History and Tourist Places of Himachal Pradesh | हिमाचल

By | September 16, 2023
हिमाचल प्रदेश
History and Tourist Places of Himachal Pradesh

हम यहाँ हिमाचल प्रदेश का इतिहास और पर्यटन स्थल (History and Tourist Places of Himachal Pradesh) की वो रोचक जानकरी शेयर करने जा रहे है. जिसके बारे में आप अब तक अनजान थे. तो दोस्तों चलते है, और जानते है देव भूमि हिमाचल प्रदेश की अद्भुत जानकारी.

देव भूमि हिमाचल प्रदेश राज्य के नाम से यह अनुमान लगाया जा सकता है. कि यह हिमालय की गोद में बसा है. यह राज्य पहले कई छोटी-छोटी रियासतों में बंटा हुआ था. आजादी के बाद संगठित कर इसे एक राज्य बनाया गया. इस राज्य का विस्तार 55670 वर्ग किमी के भूभाग पर है. और आबादी तकरीबन एक करोड़ के करीब है. देव भूमि हिमाचल प्रदेश की सीमा जम्मू कश्मीर,चीन के स्वशासी तिबत, उत्तर प्रदेश, हरियाणा,पंजाब राज्य से लगती है. इस राज्य का आकर्षण ऊंचे पर्वत, बर्फ से ढके पहाड़, गहरी खाईया, ढलानों, पहाड़ी नदियों, विशाल झीलों और पहाड़ी नदियों की वजह से विचित्र है. पहाड़ों की ढलानों पर बने सीढ़ी नूमा हरे भरे खेतों से इसको और विचित्र बनाता है. इस राज्य की राजधानी शिमला 2064 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है.

Summary

राज्य का नामहिमाचल प्रदेश
राज्य का उपनामदेव भूमि
राजधानीशिमला
स्थापना25 January 1971
जम्मू कश्मीर राज्य में में कितने जिले है12 जिले
प्रसिद्ध शहरशिमला/मनाली/कुल्लू/बिलासपुर/कांगड़ा/
राज्य की जनसंख्या80 लाख (लगभग)
क्षेत्रफल55670 वर्ग किमी
प्रमुख भाषाहिंदी/संस्कृत
साक्षरता74% (लगभग)
लिगं अनुपात1000/930 (लगभग)
सरकारी वेबसाइटwww.himachal.nic.in
History and Tourist Places of Himachal Pradesh
History and Tourist Places of Himachal Pradesh

हिमाचल प्रदेश का इतिहास

इस राज्य के इतिहास में एकरूपता नहीं मिलती है. इसका इतिहास जटिल अस्थिर और खंडित रहा है. ऐसा माना जाता है कि वैदिक युग लगभग 1500 से 1200 ईसवी पूर्व के दौरान अनेक कार्य समूह अधिक उपजाऊ घाटी क्षेत्र में आ गए. और आर्य पूर्व जनता में घुल मिल गए. तथा उनकी संस्कृति को आत्मसात कर लिया। कालांतर में भारतीय-गांगेय मैदान में उभरे पर्वतीय सभी भारतीय साम्राज्य जैसे मौर्य,गुप्त और मुग़ल साम्रज्य का कम ध्यान इस छेत्र पर तथा भारत व हिमालय पार तिब्बत तक फैले व्यापार और तीर्थमार्गो पर रहा है.

बोद्धो की बहुलता वाला छेत्र लाहौल स्पीति पर सन 1840 के बाद कुछ सालों तक सिख शासन के अधीन आने तक लद्दाख के नियंत्रण में था. इस अवधि में अर्ध स्वायत्त शासन भी आज के माचल प्रदेश के नाम से परिचित कुछ अन्य क्षेत्रों के व्यापार मार्गों के साथ-साथ उपजाऊ कृषि एवं ग्रामीण भूमि पर नियंत्रण बनाए हुए थे. 1840 के दशक में अंग्रेजों ने सिखों को क्षेत्र पर अपना अधिकार जमा लिया जो देश की आजादी तक रहा था.

History and Tourist Places of Himachal Pradesh.

भारत की आजादी के बाद 15 अप्रैल सन 1948 में 30 रियासतों को मिलाकर एक प्रशासनिक इकाई के रूप में हिमाचल प्रदेश का गठन किया गया. जिसका शासन भारत सरकार के प्रतिनिधि के रूप में मुख्य आयुक्त को सौंपा गया. हालांकि इसके पहले सामंती शासन को समाप्त करने के लिए एक आंदोलन हुआ. और रियासतों में से एक सुकेत ने शांतिपूर्ण आंदोलन के सामने समर्पण कर. परिवर्तन की प्रक्रिया को और तेज कर दिया. 1848 से लेकर सन 1971 तक इस राज्य में प्रशासनिक प्रणाली और इसके स्वरूप की दृष्टि से काफी परिवतर्न हुआ.

शुरू में यह एक उपराज्यपाल द्वारा शासित केंद्र शासित प्रदेश था. परंतु संपूर्ण कांगड़ा जिला, होशियारपुर जिले की ऊना तहसील, शिमला जिला, डलहौजी ओर कसौली के हिमाचल प्रदेश में विलीनीकरण के बाद इसे 25 जनवरी संपूर्ण राज्य का दर्जा मिल गया. इसी दौरान अंबाला जिले की नालागढ़ तहसील को हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में स्थानांतरित कर दी गई थी.

हिमाचल प्रदेश में कितने जिले है और उनके नाम

  • शिमला
  • सिरमौर
  • बिलासपुर
  • चंबा
  • हमीरपुर
  • कुल्लू
  • मंडी
  • सोलन
  • ऊना
  • कांगड़ा
  • किन्नौर
  • लाहौल स्पीति

देव भूमि हिमाचल प्रदेश की भू-आकृति और जलवायु

पहाड़ी राज्य होने के कारण यहां भौगोलिक भिन्नता भी काफी है. विशाल नदी घाटियां, खाईया, तीव्र प्रतापी नदियां, झरने तथा बर्फ से ढके ऊंचे पहाड़ प्राकृतिक दृष्टि का निर्माण करते हैं. पछिम और दक्षिण-पूर्व पहाड़ियो के अनुरूप चार समांतर भौगोलिक क्षेत्रों की पहचान की गई है. पंजाब और हरियाणा से सटे मैदान है. जो दो शिवालिक पहाड़ी शृंखला से बने बाहरी हिमालय को एक लंबी सकरी घाटी द्वारा अलग करते हैं. इस क्षेत्र के दक्षिणी भू-भाग में तकरीबन 488 मीटर ऊंची पहाड़ मिलते हैं. और अंतर में स्थित पहाड़ लगभग 900 मीटर से 1500 मीटर ऊंचे हैं.

बाह्य हिमालय उत्तर के निचले हिमालय का विस्तार है, जो लगभग 4700 मीटर की ऊंचाई पर है. इस सत्र में ऊंचे बर्फ से ढके शानदार धौलाधार और पीर पंजाल पर्वत हिमालय पर्वत माला है. जिसकी अधिकतम ऊंचाई 6700 मीटर है. इस पर्वत श्रेणियों से अनेक ऊँची व सक्र्य हिमनदियाँ का प्रादुर्भाव हुआ है. राज्य की चार प्रमुख नदियों सतलुज, व्यास, रावी और चिनाब में से एक नदी ही तिब्बत से आती है. जबकि बाकी नदियों का उद्गम वृह्द हिमालय से होता है. जास्कर के बाद निर्जन और ठंडा हिमालय पार क्षेत्र है.

हिमाचल प्रदेश में वातावरण, मुर्दा के साथ-साथ वनस्पतियो में भी काफी विविधता पाई जाती है. बाह्य हिमालय क्षेत्र में ठंडी और खुसक सर्दियां और गर्मी में अत्यंत गर्म मौसम रहता है. दक्षिण पश्चिम मानसून की वर्षा सामान्य होती है. उत्तर की ऊंचाई बढ़ने के साथ-साथ वातावरण आद्र और ठंडा होता जाता है. और वृहद हिमालय में बर्फ के साथ कड़ाके की ठंड रहती है. और सर्दियों का मौसम अधिक समय तक रहता है.

देव भूमि हिमाचल प्रदेश का जनजीवन और संस्कृति

हिमाचल का जनजीवन भी विविधता पूर्ण है. यहां पर कई भाषा और जाति के लोग रहते हैं. इनमें गद्दी लाहौली, किंनर, गुज्जर और पगवाली शामिल है. सन 1947 के बाद बड़ी संख्या में पंजाबी अप्रवासी राज्य के बड़े शहरों और कस्बों में आकर बस गए. इस राज्य में हिंदू धर्म के लोगो का बोलबाला है. जो लगभग 95% है, जो प्रमुख धार्मिक और सामाजिक समूह है. हिमाचल के लाहौल स्पीति और किन्नौर जिले में बोद्धो का वर्चस्व है. राज्य में कुछ शिखो, मुसलमान और ईसाई भी है. हिमाचल कि मात्र भाषा राज्य की भाषा पश्चिमी पहाड़ी हिंदी है.

हर पुरानी रियासत की अपने नामवली है. लाहौल स्पीति और किन्नौर जिलों में चीनी, तिब्बती भाषा बोली जाती है. यह प्रदेश देश का सबसे कम शहरों वाला राज्य है. जिसकी शहरी आबादी लगभग 500000 लाख है. जो राज्य की कुल जनसंख्या का 10% है, कुल 55 नगरों वाले इस राज्य की राजधानी शिमला है. जहां 80000 से ज्यादा लोग रहते हैं.पूर्व रियासतों की राजधानियां अब जिला मुख्यालय और प्रमुख नगर बन गए है. जैसे बिलासपुर,नाहन, मंडी, चंबा और कुल्लू शामिल है. डलहौजी और कसौली कांगड़ा पालमपुर को भी राज्य के शहरों की श्रेणी में रखा गया है.

History and Tourist Places of Himachal Pradesh

इस राज्य के पहाड़ी इलाकों का जनजीवन काफी रोमांटिक है. यहां पर विभिन्न प्रकार के मेले आयोजित होते हैं. और पर्व मनाए जाते हैं, इन अवसरों पर गीतों और नृत्य के कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं. उत्कृष्ट शैली में बनी किन्नौर की साले, कुल्लू की विशिष्ट ऊनि टोपिया और चंबा के कशीदाकारी किए हुए रुमाल त्यौहार के रंगीन परिधानों को और भी विशिष्टता प्रदान करते हैं. हिमाचल प्रदेश अपनी कांगड़ा घाटी चित्रकला शैली के लिए भी काफी प्रसिद्ध है.

यहां की कुल्लू घाटी देव घाटी के नाम से भी जानी जाती है. इसके चीड़ और देवदार के जंगल फूलों से लदे हरे-भरे मैदान और फलों के बगीचे शरद ऋतु में होने वाले दशहरा महोत्सव के लिए आकर्षण वातावरण का निर्माण करते हैं. इस मौके पर मंदिरों के देवताओं को सजी हुई पालकियों में गाजे-बाजे के साथ और नाचते निकाला जाता है. सन् 1959 में ल्हासा पर चीन के कब्जे के परिणाम सवरूप दलाई लामा तिब्बत से पलायन कर धर्मशाला आ गए थे. और यहाँ रहने लगे, इसके बाद खासकर तिब्बतियों बोद्धो के लिए धर्मशाला पवित्र स्थल हो गया है. सन 2000 की शुरुआत में 14 साल के 17वें करमापा भी तिब्बत भागकर धर्मशाला आ गए और शरणार्थी के रूप में यहां रहने लगे है.

हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था कैसी है?

दोस्तों पहाड़ी राज्य देव भूमि हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था यदि बहुत ज्यादा सुदृढ़ नहीं है, तो बहुत खराब भी नहीं है. यहां की अधिकांश आबादी अपनी आजीविका के लिए कृषि, पशु चराई,ऋतु प्रवास, बागवानी और वनों पर निर्भर है. देव भूमि हिमाचल प्रदेश में औद्योगिक क्षेत्र भी काफी है. नाहन में कृषि उपकरण, तारपीन का तेल और रेजिन निर्माण। सोलन में टीवी सेट, बियर, शराब और बल्ब निर्माण उद्योग। राजबन में सीमेंट उद्योग. परवानू में फल उद्योग, शिमला के निकट विधुत उपकरण और बॉडी। बरोटीवाला में कागज और गते का निर्माण उद्योग शामिल है. राज्य में अपने प्रचुर जल विधुत खनिजों और वन संसाधनों के आधार पर अपना विकास शुरू किया है.

वैसे तो हिमाचल राज्य सड़कों व पर्यटन की दृष्टि से काफी अच्छा है. फिर भी यहाँ का विकास कार्य जोरों पर चल रहा है. भारत में उत्पादित संपूर्ण पवन बिजली का लगभग 20% भाग अकेले हिमाचल राज्य में उत्पन्न होता है. वर्तमान समय में कार्यरत प्रमुख जल विद्युत केंद्रों में उबल नदी पर जोगिंदर नगर जल विद्युत गृह, सतलुज नदी पर ऊँचा और विशाल भाखड़ा बांध। व्यास नदी पर बना पोंग बांध और गिरी नदी पर बना गिरी बांध आते हैं.

देव भूमि हिमाचल प्रदेश में केंद्र सरकार के साथ मिलकर शिमला जिले में नाथपा- झाकड़ी जैसे नई जल विद्युत परियोजनाएं शुरू की है. हिमाचल के संकटग्रस्त राष्ट्र की तंत्र को बचाने और बाह्य हिमालय क्षेत्र में भूछरण की गंभीर समस्या से निबटने के लिए राज्य ने बड़े पैमाने पर वनीकरण कार्यक्रम शुरू किया है. और मौजूदा पर्यावरण कानूनों को सख्ती से लागू करना भी शुरू कर दिया है.

हिमाचल प्रदेश में परिवहन के साधन

सड़कों के जाल के अलावा हिमाचल प्रदेश में कालका से शिमला और पठानकोट से जोगिंदर नगर तक दो छोटी रेलवे लाइन में भी हैं. सड़के विभिन्न पर्वतों और घाटियों से होकर गुजरती हैं. और यह राज्य की जीवन रेखाएं हैं. हिमाचल राज्य की सीमा में 140 से अधिक स्थलों के लिए सरकारी बस सेवा उपलब्ध है. हिमाचल प्रदेश में सड़क मार्ग की कुल लंबाई 25000 किमी के आसपास है. रेल मार्ग की कुल लंबाई हिमाचल में 267 किलोमीटर है. या का प्रमुख हवाई अड्डा भंडार कुल्लू घाटी, शिमला और कांगड़ा है. जो देश के प्रमुख शहरों से जोड़ते है.

देव भूमि हिमाचल के प्रमुख पर्यटन स्थल कौन-कौन से है?

हिमाचल प्रदेश में पर्यटन क्षेत्र अत्यधिक है. राजधानी शिमला की पहाड़ियां कुल्लू घाटी, मनाली शहर, डलहौजी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है. राफ्टिंग, स्काई रायडिंग, यहां गोल्फ मछली पकड़ना और पर्वतरोहण जैसी गतिविधियां होती हैं. इन सबके लिए हिमाचल प्रदेश एक आदर्श स्थान है. कुछ पौराणिक स्थलों पर पूजा अर्चना के लिए हिमाचल और उसके पड़ोसी राज्यों के श्रद्धालु बड़ी संख्या में यहां हर साल इकठा होते हैं. हिमाचल प्रदेश के प्रमुख पर्यटक स्थल निम्नलिखित है.

History and Tourist Places of Himachal Pradesh

  • मणिकरण- इसे गर्म स्त्रोत सिख गुरुद्वारा, शिव मंदिर आदि के लिए जाना जाता है.
  • पोंटा साहिब- इसे सिख तीर्थ स्थल, और दुर्ग के लिए जाना जाता है.
  • रिवालसर झील- इसे पवित्र हिंदू और सिख, बौद्ध झील के लिए जाना जाता है.
  • नूरपुर- इसे दुर्ग, हथकरधा आदि के लिए जाना जाता है.
  • माशोब्रा- इसकी प्रसिद्धि का कारण ट्रेकिंग, आकर्सण पर्यटन स्थल है.
  • सोलन – इसे पहाड़ी स्थल के रूप में जाना जाता है.
  • वता-पानी- इसे पहाड़ी स्थल के रूप में जाना जाता है.
  • नैना देवी- इसे हिंदू तीर्थ स्थल के रूप में जाना जाता है.
  • तिरलोकिनाथ- इसे बौद्ध तीर्थ स्थल के रूप में जाना जाता है.
  • नरकण्डा- हिमालय की चोटियों के सुंदर दृश्य के लिए प्रसिद्ध है.
  • केलांग- यह बौद्ध मठ लाहौल और स्पीति घाटीयो के अंतिम कस्बे के लिए प्रसिद्ध है.
  • पालमपुर- इसे पहाड़ी स्थल, खेती के लिए जाना जाता है.
  • मनाली- पहाड़ी मनरोंजन स्थल, मंदिर, हिमालय पर्वतारोहण संस्थान, हिडिम्बा देवी मंदिर, ट्रैकिंग, माल रोड, फलो के बाग के लिए प्रसिद्ध है.
  • कांगड़ा- इसे दुर्ग, प्राचीन नगर, लघु चित्रकला के लिए जाना जाता है.
  • शिमला- यह एक पहाड़ी मंरोजक स्थल है, साल भर सैलानी आते है, यहाँ की माल रोड प्रसिद्ध है. घास के जंगल, हस्तकला के लिए भी शिमला प्रसिद्ध है.
  • नगर- यह सेरीच का घर (संघ्रालय का घर) के लिए जाना जाता है.
  • नल्डेरा- इसे गोल्फ के लिए जाना जाता है.
  • थ्योंग-मछली पकड़ने के लिए जाना जाता है.
  • नाहन- इसे पहाड़ी स्थल, मंदिर आदि के लिए जाना जाता है.
  • कुल्लू – फलो बाग, सुन्दर मार्केट, दशहरे का मेला, मंदिरो, हिमाचली टोपी, प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है.

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FAQs

Q- हिमाचल प्रदेश के घूमने लायक जगह कौन-कौन सी है.

Ans- हिमाचल में कुल्लू, मनाली, मणिकरण, सोलंग वेल्ली, रोहतांग पास, लाहौल स्पीति, शिमला, केलांग, नैना देवी, पोंटा साहिब, रिवालसर झील प्रमुख है.

भारत की संस्कृति

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