दोस्तों पूरे भारतवर्ष में हिंदू संस्कृति में दो महान धार्मिक ग्रंथ बड़ी श्रद्धा पूर्वक पढ़े जाते हैं. जिनमें से एक है महर्षि वाल्मीकि कृत रामायण और दूसरा वेदव्यास कृत महाभारत. वैसे वेदव्यास जी ने ब्रह्मसूत्र की रचना के साथ साथ 18 पुराणों तथा प्राणों की रचना भी की थी. आप तो ईश्वरीय अवतार के साथ-साथ महान योगी साधक भी माने जाते हैं. दोस्तों आप यहाँ जानेगे Biography of Ved Vyas (वेद व्यास जी की जीवनी) और उनके जीवन के रोचक किसे. हम यहाँ वेद व्यास जी की वो रोचक जानकारी आपके साथ शेयर करने वाले है. जिसके बारे में शायद आप आज से पहले अनजान थे. तो दोस्तों चलते है और जानते है, वेद व्यास जी की जीवनी और उनके जीवन की कार्य.
वेदव्यास जी का जीवन परिचय (Biography of Ved Vyas)
श्री वेदव्यास जी ईश्वर के पुत्र माने जाते हैं. उनका जन्म यमुना नदी के द्वीप में हुआ था. इस लिए आपको द्वैपायन भी पुकारा जाता है. आप का रंग सांवला था, श्याम वर्ण होने के कारन आपको कृष्ण द्वैपायन भी पुकारा जाता है. बद्री वन में निवास करने के कारण बादरायण भी कहलाते है. आप महा मुनि पराशर के पुत्र थे आप की माता का नाम सत्यवती था. आपने अपनी माता सत्यवती को यह वचन दिया था. कि जब कभी बड़ा संकट होगा वह याद करते ही उनके सामने उपस्थित हो जाएंगे. सत्यवती के सामने अपने कुल और वंश के उत्तराधिकारी रक्षा रक्षा का भार आ खड़ा हुआ था. उन्होंने विचित्रवीर्य की विधवा अंबिका और छोटी रानी अंबालिका को नियोग द्वारा पुत्र उत्पन्न करने हेतु तैयार किया.
Summary
नाम | वेदव्यास |
उपनाम | द्वैपायन, कृष्ण द्वैपायन, बादरायण |
जन्म स्थान | हस्तिनापुर, कालपी उत्तरप्रदेश |
जन्म तारीख | 3000 ईसा पूर्व आषाढ़ पूर्णिमा |
वंश | वशिष्ठ |
माता का नाम | सत्यवती |
पिता का नाम | मुनि पराशर |
पत्नी का नाम | अंबिका, अंबालिका |
प्रसिद्धि | महाभारत की रचना, वेदों का विभाजन करने के कारण वे वेदव्यास के नाम से विख्यात हुये |
पेशा | वेदांत दर्शन, अद्वैतवाद, कवि, लेखक तथा तत्वदर्शी ज्ञानी थे |
बेटा और बेटी का नाम | धृतराष्ट्र, पांडु, विदुर |
गुरु/शिक्षक | ब्रह्मा जी |
देश | भारत |
राज्य छेत्र | उत्तरप्रदेश |
धर्म | वैदिक हिन्दू सनातन |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
मृत्यु | — |
पोस्ट श्रेणी | Biography of Ved Vyas (वेद व्यास जी की जीवनी) |
महर्षि वेदव्यास जी कौन थे?
महर्षि वेदव्यास जी महान कवि लेखक तथा तत्वदर्शी ज्ञानी थे. अठारह पुराणों तथा उपपुराणों की रचना कर उन्होंने देवताओं की बुद्धि से लेकर उनके महत्त्व में का जो वर्णन किया है. आपके द्वारा लिखित ग्रन्थ हिंदू संस्कृति की अमूल्य धरोहर है. इनमें धार्मिक विधि-विधानओं का जो वर्णनआपने किया है वह भी उनकी ज्ञान की अस्मिता तथा वाणी के ज्ञान के प्रकार से सर्वत्र व्याप्त है. महर्षि वेदव्यास वैवस्वत मन्वंतर के 28 वे वेद व्यास है. प्रत्येक द्वापर में प्रत्येक द्वापर युग में वेदों का विभाग करने वाले विभिन्न व्यास होते आये है. उनमें से वेदव्यास जी एक थे. महाभारत की रचना करने वाले वेदव्यास जी ने कृष्ण स्वरूप का अत्यंत अलौकिक चित्रण किया है.
वेदव्यास जी ने क्या उपदेश दिए थे?
आपने कलयुग के प्रभाव से महाभारत में सत्य और असत्य के बीच जो चला उसमें सत्य की विजय बताकर वेदव्यास जी ने सत्य कभी पराजित नहीं हो सकता. और असत्य को हमेशा ही पराजय का मुंह देखना पड़ता है. आपने ही सबसे पहले बताया जब-जब धर्म की हानि होगी या धर्म संकट में होगा और सारी रतियां बढ़ती जाएंगी. तब-तब महापुरुषों और अवतारों का अवतरण होता रहेगा. साधुओं और सज्जनों को अन्याय को अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए तथा. अशांत औरमोहमाया सेग्रस्त लोगों को शांति दिलाने के लिए वेदव्यास जैसे तत्व ज्ञानियों का जन्म होता रहेगा. दोस्तों हम यह कह सकते है, वेदव्यास जी सच्चे अर्थों में जगतगुरु थे.
वेदव्यास की शादी किस से हुई? और भविष्यवाणी
वेदव्यास जी की माता जी ने, विचित्रवीर्य की विधवा अंबिका और छोटी रानी अंबालिका को नियोग द्वारा पुत्र उत्पन्न करने हेतु तैयार किया. वेदव्यास जी ने अपनी मां से कहा संतान प्राप्ति के समय मेरे काले कलूटी धनी जटाओं वाले तथा विकृत करने वाले रूप तथा गंध से दोनों भयभीत ना हो अन्यथा इसका दुष्परिणाम होगा. सहज रहने वाले को ही योग्य संतान मिलेगी.
बड़ी रानी अंबिका को यह समझाने के बाद भी वह उनके रूप रंग को देखकर इतनीभयभीत हुई थी. की उसने अपनी आंखें बंद कर ली. वेदव्यास जी ने माता सत्यवती सेvकहाँ बलवान विद्वान होने पर भी उत्पन्न पुत्र अंधा होगा. व्यास जी की भविष्यवाणी सत्य साबित हुई धृतराष्ट्र अंधे पैदा हुए. अंधे पुत्र से शासन तो चलाया नहीं जा सकता. तब सत्यवती जी ने वेदव्यास जी से अंबालिका द्वारा दूसरे पुत्र की कामना की. अम्बालिका ने वेदव्यास जी से समागम के समय आंखें तो बंद नहीं की. किंतु उनके रूप रंग को देखकर उसका शरीर पीला पड़ गया.
वेदव्यास जी ने भविष्यवाणी की कि अब पुत्र पांडु वर्ण का होगा. समय आने पर अम्बालिका ने एक पुत्र को जन्म दिया. जो आगे चलकर पांडु के नाम से प्रसिद्ध हुआ था. दोनों पुत्रों को दोष रूप देखकर सत्यवती जी ने तीसरे पुत्र की कामना की. अब सत्यवती ने एक दासी को वेदव्यास जी के पास भेजा. दासी ने न केवल वेदव्यास जी की प्रसन्नता पूर्वक सेवा की, अपितु उनसे समागम किया. वेदव्यास जी की भविष्यवाणी के अनुसार विद्वान धर्मात्मा पुत्र विदुर का जन्म हुआ.
वेदव्यास जी द्वारा कौरवों और पांडवों की लड़ाई की भविष्यवाणी
गांधारी के सौ पुत्र को जन्म देने के पीछे का रहस्य वेदव्यास जी को ही मालूम था. पांडु की मृत्यु के बाद श्राद्ध के समय श्री वेदव्यास जी ने माता सत्यवती के सामने यह भविष्यवाणी की कि सुख का समय समाप्त हो गया है. कौरवो के सहार को तुम देखने पाओगी. अतः तुम वन चली जाओ. माता सत्यवती को अपने पुत्र वेदव्यास की अलौकिक शक्ति पर विश्वास था. जब वह जंगल जाने लगी तो उन्होंने अपने साथ अपनी दोनों बेटे की बहू को भी साथ ले गयी.
श्री वेदव्यास जी ने द्रोपती के पुनर्जन्म की कथा द्रुपद को यथावत दिखलाई जिससे वे उनके परम भक्त बन गए. श्री वेदव्यास जी ने अपनी अलौकिक शक्ति से धूर्तराष्ट्र को यह सूचित करते हुए फटकार लगाई. कि तुम अपने पुत्रों को रोको अन्यथा समस्त कुल का नाश होगा.
उन्होंने कोरव पुत्रों की मृत्यु के समय पूर्व पुत्र की मृत्यु कैसे होगी को समय से पहले ही बता दिया था. यह भी कहा जाता है. कि जब महाभारत के 16 वर्षों बाद तपस्या दूध राष्ट्र अपने पुत्रों परिजनों संबंधियों का संबंधियों का शौक नहीं भूल पाए. और जब युधिष्ठिर भी सपरिवार पहुंचे तो उनकी इच्छा अनुसार वेदव्यास जी ने तपस्यारत धूर्तराष्ट्र अपने मूर्त पुत्रो की मृत्यु के बाद. एवं राष्ट्र के अन्य संबंधियों को उनके पूर्व रूप में लाकर उनके सामने खड़ा कर दिया। एक रात पूरी तरह सबको मिलनोत्सव करवाया जिसे सब का एक दूसरे के प्रति मन होने वाले मनमुटाव के भाव दूर हो गया.
वेदव्यास जी ने कौन-कौन से पुराण लिखे?
दोस्तों कुछ इतिहासकार मानते हैं कि पुराणों की रचना वैदिक काल के काफी बाद की है. ये स्मृति विभाग में रखे जाते हैं. मुलत: 18 पुराण माने जाते हैं जिसमें 4 लाख श्लोक हैं. कहते हैं कि 18 पुराण महर्षि वेद व्यास ने लिखे हैं. वेदव्यास मुनि पराशर के पुत्र थे और कौरवों के पिता थे. वेदव्यास जी द्वारा लिखित ग्रंथ इस प्रकार है. ब्रह्मा पुराण , पद्मा पुराण, विष्णु पुराण, शिव पुराण, श्रीमदभागवत पुराण, नारद पुराण,अग्नि पुराण, ब्रह्म वैवर्त्त पुराण, वराह पुराण, स्कन्द पुराण, मार्कण्डेय पुरण, वामन पुराण, कूर्म पुराण, मत्स्य पुराण, गरूड़ पुराण, ब्रहमण्ड पुराण, लिंग पुराण, भविष्य पुराण.
महान साधु संतों की रोचक और अद्भुत जानकारी
1857 ईस्वी की क्रांति के महान वीरों की जीवनी और रोचक तथ्य
भारत के प्रमुख युद्ध
भारत के राज्य और उनका इतिहास और पर्यटन स्थल
Youtube Videos Links
FAQs
Ans- महर्षि वेदव्यास जी के माता सत्यवती और पिता का नाम पराशर ऋषि के पुत्र थे.
Ans- वेदव्यास जी के गुरु का नाम ब्रह्मा जी है.