History and Tourist Places of Orissa || उड़ीसा का इतिहास

By | September 19, 2023
History and Tourist Places of Orissa
History and Tourist Places of Orissa

भारत के पूर्वी भाग में उड़ीसा राज्य स्थित है. उड़ीसा की स्थिति, पूर्वी में बंगाल की खाड़ी, पश्चिम में छत्तीसगढ़, दक्षिण में आंध्र प्रदेश और उत्तर में झारखंड राज्य है. उड़ीसा राज्य का क्षेत्रफल 155707 वर्ग किलोमीटर है. तथा यहां की जनसंख्या लगभग 5 करोड़ के आस पास है. यहां कुल जनसंख्या लगभग का घनत्व 270 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है. उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर है. सन 1947 ईस्वी में भारत के आजाद होने से पूर्व उड़ीसा की राजधानी कटक थी. वर्तमान में उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक जी है. हम यहाँ उड़ीसा का इतिहास और पर्यटन स्थल (History and Tourist Places of Orissa). अर्थव्यवस्था, जनजीवन और संस्कृति, वनस्पति एवं प्राणी जीवन, जलवायु, भूमि और जल प्रवाह, इतिहास की वो रोचक और अद्भुत जानकारी शेयर करने वाले है. जिसके बारे में आप अब से पहले अनजान थे. तो दोस्तों चलते है और जानते है, उड़ीसा की आश्चर्यजनक जानकारी.

उड़ीसा का इतिहास (History of Odisha)

प्राचीन और मध्यकाल में तत्कालिक उड़ीसा का नाम उत्कल, कलिंग और ओद्रा देश रह चुका है. ये नाम मूलतः यहाँ के निवासियों से जुड़े हुए थे. साहित्य में जनजातियों के रूप में ओक्कल या उत्कल, कलिंग तथा ओद्रा या ओद्दक का वर्णन मिलता है. कलिंग और ओद्रा को यूनान के लोग कलिंगाई तथा ओरिटीज के नाम से जानते थे. इन्हीं जनजातियों के नाम पर इस राज्य का नाम उड़ीसा रखा गया. ईसा पूर्व और बाद की कई शताब्दियों तक कलिंग एक अजय राजनीति शक्ति था. जिसकी सीमा गंगा गोदावरी तक फैली हुई थी.

11वीं से सोलवी शताब्दी के बीच ओद्रा नाम का इस्तेमाल कम हो गया. और धीरे-धीरे ओद्रा नाम से उड़िया और ओड़िया बन गया. ओडिसा की भाषा को ओड़िया या उड़िया कहा जाता है. उड़ीसा का इतिहास अति प्राचीन है. यह इतिहास घटनाक्रमों का राज्य है. प्राचीन समय में इस राज्य को कलिंग नाम से जाना जाता था. बौद्ध स्रोतों में बुध की मृत्यु के समय कलिंग में राजा ब्रह्मदत्त के शासन का उल्लेख मिलता है. चौथी शताब्दी से पूर्व में प्रथम भारतीय साम्राज्य के निर्माता महापद्मनंद ने कलिंग पर विजय प्राप्त की, लेकिन नंद वंश का शासन ज्यादा दिनों तक नहीं चला.

मौर्य सम्राट अशोक का कलिंग पर आक्रमण

260 ईसवी पूर्व में मौर्य सम्राट अशोक ने कलिंग पर आक्रमण कर दिया. और वहां प्राचीन भारतीय इतिहास के भीषण युद्ध में से एक युद्ध हुआ. जिसको कलिंक युद्ध के नाम से जाना जाता है. इसके बाद सम्राट अशोक युद्ध का परित्याग कर बौद्ध बन गए और भारत व विदेशों में शांति तथा अहिंसा के संदेश प्रसारित करने लगे. पहली शताब्दी पूर्व में कलिंग के शासक खारवेल ने विस्तृत भू-भाग को अपने साम्राज्य में मिला लिया. जिसे कलिंग साम्राज्य का नाम दिया गया.

पहली शताब्दी में कलिंग सामुद्रिक शक्ति का प्रमुख केंद्र रहा. और इसके विदेशी अभियानों के फल स्वरुप आठवीं शताब्दी में जावा में शैलेन्द्र साम्राज्य की स्थापना हुई. आठवीं, नौवीं और दसवीं शताब्दी में उड़ीसा पर शक्तिशाली भोमकारा वंश. और 10वीं और 11वीं शताब्दी में सोमवंश के शासकों द्वारा शासन किया गया. भारत के सबसे विशाल माने जाने वाले शिव मंदिर लिंगराज के मंदिर के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर का निर्माण सोमवंश के प्रसिद्ध शासक द्वारा कराया गया था.

मध्यकालीन उड़ीसा का इतिहास

मध्यकाल में उड़ीसा का स्वर्ण युग गंग वंश के शासन काल को कहा जाता है. इसके संस्थापक अनंत वर्मा चौड़-गंगदेव ने कटक को राजधानी बनाकर गंगा गोदावरी तक के भूभाग पर शासन किया. उन्होंने पुरी में जगन्नाथ मंदिर के निर्माण का काम शुरू करवाया. नरसिंह प्रथम (सन 1238 सन 1264) ने कोर्णाक सूर्य मंदिर का निर्माण किया, जो हिंदू स्थापत्य कला के बेहतरीन नमूनों में से एक हैं. 13वीं और 14वीं शताब्दी में जब अधिकांश भारत पर मुसलमानों का आक्रमण हो रहा था. स्वतंत्र उड़ीसा हिंदू धर्म दर्शन कला और वास्तुकला का गढ़ बना रहा था.

गंग वंश के पतन के पश्चात इस राज्य पर सूर्य वंश के शासकों का शासन रहा (सन 1435 से 1466) ने इस वंश के प्रथम शासक कपिलेंद्र ने अपने मुसलमान पड़ोसियों के प्रदेशों को जीतकर उड़ीसा राज्य का काफी विस्तार किया. उनके उत्तराधिकार पुरुषोत्तम ने कठिनाइयों का सामना करते हुए इन्हें बचाये रखा. इसके बाद सत्तारूढ़ हुए सूर्य वंश के अंतिम राजा प्रतापरूद्र महान मध्यकालीन संत प्रभु चैतन्य के शिष्य बन गए और शांतिवादी हो गए. सन 1540 में उनकी मृत्यु के बाद उड़ीसा की सत्ता का पतन हो गया. सन 1568 में जब राजा मुकुंद को उनकी ही प्रजा ने मार डाला. उड़ीसा पर पड़ोसी राज्य बंगाल के अफगान शासकों का अधिकार हो गया.

आधुनिक उड़ीसा का इतिहास

उड़ीसा में मुगल वंशी सम्राट अकबर ने अफगान शासकों को हराकर सन 1590 सन 1592 के दौरान उड़ीसा पर अपनी सत्ता स्थापित की. 1761 में मुगल साम्राज्य के पतन के बाद उड़ीसा का कुछ हिस्सा बंगाल के नवाबों के पास रहा. लेकिन अधिकांश हिस्से पर मराठों के पास चले गए. प्लासी के युद्ध के बाद 1757 में इसके बंगाल क्षेत्र पर अंग्रेजों का शासन हो गया. मराठा क्षेत्र को सन 1803 में अंग्रेजों ने जीत लिया था.

हालांकि सन 1803 के बाद समूचे उड़िया भाषा क्षेत्र पर अंग्रेजों का नियंत्रण हो गया. लेकिन इस पर दो इकाइयों के रूप में शासन किया जाता रहा था. 1 अप्रैल सन 1936 को अंग्रेजों ने भाषाई आधार पर एकीकरण की मांग को मानते हुए एक अलग राज्य के रूप में उड़ीसा का गठन किया। लेकिन उड़ीसा की 26 रियासते राज्य प्रशासन से अलग ही रही. संग 1947 में भारत के स्वतंत्र होने के बाद सरायकेला, खरसावां जो बिहार में शामिल हो गए. और अन्य रियासतें उड़ीसा का जिला बन गया थे.

उड़ीसा में कितने जिले है और उनके क्या नाम है?

  1. ढेंकनाल जिला
  2. गजपति जिला
  3. गंजम जिला
  4. बालासोर जिला
  5. बरगढ़ जिला
  6. मयूरभंज जिला
  7. नबरंगपुर जिला
  8. कालाहांडी जिला
  9. बौद्ध जिला
  10. भद्रक जिला
  11. कटक जिला
  12. अंगुल जिला
  13. बलांगीर जिला
  14. देवगढ़ जिला
  15. जगतसिंहपुर जिला
  16. जाजपुर जिला
  17. झारसुगुडा जिला
  18. खोरधा जिला
  19. कोरापुट जिला
  20. नयागढ़ जिला
  21. नुआपाड़ा जिला
  22. कंधमाल जिला
  23. केंद्रपाड़ा जिला
  24. पुरी जिला
  25. मलकानगिरी जिला
  26. केंदुझार (क्योंझर) जिला
  27. रायगडा जिला
  28. संबलपुर जिला
  29. सुबर्णपुर (सोनेपुर) जिला
  30. सुंदरगढ़ जिला
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भूमि और जल प्रवाह

भूवैज्ञानिक संरचनाओ में कालक्रम और विशेषताओं दोनों के आधार पर बहुत ही अधिक विभिन्नताये देखने को मिलती है. भारतीय प्रायद्वीप जो प्राचीन महाद्वीप गोंडवानालैंड का एक ही खंड के स्थाई भूभाग के पार तक विस्तृत है. यहां पृथ्वी के भूपटल पर प्राचीनतम चट्टाने पाई जाती है. जबकि समुद्र तट के साथ डेल्टा के जलोढ़ और तटवर्ती जमाव हवा द्वारा निक्षेपित रेत कटक में मिलते हैं.

भौगोलिक संरचना के दृष्टिकोण से उड़ीसा को चार प्रमुख में विभाजित किया जा सकता है. 1 उत्तरी पठार, 2 पूर्वी घाट, 3 मध्य भूभाग और 4 तटीय मैदान उतरी पठार राज्य के उत्तरी भाग. दक्षिण झारखंड में केंद्रित वनों से आच्छादित, हल्की मिट्टी और खनिज से समृद्ध छोटानागपुर पठार का विस्तार है. पूर्वी घाट, जो मोटे तौर पर समुद्र तट के समानांतर फैला है.

पूर्वी प्रायद्वीपीय भारत में पहाड़ियों की प्राचीन श्रेणी का अवशेष है. 1100 सौ मीटर की ऊंचाई तक उठे पूर्वी घाट वनों ढके हुए हैं. और विविध प्रकार के प्राणियों का यहां निवास है. तथा कई जनजातीय समूह भी रहते हैं. मध्य भूभाग पठार वे द्रोहणीयो की श्रंखला से बना है. और पश्चिमी अंतर स्थली क्षेत्र व पूर्वी घाट के उत्तर में स्थित है. पठारी क्षेत्रों के प्राकृतिक संसाधन बहुत ही अल्प मात्रा में पाए जाते हैं. लेकिन कई कालाहांडी खासकर द्रोहियों, बालवीर, हीराकुंड, झारसुगुडा में स्थानीय कृषि के लिए मिट्टी व सिंचाई सुविधाएं मौजूद है.

उड़ीसा में बहने वाली प्रमुख नदिया और तालाब और झीले

तटीय मैदान बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियां बहा कर लाई गई जलोढ़ मिट्टी से क्षेत्र का निर्माण हुआ है. स्थानीय तौर पर इस क्षेत्र को पूर्वोत्तर में बालेश्वर तटीय मैदान मध्य में महा नदी के डेल्टा और दक्षिण पश्चिम में चिलका का मैदान के नाम से जाना जाता है. तटीय मैदानों में घनी आबादी है विस्तृत सिंचाई होती है. और वर्षा ऋतु के दौरान यहां समूचे क्षेत्र में चावल उगाया जाता है.

उड़ीसा में बहने वाली प्रमुख नदियां सुवणरेखा, बूढ़ाबलंग, बेतरणी, ब्रह्माणी महानदी, ऋषिकुल्या और वंशधारा है. तथा प्रमुख पर्वत श्रेणियां है महेंद्र पर्वत, मलय पर्वत 1187 मीटर और मैगसिनी 1165 मीटर पानी की सबसे बड़ी झील है.

जलवायु

History and Tourist Places of Orissa-ग्लोब पर उड़ीसा उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में स्थित है. इसलिए यहां की जलवायु आद्र शुष्क है. कटक में औसत तापमान लगभग 30 डिग्री के आस पास रहता है. जनवरी सबसे सर्दी महीना है, जिस में औसत तापमान 10-15 डिग्री से रहता है. लेकिन मई जो सबसे गर्म महीना है. मई में औसत तापमान 33 डिग्री से ऊपर ही रहता है. ऊचाई पर स्थित पहाड़ियां ग्रीष्म ऋतु की गर्मी से राहत देती है. जो मध्य भूभाग के बेसिन में खास तौर पर असाध्य हो जाती है. वर्षा दक्षिण पश्चिम मानसून के महीनों में होती है. राज्य में औसत वार्षिक वर्षा लगभग 1800 मिलीमीटर है. जो पूर्वी घाट में और भी अधिक होती है प्रमुख चिल्का झील के तटीय इलाके सबसे अधिक शुल्क है जहां औसत वर्षा 939 मिली मीटर है.

वनस्पति एवं प्राणी जीवन

वन संपदा के दृष्टिकोण से उड़ीसा काफी घनी राज्य है. यहां के लगभग 40% भूभाग पर विभिन्न प्रकार के वनस्पति पाए जाते हैं. इन्हें भी दो वर्गों में बांटा जा सकता है. उष्णकटिबंधीय आंध्र पर्णपाती वन और उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन. पहले प्रकार के वन पहाड़ियों, पठारों व राज्य के पूर्वोत्तर भाग के विलग क्षेत्रों में पाए जाते हैं. जबकि दूसरे प्रकार के वन दक्षिण पश्चिम में पाए जाते हैं. दोनों प्रकार के वनों में बांस, सागौन, शीशम आदि के पेड़ पाए जाते हैं. पूर्वोत्तर के घने वन दक्षिण पश्चिम की ओर कम होते जाते हैं. राज्य में 6 वन्य जीव अभ्यारण है. जो बाघ, जंगली भैंस, हीरन, बंदर, पक्षियों को सुरक्षा प्रदान करता है.

यहां का प्राणी जीवन भी भारत के दूसरे राज्य के समान ही पाया जाता है. बंदर आम है, मांसाहारी प्राणियों में विभिन्न प्रकार के बाघ शामिल हैं. हाथी जंगली भैंस, कृष्णमृग और चार सिंह वाले हिरण इस क्षेत्रों में पाए जाते हैं. और मोर एवं बंदर उड़ीसा के वनों की विशेषता है. चिल्का झील बंगाल की खाड़ी की बहुत सी मछलियों का प्रजनन स्थल है. यह झील उड़ीसा का प्रमुख पर्यटन स्थल है.

जन जीवन और संस्कृति

उड़ीसा में जनजातीय वह गैर-जनजाति बहुल राज्य हैं. जनजातीय लोगों को तीन भाषाई समूह में बांटा जा सकता है. मुंडा बोलने वाले (संथाल, सवरा, और जुआंग) द्रविड़ भाषा बोलने वाले (खोंड,गोंड और उरांव) और उड़िया बोलने वाले (भुइयां). अधिकांश जनजातीय लोग पहाड़ी क्षेत्रों में रहते हैं. लेकिन वह मैदानों में भी पाए जाते हैं. गैर जनजातीय लोगों में मुख्यतः उड़िया बोलने वाले हिंदू हैं. यहां की जनजातियां लंबे समय से हिंदू करण की प्रक्रिया से गुजर रही है. जनजातीय सरदारों ने क्षत्रिय होने का दावा किया है. जबकि कई खोण्डो ने जो सबसे बड़ी जनजाति है. अपनी कुई भाषा का त्याग दी है. और वे राज्य की राजकीय भाषा उड़िया ही बोलते हैं.

अधिकांश जनजातिया दो भाषा बोलने वाले है. और कुछ को तो हिंदुओं से अलग कर पाना मुश्किल है. कुछ विशेष जनजातीय जातियां अपने क्षेत्रीय भाषा को छोड़ चुके हैं. उड़िया भाषा की लिपि देवनागरी है. जबकि जबकि उड़ीसा के विभिन्न भागों में इस भाषा के बोलने में विविधता के दर्शन होते हैं. कटक के तटीय जिलों व पूरी में सबसे शुद्ध उड़िया बोली जाती है. यहां की लगभग 85% जनसंख्या प्रमुख भाषा के रूप में उड़िया का प्रयोग करती है. यह अनुपात महा नदी के डेल्टा में सबसे अधिक है. जबकि पहाड़ियों व पूर्वोत्तर की तटीय निम्न भूमि में कम है. जहाँ अधिकार बांगला भाषा बोली जाती है.

उड़ीसा के धर्म

दोस्तों उड़ीसा के कुल जनसंख्या का 95% लोग वैदिक हिंदू धर्मावलंबी है. राज्य में मुस्लिम सबसे बड़ा धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय है. सिवाय सुंदरगढ़, गंजाम, कोरापुट और फलवाणी के जहां इसाई अधिक है. राज्य के 30 जिलों में से सभी में किसी एक अल्पसंख्यक धर्म को मानने वाले लोगों की संख्या का अनुपात बहुत कम है. यहां की जाति रचना पूर्व भारत के अन्य राज्यों जैसी है. ब्रह्माणु के बाद, करण लेखक वर्ग आते हैं. जो क्षत्रिय होने का दावा करते है. तलवार के बजाय कलम को अपना अस्त्र मानते हैं. खंडायत शाब्दिक अर्थ तलवार बाज होता है, अपने आपको क्षत्रिय होने का दावा हैं.

खंडायत अधिकतर कृषक हैं. लेकिन स्वयं को खंडित क्षेत्रीय मानते हैं. सभी जनजातियां अपनी धार्मिक श्रद्धा के केंद्र के रूप में भगवान जगन्नाथ की पूजा करते हैं. पूरी जिसे भगवान जगन्नाथ का धाम माना जाता है. भारत का एकमात्र ऐसा स्थान है. जहां सदियों से तथाकथित एस्प्रेसो समेत सभी जातियों के लोग एक साथ भोजन करते हैं. जो राष्ट्रीय एकता अखंडता का अटूट प्रतीक है.

उड़ीसा के गांव और नगर एवं कला सांस्कर्ति कैसी है?

उड़ीसा की ज्यादातर जनसंख्या गांव में निवास करती है. कटक, राउरकेला, भुवनेश्वर, संबलपुर और बेरहामपुर यहां के प्रमुख नगर हैं. उड़ीसा में विद्यमान इतिहास एक मंदिर सराय किला आदि इसके वास्तुशिल्प के सर्वश्रेष्ठ उदाहरण का परिचय चित्र है. इसलिए इसे भारतीय कला का अचूक साक्ष्य कहा जाता है. भित्ति चित्रों पत्थर व लकड़ी पर नक्काशी देव चित्र जिसे पट्टे चित्रकला के नाम से भी जाना जाता है. यहां निवासियों ने तार पत्रों पर चित्रकारी के माध्यम से कलात्मक परंपराएं आज भी बनाए रखा है. हस्तशिल्प कलाकार शांति में बेहद नहीं जाली की कटाई की आकृति शिल्प कला के लिए विख्यात है.

यहां के जनजातीय लोकनृत्य रंग-बिरंगे होते हैं. मादल व बांसुरी का संगीत गांव में लोकप्रिय है. उड़ीसा का शास्त्रीय नृत्य ओडिसी 700 वर्षों से भी अधिक समय से अस्तित्व में है. मूलतः ईश्वर के लिए किया जाने वाला मंदिर नृत्य था. नृत्य के प्रकार, गति, मुद्राएं और भाव-भंगिमा बड़े मंदिरों की दीवारों पर विशेषकर कोणार्क के शिल्प में उभरी हुई नक्काशी के रूप में अंकित है. इस नृत्य के आधुनिक प्रवर्तकों ने इसे राज्य के बहार भी लोकप्रिय बनाया है.

मयूरभंज और राउरकेला का छऊ नृत्य मुखड़े पहने कलाकारों द्वारा किया जाने वाला नृत्य ओडिशा की संस्कृति की एक अन्य धरोहर है. सन 1952 में कटक में कला विकास केंद्र की स्थापना की गई थी. जिसमें नृत्य व संगीत के प्रोत्साहन के लिए एक 6 वर्षीय अवधि का शिक्षण पाठयकर्म है. नेशनल म्यूजिक एसोसिएशन (राष्ट्रीय संगीत समिति) भी इस उद्देश्य के लिए है. उड़ीसा के कटक में विभिन्न सांस्कृतिक केंद्र-उत्कल संगीत समाज, उत्कल स्मृति कलामंडप और मुक्ति कला मंदिर है.

कौन-कौन से त्यौहार और मेले उड़ीसा के प्रसिद्ध है?

उड़ीसा को वैदिक पारंपरिक पर्वो, वह त्योहारों का गढ़ कहा जाता है. इसका एक अनोखा त्यौहार हिंदू पंचांग के अनुसार नियत तिथि को अक्टूबर तथा नवंबर माह में मनाया जाता है. जिससे बोइता बंदना के नाम से जाना जाता है. पूर्णिमा से पहले लगातार पांच दिनों तक लोग नदी किनारे समुद्र तट पर इकठा होते है. और छोटे-छोटे नौका रूप तैराते है. जो इसका प्रतीक है, की वे भी अपने वंशजो की तरह सुदूर स्थानो की यात्रा करेंगे.

मित्रों उड़ीसा में ही पूरी नामक स्थान पर भारत का प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर है. यहां होने वाली वार्षिक रथयात्रा करोड़ों श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है. यहां से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर भगवान सूर्य के रथ के आकार में बना कोर्णाक मंदिर है. यह मंदिर मध्यकालीन उड़िया वास्तुकला के उत्कृष्ट उदाहरणों में से एक है, और प्रमुख दर्शनीय केंद्र हैं.

उड़ीसा की अर्थव्यवस्था कैसी है?

उड़ीसा एक कृषि प्रधान राज्य है. यहाँ की लगभग 80% आबादी कृषि कार्य में सलंग्न है. हालांकि यहां की अधिकांश भूमि अनुवर या एक से अधिक वार्षिक फसल के लिए अनुपयुक्त है. उड़ीसा में लगभग 4000000 खेत हैं, जिनका औसत आकार 1 पॉइंट 5 हेक्टेयर है. लेकिन प्रति व्यक्ति कृषि जीरो पॉइंट 2 हेक्टेयर से भी कम है. राज्य के कुल क्षेत्रफल का लगभग 45% भाग में खेत कहते है. इसके 80% भाग में चावल उगाया जाता है. अन्य महत्वपूर्ण फसल में तिलहन, दलहन, जुट, गन्ना और नारियल है.

सूर्य के प्रकाश की उपलब्धता में कमी, मध्यम गुणवत्ता वाली मिट्टी, उर्वरकों का न्यूनतम उपयोग और मानसूनी वर्षा के समय व मात्रा में विविधता होने के कारण यहां पैदावार काफी कम होती है. जिससे यहां के अधिकतर जनता निर्धन है. कृषि क्षेत्र में पूरे वर्ष रोजगार उपलब्ध ना होने की स्थिति में क्योंकि बहुत से ग्रामीण लगातार साल भर रोजगार नहीं प्राप्त कर पाते है. इसलिए कृषि कार्य में लगे बहुत से परिवार गैर कार्यों में भी सलंग्न है. जनसंख्या वृद्धि के कारण प्रति व्यक्ति कृषि भूमि की उपलब्धता कम होती जा रही है. भू अधिग्रहण पर सीमा लगाने के प्रयास अधिकांशतः सफल नहीं रहे. हालांकि राज्य द्वारा अधिकृत कुछ भूमि स्वैच्छिक तौर पर भूतपूर्व काश्तकारों को दे दी गई है.

उड़ीसा के खनिज संसाधन कौन-कौन से है?

क्रोमाइट मैगनीज और डोलोमाइट के उत्पादन में उड़ीसा का स्थान भारत के सभी राज्यों में अग्रणी है. यह उच्च गुणवत्ता के लोहे के उत्पादन में भी अग्रणी है. इनका नाल के भीतरी जिले में स्थित महत्वपूर्ण तालचर की खानों से प्राप्त कोयला राज्य के प्रगलन व उर्वरक उत्पादन के लिए ऊर्जा उपलब्ध कराता है. स्टील, अलोह प्रगलन और उर्वरक उद्योग के भीतरी भागों में केंद्रित है. जबकि अधिकांश ढलाई घर, कार्यशालाए, कांच निर्माण और कागज की मिले कटक के आसपास महा नदी के डेल्टा के निकट स्थित है. विशाल महा नदी प्रणाली दोनों औद्योगिक क्षेत्रों को जोड़ती है. जिसका उपयोग उपमहाद्वीप की सर्वाधिक महत्वाकांक्षी बहुउद्देशीय परियोजना हीराकुंड बांध, मचकुंड जल विद्युत परियोजना द्वारा किया जा रहा है.

यह दोनों बहुत से अन्य छोटी इकाइयों के साथ समूचे निचले बेसिन को बाढ़ नियंत्रण और ऊर्जा उपलब्ध कराते हैं. खनिज पदार्थों के प्रचुरता के कारण उड़ीसा में उद्योग रंगों का उत्तरोत्तर विकास हुआ है. यहां खनिज आधारित बड़े बड़े उद्योग चलाए जा रहे हैं. जिनमें राउरकेला स्थित स्थापित इस्पात व उर्वरक संयंत्र, जोड़ा वह रायगढ़ मे लोहा मैगनीज संयंत्र, राजगंगपुर बेलपहाड़ में अपर्वतक उत्पादन कर कारखाने, चौद्वार में रेफ्रिजरेटर निर्माण संयंत्र और राजगंगपुर में एक सीमेंट कारखाना शामिल है. रायगढ़ चौद्वार में चीनी व कागज की तथा ब्रजराजनगर में कागज की बड़ी मिले हैं. अन्य उद्योगों में वस्त्र, काच,एलुमिनियम, धातुपिंड केबल और भारी मशीन उपकरण शामिल हैं.

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भारतीय स्वाधीनता के समय उड़ीसा में संचार व यातायात साधनों की कमी थी. लेकिन इसमें बहुत से रजवाड़ों के विलय और खनिज संसाधनों की खोज से अच्छी सड़कों के संजाल की आवश्यकता को अनुभव किया गया. अधिकांश प्रमुख नदियों पर पुल निर्माण जैसे बड़े विनिर्माण कार्यक्रम उड़ीसा सरकार द्वारा शुरू किए गए. हालांकि राज्य में रेल परिवहन अभी अपर्याप्त है. महा नदी के मुहाने पर पारादीप में सभी मौसमों के लिए उपयुक्त बंदरगाह का निर्माण किया गया. यह बंदरगाह राज्य के निर्यात, विशेषकर कोयले के निर्यात का केंद्र बन गया है.

परिवहन

उड़ीसा में परिवहन के लिए सड़क, रेल, वायु तथा जल मार्ग सभी का विकास हुआ है. राज्य में प्रांतीय राजमार्गों की लंबाई लगभग ६००० किलोमीटर के आस पास है. तो उड़ीसा में राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई 4500 किलोमीटर एवं एक्सप्रेस राजमार्गों की लंबाई 200 किलोमीटर के आस पास है. राज्य में रेल मार्ग की कुल लंबाई 385 किलोमीटर है. इसमें 22 से 48 किलोमीटर लंबी बड़ी रेल लाइन तथा 144 किलोमीटर छोटी लाइनें हैं. भुवनेश्वर में वायु पतन स्थित है, जहां से नई दिल्ली, कोलकाता, विशाखापट्टनम एवं हैदराबाद और अन्य महानगरों के लिए नियमित उड़ानें होती हैं. पारादीप तथा गोपालपुर में बंदरगाह है, जिनसे देश दुनिया से व्यापार होता है.

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History and Tourist Places of Orissa

भारत के राज्य और उनका इतिहास और पर्यटन स्थल

जम्मू कश्मीर का इतिहास और पर्यटन स्थलहिमाचल प्रदेश का इतिहास और पर्यटन स्थल
पंजाब का इतिहास और पर्यटन स्थलहरियाणा का इतिहास और पर्यटन स्थल
उत्तराखंड का इतिहास और पर्यटन स्थलपश्चिम बंगाल का इतिहास और पर्यटन स्थल
झारखंड का इतिहास और पर्यटन स्थलबिहार का इतिहास और पर्यटन स्थल
उत्तर प्रदेश का इतिहास और पर्यटन स्थलराजस्थान का इतिहास और पर्यटन स्थल
मध्य प्रदेश का इतिहास और पर्यटन स्थलछत्तीसगढ़ का इतिहास और पर्यटन स्थल
उड़ीसा का इतिहास और पर्यटन स्थलगुजरात का इतिहास और पर्यटन स्थल
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भारत के प्रमुख युद्ध

हल्दीघाटी का युद्धहल्दीघाटी का युद्ध 1576 ईचित्तौड़गढ़ किला
विश्व की प्राचीन सभ्यताएंझेलम का युद्धकलिंग युद्ध का इतिहास
1845 ई. में सिखों और अंग्रेजों का युद्धभारत चीन युद्ध 1962कश्मीर का इतिहास और युद्ध 1947-1948
सोमनाथ का युद्धतराइन का प्रथम युद्धतराइन का दूसरा युद्ध
पानीपत का प्रथम युद्धपानीपत की दूसरी लड़ाईपानीपत की तीसरी लड़ाई 1761 ई
खानवा की लड़ाई 1527नादिरशाह का युद्ध 1739 ईसवीप्लासी का युद्ध 1757 ई
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Youtube Videos Links

आदिगुरु शंकराचार्य की जीवनीhttps://youtu.be/ChQNNnW5BpI
महादानी राजा बलि की जीवनीhttps://youtu.be/Xar_Ij4n2Bs
राजा हरिश्चंद्र की जीवनीhttps://youtu.be/VUfkrLWVnRY
संत झूलेलाल की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=oFiudeSc7vw&t=4s
महर्षि वाल्मीकि की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=PRg2D0b7Ryg&t=206s
संत ज्ञानेश्वर जी की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=-zo8M3i3Yys&t=38s
गुरु गोबिंद सिंह की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=amNaYHZm_TU&t=11s
भक्त पीपा जी की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=5MEJPD1gIJw
गुरुभक्त एकलव्य की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=jP5bUP6c2kI&t=232s
कृष्णसखा सुदामा की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=Y2hAmKzRKt4&t=217s
मीराबाई की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=d6Qe3dGN27M&t=3s
गौतम बुद्ध की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=ookD7xnURfw&t=4s
गुरु नानक जी की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=mHui7KiZtRg&t=21s
श्री कृष्ण की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=9bSOn2TiAEg&t=1s
भगवान श्री राम की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=aEaSpTMazEU&t=52s
मलूकदास जी की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=ALYqc0ByQ8g
श्री जलाराम बापा की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=s2xbAViUlfI&t=6s
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FAQs

Q- उड़ीसा में कितने जिले है

Ans- वर्तमान समय उड़ीसा में 30 जिले है.

भारत की संस्कृति

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