प्रस्तावना
संत कवि मलूकदास अपनी धार्मिक तथा काव्य साधना के साथ-साथ आचरण व्यवहार एवं वाणी से एक संस्कारी व्यक्ति थे. उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन हिंदू मुस्लिम एकता व जातिगत एकता हेतु समर्पित किया था. हम यहाँ संत कवि मलूकदास जी की जीवनी (Biography of Malukdas). कवि मलूकदास जी का जीवन परिचय, मलूकदास जी की रचनाएँ एवं कार्य की वो रोचक और अद्भुत जानकारी शेयर करने वाले है. जिसके बारे में आप अबसे पहले अनजान थे. तो दोस्तों चलते है, और जानते है कवि मलूकदास जी की आश्चर्जनक जानकारी.
कवि मलूकदास जी का जीवन परिचय (Biography of Malukdas)
संत मलूकदास का जन्म 1631 ईस्वी में इलाहाबाद उत्तर प्रदेश से 38 किलोमीटर दूर कड़ा नमक स्थान में हुआ था. जाति से कक्कड़ खत्री थे, उनके पिता सुंदरदास धार्मिक विचार वाले व्यक्ति थे. बचपन से ही अच्छे संस्कारों में पले बढ़े मलूकदास के बारे में कहा जाता है. कि वह आजानुबाहु थे. ऐसे व्यक्ति महात्मा ही होते हैं, उसी के अनुरूप मलूकदास बचपन में ही स्वच्छता, पवित्रता एवं मानवता के पुजारी थे.
जब भी घर के सामने या यहां- वहां कोई कूड़ा करकट देखते थे. तो उसे एक तरफ कर देते थे. साधु और संतों की सेवा करने में उन्हें एक प्रकार का आनंद मिलता था. जो पैसे उन्हें सामान खरीदने के लिए दिए जाते थे. उन्हें राह चलते गरीबों एवं दीन दुखियों को दे देते थे. एक बार तो उन्होंने ठिठुरते ठंड में अपना कंबल भी किसी गरीब को दान कर दिया था. जीवन भर मानव समाज की सेवा करते हुए, 108 वर्ष की आयु में 1738 में अपनी जीवन यात्रा की थी.
Summary
नाम | मलूकदास/मलूकदास खत्री |
उपनाम | संत कवि मलूकदास, मल्लु |
जन्म स्थान | इलाहाबाद उत्तर प्रदेश |
जन्म तारीख | 1631 ईस्वी |
वंश | खत्री |
माता का नाम | — |
पिता का नाम | सुंदरदास |
पत्नी का नाम | — |
उत्तराधिकारी | रामचंद्र |
भाई/बहन | रामचंद्र, हरिश्चंद्र, शृंगार |
प्रसिद्धि | संत, कवि और दार्शनिक |
रचना | अलखबानी, गुरुप्रताप, ज्ञानबोध, पुरुषविलास, भगत बच्छावली, भगत विरुदावली, रतनखान, रामावतार लीला, साखी, सुखसागर तथा दसरत्न |
पेशा | दार्शनिक, संत |
पुत्र और पुत्री का नाम | — |
गुरु/शिक्षक | कबीर |
देश | भारत |
राज्य क्षेत्र | उत्तर प्रदेश |
धर्म | हिन्दू |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
भाषा | संस्कृत, हिंदी, फारसी, अवधी, ब्रज, अरबी, खड़ी बोली |
मृत्यु | 1682 सन् (1739 संवत) |
मृत्यु स्थान | — |
जीवन काल | 108 वर्ष |
पोस्ट श्रेणी | मलूकदास की जीवनी (Biography of Malukdas) |
कवि मलूकदास की रचनाएँ एवं कार्य
मलूकदासजी ने अवधी तथा ब्रजभाषा में रचनाएं लिखी. कहीं-कहीं पर तो अरबी और संस्कृत का प्रयोग भी इन रचनाओं में किया है. उनकी प्राणमाणिक रचनाओं में ज्ञानबोध, रतनखान, भक्तवच्छावली, भक्तिविवेक, बाराखडी रामअवतारलीला, बृजलीला, धुर्वचरित्र, सुखसागर प्रमुख हैं. उनकी रचनाओं में अवतार और चरित्रों के साथ-साथ भक्ति, नीति, ज्ञान वैराग्य आदि का वर्णन है. भक्ति विवेक में काशी नृप की कथा तथा नागकन्या की कथा, सिंह तथा श्रंगार की कथा के माध्यम से माया के त्याग का विरोध व ब्रह्म की उपासना का उल्लेख मिलता है. मलूकदासजी ने अपनी रचनाओं के माध्यम से हिंदू मुस्लिम एकता का संदेश दिया, साथ ही ईमान को सबसे बड़ा धर्म माना था.
मलूकदासजी के दोहे और उनका अर्थ
सब कोउ साहब बन्दते, हिन्दू मुसलमान।
साहब तिनको बन्दता, जिनका ठोर इमान।।
संत कबीर की तरह उन्होंने भी धार्मिक और आडंबरओ जैसे केस मुंडना पत्थरो की पूजा आदि का विरोध करते हुए शुद्ध हृदय से ईश्वर का ध्यान करने पर बल दिया था.
प्रत्येक मनुष्य मैं ईश्वर का निवास है ऐसा मलूक दास जी का मानना था. जो धर्म मनुष्य को मनुष्य नहीं बनाता. अथार्थ जिसमें दया, ममता, परदुख कातरता सहिषुणता नहीं है. वह मनुष्य धर्म का पालन नहीं कर सकता. उनका एक प्रसिद्ध दोहा इस प्रकार है.
अजगर करे न चाकरी, पंछी करे न काम।
दास मलूका कह गये, सबके दाता राम।।
इस दोहे का कुछ लोग बहुत सतही अर्थ निकाल कर यह सोचते हैं. कि अजगर और पक्षी कुछ काम नहीं करते, किंतु उन्हें इस अकर्मण्यता वह निठल्ले पन के बाद भी ईश्वर भाग्यवंत दे देता है. अर्थात आलसी लोग इसे अपना जीवन दर्शन मान कर भीख मांगने लग जाए और कुछ काम ना करें. ऐसा इस दोहे का अर्थ सर्वथा गलत है. इस दोहे के अनुसार मलूकदास जी ने यह समझाते हुए व्यंग्य किया है. कि ऐसा कहने से ईश्वर किसी को कुछ नहीं देता, यानी भाग्य नहीं कर्म प्रमुख है.
उपसंहार
दास मलूका की वाणी मानवतावादी धर्म का प्रचार-प्रसार करती रही. उन्होंने मानव-मानव में कभी किसी प्रकार का भेदभाव न करने का सन्देश दिया था. धर्म के सच्चे स्वरूप का दर्शन कराते हुए उन्होंने मनुष्य को धार्मिक विदेष से बचने की सलहा दी थी. वे सन्त, कवि, समाजसुधारक भी थे.
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FAQs
Ans- संत मलूकदास का जन्म 1631 ईस्वी में इलाहाबाद उत्तर प्रदेश से 38 किलोमीटर दूर कड़ा नमक स्थान में हुआ था.