Biography of Govind Giri-: गोविंद गिरी जी का जन्म 1858 ईस्वी में डूंगरपुर राज्य के बासिया गांव में बंजारे परिवार में हुआ था. इन्होने स्वामी दयानन्द सरस्वती की प्रेरणा से आदिवासी जाती भीलो में समाज एवं धर्म सुधार अंदोलन किया था. गोविंद गिरी जी को गोविंद गुरु के नाम से भी जाना जाता है. गोविंद गुरु ने सभी भील-प्रधान गांवों में “धुनिया” स्थापित की और इनकी सुरक्षा के लिए कोतवालों की नियुक्ति की. ये कोतवाल अपने छेत्र के सर्वेसर्वा होते थे. कोतवाल भीलो के आपसी झगड़ो को भी निपटाते थे. श्री गोविंद गुरु ने सत्ताधारियों के विरुद्ध धर्म युद्ध का अहाना किया था.
भीलों के उत्थान के लिए और भील आंदोलन के तीन प्रमुख करणधार सूजी भगत, गोविन्द गुरु और मोतीलाल तेजावत थे.
Summary
नाम | गोविंद गिरी |
उपनाम | गोविंद गुरु |
जन्म तारीख | 20-दिसंबर-1858 |
जन्म स्थान | डूंगरपुर के बासिया गांव राजस्थान |
वंश | बंजारा |
स्थापना | सम्प सभा सन 1883 ईस्वी सिरोही राजस्थान |
पत्नी का नाम | गनी देवी |
बेटा और बेटी का नाम | Update Soon |
माता का नाम | लाटकी देवी |
पिता का नाम | बसर बंजारा |
गुरु/शिक्षक | राजगिरी जी |
राज्य छेत्र | डूंगरगढ़, राजस्थान और गुजरात |
खिताब/सम्मान | Update Soon |
धर्म | हिन्दू |
भाषा | राजस्थानी, हिंदी |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
मृत्यु | 30-अक्टूबर 1931 |
जीवन काल | 73 वर्ष |
आर्टिकल श्रेणी | गोविंद गिरी का जीवन परिचय (Biography of Govind Giri) |
गोविंद गिरी और भील आंदोलन (Govind Giri and the Bhil Movement)
बेड़वा गोविंद गिरी जी के भील आंदोलन की गतिविधियों का प्रमुख केंद्र बना. गोविंद गुरु के नेतृत्व में भील आंदोलन को सफलता नहीं मिली, भील राज्य की स्थापना नहीं की जा सकी. लेकिन इस आंदोलन से भीलों में जागृति का संचार हुआ. और भीलो में अपने अधिकार लेने की ललक बढ़ी और वे सजग हो गए. इस भील आंदोलन से अन्य पिछड़ी जातियों में भी अपने अधिकारों की चेतना जगी जो आगे जाकर एक बड़ा आंदोलन का रूप लिया.
गोविंद गिरी जी ने की सम्प सभा की स्थापना (Govind Giri ji established Samp Sabha)
गोविंद गिरी जी ने सम्प सभा की स्थापना राजस्थान के सिरोही जिले में सन 1883 की थी. सम्प राजस्थानी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है संगठित , प्रेम और भाईचारा और बंधुत्व.
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सम्प सभा का प्रथम अधिवेशन (First session of Samp Sabha)
सम्प सभा का प्रथम अधिवेशन 1903 ईस्वी में गुजरात की मानगढ़ की पहाड़ी पर आश्विन शुक्ल पूर्णिमा को आयोजित हुआ था.
सम्प सभा का द्वितीय अधिवेशन (Second session of Samp Sabha)
17 नवंबर 1913 ईस्वी को गोविंद गुरु की अध्यक्षता में मानगढ़ में आयोजित हुआ. मानगढ़ की पहाड़ी बांसवाड़ा राजस्थान तथा गुजराज राज्यों की सीमा पर माही नदी के किनारे पर हुआ. ब्रटिश सेना द्वारा सम्प सभा के अधिवेसन के दौरान एकत्रित भीलों पर आक्रमण कर दिया गया जिसमें 1500 आदिवासी भीलों को शहीद वीर गति प्राप्त हुई. यह हत्या कांड जलियांवाला बाग हत्याकांड से बड़ा था. इस हत्या कांड के बाद अंग्रेज राज्य के अंतर्गत पाल पट्टा में वहा जागीदारो ने भीलो के साथ समझौता करना पड़ा. यह देश के इतिहास में पहला मौका था, जब दलित भीलों और सामंतो को समझौते के लिए बाध्य होना पड़ा था.
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FAQs
Ans- गोविंदगिरी जी ने अपना अंतिम दिन गुजरात के कममोई नामक जगह व्यतीत किया.
Ans- 17 नवंबर 1913 ईस्वी को मानगढ़ की पहाड़ी पर.
Ans- स्वामी गोविन्द गिरी.
Ans-भील जनजाति से.