दोस्तों भारत में प्रचलित हिंदू धर्म, मुस्लिम धर्म, ईसाई धर्म, सिख धर्म व जैन धर्म के साथ-साथ बौद्ध धर्म का भी विशेष महत्व रहा है. बौद्ध धर्म भारत, चीन, जापान, श्री लंका तथा विश्व के अन्य देशों में प्रचलित रहा है. तो दोस्तों जाति वर्ग से विहीन इस धर्म के संस्थापक गौतम बुध कहे जाते हैं. हम यहाँ बौद्ध धर्म के संस्थापक (Biography of gautam buddha) गौतम बुद्ध की जीवनी का संछेप में वर्णन कर रहे है. तो दोस्तों चलते है और जानते है गौतम बुद्ध के क्या सिद्धांत थे. और उनकी अद्भुत और रोचक जानकारी के लिए इस पेज को अंत तक पढ़े.
दोस्तों हम यहाँ गौतम बुद्ध की जीवनी के साथ प्रतियोगिता परीक्षाओ में पूछे जाने वाले सवालों के साथ जानकारी साझा कर रहे है. बौद्ध धर्म का भारतीय संस्कृति के प्रत्येक क्षेत्र में अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान रहा है. ब्राह्मण धर्म के स्थान पर आये इस आडंबररहित सरल धर्म ने दर्सन व कला के साथ आचरण को महत्व दिया. बौद्ध धर्म जाती पाती भेदभाव से रहित मध्यमार्गीय इस धर्म में साहित्य दर्शन व कला के क्षेत्र में काफी महत्वपूर्ण योगदान दिया. आठवीं शताब्दी तक आते-आते बौद्ध धर्म कई कारणों से सीमित हो गया. किंतु आज भी अपने सिद्धांतों और आदर्शों के कारण यह विषय के कई देशों में अपनी महत्ता को कायम किए हुए हैं. भगवान बुद्ध ने अपना उपदेश जनसाधारण की भाषा पाली में दिए हैं. बौद्ध धर्म साहित्य विनय पिटक, सूट पिटक, अधिगम पिटक के रूप में है.
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Biography of gautam buddha (गौतम बुद्ध की जीवनी)
गौतम बुध के बचपन का नाम सिद्धार्थ था. उनके पिता का नाम सुबोधन था. वह माता का नाम माया देवी था. शुद्धोधन शाक्य वंश के क्षत्रिय थे. कपिलवस्तु इसकी राजधानी थी जो कि वर्तमान में दुनिया के एक मात्र हिन्दू राष्ट्र नेपाल में स्थित है. इसी परिवार में गौतम बुध का जन्म लुंबिनी नामक मनोहर वन में ईश्वर पूर्वी 563 में हुआ था. जन्म के 7 दिन बाद ही माता का देहावसान होने के कारण बालक सिद्धार्थ का लालन-पालन उनकी मौसी प्रजापति ने किया. बाल्यावस्था से ही सिद्धार्थ अत्यंत कुशाग्र बुद्धि के थे.
उनकी प्रतिभा वे विलक्षण बुद्धि को देखकर ज्योतिषियों ने उनके राजा बनने या सन्यासी बनने की भविष्यवाणी की थी. सन्यासी हो जाने की आशंका से घबराकर शुद्धोधन ने सिद्धार्थ का विवाह 16 वर्ष की अवस्था में खोलिए वंश के राजा दंड पानी की रूपवती कन्या यशोधरा से कर दिया था. आपका वैवाहिक जीवन अत्यंत सुख में व्यतीत हो रहा था.
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Summary
नाम | सिद्धार्थ |
उपनाम | गौतम बुद्ध |
जन्म स्थान | लुंबिनी नामक मनोहर वन नेपाल (Nepal) |
जन्म तारीख | 563 ईस्वी |
वंश | शाक्य |
माता का नाम | माया देवी |
पिता का नाम | सुबोधन |
पत्नी का नाम | यशोधरा |
पेशा | मुनि |
बेटा और बेटी का नाम | राहुल |
गुरु/शिक्षक | गौतम बुद्ध खुद भगवान के अवतार थे |
देश | नेपाल |
राज्य छेत्र | नेपाल/बिहार/उत्तर प्रदेश/कपिलवस्तु |
धर्म | बोध |
राष्ट्रीयता | नेपाली |
मृत्यु | 483 ईस्वी |
पोस्ट श्रेणी | Biography of gautam buddha (गौतम बुद्ध की जीवनी) |
गौतम बुद्ध कौन थे?
गौतम बुद्ध का जन्म लुंबिनी नेपाल में 563 ईसा पूर्व इक्ष्वाकु वंशीय क्षत्रिय शाक्य वश के राजा शुद्धोधन के घर में हुआ था। सिद्धार्थ का 16 वर्ष की उम्र में दंडपाणि शाक्य की कन्या यशोधरा के साथ विवाह हुआ. आपकी माँ का नाम महामाया था जो कोलीय वंश से थीं. आपके जन्म के सात दिन बाद ही मायावी संसार से चल बसी थी. बालक सिद्धार्थ का पालन महारानी की छोटी सगी बहन महाप्रजापती गौतमी ने किया रिश्ते में सिद्धार्थ की मासी लगती थी.
मात्र 29 वर्ष की आयुु में सिद्धार्थ विवाहोपरांत एक मात्र प्रथम नवजात शिशु राहुल और धर्मपत्नी यशोधरा को त्यागकर संसार को जरा, मरण, दुखों से मुक्ति दिलाने के मार्ग एवं सत्य दिव्य ज्ञान की खोज में रात्रि में राजपाठ का मोह त्यागकर वन की ओर चले गए थे. वर्षों की कठोर ध्यान, साधना के पश्चात बोध गया (बिहार) में बोधि वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई. और वे सिद्धार्थ से गौतम बुद्ध से भगवान बुद्ध बन गए थे. बाद में आपकी पत्नी यशोधरा और बेटे राहुल गौतम बुद्ध के भिक्षु हो गए थे.
गौतम बुद्ध का सांसारिक घटना से जीवन परिवर्तन
सिद्धार्थ का मन वैवाहिक जीवन में नहीं लग रहा था. एक बार गौतम बुद्ध अपने मित्र छनक के साथ रथ पर सवार होकर वह ब्राह्मण के लिए कपिलवस्तु से थोड़ी दूर पहुंचे थे. कि उन्हें जर्जर काया वाला कमर झुकी अवस्था में 1 बूढ़ा आदमी दिखाई दिया. छनक से पूछा तो मालूम हुआ कि वृद्ध होने पर सभी की यही दशा हो जाती है. थोड़ी दूर जाने पर उन्होंने एक ऐसा असाध्य रोगी को देखा और छनक से पुनः पूछा तो उन्हें मालूम हुआ कि रोग ग्रस्त होने पर शरीर की यही दशा होती है. तत्पश्चात थोड़ी दूर और जाने पर उनका सामना श्मशान घाट की ओर ले जाते हुए एक मृतक व उनके शौक ग्रस्त संबंधियों से हुआ.
कुछ आगे बढ़ने पर उनका सामना एक शांत पर संचित कांतिमय निष्काम सन्यासी से हुआ. जीवन की क्षणभंगुर ता एवं पग-पग पर मिलने वाले दुखों से परिचित प्राप्त सिद्धार्थ. यह सोचते हुए अपने रास्ते से लौट आए कि ऐसा कोई मार्ग होगा जिससे कि मनुष्य को इससे मुक्ति मिल सके. एक दिन अर्धरात्रि को वे अपनी प्रिय पत्नी यशोधरा और पुत्र राहुल को छोड़कर महानिष्क्रमण की ओर चले गए. वैशाली आकर वह ब्राह्मण आलार, कामार तथा रुद्रक नामक दार्शनिक तपस्वी से मिले.
बौद्ध धर्म की स्थापना कैसे हुई?
ज्ञान पिपासा की शांति न होने पर व्यस्त में ही निरंजना नदी के किनारे तपस्या रथ हो गए. और वहां से बनारस चले गए. 1 दिन पीपल के पेड़ के नीचे बैठे हुए उन्हें आत्मज्ञान की प्राप्ति हुई इसी से वे सिद्धार्थ बुद्ध कहलाए. उनके मन में यह भाव आया मैं तो जागा सब को जगाओ महात्मा बुध आजीवन अंगद का सीमन शौक के कौशल आदि राज्यों में धर्म प्रचार करते हुए घूमते रहे. उन्होंने अपना पहला उपदेश “धम्म चक्क पवतम सूत” नाम से राजधानी राजगृह में दिया.
वहां से वैशाली जाकर लिच्छवी वंश के क्षत्रियों में धर्म का प्रचार किया गणिका आम्रपाली के निमंत्रण पर वैशाली गए, जिसे अमरपाली ने बौद्ध संघ को सौंप दिया. पावापुरी में कुशीनगर की ओर प्रस्थान करते हुए ईसा पूर्व 483 में महापरिनिर्वाण प्राप्त किया. उनके शरीर के भस्मावशेषओ पर बाद में स्तूप बनाए गए. महात्मा गौतम द्वारा सत्य और ज्ञान की खोज के द्वारा मोक्ष प्रदान करने हेतु एक कल्याणकारी धर्म की स्थापना की गई जिसे बौद्ध धर्म के नाम से जाना जाता है.
गौतम बुध के कार्य और विचार धारा
महात्मा बुध के कार्य एवं विचार महात्मा बुद्ध ने बौद्ध धर्म की स्थापना मानव मात्र को संस्कारी दुखों से मुक्ति दिलाने हेतु की थी. इस धर्म के माध्यम से उन्होंने बाहृमण वाद के कर्मकांड और पशु बलि का विरोध किया था. उन्होंने चार आर्य सत्य का प्रतिपादन किया. जिसमें इस संसार में दुख है. दुख है तो उसका कारण भी है. कारण है मनुष्य की इच्छा इच्छा का निरोध ही तरसना से मुक्ति और दुखों से मुक्ति का उपाय है. उन्होंने निर्माण के लिए अष्टांग मार्ग सम्यक दृष्टि समेत संकल्प सम्मेलन में क्रमांक सम एक अजीब समय व्यायाम समेत स्मृति तथा सम्मेद समाधि है. मध्यम मार्ग में उन्होंने यह बताया कि न तो अधिक सांसारिक विषय वासनाओं में लिप्त रहना है. और ना ही तपस्या अधिक कठोर साधना करके अपने शरीर को कष्ट देना है. निर्माण इनके बीच के मध्यम मार्ग से प्राप्त हो सकता है.
अहिंशा, पुनर्जन्म, आत्मवाद जाति-पांति वेदों के प्रति अविश्वास आदि सिद्धांतों के साथ-साथ उन्होंने सदाचारी जीवन के 10 नियम बताए हैं.
- अहिंसा.
- सत्य.
- असत्य.
- चोरी ना करना.
- अपरिग्रह संपत्ति का त्याग.
- ब्रह्मचर्य.
- नृत्य गान व मादक वस्तुओं का त्याग.
- सुगंधित वस्तु का परित्याग.
- असमय भोजन न करना.
- कोमल बिस्तर का त्याग.
- और कामिनी कंचन का त्याग.
बौद्ध धर्म के सिद्धांत
बौद्ध धर्म के सिद्धांत करमवाद, शील तथा आचरण की पवित्रता आशावादीता पर आधारित है. प्राणीमात्र के प्रति दया प्रेम इनका सिद्धांत है. धर्म का प्रचार करने के लिए भिक्षुओं के संग गठित किए गए. जिसे अशोक जैसे सम्राट ने भी स्वीकारा। अम्रपाली जैसी वेश्या इस संघ में सम्मिलित थी. अपने प्रिय शिष्य आनंद के अनुरोध पर बुद्ध ने भिक्षुनियो का भी संघ में प्रवेश करवाया था.
गौतम बुद्ध के प्रमुख चमत्कार
संघ में प्रवेश करने वालों का पवज्जा संस्कार होता था. मठो के कठोर नियमों के बीच भी यह संघ अपनी कुछ भिन्न विचारधारा के कारण हीनयान तथा महायान दो संप्रदायों में बंट गया. गौतम बुद्ध ने अपने जीवन में अनेक चमत्कार भी किए थे जिनमें डाकू अंगुलिमाल का हृदय परिवर्तन करना तथा उसे सदमार्ग दिखाना, अकाल ग्रस्त जनता को शोक मुक्त करना, पुत्र की मृत्यु के शौक से पीड़ित माता को मृत्यु बोध से अवगत करा कर उसके शोक को हरना. अम्रपाली को धर्म मार्ग की ओर उन्मुख करना आदि प्रमुख रूप से सम्मिलित है.
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FAQs
Ans- बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध का बचपन का नाम सिद्धार्थ था.
Article Written By- Biography of gautam buddha इस आर्टिकल को संदीप सिंह शेखावत गांव नांद जिला झुंझुनू राजस्थान ने लिखा है. पाठको से निवेदन है, इस आर्टिकल से सम्बंदित कोई भी शंका हो तो हमे कमेंट बॉक्स में लिखे. हम जल्दी से जल्दी आपके सवालो के जवाब देने की कोसिस करेंगे. साथ ही दोस्तों आपको ये आर्टिकल अच्छा लगा तो अपने मित्रों के साथ भी जरूर शेयर करे.
Note- We have picked up the information available here from books and online websites. We do not verify the information given here related to Gautam Buddha. For this, the readers should contact the concerned institute.