भाषा नहीं थी. परंतु थोड़ी बहुत चित्रकला उसे आती थी. भय के कारण अनेक प्राकृतिक शक्तियों की पूजा की भी की जाने लगी पाषाण युग के अंत अंत में मनुष्य ने भाषा को जन्म दिया थोड़ा बहुत संगीत भी शुरू किया और कुछ देवी देवताओं का जन्म हुआ.

कृषि और पशुपालन पर प्रयोग शुरू होते हैं. मनुष्य की सभ्यता अधिक विकसित होने लगी मकान बने, कुटुंब, कबीले जातियां बनी समाज बना तो कुछ नियम भी बनने लगे. गुफाओं और पेड़ों पर रहने वाले मनुष्य ने जब घर बनाए तो ऊन और वृक्षों की छाल के वस्त्र बनाना सी भी सीख लिया. जानवरों से सवारी का काम लिया जाने लगा तो नोकाये बनी, युद्ध शुरू हुए और समाज संगठित भी होने लगा. कृषि और पशुपालन सबसे पहले दुनिया के किस भाग में किन मनुष्यों ने शुरू किया कहना कठिन है. परंतु यह बात साफ है कि नदियों के किनारे ही मध्य और दक्षिणी यूरोप पश्चिमी एशिया चीन भारत में उत्तरी अफ्रीका में सबसे पहले यह सभ्यता पनपी और बढ़ी.

मानव संस्कृति नदियों के किनारे क्यों फैली?

ईसा से कुछ हजार वर्ष पहले भारत में सिंध एशिया में दजला और फरात अफ्रीका में नींद, और चीन में होआगो तो तथा यांगटीसीक्यांग नदियों के तट पर कृषक मानव की बस्तियां बसी. जैसे-जैसे कृषि के द्वारा भोजन की समस्या हल हुई. मनुष्य एक स्थान पर जमकर रहने लगे. उनका ध्यान जीवन की उन्नति की ओर जाने लगा नदियों फसलों को पानी देती थी. और आवागमन का साधन भी थी अतः कर सक मानव के लिए वे 1 देन बन गई. नदियों के यह किनारे मानव संस्कृति के जन्मदाता हुए.

विश्व की प्राचीन सभ्यताएं

  1. मिस्र देश की सभ्यता.
  2. चीनी की सभ्यता.
  3. मेसोपोटामिया की सभ्यता.
  4. यूनानी सभ्यता.
  5. रोमन सभ्यता.
  6. भारत की संस्कृति और सभ्यता.

मिस्र देश की सभ्यता (Egyptian Civilization)

साथियो अफ्रीका महाद्वीप में नील नदी की देन मिस्र देश की संस्कृति प्राचीनतम मानी जाती है. नील नदी की घाटी में विकसित इस सभ्यता का उद्गम इससे भी 5000 वर्ष पहले माना जात है. मिस्र देश की अपनी विशेषता यह रही है पहले वह छोटे-छोटे नगर राज्य थे. यही नगर कुछ समय बाद एक राजा के अधीन हो गए. कुछ एशियाई देशों में भी मिश्र वासियों ने आक्रमण किए अंत में ईसा पूर्व में एक हजार के लगभग ग्रीक आक्रमणकारियों ने इस देश की संस्कृति को नष्ट कर दिया. मिस्र में राजा ईश्वर का प्रतिनिधि माना जाता था. यह फेरो कहलाते थे. राजा सबसे बड़ा न्यायाधीश और पुरोहित होता था.

पिता के बाद पुत्र राज्य सिंहासन पर बैठता था. नारियां भी मिस्र की प्रसिद्ध समरागी गिरी हुई है. पहले अनेक देवी देवताओं की पूजा होती थी. हमें ओके नामक सम्राट में एक ईश्वर की उपासना का प्रचार किया सैनिक कृषक व्यापारी पुरोहित मजदूर और दास आदि समाज के आधार थे. स्त्रियों का समाज में सम्मान था. वह अपना विवाह कर सकती थी. वस्त्र और आभूषणों का प्रयोग सुंदरता बढ़ाने के लिए किया जाता था. मिश्र जनता कृषक पशुपालक होने के साथ ही उम्दा व्यापार करने वाली भी थी दूसरे देशों से उनके व्यापारिक संबंध थे. मुद्रा का उपयोग न जानते हुए भी व्यापार में व्यस्त होने का उपयोग करते थे. व्यवस्था शीशा कागज और मिट्टी तथा धातु के बर्तन बनाते थे. वे प्रकृति की शक्तियों को देवी देवताओं के रूप में पूजते थे पशु और वनस्पतियां भी पूज्य समझे जाते थे मंदिरों में पूजा का आयोजन होता था.

मिस्र के पिरामिड क्यों बनाए गए थे?

दोस्तों मिस्र वासियो का मानना था, मनुष्य मरने के बाद वापस जिन्दा होता है. या पुनः जन्म में भरोसा करते थे. मृतक मनुष्य को मम्मी बनाकर गाड़ने ने की प्रथा थी. राजाओं के शव बड़े-बड़े स्तूपो में विशेष रासायनिक लेप लगाकर सुरक्षित रखे जाते थे. इन स्तूपो को पिरामिड कहते है. यह स्मारक अपनी प्राचीनता और वृहद आकार के कारण विश्व के आश्चर्य हैं. भवन निर्माण कला में मिश्र वासी उस समय भी दक्ष थे. विशाल भवनों तथा मंदिरों के खंडहर और पिरामिड इसके प्रमाण हैं. उन्होंने लिपि का आविष्कार किया नैहरे बनाई गई कागज सबसे पहले मिस्र में ही तैयार हुआ था.

चित्र और मूर्तियां में उनकी उत्तम कार्ययत्ता के दर्शन होते हैं. अंकगणित और रेखा गणित का ज्ञान उन्हें था. सूर्यग्रहण और समय के माप का आविष्कार संगीत चित्र कला भवन निर्माण और मूर्तिकला अनेक उद्योगों का विकास प्राचीन मिस्त्री संस्कृति की उन्नति के प्रमाण है. आज की विश्व संस्कृति पर मिश्री संस्कृति की छाप है.

मेसोपोटामिया की सभ्यता

आजकल तो प्रदेश इराक कहलाता है कभी वह मेसोपोटामिया कहलाता था. दजला और फरात नदियों के बीच के प्रदेश की राजधानी बेबीलोन थी. और पूरे प्रदेश को सुमेर कहते थे. कुछ विद्वानों के मतानुसार भारत में सिंधु घाटी की सभ्यता का प्रसार भी यहाँ तक हुआ था. इस समय के कुछ नहरों के अवशेष अभी तक शेष है. बेबीलोन के लोगो ने खेती में विशेष प्रगति की थी. नहरों के द्वारा वे सिंचाई करते थे. मकान पक्की चमकदार ईंटो के बनते थे. मिट्टी के सुंदर बर्तन और कलात्मक मूर्तियों का निर्माण भी सुमेरियन लोग करते थे. प्रत्येक नगर का एक राजा होता था, और जो धार्मिक मुखिया भी होता था. नगर का कोई एक विशेष देवता भी होता था उनकी अपनी भाषा और चित्र लिपि थी.

अन्य देशों की भांति यहां भी नगर राज्यों को जीतकर एक बड़ा राज्य बनाया गया बड़े-बड़े नगर राज्य में बसे थे. स्त्री पुरुषों के अधिकार लगभग समान थे. उनमे साहित्य निर्माण का भी शौक था. मिलीगमिस महाकाव्य का भी उल्लेख मिलता है. इस भू प्रदेश में सुमेर बेबीलोन असीरिया और चेल्डिया जाति का प्रभुत्व रहा है. साम्राज्य बने बिगड़े अनेक राजाओं ने कला और साहित्य के विकास में योग दिया. इससे 600 वर्ष पहले चेल्डियन सम्राटों ने भवन निर्माण और मूर्तिकला की ओर विशेष ध्यान दिया. और अनुमान है कि नक्षत्र विधा का जन्म नहीं हुआ. राज्य और समाज संगठन में उसके कुछ निश्चित नियम भी है.

चीनी की सभ्यता

 दोस्तों मन जाता है, ईसा से लगभग 2700 वर्ष पहले चीन में होगती नामक सम्राट ने विशाल राज्य की स्थापना की थी. इस राजा ने नाव, गाड़ी, रंग, चुना, अस्तर, मुद्रा, और कुतुबनुमा आदि का आविष्कार कर चीनी सभ्यता के जीवन में क्रांति ला दी थी. इतिहास रचना भी उसमें प्रारंभ की परंतु चीन की संस्कृति का इतिहास इस राजा के कई हजार वर्ष पहले से शुरू होता है. इस सम्राट के बाद अनेक शासक बदले ईसा पूर्व में 255 तक चीनी मानव काफ़ी उन्नति कर चुका था.

भवन निर्माण सुव्यवस्थित सत्ता कृषि का उत्तम प्रबंध धातु विदा संगीत लेखन साहित्य का गजल कुतुबनुमा (दिशा सूचक यंत्र) यहां तक कि बारूद का आविष्कार भी चीनियों ने कर डाला. इससे 4000 वर्ष पहले चीन में छोटे-छोटे लड़ाकू सैनिक समुदाय थे. इन समुदायों का प्रमुख मुखिया होते थे. परंतु पूरे देश में रहन-सहन आचार विचार आदि की एकता थी. परिवार उनकी महत्वपूर्ण कथा साहित्य दर्शन इतिहास संगीत आदि विषयों की उन्नति क्रम से हो रही थी.

शुरू में चीन के लोग भी प्रकृति शक्तियों की पूजा करते थे. तथा बलि भी चढ़ाते थे ईश्वर की सत्ता में उनका विश्वास था. दार्शनिक विचारों का चीन में प्राचीन काल में ही विकास हुआ ईसापुर में छठी शताब्दी में कन्फ्यूशियन और रावत सेना में 2 विद्वानों ने धार्मिक विचारधारा में अद्भुत सुधार कर दिया प्रेम सद्भाव समानता आदि का उन्होंने प्रचार किया बाद में वह इस्लाम और ईसाई धर्म का भी वहां प्रचार हुआ.

चीनी बड़े विशाल हृदय उदार कुटुंब भक्त माने जाते हैं. कृषि संगीत स्थापत्य चित्रकला कागज का निर्माण लेखन कला आदि अनेक चीजों का आविष्कार चीन में हुआ. सहनशीलता और संतुष्टि की भावना अधिक होने के कारण संसार का सर्वप्रथम सबवे देश 3 अंत में पिछड़ गया परंतु उसकी संस्कृति कभी एक दम मिट नहीं सकती.

रोमन सभ्यता

रोमन सभ्यता विश्व की महानतम सभ्यताओं में से एक है. रोमन लोगों की राजनीतिक और सामाजिक परंपराओं को ही बाद में चलकर यूरोप के देशों ने ग्रहण किया. दोस्तों रोमन लोगों की सभ्यता और संस्कृति का प्रभाव सारे विश्व पर पड़ा. रोमन सभ्यता और संस्कृति 1000 पुरवा से 500 ईसवी तक रही है. इन 1500 वर्षों में रोमन जातीय राजनीति दर्शन कला विषयों में आश्चर्यजनक समृद्धि प्राप्त की.

रोम और रोमन जाति ने विश्व में सर्वप्रथम गणराज्य की स्थापना की थी. समस्त नागरिक महिलावों की कमेटी का निर्वाचन करते थे. और कौन सी पहली और कौन सी लास्ट चुनौती थी इसका प्रमुख ध्यान होता था. जो शासन चलाते थे वे वास्तविक अधिकार उच्च वर्ग के लोगों को ही प्राप्त थे. सामान्य जन को अधिकार नहीं थे. और गुलामों की हालत तो बहुत ही खराब थी, आगे सीनेट नामक समिति बनी जिसे शासन चलाने का अधिकार मिला.

वीर रोमन जाति ने अपना साम्राज्य बहुत बढ़ा लिया और इस जाति में इतना अभिमान आ गया कि रोम निवासी शेष दुनिया को ऐसा छोटी समझते थे. और रोम कोई समस्त विश्व में मानते थे. रोमन लोगों ने कानून बनाए और उन्हें लिपिबद्ध किया रोमन कानूनों ने सारे संसार की विधि व्यवस्था को प्रभावित किया है. रोमन लोग बहुत शक्तिशाली और बहुत विलासी है. यह दरिंदे और क्रूर भी हो गए थे. ये जहां जाते थे वहां ही अत्याचार करते थे. सौंदर्य और भोग विलास के साधन इन्होंने बहुत लूटा एवं मूर्ति कला और भवन निर्माण कला में उन्होंने बहुत विकास किया.

Ancient civilizations of the world

यह विदेशों में व्यापार भी करते थे नाविक विद्या के यह अच्छे जानकार थे. रोमन जाति के नागरिक भावना को जन्म दिया रोम का नागरिक होना गर्व की वस्तु बन जाती थी. रोमन लोग जहां भी गए उन्होंने अपनी विचारधारा और जीवन पद्धति फैलाई. इस तरह विश्वकोश खतम करने का प्रयत्न करते थे. रोमन संस्कृति की विश्व को सबसे बड़ी देन है. उसकी प्रजातांत्रिक प्रणाली और कानून सारे यूरोप पर इनका प्रभाव पड़ा और यूरोप की आधुनिक व्यवस्था रोमन जाति की व्यवस्था का ही विकसित रूप है.

भारत के महान साधु संतों की जीवनी

भगवान श्री राम की जीवनीभगवान श्री कृष्ण की जीवनी
भीष्म पितामह की जीवनीराधा स्वामी सत्संग इतिहास और गुरु जीवनी
आदिगुरु शंकराचार्य जी की जीवनीकृष्णसखा सुदामा जी की जीवनी
भगवान महादानी राजा बालिक की जीवनीमीराबाई की जीवनी
राजा हरिश्चंद्र जी की जीवनीगौतम बुद्ध की जीवनी
संत झूलेलाल जी की जीवनीगुरु नानक की जीवनी और चमत्कार
महर्षि वाल्मीकि जी की जीवनीश्री जलाराम बापा की जीवनी
संत ज्ञानेश्वर जी की जीवनीरानी पद्मिनी की जीवनी
गुरु गोबिंद सिंह जी की जीवनीपन्ना धाय की जीवनी
भक्त पीपा जी की जीवनीमहाराणा कुंभा की जीवनी
गुरुभक्त एकलव्य जी की जीवनीमहाराणा सांगा की जीवनी
वेद व्यास जी की जीवनीसमर्थ गुरु रामदास की जीवनी
स्वामी हरिदास जी की जीवनीवेदव्यास जी की जीवनी
ठाकुर बिल्वमंगल की जीवनीगुरु अर्जुन देव की जीवनी
चैतन्य महाप्रभु की जीवनीदेवनारायण का जीवन परिचय
महर्षि दधीचि की जीवनीमहर्षि रमण का जीवन परिचय
स्वामी दादू दयाल की जीवनीरंतीदेव जी की जीवनी
संत नामदेव की जीवनीगोविंद गिरि की जीवनी
सन्त एकनाथ की जीवनीसन्त तुकाराम की जीवनी
संत रैदास की जीवनीसंत गुरु घासीदास जी की जीवनी
संत तिरुवल्लुवर की जीवनीसेवा मूर्ति ठक्कर बापा की जीवनी
स्वामी रामतीर्थ जी की जीवनीसंत माधवाचार्य जी की जीवनी
संत वल्लभाचार्य जी की जीवनीमत्स्येंद्रनाथ जी की जीवनी
राजर्षि अंबरीश की जीवनीदिव्यदृष्टा संजय की जीवनी
ठाकुर बिल्वमंगल की जीवनीगुरु तेग बहादुर की जीवनी
सप्तऋषियों की जीवनीमलूकदास जी की जीवनी
निम्बार्काचार्य जी की जीवनीसंत शेख सादी की जीवनी
भक्त प्रह्लाद की जीवनीमहारथी कर्ण की जीवनी
भक्त बालक ध्रुव की जीवनीजिज्ञासु नचिकेता की जीवनी
महारथी कर्ण की जीवनीगुरु भक्त अरुणी की जीवनी
भक्त उपमन्यु की जीवनीकृष्ण सखा उद्धव की जीवनी
महावीर स्वामी की जीवनीओशो की जीवनी

भारत के प्रमुख युद्ध

हल्दीघाटी का युद्धहल्दीघाटी का युद्ध 1576 ईचित्तौड़गढ़ किला
विश्व की प्राचीन सभ्यताएंझेलम का युद्धकलिंग युद्ध का इतिहास
1845 ई. में सिखों और अंग्रेजों का युद्धभारत चीन युद्ध 1962कश्मीर का इतिहास और युद्ध 1947-1948
सोमनाथ का युद्धतराइन का प्रथम युद्धतराइन का दूसरा युद्ध
पानीपत का प्रथम युद्धपानीपत की दूसरी लड़ाईपानीपत की तीसरी लड़ाई 1761 ई
खानवा की लड़ाई 1527नादिरशाह का युद्ध 1739 ईसवीप्लासी का युद्ध 1757 ई
Ancient civilizations of the world

1857 ईस्वी क्रांति और उसके महान वीरों की जीवनी

1857 ईस्वी क्रांति के महान वीरों की गाथा1857 की क्रांति में महान रानियों का योगदान
अजीजन बेगम की जीवनीअकबर खान की जीवनी
अज़ीमुल्लाह खान की जीवनीपृथ्वीराज चौहान III की जीवनी
आनंद सिंह जी की जीवनीअवन्ति बाई लोधी की जीवनी
अमरचंद बांठिया जी की जीवनीस्वामी दयानंद सरस्वती जी की जीवनी
बंसुरिया बाबा की जीवनीतात्या टोपे की जीवनी
मंगल पांडे की जीवनीमहारानी तपस्विनी की जीवनी
बेगम हजरत महल की जीवनीगोविंद गिरि की जीवनी
भास्कर राव बाबासाहेब नरगुंडकर कौन थेकुमारी मैना की जीवनी
महारानी जिंदा कौर की जीवनीवीर सुरेंद्र साय की जीवनी
झलकारी बाई की जीवनीवृंदावन तिवारी की जीवनी
तिलका मांझी की जीवनीसूजा कंवर राजपुरोहित की जीवनी
पीर अली की जीवनीबाबू कुंवर सिंह की जीवनी
ईश्वर कुमारी की जीवनीठाकुर कुशल सिंह की जीवनी
उदमी राम की जीवनीचौहान रानी की जीवनी
जगत सेठ रामजीदास गुड़ वाला की जीवनीजगजोत सिंह की जीवनी
ज़ीनत महल की जीवनीजैतपुर रानी की जीवनी
जोधारा सिंह जी की जीवनीटंट्या भील की जीवनी
ठाकुर रणमत सिंह की जीवनीनरपति सिंह जी की जीवनी
दूदू मियां की जीवनीनाहर सिंह जी की जीवनी
मौलवी अहमदुल्लाह फैजाबादी की जीवनीखान बहादुर खान की जीवनी
गोंड राजा शंकर शाह की जीवनीरंगो बापूजी गुप्ते की जीवनी
बरजोर सिंह की जीवनीराजा बलभद्र सिंह की जीवनी
रानी तेजबाई की जीवनीवीर नारायण सिंह जी की जीवनी
वारिस अली की जीवनीवलीदाद खान की जीवनी
झांसी की रानी लक्ष्मी बाई की जीवनीनाना साहब पेशवा की जीवनी
राव तुलाराम की जीवनीबाबू अमर सिंह जी की जीवनी
रिचर्ड विलियम्स की जीवनीबहादुर शाह ज़फ़री की जीवनी
राव रामबख्श सिंह की जीवनीभागीरथ सिलावट की जीवनी
महाराणा बख्तावर सिंह की जीवनीअहमदुल्लाह की जीवनी
Ancient civilizations of the world

भारत के राज्य और उनका इतिहास और पर्यटन स्थल

जम्मू कश्मीर का इतिहास और पर्यटन स्थलहिमाचल प्रदेश का इतिहास और पर्यटन स्थल
पंजाब का इतिहास और पर्यटन स्थलहरियाणा का इतिहास और पर्यटन स्थल
उत्तराखंड का इतिहास और पर्यटन स्थलपश्चिम बंगाल का इतिहास और पर्यटन स्थल
झारखंड का इतिहास और पर्यटन स्थलबिहार का इतिहास और पर्यटन स्थल
उत्तर प्रदेश का इतिहास और पर्यटन स्थलराजस्थान का इतिहास और पर्यटन स्थल
मध्य प्रदेश का इतिहास और पर्यटन स्थलछत्तीसगढ़ का इतिहास और पर्यटन स्थल
उड़ीसा का इतिहास और पर्यटन स्थलगुजरात का इतिहास और पर्यटन स्थल
Ancient civilizations of the world

FAQs

Q- अफ्रीका महाद्वीप कौन सी नदी के किनारे बसा है?

Ans- अफ्रीका महाद्वीप नील नदी के किनारे बसा है.

भारतीय संस्कृति विभाग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *