मेवाड़ के यशस्वी सम्राट महाराणा संग्राम सिंह (महाराणा सांगा) का सपना था भारत एक हिन्दू राष्ट्र हो. जिस तरह शिवाजी, महाराणा प्रताप जैसे भारतीय वीरों ने कभी विदेशी आक्रमणकारियों से हार नहीं मानी थी. ठीक उसी तरह महाराणा सांगा ने भी हिन्दू राज्य के लिए मुंगलो से कभी समझोता नहीं किया. आज हम यहाँ महाराणा सांगा की जीवनी (maharaana saanga kee jivani) और वो रोचक जानकारी शेयर करेंगे जिसके बारे में शायद आप पहले अनजान हो. तो दोस्तों चलते है और जानते है, महाराणा सांगा के कितने युद्ध, जीवनी और उनके परोपकारी कार्य के बारे में.
Biography of Maharana Saanga (महाराणा सांगा की जीवनी)
महाराणा सांगा का जन्म 24 मार्च 1481 ईस्वी को चित्तौड़गढ़ मेवाड़ राजस्थान में हुआ था. महाराणा सांगा का जन्म कुछ विद्वानों ने 12 अप्रैल 1482 को हुआ बताया है. आपकी माता का नाम रतनकंवर (रतन बाई झाली) और पिता जी का नाम महाराणा रायमल था. अपने पिता रायमल की मृत्यु के पश्चात वह 1508-1509 में मेवाड़ के राज सिंहासन पर बैठा था. उस समय मेवाड़ आंतरिक और बाहरी आक्रमणों से जूझ रहा था. उसने बड़ी बुद्धिमानी का परिचय देते हुए सिरोही, बागड़, मारवाड़ के शासकों के साथ राजपूतों का एक संघ स्थापित किया. जो सूत्रों के आक्रमणों के समय मिलकर उनका मुकाबला कर सके, बाद में इधर रियासत को भी संघ में शामिल करके उसे एक बलशाली बना दिया था.
राणा सांगा अपने राज्य तत्व काल में सैकड़ों युद्ध लड़े और उनमें सफलता पाई. और मेवाड़ राज्य की सीमाओं में अपरिचित रूप से वर्दी की. सुना है युद्ध में उसको अपने शरीर में 80 गांव लगे थे. और उसकी एक आंख एक हाथ और एक पैर युद्ध में बेकार हो गए थे. फिर भी उसके युद्ध करने की क्षमता में कोई कमी नहीं आई थी.
Summary
नाम | महाराणा संग्राम सिंह |
उपनाम | महाराणा सांगा |
जन्म स्थान | चित्तौड़गढ़ राजस्थान |
जन्म तारीख | 12 अप्रैल 1482 |
वंश | सिसोदिया राजपूत |
माता का नाम | रतन बाई झाली |
पिता का नाम | महाराणा रायमल |
पत्नी का नाम | रानी कर्णावती |
पेशा | शासन |
बेटा और बेटी का नाम | उदय सिंह द्वितीय, भोजराज, रतन सिंह, राणा विक्रमादित्य |
गुरु/शिक्षक | महाराणा रायमल |
देश | भारत |
राज्य छेत्र | मेवाड़, राजस्थान |
धर्म | हिन्दू सनातन |
राष्ट्रीयता | भारत |
मृत्यु | 30-जनवरी-1528 |
पोस्ट श्रेणी | maharaana saanga kee jivani (राणा सांगा की जीवनी) |
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खानवा का युद्ध किस-किस के मध्य हुआ था?
राणा सांगा तब या हिंदू राज्य की स्थापना करना चाहता था. परंतु बाबर हिंदुस्तान में रहकर अपना साम्राज्य स्थापित करना चाहता था. दोनों शक्तियों के बीच संघर्ष अब अनिवार्य हो गया था. फलस्वरुप शनिवार 16 मार्च 1527 ईसवी को फतेहपुर सीकरी से 10 मील दक्षिण पश्चिम में खानवा नामक स्थान पर महाराणा सांगा की संगठित सेना और बाबर की सेना में भयंकर युद्ध हुआ. युद्ध भूमि में राणा सांगा हाथी पर सवार था. उसे दुर्भाग्य से आंख में तीर लगा और वह युद्ध भूमि से हटा दिया गया.
बाबर ने तोपों की मदद से राजपूतों की विशाल सेना पर विजय पाई, जबकि बाबर की सेना राजपूतों से अत्यधिक कम थी. भारतीयों को हाथी पर बैठकर युद्ध करना सदा ही दुर्भाग्यपूर्ण रहा है. हिंद का राजा दाहिर, आनंदपाल, हेमू रानी दुर्गावती, तथा शाहजहां का पुत्र दारा शिकोह हाथी पर युद्ध भूमि में बैठने से पराजित हुए थे. क्योंकि हाथी पर बैठे हुए आदमी को आसानी से तीर मारकर घायल किया जा सकता है ऐसे ही दुर्भाग्य का शिकार राणा सांगा को होना पड़ा. और राणा सांगा की पराजय से हिंदू राष्ट्र के सपन को धूल में मिला दिया. और भारत में मुगलों के साम्राज्य के स्थापित होने का मार्ग खुल गया पानीपत के युद्ध में भारत वर्ष को विदेशियों का गुलाम बना दिया था.
सुल्तान इब्राहिम लोदी और राणा सांगा की लड़ाई
दिल्ली सुल्तान इब्राहिम लोदी जो सर्वशक्तिमान था. राणा सांगा ने युद्ध में दो बार पराजित किया था. सम्राट महाराणा संग्राम सिंह (महाराणा सांगा) के समय मेवाड़ अपने चरमोत्कर्ष पर था. सम्राट महाराणा संग्राम सिंह (महाराणा सांगा) बड़ा पराक्रमी और युद्ध नीति में चतुर था. उस समय भारत वर्ष में उसके साथ सम्मान योद्धा दूसरा न कोई नहीं था. अनेक युद्ध में विजय प्राप्त करने के कारण देश-विदेश में उसकी कृति फैली हुई थी.
जब बाबर ने अपने सैन्य अभियान द्वारा भारत विजय की योजना बनाई. तब उसने महाराणा सांगा के पास अपना दूत भेजकर उसे सैनिक सहायता मांगी और एक सैन्य संधि के लिए प्रयास किया. क्यों की बाबर एक विदेशी था. तथा भारतवर्ष की जानकारियों से पूर्ण रूप से अनजान था. भारतवर्ष में उस समय महाराणा सांगा से अधिक वीर और योग्य राजा कोई दूसरा नहीं था. इसलिए बाबर ने उसे ही संपर्क स्थापित किया था. किंतु बाबर ने जब हिंदुस्तान आकर पानीपत का प्रथम युद्ध 1526 इसी में लड़ा गया था. जीत लिया और इब्राहिम लोदी को हरा दिया और वह मारा गया. तब परिस्थितियां एकदम बदल गई राणा सांगा का अनुमान था कि बाबर लूटमार करके वापस देश लौट जाएगा.
राणा सांगा और भाइयों में संघर्ष
महाराणा कुंभा के पौत्र तथा महाराणा रायमल के पुत्रो के मध्य मेवाड़ की गद्दी के लिए संघर्ष हुआ. अपने भाई पृथ्वीराज के साथ झगड़े में सांगा की एक आंख फूट गई थी. भीम गांव की चारण जाति की पुजारी ने संग्राम सिंह (सांगा) के शासक बनने की भविष्यवाणी की थी. सेवंत्री गांव में राठौड़ बिंदा ने संग्राम सिंह को शरण दी महाराणा सांगा का राज्याभिषेक 14 मई 1509 को हुआ 27 वर्ष की आयु में हुआ माना जाता है. राणा संग्राम सिंह के नाम से प्रसिद्ध हुए राणा सांगा ने जब मेवाड़ का राज्य सम्भाला तब. दिल्ली में लोदी वंस के राजा सिकंदर लोदी, गुजरात में मोहम्मद बेगड़ा और मालवा में नासिर खिलजी का शासन था. गुजरात और मेवाड़ में संगर्ष का तत्कालीन कारण ईडर गुजरात में साबरकांठा जिले का एक नगर का शासक था.
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FAQs
Ans- खानवा, भरतपुर राजस्थान.