दोस्तों हम यहाँ शेयर करने जा रहे है, तराइन का प्रथम युद्ध (The first battle of tarain) कब और किस किस के मध्य हुआ था. तराइन की प्रथम लड़ाई होने के मुख्य कारण एवं तराइन की पहली लड़ाई में किसकी जित हुई थी. तराइन का प्रथम युद्ध की रोचक और अद्भुत जानकारी के लिए इस पेज को अंत तक पढ़ना चाहिए.
मोहम्मद ग़ोरी के आक्रमण के समय भारत पर किसका राज था?
मोहम्मद ग़ोरी (मुईज़ुद्दीन मुहम्मद बिन साम) भारतवर्ष में मुस्लिम साम्राज्य का संस्थापक था. इससे पूर्व भी भारतवर्ष पर इस्लाम का आक्रमण हुआ, लेकिन वह प्रभावहीन रहा. मोहम्मद ग़ोरी गजनी का शासक था. वह जाति से तुर्क था, वह बहुत ही महत्वकांक्षी तथा साहसी व्यक्ति था. गजनी का शासन बनने के बाद उसने भारत पर आक्रमण की योजना बनाई. पंजाब में उस समय गजनी शासक शासन कर रहे थे. उनकी स्थिति बड़ी कमजोर थी, उनकी राजधानी दाहोद थी. उनको राजपूतों के आक्रमण का सदैव डर लगा रहता था. गजनवी वंश का अंतिम सम्राट सुसरव मलिक बहुत ही अभिलाषी एवं निकम्मा था. मुल्तान इस समय कर्मार्थी मुसलमान शासक करते थे. सिंध में सुम्र नाम की जाति का शासक था.
इनके अतिरिक्त पश्चिमी भारत में सभी राजपूत वंश के राजाओं का शासन था. पश्चिमी भारत में सबसे अधिक महत्वपूर्ण राजवंश दिलवाड़ा गुजरात के चालुक्य का शासक था. मोहम्मद ग़ोरी के आक्रमण के समय यहां मूलराज द्वितीय शासक था. मोहम्मद ग़ोरी के आक्रमण के समय उत्तरी भारत की राजनीतिक दशा बहुत ही दयनीय थी. उत्तरी भारत में उस समय कोई ऐसा सर्वभोम सम्राट नहीं था. जो आक्रमणकारियों का सफलतापूर्वक सामना कर सके राजपूत राजस्थान के राजाओं को आपसी फूट से ही फुर्सत नहीं थी.
The first battle of tarain
राजनीतिक एकता के अभाव में इनकी स्थिति बहुत ही खराब थी. उस समय उत्तरी भारत में चार राजवंश प्रमुख थे पहला दिल्ली तथा अजमेर में चौहान राजवंश जिसका सम्राट पृथ्वीराज चौहान तृतीय बड़ा ही शूरवीर था. लेकिन अपने पड़ोसियों से उसके संबंध अच्छे नहीं थे. दूसरा उत्तर प्रदेश कन्नौज में गढ़वालों का राज्य था. जिसका सम्राट जयचंद था, तीसरा बिहार में पालवंश और चौथे बंगाल में सेन वंश का शासन था.
मोहम्मद ग़ोरी एक साहसी एवं महत्वकांक्षी व्यक्ति था. वह एक विशाल साम्राज्य का निर्माण करना चाहता था. गोरी से पहले तुर्को ने भारत में अपना साम्राज्य स्थापित करने का प्रयास किया था. लेकिन सफल नहीं हो सके. मोहम्मद ग़ोरी का उद्देश्य गौरव प्राप्त करना आर्थिक रूप से अपने आप को सुदृढ़ बनाना था. तथा इस्लाम का प्रचार प्रसार करना था अतः उसने भारत पर कई आक्रमण किए.
मोहम्मद ग़ोरी के भारत पर प्रमुख आक्रमण
मुल्तान पर आक्रमण (1175 ईस्वी)
सन 1175 ईस्वी में मोहम्मद ग़ोरी का पहला आक्रमण वर्तमान पाकिस्तान के एक शहर मुल्तान पर हुआ था. यहां पर करमार्थी संप्रदाय के लोग शासन करते थे. यह लोग इस्लाम विरोधी माने जाते थे. करमार्थी लोग मोहम्मद ग़ोरी का मुकाबला नहीं कर सके, और मुल्तान पर मोहम्मद ग़ोरी का अधिकार हो गया. और उसने मुल्तान को अपने हाकिम के सुपुर्द कर दिया था.
डच पर आक्रमण(1176 ईस्वी)
सन 1176 मुल्तान को जीतने के बाद मोहब्बत गौरी सिंध के ऊपरी भाग में स्थित डच पर आक्रमण कर दिया. इसके बाद उसने सिंधु के निचले भाग पर 1182 ईस्वी में आक्रमण किया था. और वहां के सम्राट सुम्र को अपनी अधीनता स्वीकार करने के लिए बाध्य किया.
अनहिलवाड़ा गुजरात पर आक्रमण (1178-79 ईस्वी)
मुईज़ुद्दीन मुहम्मद बिन साम उर्फ़ मोहम्मद ग़ोरी ने गुजरात के अन्हिलवाड़ा पर आक्रमण 1178 ईस्वी में भारत पर तीसरा आक्रमण किया. उस समय गुजरात की राजधानी अन्हिलवाड़ा थी. और यहाँ के शासक मूलराज द्वितीय ने मोहम्मद गौरी को बुरी तरह पराजित किया. और उसे अपने देश की सीमा से बाहर खदेड़ दिया. इसके बाद मोहम्मद ग़ोरी ने गुजरात पर आक्रमण करने का साहस नहीं किया.
मोहम्मद ग़ोरी की पंजाब पर विजय (सन 1181 ईस्वी)
मोहम्मद गौरी ने पंजाब से होकर आगे बढ़ने का निश्चय किया, उसने सन 1179 ईस्वी में पेशावर पर आक्रमण कर दिया. और पेशावर को ग़जनवी वंस से छीन लिया. सन 1181 ईस्वी में उसने लाहौर पर आक्रमण किया, वहां खुसरव मलिक ने उसकी अधीनता स्वीकार कर ली. और अपना लड़का बंदी के रूप में उसके पास भेज दिया. लगभग 4 वर्ष उपरांत उसने सियालकोट के किले पर अधिकार कर लिया. कुछ वर्षों के बाद मोहम्मद ग़ोरी की आज्ञा से खुसरव मलिक तथा उसके पुत्रों का वध करवा दिया गया. इस प्रकार गजनी वंस का अंत हुआ, और मुल्तान, सिंध तथा लाहौर मोहम्मद ग़ोरी राज्य के अंग बन गए.
तराइन का प्रथम युद्ध कब और किस-किस के मध्य हुआ था?
तराइन का प्रथम युद्ध (The first battle of tarain) 1191 ईस्वी में भारत के अंतिम हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान और तुर्क आक्रमणकारी मोहम्मद ग़ोरी के मध्य हुआ था. पंजाब विजय के बाद मोहम्मद ग़ोरी के राज्य की सीमाएं अजमेर तथा दिल्ली के स्वामी पृथ्वीराज चौहान के राज्य से टकराने लगी थी. मोहम्मद गोरी ने 11 ईसवी में बठिंडा के किले पर आक्रमण किया. यह सुनकर पृथ्वीराज चौहान एक विशाल सेना लेकर आक्रमणकारी का मुकाबला करने के लिए आगे बढ़ा.
बठिंडा से 27 मील की दूरी पर स्थित हरियाणा तराइन नामक स्थान पर दोनों सेनाओं में भयंकर युद्ध हुआ. तराइन थानेश्वर से 14 मील दूर एक गांव है, राठौड़ नरेश जयचंद ही एक ऐसा राजा था. जो इस युद्ध में सम्मिलित नहीं हुआ, क्योंकि पृथ्वीराज ने उसकी बेटी संगीता का अपहरण कर अपनी पत्नी बना लिया था. अतः जयचंद ने द्वेष वंश मोहम्मद गौरी को युद्ध में अनेक प्रकार से सहायता प्रदान की.
The first battle of tarain
मोहम्मद ग़ोरी ने दक्षिण एवं मध्य तीन भागों में सेना को विभाजित किया था. तथा स्वय मध्य में रहा. राजपूतों ने मुसलमानी सेना के दोनों पक्षों पर भीषण आक्रमण कर उन्हें तितर-बितर कर दिया. और राजा के भाई गोविंद राय ने मोहम्मद गौरी को बुरी तरह घायल कर दिया. परंतु भाग्यवंत उसका स्वामी भक्त खिलजी सैनिक उसे युद्ध क्षेत्र से बचा ले गया. मोहम्मद ग़ोरी घायल हो गया ऐसा समाचार लगते ही, गौरी सेना में आतंक फेल गया और वह मैदान छोड़कर चारों ओर भागने शुरू हो गए. अभी तक इससे पहले मुसलमान हिंदुओं से इतनी बुरी तरह कभी भी पराजित नहीं हुए थे.
इस संबंध में महान लेनपुल ने लिखा है, अब मोहम्मद ग़ोरी राजपूतों की पूरी ताकत का मुकाबला करना था. जो संसार के किसी श्रेष्ठ योद्धा से कम न थे. जो जन्म से योद्धा पैदा हुए थे. और अपनी जान की बाजी लगाकर लड़ते थे. भारत में मोहम्मद गौरी की यह दूसरी पराजय थी.
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FAQs
Ans- तराइन का प्रथम युद्ध 1191 ईस्वी में हरयाणा के तरावड़ी (तराइन) नामक जगह पर हुआ था.
Ans- तराइन के प्रथम युद्ध में भारत के सम्राट पृथ्वीराज चौहान तृतीय विजेता रहे.