History and Tourist Places of Madhya Pradesh | मध्य प्रदेश

By | September 19, 2023
History and Tourist Places of Madhya Pradesh
History and Tourist Places of Madhya Pradesh

क्षेत्रफल की दृष्टि कौन से भारत का दूसरा सबसे बड़ा राज्य मध्यप्रदेश है इसका क्षेत्रीय विस्तार लगभग 308252 वर्ग किलोमीटर में है. राज्य छत्तीसगढ़ के निर्माण के लिए इसके उत्तरी जिलों को अलग करने के बाद मध्य प्रदेश की राजनीतिक सीमा का सन 2000 में पूर्ण निर्धारण किया गया. राज्य की कुल जनसंख्या लगभग 8 करोड़ के आस पास है. और औसत जनसंख्या घनत्व भारत के अन्य राज्यों की अपेक्षाकृत बहुत कम है. मध्य प्रदेश के पश्चिमोत्तर में राजस्थान, उत्तर प्रदेश पूर्व-उत्तर में बिहार पूर्व में छत्तीसगढ़, दक्षिण में महाराष्ट्र और पश्चिम में गुजरात राज्य का विस्तार है. यह राज्य देश के मध्य भाग में स्थित है राज्य में कोई तट रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा नहीं है इसकी राजधानी भोपाल है.

हम यहाँ मध्य प्रदेश का इतिहास (History and Tourist Places of Madhya Pradesh) और वो रोचक जानकारी यहाँ शेयर करने वाले है.जिसके बारे में आप अब से पहले अनजान थे. तो दोस्तों चलते है और जानते है मध्य प्रदेश की रोचक जानकारी.

मध्य प्रदेश का इतिहास

अति प्राचीन ऐतिहासिक काल में मानव प्रवास के प्रमुख मार्ग उत्तर से दक्षिण की ओर मध्य प्रदेश से होकर गुजरते थे. जिसके परवती काल में व्यापारियों और साम्राज्य निर्माताओं को आकर्षित किया. ऐतिहासिक घटनाक्रम के अनुसार इस पूरे काल के दौरान उत्तर और दक्षिण भारत के राजनीतिक आर्थिक प्रभाव क्षेत्रों के बीच मध्य प्रदेश का कभी एक तो कभी दूसरा भाग निरंतर भिन्न-भिन्न शासकों के हाथों से गुजरता रहा है. वह मध्य प्रदेश को उत्तरी और दक्षिणी भारत के मध्य सांस्कृतिक उत्कर्ष का क्षेत्र कहा जाता है.

मध्य प्रदेश का इतिहास बहुत प्राचीन है, आध ऐतिहासिक संस्कृति के अनेक अवशेष जिनमें पाषाण चित्र और पत्थर व धातु के औजार शामिल हैं. नदियों घाटियों और अन्य इलाकों में मिले हैं. इस राज्य का सबसे प्रारंभिक अस्तित्व महान राज्य अवंती था. जिसकी राजधानी उज्जैन थी, मध्य प्रदेश के पश्चिमी भाग में स्थित यह राज्य मौर्य साम्राज्य चौथी से तीसरी शताब्दी पूर्व का अंग था. जो बाद में मालवा के नाम से प्रसिद्ध हुआ. इस राज्य के आधे पश्चिमी भूभाग में पाई जाने वाली काली उपजाऊ मिट्टी की वजह से देश के विभिन्न हिस्सों से प्रवासी इस क्षेत्र में श्रावस्ती से मालवा में आकर बसते हैं थे.

ईसा पूर्व की दूसरी शताब्दी से लेकर इसवी की सोलवीं शताब्दी तक मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों या संपूर्ण भूभाग पर शासन करने वाले विभिन्न राजवंशों में पूर्वी मालवा के शासक शुंग 185 से 73 ईसवी पूर्व, आंध्र, छत्रप,और नाग शामिल थे. मध्यप्रदेश की नर्मदा नदी के उत्तर में स्थित पूरा इलाका गुप्त साम्राज्य चौथी पांचवी शताब्दी के अंतर्गत आता था. यह क्षेत्र यायावर हूणों और कलचुरियो के सत्ता संघर्ष का स्थल रहा. बाद में मालवा के एक हिस्से पर कलचुरियो ने आभा काल में के लिए अधिकार कर लिया था. छठी शताब्दी के दौरान यशोधवर्मन यहां के प्रमुख शासक थे.

जिन्होंने हूणों से छीन कर सत्ता हासिल की थी. सातवीं शताब्दी के पहले मध्य मे उत्तरी भारत के शासक हर्षवर्धन ने मालवा को हस्तगत कर लिया. 10 वीं शताब्दी तक कलचुरी नर्मदा घाटी समेत पूर्वी मध्य प्रदेश पर अधिकार के लिए फिर से उठ खड़े हुए. उनके समकालीन थे धार में परमार उत्तर में ग्वालियर में कछवाहा और झांसी से लगभग उससे 160 दक्षिण पश्चिम में खजुराहो में चंदेल. बाद में तोमरो ने ग्वालियर और जनजातीय गोंडो ने अनेक जिलों पर शासन किया.

मध्य प्रदेश पर मुस्लिम आक्रमण कब शुरू हुए थे?

11वीं शताब्दी के आसपास इस क्षेत्र पर मुसलमानों का आक्रमण शुरू हो गए थे. ग्वालियर की हिंदू रियासत को सन 1231 में सुल्तान शमसुद्दीन इल्तुतमिश ने इस क्षेत्र को दिल्ली सल्तनत में मिला लिया था. बाद में 14वीं शताब्दी के प्रारंभ में खलजी सुल्तानों में मालवा को रोंधकर रख दिया. जिसके बाद मुगल शासक अकबर ने (1556-1605) इसे मुगल साम्राज्य में मिला लिया. 18वीं शताब्दी के प्रारंभ में ही मराठा शक्ति ने मालवा पर अधिकार जमा लिया. और सन 1760 तक एक बड़ा क्षेत्र, जो अब मध्यप्रदेश है मराठों के अंतर्गत आ गया. सन 1761 में पेशवा वंशानुगत मुख्यमंत्री जिसने मराठा शासन को केंद्रीकृत किया की पराजय के साथ ही उत्तर में ग्वालियर में सिंधिया, और दक्षिण पश्चिम में इंदौर में होलकर राजवंश मराठा ही थे का शासन स्थापित हो गया.

19वीं शताब्दी के मध्य प्रदेश का इतिहास

19वीं शताब्दी के प्रारंभ में यह क्षेत्र उत्तरोत्तर अव्यवस्था से प्रभावित होता गया. जब पिंडारी लुटेरे के दल जो पहले मराठा सरदारों की सेना से संबंध घुड़सवार थे. मध्य भारत के अपने गुप्त स्थानों से आकर नगरों और गांवों में हमला करना प्रारंभ कर दिया. पिंडारियो को सिंधिया और होल्कर राजवंशों को मौन संरक्षण हासिल प्राप्त था. 18वीं शताब्दी के शुरुआती दौर में जब आंतरिक मतभेदों और ब्रिटिश सरकार की बढ़ती सैन्य शक्ति से मराठा राज्य कमजोर हो रहा था. पिंडारियो ने अपने स्वायत्त दल बना लिए.

सन 18 सो 18 तक ब्रिटिश फौजे न सिर्फ पिंडारी को बल्कि विभिन्न मराठा राजवंशों को भी कुछ अन्य को कुचलने में समर्थ हो गई. इसी वर्ष सांगोर और नर्मदा प्रदेश में उतरी मध्य प्रदेश ग्वालियर और इंदौर के सिंधिया और होलकर राजवंश का अधिकांश हिस्सा ब्रिटिश साम्राज्य को सौंप दिए गए. तत्पश्चात 40 सालों तक इस क्षेत्र में ब्रिटिश सरकार की स्थिति बहुत मजबूत हो गई. 1830 के दशक के प्रारंभ में ठगों के दमन के लिए ब्रिटिश फौज की जरूरत पड़ी. ये सन्यासियों के वेश में हत्यारे और लुटेरे थे जो पुरे मध्य भारत में घूमने रहते थे.

मध्य प्रदेश का आधुनिक इतिहास

सन 1947 में देश को ब्रिटिश हुकूमत से स्वतंत्र होने के बाद पुरानी सेंट्रल इंडिया एजेंसी से अलग कर के मध्य भारत और विंध्य प्रदेश राज्य का गठन किया गया. 3 साल पश्चात सन 1950 के मध्य भारत, मध्य राज्य और बरार का नाम बदलकर मध्यप्रदेश रख दिया गया. सन 1956 ईस्वी के राज्य पुनर्गठन अधिनियम के साथ ही मध्य प्रदेश को भाषाई आधार पर पुनर्गठित किया गया. और इसकी वर्तमान सीमाओं का निर्धारण हुआ. इस अधिनियम के द्वारा मध्यप्रदेश के दक्षिणी मराठी भाषा जिलों को मुंबई राज्य महाराष्ट्र राज्य में और बहुत से हिंदीभाषी क्षेत्रों भोपाल और विंध्य प्रदेश मध्य भारत के अधिकांश भाग को मध्यप्रदेश में शामिल कर लिया गया. इस प्रकार भारतीय संघ का सबसे विशाल राज्य मध्यप्रदेश अपने अस्तित्व में आया था. वर्तमान में भारत का सबसे बड़ा राज्य राजस्थान है.

मध्य प्रदेश में कितने जिले है और उनके नाम क्या है?

  1. इंदौर जिला
  2. नीमच जिला
  3. दतिया जिला
  4. झाबुआ जिला
  5. धार जिला
  6. मुरैना जिला
  7. राजगढ़ जिला
  8. नरसिंहपुर जिला
  9. पन्ना जिला
  10. बालाघाट जिला
  11. सिहोर जिला
  12. हरदा जिला
  13. मांडला जिला
  14. अशोक नगर जिला
  15. छिंदवाड़ा जिला
  16. जबलपुर जिला
  17. देवास जिला
  18. रतलाम जिला
  19. बेतूल जिला
  20. कटनी जिला
  21. छतरपुर जिला
  22. उज्जैन जिला
  23. अलिराजपुर जिला
  24. अनूपपुर जिला
  25. भोपाल जिला
  26. शिवपुरी जिला
  27. आगर जिला
  28. निवारी जिला
  29. बुरहानपुर जिला
  30. सीधी जिला
  31. श्योपुर जिला
  32. मंदसौर जिला
  33. बड़वानी जिला
  34. ग्वालियर जिला
  35. रायसेन जिला
  36. सतना जिला
  37. टीकमगढ़ जिला
  38. शाजापुर जिला
  39. विदिशा जिला
  40. गुना जिला
  41. भींड जिला
  42. खंडवा (पूर्व निमाड़) जिला
  43. शहडोल जिला
  44. डिंडोरी जिला
  45. दमोह जिला
  46. सागर जिला
  47. होशंगाबाद जिला
  48. सिंगरोली जिला
  49. उमरिया जिला
  50. खरगोन (पश्चिम निमाड़) जिला
  51. रीवा जिला
  52. सिवनी जिला

मध्य प्रदेश का परिवहन

दोस्तों मध्य प्रदेश राज्य से होकर गुजरने वाला प्रमुख रेल मार्ग मूलतः चेन्नई, मुंबई कोलकाता बंदरगाह को राज्य के भीतरी प्रदेश से जुड़ने के लिए बनाया गया था. भोपाल, रतलाम, खंडवा और कटनी महत्वपूर्ण रेलवे जांगसन है. मध्य प्रदेश राज्य भारत के अन्य भागों से भोपाल, ग्वालियर, इंदौर, जबलपुर, रीवा और खजुराहो में स्थित हवाई अड्डों और अनेकों राष्ट्रीय राजमार्ग को द्वारा भी जुड़ा हुआ है. फिर भी राज्य में संख्यात्मक रूप से सड़के कम ही हैं. दूरस्थ इलाकों में पर्याप्त सुविधाओं ने राज्य के समृद्ध संसाधनों के विकास में बाधा पहुंचाई है. नर्मदा और अन्य नदियों के ऊपर बनने वाले पुलों के निर्माण से हर मौसम के अनुसार यातायात मार्गों का विकास करने में बहुत सहयोग प्राप्त हुआ है.

भू-आकृति

मध्य प्रदेश के उत्तर दिशा में गंगा का मैदान और दक्षिण दिशा में दक्कन के पठार का विस्तार है. कम ऊंचे पहाड़ और नदी घाटियों के द्वारा पृथक ढलुआ और धीरे-धीरे ऊंचे उठते पठार किस राज्य की भौतिक विशेषता है. इन पठानों के समूह का दक्षिणी छोर कंगार भ्रंशों के द्वारा सीमाकिंत है. जिन्हें प्राय पर्वत श्रृंखलाओं के रूप में इंगित किया जाता है. नर्मदा भी भ्रंश घाटी के उत्तरी कगार को विंध्य पर्वत श्रंखला कहा जाता है. ठीक इस प्रकार सोन भ्रंशों घाटी के कगार को कैमूर पर्वत श्रंखला कहा जाता है. नर्मदा और ताप्ती वीभ्रंशों घाटियों के मध्य स्थित उतखंड के पश्चिमी भाग को सतपुड़ा पर्वत श्रंखला, और पूर्व विभाग को महादेव पर्वत श्रंखला कहा जाता है. पड़ोस की नदी घाटियों को अलग करने वाली निचली पहाड़ियां मध्य प्रदेश के प्रमुख भागों में मिलती है.

मध्यप्रदेश समुद्र तल से 100-1200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. मध्य प्रदेश के उत्तरी क्षेत्र की भूमि सामान्यतः दक्षिण पूर्व पर्वत श्रृंखलाओं में पश्चिमी व उत्तर में 457 मीटर तक ऊंची मध्य वह कैमूर पर्वत श्रंखला और दक्षिण में 914 मीटर से अधिक सतपुड़ा महादेव पर्वत श्रंखला हैं. दक्षिण मध्य प्रदेश में पंचवटी के समीप स्थित धूपगढ़ शिखर 1350 मीटर राज्य का सबसे ऊंचा शिखर है. विंध्य पर्वत श्रंखला के पश्चिमोत्तर में मालवा का पठार लगभग 457 से 609 मीटर है. मालवा का पठार विंध्य पर्वत श्रंखला से उत्तर की ओर फैलता है. इसके ढलान उत्तर की ओर रहती है, मालवा के पठार के पूर्व में बुंदेलखंड का पठार स्थित है. यह पठार उत्तर प्रदेश के गंगा के मैदान तक फैला है. मध्य प्रदेश के सुदूर पूर्व में बुंदेलखंड पठार का कुछ भाग है.

मध्य प्रदेश की नदियाँ और कौन-कौन सी मिट्टी पायी जाती है?

विशेष महत्व रखने वाली प्रायद्वीपीय नदियां जैसे नर्मदा, तापी, महानदी और वेन गंगा गोदावरी की सहायक नदी का उद्गम स्थल मध्यप्रदेश में ही है. बहुत सी जलधाराएं यमुना और गंगा की सहायक नदियों के रूप में उत्तर की ओर बहती है. राजस्थान और उत्तर प्रदेश के साथ मिलकर चंबल राज्य की उत्तरी सीमा बनाती है. और इसकी घाटी की भूमि अत्यधिक उबड़ खाबड़ है. अन्य नदियों में यमुना की सहायक नदियां बनारस, बेतवा, केन और सोन गंगा की सहायक नदी मिलती है.

मध्य प्रदेश में पाए जाने वाली दो प्रमुख मिट्टी काली मिट्टी और लाल मिट्टी है. काली मिट्टी जो मालवा के पठार के दक्षिणी हिस्से नर्मदा घाटी और सतपुड़ा के कुछ भागों में मिलती है. जिसमे चिकनी मिट्टी का कुछ अंश शामिल रहता है. भारी वर्षा या बाढ़ के पानी से सिंचाई के कारण काली मिट्टी जलावर हो जाती है. दूसरी है कम उपजाऊ लाल पीली मिट्टी इसमें कुछ बालू की भी रहती है. यह से मध्य प्रदेश में पाई जाती है. अच्छी सिंचाई होने के बावजूद भी इस मिट्टी में अंतर श्रवण और वाष्पन की समस्या रहती है.

मध्य प्रदेश में पर्यटक और घूमने लायक जगह

  • ग्वालियर- यह महल, मंदिर, दुर्ग, मकबरा, हस्त कला के लिए प्रसिद्ध है.
  • चंदेरी- यह दुर्ग, हथकरघा, जरी दार साड़ियां, मंदिर के लिए प्रसिद्ध है.
  • भोजपुर- यह मंदिर के लिए प्रसिद्ध है.
  • चीकोल्द- यह झील पर महल, उद्यान के लिए प्रसिद्ध है.
  • भीमबेटका- यह गुफाओं में चित्रकला के लिए प्रसिद्ध है.
  • इस्लामनगर- यह महल उद्यान के लिए प्रसिद्ध है.
  • उज्जैन- यह हिंदू तीर्थ स्थान, कुंभ मेला प्राचीन वैद्य साला के लिए प्रसिद्ध है.
  • खजुराहो- यह प्राचीन राजधानी और 85 प्राचीन मंदिर के लिए प्रसिद्ध है.
  • पंचमढ़ी- यह पहाड़ी मनोरंजक स्थल, मंदिर आदि के लिए प्रसिद्ध है.
  • माण्डू- यह भूतों का शहर, दुर्ग, प्राचीन महल आदि के लिए प्रसिद्ध है.
  • ओरछा- यह प्राचीन राजधानी, महल, मंदिर आदि के लिए प्रसिद्ध है.
  • महेश्वर- यह तीर्थ स्थान, बुनकर केंद्र आदि के लिए प्रसिद्ध है.
  • सांची- यह बौद्ध तीर्थ स्थल स्तूप बौद्ध कला संग्रहालय आदि के लिए प्रसिद्ध है.
  • जबलपुर- यह मंदिर दुर्ग जलप्रपात संगमरमर की चट्टानें आदि के लिए प्रसिद्ध है.
  • भोपाल- यह महल उद्यान मस्जिद खेल संग्रहालय के लिए प्रसिद्ध है.
  • बाध वगद- यह बोध गुफाओं में बने भित्ति चित्र के लिए प्रसिद्ध है.
  • इंदौर यह महल संग्रहालय मंदिर उद्यान के लिए प्रसिद्ध है.
  • चित्रकूट- हिंदू तीर्थ स्थल प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है.
History and Tourist Places of Madhya Pradesh
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जलवायु

मध्य प्रदेश की जलवायु मानसून परिवर्तन पर निर्भर करती है. गर्मियां मार्च से मई, सर्दियां नवंबर से फरवरी और बीच में पढ़ने वाली वर्षा ऋतु जून से सितंबर माह में आती है. ग्रीष्म ऋतु गर्म व सुस्त होती है. और इस दौरान गर्म हवाएं चलती है. राज्य का औसत तापमान 32 डिग्री रहता है. कुछ भागों में तापमान 48 डिग्री से तक पहुंच जाता है. सर्दियां आमतौर पर खुशनुमा और शुष्क होती है. दिसंबर और जनवरी में समुचित वर्षा भी होती है.

जिसका संबंध राज्य के पश्चिमोत्तर भाग में होने वाले उष्णकटिबंधीय विक्षोभ से है. मध्य प्रदेश की वार्षिक वर्षा 1017 मिलीमीटर है. सामान्यतः पश्चिम और उत्तर की ओर वर्षा की मात्रा 60 इंच पूर्व में इससे अधिक और पश्चिम में 32 इंच तक घटती जाती है. चंबल घाटी में हर साल वर्षा का औसत 30 इंच से कम रहता है.

वनस्पति और प्राणी जीवन

प्राप्त सरकारी आंकड़ों के अनुसार मध्य प्रदेश के एक तिहाई क्षेत्रफल पर वनों का फैलाव है. उपग्रह से प्राप्त चित्रों से पता चलता है कि लगभग 1 बटा 5 भाग ही वनाच्छादित है. जो जंगलों में तेजी से घटते जाने को दर्शाता है. यह अंतर इस तथ्य से उभर कर सामने आता है. कि उपग्रह से प्राप्त चित्र अन्य पेड़-पौधों वाले इलाके को दिखाते हैं जबकि सरकारी दस्तावेज वन विभाग द्वारा अधिकृत क्षेत्र को दर्शाते हैं.

इस अंतर से यह भी पता चलता है कि वन क्षेत्र सिमट रहा है. मध्य प्रदेश के कुछ ही प्रतिशत हिस्से में स्थाई चारागाह या घास के मैदान हैं. प्रमुख वन क्षेत्रों में विंध्य पर्वत श्रृंखला, कैमूर की पहाड़ियां, सतपुड़ा पर्वत श्रंखला, बघेलखंड का पठार और दंडकारण्य क्षेत्र शामिल हैं. यहां के जंगलों में पाए जाने वाले प्रमुख वन सागौन, साल, बांस,सलाई, और तेंदू हैं. सलाई से निकलने वाली लिसा अगरबत्ती और औषधि बनाने के काम आता है. तेंदू के पत्ते बीड़ी बनाने के काम आते हैं.

जबलपुर और सागर विरुद्ध योग के प्रमुख केंद्र हैं. मध्य प्रदेश के वनों में जंगली जानवरों की पर्याप्त संख्या है. जैसे बाघ, तेंदुआ, जंगली सांड, चिंतल, भालू, जंगली भैंसा, सांभर और काला हिरण इत्यादि। इसके अलावा इन वनों में पक्षियों की भी बहुत सी प्रजातियां पाई जाती है. राज्य के राष्ट्रीय उद्यान और वन्य जीव अभ्यारण हैं. जिनमें मंडला बालाघाट जिले में स्थित कान्हा राष्ट्रीय उद्यान, दलदल हीरेन शहडोल जिले का बांधवगढ़, राष्ट्रीय उद्यान दुर्लभ सफेद बाघों के अभयारण्य और शिवपुरी राष्ट्रीय उद्यान पक्षियों की आश्रय स्थल के तौर पर सर्वाधिक प्रसिद्ध है. कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में बाघों के लिए वन्यजीव अभयारण्य भी है. और चंबल उधान को मगरमच्छों के संरक्षण के लिए स्थापित किया गया है. वनों की सुरक्षा और विकास के लिए जिस में वृक्षारोपण भी शामिल है. और राज्य सरकार ने बहुत जीवन समितियां आसपास के ग्रामीणों को साझेदारों के रूप में जोड़ने हेतु बनाई गई है.

जन जीवन और संस्कृति

मध्य प्रदेश के कुल आबादी का 20% से अधिक निवासी आधिकारिक तौर पर अनुसूचित जनजाति के रूप में वर्गीकृत है. इन जनजातियों में भी लेगा गोंड कार को कॉल कमार और मारिया शामिल है. मध्य प्रदेश की कुल जनसंख्या का तीन चौथाई से भी ज्यादा भाग गांव में निवास करती है. परंतु इनका वितरण काफी आसान है. संघन आबादी वाले इलाके महानदी घाटी, ऊपरी वैनगंगा घाटी, निचली चंबल घाटी नर्मदा घाटी और साथ ही पश्चिमी मध्य प्रदेश में मालवा के पठार के इर्द-गिर्द सेवियर क्षेत्रों तक सीमित है.

यहाँ `मध्य प्रदेश के प्रमुख नगरीय केंद्र जबलपुर, छिंदवाड़ा व होशंगाबाद जिला राज्य के पश्चिमी और मध्य भाग में स्थित है. प्रचुर मात्रा में खनिज लब्ध कराने वाले लेकिन पिछड़े हुए जिलों में सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों द्वारा भारी मात्रा में निवेश किए जाने से महत्वपूर्ण नगरीय विकास हुआ है. प्रमुख नगरिया केंद्र इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, भोपाल, उज्जैन और सागर में हुआ है. इन शहरों में अपेक्षाकृत विकसित औद्योगिक आधार है. ग्वालियर उज्जैन और सागर शिक्षा के प्रमुख केंद्र भी हैं.

मध्य प्रदेश में कौन कौन सी भाषा बोली जाती है?

मध्य प्रदेश की प्रमुख भाषा हिंदी है. यहां के अधिकांश निवासी हिंदी बोलते हैं. पूर्वी हिंदी, अवधी, बघेली बोलियों का प्रतिनिधित्व करती है. जो बघेलखंड व सतपुड़ा की वह ऊपरी नर्मदा घाटी में बोली जाती है. बुंदेली पश्चिमी व हिंदी की बोली है. वह मध्य प्रदेश के मध्यवर्ती व पश्चिमोत्तर जिलों में बोली जाती है. बोलने वालों की संख्या के हिसाब से दूसरी सबसे महत्वपूर्ण भाषा मराठी है. उर्दू, उड़िया, गुजराती और पंजाबी बोलने वाले लोग भी काफी संख्या में हैं.

इसके अलावा तेलुगू, बांग्ला, तमिल, मलयालम भी बोली जाती है. अधिकांश लोग हिंदू हैं, हालांकि मुसलमानों, जैनियों, ईसाईयों और बोधो की आबादी भी संख्या के लिहाज से महत्वपूर्ण हैं. यहां एक भी जनसंख्या का छोटा सा हिस्सा है मध्य प्रदेश देश के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में जनसंख्या की दृष्टि से सातवां स्थान रखता है. सन 2011 के लिंग अनुपात प्रति हजार पुरुषों में महिलाओं की संख्या 919 की तुलना में वर्तमान लिंग अनुपात बढ़कर 931 हो गया है.

मप्र प्रदेश के ऐतिहासिक अवशेष

ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी मध्यप्रदेश एक महत्वपूर्ण राज्य है. यहां कई प्राचीन मंदिर और दर्शनीय गुफाएं हैं. जिनमें क्षेत्र के पूर्व इतिहास और स्थानीय राजवंशों व राज्यों दोनों के ऐतिहासिक अध्ययन की दृष्टि से रोमांचक प्रमाण मिलते हैं. यहां के पारंपरिक स्मारकों में से एक सतना के पास भरहुत का स्तूप लगभग 175 ईसवी पूर्व है. जिसके अवशेष अभी कोलकाता के राष्ट्रीय संग्रहालय में रखे हैं.

ऐसे ही एक स्मारक सांची के स्तूप विदिशा से लगभग 13 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम में मूलतः 265 से 238 ईस्वी पूर्व सम्राट अशोक ने बनवाया था. बाद में राजाओं ने इस स्तूप में और भी काम करवाया, बौद्ध विषयों पर आधारित चित्रों से सुसज्जित महू के समीप स्थित बाघ गुफाएं विशेषकर उल्लेखनीय है. विदिशा के समीप की उदयगिरी गुफाएं चट्टानों को काटकर बनाए गए वास्तुशिल्प और कला का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करती है. शृंगारिक कला से युक्त विश्व प्रसिद्ध मंदिर जिसे खुजराहो मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. यह मध्य प्रदेश के छतरपुर जिसमें स्थित है.

चंदेल वंश के राजाओं ने इसे सन् 1000 में बनाना प्रारंभ किया था. ग्वालियर और उसके आसपास के मंदिर भी उल्लेखनीय हैं. मांडू धार के समीप के महल और मंदिर चौदवी शताब्दी में बनवाया गया बांधवगढ़ का अद्भुत किला. और संभवत है मध्य प्रदेश के भूतपूर्व राजाओ के आवासों में सबसे शानदार ग्वालियर का किला वास्तुशिल्पी ए उपलब्धियों का प्रतिनिधित्व करने वाले अन्य उल्लेखनीय उदाहरण हैं.

वैसे तो मध्य प्रदेश राज्य के निवासियों ने बाहरी प्रभावों को कमोबेश ग्रहण किया है. लेकिन उनकी कई जनजातीय परंपराएं जीवित तथा सशक्त बनी हुई. और जनजातीय मित्रों व लोक कथाओं को बड़ी संख्या में सुरक्षित रखा गया है. प्रधान अब भी गोंड जनजाति के पौराणिक आदि पुरुष लिंग ओपेन की अनुश्रुति वीर गाथाओं को गाते हैं. महाभारत की समतुल्य गोंड की पंडवानी है. जबकि रामायण का गुण समतुल्य लक्ष्मण जाति दंतकथा है.

हरेक जनजाति की दंत कथाएँ

मध्यप्रदेश में अपने मूल के संबंध में हर एक जनजाति के अपने-अपने मिथक और दंत कथाएं हैं. इसके अपने जन्मोत्सव तथा विवाह के गीत हैं. विभिन्न नर्त्य शैलियों की संगत उनके गानों से की जाती है. लोककथाएं, पहेलियां और लोकोक्तियां इन की सांस्कृतिक विरासत की प्रमुख विशेषता है. मध्य प्रदेश में प्रति वर्ष विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. उदाहरणार्थ उज्जैन का कालिदास समारोह है, प्रदर्सन कलाओं और ललित कलाओं के लिए.

ग्वालियर का तानसेन समारोह है, और खजुराहो का नृत्य महोत्सव जिनमें संपूर्ण भारत के कलाकार शामिल होते हैं. भोपाल में एक बेजोड़ सांस्कृतिक भवन भारत भवन है. जो विभिन्न क्षेत्रों के कलाकारों के मिलन स्थल का काम करता है. भोपाल ताल के समीप स्थित एक भवन के एक संग्रहालय एवं पुस्तकालय एक मुक्त आकांक्षी रंगमंच और बहुत से सम्मेलन परिसर हैं. मंदसौर और उज्जैन में महत्वपूर्ण मशहूर वार्षिक धार्मिक मेले लगते हैं.

मध्यप्रदेश की अर्थव्यवस्था कैसी है?

मध्य प्रदेश राज्य मुख्यता कृषि पर आधारित है. इसके कुल क्षेत्रफल के आधे से कम भूभाग की कृषि कार्य हेतु उपयुक्त है भू आकृति वर्षा व मिट्टी में विविधता होने के कारण इसका वितरण काफी असमान है. कृषि योग्य प्रमुख क्षेत्र चंबल, मालवा के पठार और रेवा के पठार में मिलते हैं. नदी द्वारा बहा कर लाई गई जलोढ़ मिट्टी से ढ़की नर्मदा घाटी एक अन्य उपजाऊ इलाका है. मध्य प्रदेश की कृषि की विशेषता कम उत्पादन और कृषि की परंपरागत पद्धति का उपयोग है. क्योकि कृषि योग्य भूमि का केवल 15% भाग ही सिंचित है. राज्य की कृषि वर्षा पर निर्भर है. मध्य प्रदेश में मुख्य रूप से सिंचाई नहरों, कुओ, गांवों के तालाबों और झीलों से होती है.

राज्य की अधिकांश योजनाएं केंद्रीय सरकार की एक महत्वपूर्ण पंचवर्षीय योजनाओं के दौरान मझोले एवं छोटी परियोजना विकसित हुई है. मध्यप्रदेश में उगाई जाने वाली फसल चावल, गेहूं, ज्वार, मक्का, दलहन, मटर 64 मस्तूल जैसी कलियां और मूंगफली है इस के पूर्वी भाग में जहां अधिक वर्षा होती है मुख्यतः चावल उगाया जाता है जबकि पश्चिम मध्य प्रदेश में गेहूं और ज्वार सर्वाधिक महत्वपूर्ण हैं.

अन्य फसलों में अलसी, तेल, गन्ना और पहाड़ी क्षेत्रों में उगाए जाना वाला निम्न कोटि का ज्वार बाजरा प्रमुख है. यह अफीम राजस्थान के निकट मंदसौर जिलों में वह मारिजुआना दक्षिण पश्चिमी खंडवा जिले पूर्वी निमाड़ में का एक बड़ा उत्पादक राज्य है. जहां यहां कृषि कार्य के साथ-साथ पशुपालन एवं कुक्कुट पालन किया जाता है. देश के कुल पशुधन का लगभग 7 वा भाग मध्य प्रदेश राज्य में है. यहां पशुओं की नस्ल और गुणवत्ता सुधारने वाले कई केंद्र हैं. उदाहरण के लिए भोपाल में बैलों और धार में बकरियों के कतरिम वीर्य संस्था संकरण का केंद्र है.

प्राकृतिक संसाधन (अर्थव्यवस्था)

यह राज्य खनिज संपदा में धनी है. परंतु इन संसाधनों का अब तक पूर्ण दोहन नहीं हुआ है. यहां कोयले की बड़ी खाने लायक मैग्नीज तक बॉक्साइट चूना पत्थर डोलोमाइट तांबा अभिन है. मिट्टी और चीनी मिट्टी के महत्वपूर्ण भंडार हैं. पन्ना में स्थित हीरे की खान विशेष महत्व रखती है. मध्यप्रदेश में सस्ते ऊर्जा साधन के रूप में पनबिजली की संभावना काफी अधिक है. प्रमुख जल विद्युत परियोजनाओं में महाराष्ट्र के साथ भागीदारी बिहार और उत्तर प्रदेश के साथ बाणसागर और उत्तर प्रदेश के साथ उर्मिल परियोजना शामिल है. बारगी और बीर सिंह ताप विद्युत परियोजनाएं भी राज्य में है.

पर्यावरण प्रदूषण को देखते हुए नर्मदा सागर परियोजना विवाद का कारण बन गई है. औद्योगिक दृष्टिकोण से यह राज्य अभी तक पिछड़ा है. राज्य के विकास की संभावना वाले केंद्रों में बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए सन 1981 में मध्य प्रदेश औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड की स्थापना की गई थी. इसके योजनाबद्ध विकास से पहले पश्चिमी मध्य प्रदेश की प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र था. जहां शुरू में उपभोक्ता वस्तुओं का उत्पादन होता था. लेकिन अब ग्वालियर, इंदौर, भोपाल, उज्जैन से जबलपुर समेत कई बड़े मध्यम स्तर के औद्योगिक केंद्र बन गए हैं. प्रमुख भारी उद्यम को सरकार द्वारा सहायता प्राप्त है. और इनमें ने पाशा नगर में अखबारी कागज की मेल कटनी व मंदसौर में सीमेंट का कारखाना तथा भोपाल में बिजली के बढ़े यंत्रों का निर्माण का कारखाना है.

योजनाबद्ध विकास के अंतर्गत इंदौर, ग्वालियर, भोपाल और जबलपुर में औद्योगिक क्षेत्र स्थापित किए गए हैं. मध्य प्रदेश में विभिन्न आधुनिक उद्योग भी स्थापित किए गए हैं. सूक्ष्म इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और उच्च तकनीकी क्षमता वाले ऑप्टिकल फाइबर भी लगाए गए हैं. निजी क्षेत्र के उद्योगों में सीमेंट के कारखाने कागज की नीले चीनी मिलें कपड़ा मिले। और साथ ही आटा मिले और तेल मिले शामिल हैं. यहां उर्वरक तथा कृत्रिम रेशे बनाने के संयंत्र और रासायनिक संयंत्र कुछ विशेष इंजीनियरिंग उद्योग भी हैं. मध्य प्रदेश में पंजीकृत लघु औद्योगिक इकाइयां अधिक हैं. परंतु यह भारत की कुल इकाइयों का लगभग 4% ही है. मध्य प्रदेश के आकार और जनसंख्या को देखते हुए यह प्रतिशत काफी कम है. फिर भी हथकरघा उद्योग फल फूल रहा है.

और चंदेरी में हाथ से की भूमि साड़ी ग्वालियर में कालीन पर मिट्टी के बर्तन बनाने. और भोपाल में सोने व चांदी के धागों से कशीदाकारी जैसे परंपरागत शिल्पो का विशेष उत्पादन किया जाता है. पर्यटन के क्षेत्र में यह राज्य महत्वपूर्ण स्थान रखता है. यहां अनेक महत्वपूर्ण पर्यटक स्थल हैं. सर्वाधिक प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों में से कुछ ग्वालियर का किला, कान्हा राष्ट्रीय उद्यान, खजुराहो के मंदिर, चाचई प्रपात रीवा, मांडू का भग्नावशेष नगर, और पचमढ़ी राज्य का एकमात्र हिल स्टेशन है.

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Youtube Videos Links

आदिगुरु शंकराचार्य की जीवनीhttps://youtu.be/ChQNNnW5BpI
महादानी राजा बलि की जीवनीhttps://youtu.be/Xar_Ij4n2Bs
राजा हरिश्चंद्र की जीवनीhttps://youtu.be/VUfkrLWVnRY
संत झूलेलाल की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=oFiudeSc7vw&t=4s
महर्षि वाल्मीकि की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=PRg2D0b7Ryg&t=206s
संत ज्ञानेश्वर जी की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=-zo8M3i3Yys&t=38s
गुरु गोबिंद सिंह की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=amNaYHZm_TU&t=11s
भक्त पीपा जी की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=5MEJPD1gIJw
गुरुभक्त एकलव्य की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=jP5bUP6c2kI&t=232s
कृष्णसखा सुदामा की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=Y2hAmKzRKt4&t=217s
मीराबाई की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=d6Qe3dGN27M&t=3s
गौतम बुद्ध की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=ookD7xnURfw&t=4s
गुरु नानक जी की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=mHui7KiZtRg&t=21s
श्री कृष्ण की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=9bSOn2TiAEg&t=1s
भगवान श्री राम की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=aEaSpTMazEU&t=52s
मलूकदास जी की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=ALYqc0ByQ8g
श्री जलाराम बापा की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=s2xbAViUlfI&t=6s
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FAQs

Q- मध्य प्रदेश में कितने जिले है?.

Ans- मध्य प्रदेश में 52 जिले है.

भारत की संस्कृति

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