पानीपत का प्रथम युद्ध (The first battle of Panipat)- दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी एवं मुगल शासक बाबर के मध्य 21 अप्रैल 1526 ईस्वी को पानीपत हरियाणा के मैदान में हुआ था. इस युद्ध के बाद भारत में मुगल साम्राज्य का प्रसार आरंभ हो गया था. बाबर का वास्तविक नाम मोहम्मद जहीरूद्दीन था. उसका जन्म फरगाना के शासक उमरशेख के यहां 1483 ईस्वी में हुआ था. वह पिता की और से तैमूर वंश और माता की और से चंगेज खां के वंस से संबंध रखता था.
इस प्रकार बाबर की नसों में मध्य एशिया के 2 विख्यात क्रूर वंशो के रक्त का मिश्रण था. उसने 11 वर्ष की अवस्था में भी राज्य प्रबंध का भार उठाना प्रारंभ कर दिया था. इसके बाद संघर्षों से झुझते हुए बाबर ने काबुल पर अपना अधिकार कर लिया. हम यहाँ पानीपत का प्रथम युद्ध की वो रोचक और अद्भुत जानकारी शेयर करने वाले है. जिसके बारे में आप अब से पहले अनजान थे. तो दोस्तों चलते है, और जानते है पानीपत का प्रथम युद्ध (The first battle of Panipat) की आचर्यजनक जानकारी.
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मोहम्मद जहीरुद्दीन बाबर का भारत पर आक्रमण करने का प्रमुख कारण क्या था?
काबुल का शासक बन जाने के बाद बाबर ने अपने खोए हुए प्रदेशों को पाने के लिए अनेक प्रयास किए. परंतु भाग्य ने उसका साथ नहीं दिया, हर बार उसे असफलता ही हाथ लगी. मोहम्मद जहीरूद्दीन (बाबर) ने विजय लालसा से भारत की ओर अपने कदम बढ़ाए. परिणाम स्वरुप उसने 1519 और 1524 ईसवी के दौरान चार बार सिंध पार करके पंजाब पर आक्रमण किया. परंतु लाहौर से आगे बढ़ने में सफल नहीं हो सका.
जिस प्रकार बाबर ने भारत पर आक्रमण की योजना बनाई उस समय भारत अस्थिरता एवं अराजकता के वातावरण से गुजर रहा था. आपसी मतभेदों एवं क्षणिक स्वार्थों ने दिल्ली शासन की जड़ों को खोखला कर दिया था. 1451 ईस्वी में बहलोल लोदी दिल्ली का सुल्तान बना. उसकी मृत्यु के बाद 1489 ईस्वी में उसके पुत्र सिकंदर लोदी ने दिल्ली की बागडोर संभाली। नवंबर 1517 ईसवी में सुल्तान की मृत्यु के बाद उसका पुत्र इब्राहिम खां लो लोदी दिल्ली के सिंहासन पर बैठा. 1526 ईस्वी में उसका बाबर के विरुद्ध पानीपत के मैदान में एक ऐतिहासिक एवं महत्वपूर्ण संग्राम हुआ. परंतु इस युद्ध के अंत में वह मारा गया और भारत में मुगल शासन की आधारशिला रखी गई.
पानीपत के प्रथम युद्ध से पूर्व बाबर की लड़ाईया
5 जनवरी 1526 ईस्वी को बाबर अपनी सेना सहित दिल्ली पर आक्रमण करने के इरादे से आगे बढ़ा. इसी दौरान बाबर को पता लगा कि, सुल्तान इब्राहिम लोदी ने हिसार (हरियाणा) के शेखदार हमीद खां को मुठभेड़ के लिए भेजा है. तो उसने मुकाबला करने के लिए अपने पुत्र हुमायूं को मैदान में भेजा. हुमायूं ने अपने विशिष्ट सरदारों के सहयोग से 25 फरवरी 1526 ईस्वी को अंबाला में हमीद खां को पराजित करके उसकी शेखदारी प्राप्त कर ली. इस सफलता को शुभ मानकर बाबर ने अपनी सेना का पड़ाव अंबाला के निकट (शाहाबाद) मारकंडा में डाल दिया था.
बाबर ने सुल्तान इब्राहिम लोधी की स्थिति का पता लगाने के लिए अपने जासूसों को भेजा. जिस से ज्ञात हुआ कि, सुल्तान इब्राहिम लोधी की सेना का एक दल दौलत खां लोधी के नेतृत्व में उसका सामना करने के लिए आ रहा है. इससे निबटने के लिए बाबर ने अपनी सेना की एक टुकड़ी मेहंदी ख्वाजा के नेतृत्व में सामने की ओर लगा दी. इस अभियान में भी बाबर की सेना को सफलता मिली अब बाबर ने दिल्ली की ओर प्रस्थान किया, और पानीपत के विशाल मैदान में अपनी सेना को तैनात कर दिया.
दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी और बाबर में किसकी सेना ज्यादा थी?
जिस समय बाबर दिल्ली पर आक्रमण करने के इरादे से आगे बढ़ रहा था. उस समय दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी के स्वभाव एवं व्यवहार से उसके अधीन सरदार तथा अधिकारी खुश नहीं रहते थे. यही कारण रहा कि उसके पास विशाल सैन्य शक्ति होते हुए भी उसे पराजित होना पड़ा. बाबर की सेना में कुल 12000 सैनिक थे. मेजर डेविड के अनुसार उसके सैनिकों की संख्या 10000 रही होगी. कर्नल हेंग के अनुसार उसके पास 25000 सैनिक थे. बाबर की सेना में नवीन हथियार के रूप में तोते एवं दस्ती बंदूके थी. तोपों को गाड़ियों में रखकर युद्ध क्षेत्र में ले जाया जाता था. मुगल सैनिक पूर्ण रूप से कवचयुक्त थे. बाबर की सेना का मुख्य हथियार धनुष-बाण था. उसकी सेना में अधिकांश घोड़े सवार सैनिक थे. जो धनुष बाण चलाने में अत्यंत निपुण थे, बाबर स्वय एक कुशल सेनापति था.
दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी की सेना में लगभग 100000 सैनिक थे. तथा 1000 हाथी थे. यह संख्या बाबरनामा के आधार पर है. इतिहासकार यदुनाथ सरकार के अनुसार इब्राहिम लोदी की सेना में 20000 कुशल घोड़े स्वार सैनिक, 20000 हजार साधारण घोड़े सवार सैनिक. और लगभग 30,000 पैदल सैनिक तथा एक हजार हाथी वाले सैनिक थे. सुल्तान इब्राहिम लोदी के अपने अधीन सरदारों में अत्यधिक मतभेद थे. उसकी सेना में राष्ट्रीय एवं दल भावना का पूर्ण अभाव था. इब्राहिम लोदी सेना का मुख्य हथियार तलवार, भाला, लाठी, कुल्हाड़ी तथा धनुष बाण थे.
बाबर के पास सुल्तान इब्राहिम लोदी की तुलना में बहुत ही कम सैन्य शक्ति थी. 12 अप्रैल 1526 ईस्वी को उसने यमुना नदी और पानीपत नगर के बीच 3 मील लंबा छेत्र युद्ध के लिए चुना. बाबर ने अपने सैन्य दलों को निम्न नामों से संबोधित किया, अग्र दल, बाया पार्स्व, दाया पार्स्व तथा मध्य दल, पृष्ठ दल.
पानीपत का प्रथम युद्ध 21 अप्रैल 1526 ईस्वी बाबर और इब्राहिम लोदी
बाबर ने 19 अप्रैल 1526 ईस्वी की रात्रि को अपने 5000 हजार कुशल घोड़े सवार सैनिकों को के एक दल को इब्राहिम लोदी की सेना पर आक्रमण करने के लिए भेजा. परंतु रात्रि में रास्ता भूल जाने के कारण वह आक्रमण सफल नहीं हो पाया, साथ ही मुंगल सैनिक शत्रु सेना द्वारा घिर गए. परंतु मुगल सेना किसी प्रकार जान बचा कर वापस 20 अप्रैल को लौट आई. इब्राहिम लोधी ने बाबर की सुरक्षा पंक्ति पर आक्रमण करने के लिए अपनी सेना को आगे बढ़ने का आदेश दिया. 21 अप्रैल 1526 ईस्वी को प्रातः इब्राहिम लोधी की सेना लगभग 4 मील की दूरी 3 घंटे में तय करके बाबर की सेना के निकट पहुंची.
परंतु बाबर की सेना के आगे बैल गाड़ियों से बनी मोर्चाबंदी को देखकर इब्राहिम लोदी की सेना अचानक रुक गई. उसी समय बाबर ने दोनों पक्षों से आक्रमण कर दिया. बाबर की घोड़े सवार सेना के द्वारा यह कार्रवाई बड़े ही सफलता पूर्ण ढंग से की गई. जिस समय इब्राहिम लोदी की सेना चारों ओर से घिर गई तथा उसका संगठन भीड़ के रूप में परिवर्तित हो जाने के कारण उसके सैनिक शस्त्रों का खुलकर प्रयोग करने में असमर्थ है.
The first battle of Panipat
तो उसी दौरान बाबर ने अपनी तोपों के द्वारा तेजी के साथ फायर करने प्रारंभ कर दिए. जिसके परिणाम स्वरूप अनेक अफगानी सैनिक मारे गए. लोदी सेना के हाथी भी तोपों की आवाज से प्रभावित हुए. कि के पीछे की ओर मुड़ गए और अपनी ही सेना को बुरी तरह कुचलने लगे. इब्राहिम लोधी के पास तोपों का मुकाबला करने का कोई रास्ता नहीं था. जिससे हजारों सैनिक मौत के घाट उत्तर गए थे.
बाबर ने अपनी सेना के मध्य भाग को लोधी के मध्य भाग पर आक्रमण करने के लिए आदेश दिया. सुल्तान इब्राहिम लोदी की सेना चारों ओर से गिर गई थी. भीषण संघर्ष के बाद बाबर पानीपत का प्रथम युद्ध में विजई हुआ. सुल्तान इब्राहिम लोदी को उसके सैनिकों सहित मौत के घाट उतार दिया गया. बाबर इस युद्ध में विजय रहा, यह संग्राम (the first battle of panipat) भारतीय सैन्य इतिहास की एक महान घटना है. इसके परिणाम स्वरूप लोदीवंश, लोदी राज्य, एवं लोदी शक्ति का सदैव के लिए पतन हो गया था. तथा बाबर ने भारतीय उपमहाद्वीप में मुगल साम्राज्य की आधारशिला स्थापित कर दी. पानीपत का प्रथम युद्ध (The first battle of Panipat) से भारतीय इतिहास में एक नए युग का प्रारंभ हुआ. लोदी वंश के स्थान पर मुगल वंश की स्थापना हुई.
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FAQs
Ans- पानीपत का पहला युद्ध भारत के इतिहास के लिए इस लिए खास है, क्यों की भारत के इतिहास में पहली बार बारूद, आग्नेयास्त्रों और मैदानी तोपखाने को लड़ाई में शामिल किया गया था. पानीपत का पहला युद्ध 21, अप्रैल 1526 को लड़ा गया था, इस युद्ध के बाद भारत में मुग़ल साम्राज्य की नींव रखी गयी थी.
Ans- पानीपत का प्रथम युद्ध 21-अप्रैल-1526 में बाबर और भारत के सुल्तान इब्राहिम लोदी के बिच हुआ था. पानीपत के प्रथम युद्ध में दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी की हार हुई थी. और भारत में मुग़ल वंस की नीव पड़ी थी.