Radha Soami Satsang- राधास्वामी मत के प्रथम आचार्य परम पुरुष पूरन धनी स्वामी जी महाराज का अवतार पन्नी गली आगरा में 24 अगस्त 1818 सोमवार की आधी रात 12.30 बजे हुआ था. स्वामी जी महाराज के पिता जी का नाम सेठ दिलवाली सिंह साहब था. स्वामी जी महाराज के पिता जी ने इनका नाम शिव दयाल सिंह रखा. सेठ दिलवाली सिंह साहब के स्वामी जी महाराज जेष्ठ पुत्र थे. सेठ दिलवाली सिंह साहब और उनके पिता जी धौलपुर राजस्थान रियासत के दीवान थे. स्वामी जी महाराज के दो भाई थे, सेठ वृन्दावन और सेठ प्रताप सिंह. स्वामी जी महाराज के पिता जी सेठ दिलवाली सिंह साहब गुरु नानक जी के अनुयायी थे बाद में हाथरस के तुलसी दास जी के अनुयायी हो गए थे. आपके पूर्वज पंजाब के रहने वाले थे तथा घर में गुरु गन्थ साहिब का पाठ किया जाता था.
राधास्वामी मत के प्रथम आचार्य परम पुरुष पूरन धनी स्वामी जी महाराज पन्नी गली आगरा से अब स्वामीबाग है, में निवास करने लगे. वे प्रातः रोज पानी भरणं के लिए जाया करते थे. वहा से थोड़ी दूर एक कुएं की जगत पर बैठ कर स्नान किया करते थे. उस कुँए को “मुबारक कुंए ” के नाम से जाना जाता है. एक बार स्वामी जी महाराज ने फ़रमाया था की इस कुँए के आसपास एक सत्संग की कॉलोनी बसेगी. इसके अलावा राधास्वमी सत्संग के तीसरे गुरु महाराज सहाब ने भी फ़रमाया था. की वे रिटायर होने के बाद आगरा में रहेंगे और यही बात चौथे आचार्य परम गुरु सरकार साहब ने फ़रमाया थी की वे अब स्थाई रूप से आगरा में रहेंगे.
Radha Soami Satsang and Saint Satguru (राधा स्वामी सत्संग और संत सतगुरु)
दोस्तों 1861 से पूर्व राधास्वामी मत का उपदेश बहुत चुने हुए लोगों को ही दिया जाता था. लेकिन राधास्वामी मत के दूसरे आचार्य परम गुरु हुजूर महाराज की प्रार्थना पर परम पुरुष पूरन धनी हुजूर स्वामी जी महाराज ने (शिव दयाल जी) ने 15 फ़रवरी सन 1861 को बसन्त पंचमी के दिन राधास्वामी सतसंग आम लोगो के लिये जारी कर दिया था. उस से पहले परम पुरुष पूरन धनी स्वामी जी महाराज सत्संग आगरा में ही करवाते जिसमे हर जाती और वर्गों के लोग शामिल होते थे. परम पुरुष पूरन धनी स्वामी जी महाराज ने सत्संग आम जारी करने के बाद सत्संग आगरा के बाहर स्वामी बाग में भी होने लगा और धीरे धीरे आज पुरे संसार में फैला है. आज यहाँ स्वामी जी महाराज की समाध है. जिसको राधा स्वामी मंदिर (राधा स्वामी समाध) के नाम से जाना जाता है.
Radha Soami/राधास्वामी मत की शाखाएं (Branches of Radhasoami belief)
राधास्वामी मत के सत्संग की देश में और विदेश में बहुत शाखाएं है. हम यहाँ प्रमुख शाखाओ का वर्णन कर रहे है.
राधास्वामी मत दयालबाग़ (Radhasoami Mat Dayalbagh)
राधा स्वामी सत्संग एक पेड़ समान है, जिसकी अनेक शाखाये निकली उसमे एक है राधा स्वामी सतसंग दयालबाग. राधा स्वामी सत्संग की जीतनी भी शाखाये है. उनमेँ पहले गुरु के बाद गुरु और सत्संग की किताबो में अंतर आता है. राधा स्वामी सत्संग दयालबाग के अनुयायी भी पहले गुरु परम पुरुष पूरन धनी स्वामीजी महाराज को मानते है. उनके बाद परम गुरु हुज़ूर महाराज और उनके बाद परम गुरु महाराज साहब को अपना गुरु मानते आये है. राधा स्वामी सत्संग दयालबाग़ के चौथे आचार्य परम गुरु सरकार साहब थे.
Dayalbagh/दयालबाग
20 जनवरी 1915 को बसंत पंचमी के दिन राधास्वामी मत के पाँचवे आचार्य परम गुरु हुज़ूर साहबजी महाराज ने “मुबारक कुंए ” के पास सहतुत का पेड़ लगा कर दयालबाग़ की नीव रखी और उसका नाम दयालबाग़ रखा. Dayalbagh (दयालबाग) की स्थापना के अगले दिन परम गुरु साहब जी महाराज ने REI (राधास्वमी एजुकेशन इंस्टिट्यूट) की नीव अपनी छड़ी से लाइन कर के REI की नीम रखी थी.
History Of Dayalbagh (दयालबाग का इतिहास)
दोस्तों जैसा आपने ऊपर पढ़ा ही है, 1915 को बसंत पंचमी के दिन राधास्वामी मत के पाँचवे आचार्य परम गुरु हुज़ूर साहबजी महाराज ने “मुबारक कुंए ” के पास सहतुत का पेड़ लगा कर दयालबाग़ की नीव रखी थी. लेकिन इसकी शुरुआत परम गुरु हुज़ूर सरकार साहब के प्रस्थान के बाद परम गुरु हुज़ूर साहबजी महाराज ने सोलन (हिमाचल) में 7 जून 1914 को राधास्वमी सतसंग सभा की एक एक्सिक्यूटिव कमेटी की एक मीटिंग रखी. जिसमे यह तय हुआ. राधास्वमी सतसंग का हैड कवाटर आगरा में स्थापित किया जायेगा. राधास्वामी मत के पांचवे आचार्य परम गुरु हुजूर साहब जी महाराज 04 अक्टूबर 1914 को कुछ सतसंगी और 5000 रूपये नगद लेकर आगरा आये और जमीने खरीदी. जहां आज REI है उस जमीन को 1975 रूपये में खरीदी गयी, ये पूरी जमीन 9 बीघा थी.
राधास्वामी सत्संग दयालबाग के गुरुओं के नाम
- परम पुरुष पूरन धनी स्वामीजी महाराज (Param Purush Puran Dhani Swamiji Maharaj)
- परम गुरु हुज़ूर महाराज (Param Guru Huzur Maharaj)
- Param/परम गुरु महाराज साहब (Param Guru Maharaj Sahib)
- परम गुरु सरकार साहब (Param Guru Sarkar Sahib)
- Param/परम गुरु शाहबजी महाराज (Param Guru Shahabji Maharaj)
- परम गुरु मेहताजी महाराज (Param Guru Mehtaji Maharaj)
- परम गुरु डॉ लाल साहब (Param Guru Dr Lal Sahib)
- वर्तमान परम गुरु डॉ प्रेम सरण सत्संगी साहब है (Current Param Guru is Dr. Prem Saran Satsangi Sahib)
Radhasoami Satsang Dayalbagh Official Website
परम पुरुष पूरन धनी हुजूर स्वामी जी महाराज जी की जीवनी (Biography of Param Purush Puran Dhani Huzur Swamiji Maharaj Ji)
राधास्वामी मत के प्रथम आचार्य परम पुरुष पूरन धनी स्वामी जी महाराज का अवतार पन्नी गली आगरा में 24 अगस्त 1818 सोमवार की आधी रात 12.30 बजे हुआ था. स्वामी जी महाराज के पिता जी का नाम सेठ दिलवाली सिंह साहब था. स्वामी जी महाराज के पिता जी ने इनका नाम शिव दयाल सिंह रखा. सेठ दिलवाली सिंह साहब के स्वामी जी महाराज जेष्ठ पुत्र थे. सेठ दिलवाली सिंह साहब और उनके पिता जी धौलपुर राजस्थान रियासत के दीवान थे. स्वामी जी महाराज के दो भाई थे, सेठ वर्दवान और सेठ प्रताप सिंह. स्वामी जी महाराज के पिता जी सेठ दिलवाली सिंह साहब गुरु नानक जी के अनुयायी थे बाद में हाथरस के तुलसी दास जी के अनुयायी हो गए थे.
एक बार तुलसीदास जी ने स्वामी जी महाराज की माता जी को बता दिया था आप के घर बहुत बड़ा महापुरुष का जन्म होगा. जिनके अनुयायी पूरी दुनिया में होंगे. स्वामी जी महाराज की शिक्षा पांच वर्ष में प्रारम्भ हो चुकी थी. स्वामी जी महाराज पढ़ने में बहुत तेज थे, उन्होंने बहुत जल्दी, हिंदी,गुरुमुखी, संस्कृत,फ़ारसी और अरबी भाषा में प्रवीण हो गए थे.
Summary
नाम | शिव दयाल सिंह |
उपनाम | परम पुरुष पूरन धनी स्वामीजी महाराज |
जन्म स्थान | पन्नी गली आगरा |
जन्म तारीख | 24 अगस्त 1818 सोमवार की आधी रात 12.30 बजे हुआ था |
वंश | खत्री |
माता का नाम | महामाया |
पिता का नाम | सेठ दिलवाली सिंह साहब |
पत्नी का नाम | नरायन देवी (राधा जी) |
भाई/बहन | सेठ वर्दवान और सेठ प्रताप सिंह |
प्रसिद्धि | गुरु, राधा स्वामी सत्संग के जनक |
रचना | सारबचन नसर, सारबचन नजम |
पेशा | आध्यात्मिक गुरु |
पुत्र और पुत्री का नाम | कोई संतान नहीं थी |
गुरु/शिक्षक | हाथरस के तुलसीदास |
देश | भारत |
राज्य क्षेत्र | उत्तर प्रदेश |
धर्म | हिन्दू |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
भाषा | हिंदी,उर्दू,गुरुमुखी, संस्कृत,फ़ारसी और अरबी |
मृत्यु | 15-जून-1878 |
जीवन काल | लगभग 60 वर्ष |
पोस्ट श्रेणी | स्वामी जी महाराज की जीवनी (Swamiji Maharaj Biography) |
शाकम्भरी माता
परम गुरु हुज़ूर महाराज जी की जीवनी (Biography of Param Guru Huzur Maharaj Ji)
हुजूर महाराज जी का जन्म 14 मार्च 1829 ईस्वी में पीपल मण्डी आगरा में प्रातः साढ़े चार बजे हुआ था. इनको बाद में राय बहादुर सालिगराम साहब के नाम से जाना गया. इनके पिता जी का नाम श्री बहादुर सिंह साहब था जो पैसे से वकालत करते थे. हुजूर महाराज की माता जी ग्रहणी थी.
Summary
नाम | राय बहादुर सालिगराम साहब |
उपनाम | हुजूर महाराज |
जन्म स्थान | पीपल मण्डी आगरा |
जन्म तारीख | 14 मार्च 1829 ईस्वी |
वंश | — |
माता का नाम | — |
पिता का नाम | श्री बहादुर सिंह साहब |
पत्नी का नाम | — |
उत्तराधिकारी | महाराज साहब (पंडित ब्रह्म शंकर मिश्र) |
भाई/बहन | — |
प्रसिद्धि | पोस्ट मास्टर जनरल/सतगुरु |
रचना | — |
पेशा | राधास्वामी पंत गुरु |
पुत्र और पुत्री का नाम | — |
गुरु/शिक्षक | परम पुरुष पूरन धनी स्वामीजी महाराज |
देश | भारत |
राज्य क्षेत्र | उत्तर प्रदेश |
धर्म | हिन्दू |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
भाषा | अंग्रेजी, हिंदी, उर्दू,अरबी |
मृत्यु | 1898 ईस्वी |
मृत्यु स्थान | आगरा |
जीवन काल | 69 वर्ष |
पोस्ट श्रेणी | Biography of Param Guru Huzur Maharaj Ji |
हुजूर महाराज ने सन 1847 में पोस्ट मास्टर जनरल नॉर्थ वेस्टर्न प्रोविसेज की सरकारी नौकरी उत्तरप्रदेश में शुरू की. निरंतर उनती करते हुए सन 1881 में पोस्ट मास्टर जनरल के पद पर पहुंच गए. इनकी डाक सेवा में बहुत योगदान है. डाक सेवाओं में मनी ऑडर योजना, बचत खाता खोलना, पार्सल और बीमा, वी पी पार्सल, पोस्ट कार्ड आदी योजना की शुरुआत इनकी देन थी. इनकी ऐसी योयोजनाओ की वजह से इनको 1871 में राय बहादुर की उपाधि मिली. वर्ष 1898 ईस्वी में हुजूर महाराज कुलमालिक के प्यारे हो गए थे, तब उनकी उम्र लगभग 69 वर्ष थी.
परम गुरु महाराज साहब जी की जीवनी (Biography of Param Guru Maharaj Sahib Ji)
परम गुरु महाराज साहब (पंडित ब्रह्म शंकर मिश्र) का जन्म 28 मार्च सन 1861 में शाम 3 बजकर 20 मिनट पर बनारस में हुआ. आप राधा स्वामी मत के तीसरे पूजय आचार्य हुए. आप के पिता जी पंडित राम जशन मिश्र क्वीन कॉलेज बनारस में संस्कृत प्रोफेसर थे. परम गुरु महाराज साहब के तीन भाई और एक बहन थी. माहराज साहब की छोटी उम्र में शादी हो गयी थी. आप को पत्नी का नाम नय्या जी था जो शादी के बाद में आप ने इनका नाम शब्द प्यारी रखा था.
परम गुरु महाराज साहब बलिष्ठ,साहसी और दृढ़ संकल्प के व्यक्ति थे. उनको कुस्ती और पटेबाजी में बड़ी दिलचस्पी थी. आप ने 1884 में क्वीन कॉलेज बनारस से ऍंगरेजी में MA की परीक्षा उतरिन की. महाराज साहब ने गुरुगोविंद सिंह की भूमि पंजाब वर्तमान पाकिस्तान में दोरे किये और वहा उपदेश दिए. महाराज साहब ने एक सुन्दर प्राथना रची और साथ ही में हिंदी में कविता भी लिखी थी. आप का सब से मूलयवान ग्रन्थ “डिस्करेज ऑन राधास्वामी फेथ” अंग्रेजी में था. जो वास्तव में घार्मिक साहित्य में एक उत्कर्ष ग्रन्थ है.
Summary
नाम | पंडित ब्रह्म शंकर मिश्र |
उपनाम | परम गुरु महाराज साहब |
जन्म स्थान | बनारस, उत्तर प्रदेश |
जन्म तारीख | 28 March 1861 |
वंश | मिश्र |
माता का नाम | — |
पिता का नाम | पंडित राम जशन मिश्र |
पत्नी का नाम | नय्या जी (शब्द प्यारी) |
उत्तराधिकारी | परम गुरु सरकार साहब |
भाई/बहन | तीन भाई और एक बहन थी |
प्रसिद्धि | राधा स्वामी सत्संग दयालबाग गुरु, अध्यापक |
रचना | Discourses on Radhasoami faith |
पेशा | धर्म गुरु |
पुत्र और पुत्री का नाम | — |
गुरु/शिक्षक | परम गुरु हुज़ूर महाराज |
देश | भारत |
राज्य, क्षेत्र | उत्तर प्रदेश |
धर्म | Hindu Radhasoami |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
भाषा | हिंदी, अंग्रेजी |
मृत्यु | 12 October 1907 |
मृत्यु स्थान | आगरा उत्तर प्रदेश |
जीवन काल | लगभग ४६ साल |
पोस्ट श्रेणी | Biography of Param Guru Maharaj Sahib Ji |
महाराज साहब महाराज साहब की आयु उनके इस संसार से प्रस्थान के समय केवल 46 वर्ष 6 माह थी. 12 अक्टूबर 1907 को आप ने नस्वर शरीर त्याग दिया.
परम गुरु सरकार साहब जी की जीवनी
राधा स्वामी सत्संग दयालबाग के चौथे आचार्य परम गुरु सरकार साहब ( कमाता प्रसाद सिन्हा) थे. आपका जन्म मंगलवार 12 दिसंबर 1871 में मुरार बिहार में हुआ था. आपके पिता जी का नाम कुलवन्त प्रसाद सिन्हा था, जो यूनाइटेड प्रोविन्सेज की नैयायिक सेवा में थे. और वह उप न्यायाधीश के पद से रिटायर हुए. कुलवन्त प्रसाद सिन्हा जी के चार पुत्र और एक पुत्री थी. सरकार साहब सबसे छोटे पुत्र थे. कमाता प्रसाद सिन्हा साहब ने बचपन से अपनी तीव्र बुद्धि और समरण शक्ति से सबको प्रभावित किया. एक पर पढ़ने के बाद इनको दुबारा पढ़ने की जरूरत नहीं पड़ती थी. आप को हिंदी में दक्षता प्राप्र्त थी, साथ ही आप उर्दू और फ़ारसी का ज्ञान प्राप्र्त किया. आप घुड़सवारी, सतरंज,क्रिकेट के बहुत अच्छे खिलाडी थे. परम गुरु सरकार साहब अपने ज़माने के देश के टॉप 7 सतरंज खिलाड़ियों में गिने जाते थे.
सरकार साहब ( कामता प्रसाद सिन्हा) साहब की शादी बहुत छोटी उम्र में छपरा के प्रसिद्ध वकील रधुवंश सहाय की पुत्री से हुआ था. आपकी धर्म पत्नी दुल्हन जी के नाम से पुकारी जाती थी. आपके पांच संताने हुई. पहले बच्चे की मृत्यु शैशव काल में हो गयी थी. उसके बाद दो बेटिया और दो बेटे हुए. सरकार साहब के पुत्र प्रेमी भाई गुरुदेव प्रसाद सिन्हा, टेक्निकल कॉलेज आगरा (DEI ) के प्रिंसिपल थे और सेवा निवर्ती के बाद उन्होंने MCREI के सेकेट्री पद पर कार्य किया.
Summary
नाम | कमाता प्रसाद सिन्हा |
उपनाम | परम गुरु सरकार साहब |
जन्म स्थान | मुरार बिहार |
जन्म तारीख | 12 दिसंबर 1871 |
वंश | सिन्हा |
माता का नाम | — |
पिता का नाम | कुलवन्त प्रसाद सिन्हा |
पत्नी का नाम | दुल्हन जी |
उत्तराधिकारी | परम गुरु शाहबजी महाराज |
भाई/बहन | — |
प्रसिद्धि | राधा स्वामी सत्संग दयालबाग के चौथे आचार्य |
रचना | – |
पेशा | आचार्य, गुरु |
पुत्र और पुत्री का नाम | गुरुदेव प्रसाद सिन्हा |
गुरु/शिक्षक | पंडित ब्रह्म शंकर मिश्र |
देश | भारत |
राज्य क्षेत्र | बिहार |
धर्म | हिन्दू |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
भाषा | हिंदी उर्दू और फ़ारसी |
मृत्यु | 1913 ईस्वी |
मृत्यु स्थान | मुरार बिहार |
जीवन काल | लगभग 42 वर्ष |
पोस्ट श्रेणी | Biography of Param Guru Sarkar Sahib |
परम गुरु शाहबजी महाराज की जीवनी
आप राधास्वामी मत दयालबाग के पांचवे आचार्य हुए. आपको जन्म तत्कालीन पंजाब के अम्बाला शहर (अब हरियाणा) में एक मध्यम वर्ग के आहूवालिया परिवार में माता और पिता श्री लाला किशनचंद जी के घर 6 अगस्त 1881 में हुआ था. आपका बचपन में नाम सर आनंद सवरूप था. परम गुरु शाहबजी महाराज के परिवार वाले सहजधारी सिख थे. तथा आपका परिवार अपने धार्मिक निष्ठा और प्रेम के लिए जाना जाता था. और आपका परिवार गुरु नानक के अनुयायी थे. आपके दो बड़े भाई थे और दो छोटे भाई थे, तथा एक बहन थी. आप बचपन से ही तीव्र बुद्धि, विचारशील और एकान्तचित प्रेमी थे.
आनंद स्वरूप जी ने सन् 1897 में अंबाला से मैट्रिकुलेशन की परीक्षा पास की तथा ठीक 2 साल बाद 1899 में तत्कालीन भारत के लाहौर के D.A.V कॉलेज से इंटरमीडियट की परीक्षा पास की थी. शाहबजी महाराज (आनंद स्वरूप) जी की शादी सरदार किशन जी की बेटी सोहन देवी जी से बचपन में मेट्रिक पास करने पहले ही हो गयी थी. आपके दो पुत्र और तीन पुत्री हुई इनके अलावा एक बेटी और एक बेटे की मृत्यु बचपन में गयी थी.
Summary
नाम | आनंद स्वरूप |
उपनाम | परम गुरु शाहबजी महाराज |
जन्म स्थान | अम्बाला शहर |
जन्म तारीख | 6 अगस्त 1881 |
वंश | आहूवालिया |
माता का नाम | — |
पिता का नाम | श्री लाला किशनचंद जी |
पत्नी का नाम | सोहन देवी |
उत्तराधिकारी | परम गुरु मेहता जी महाराज |
भाई/बहन | — |
प्रसिद्धि | राधा स्वामी सत्संग दयालबाग के पांचवे आचार्य |
रचना | प्रेमबानी |
पेशा | आचार्य, गुरु |
पुत्र और पुत्री का नाम | दो पुत्र और तीन पुत्री हुई |
गुरु/शिक्षक | परम गुरु सरकार साहब |
देश | भारत |
राज्य क्षेत्र | पंजाब (वर्तमान हरियाणा) |
धर्म | हिन्दू |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
भाषा | पंजाबी, अंग्रेजी, हिंदी उर्दू और फ़ारसी |
मृत्यु | सन 1975 |
मृत्यु स्थान | दयालबाग़ |
जीवन काल | 94 वर्ष |
पोस्ट श्रेणी | Biography of Param Guru Shahba ji Maharaj |
परम गुरु मेहताजी महाराज की जीवनी
परम गुरु मेहता जी महाराज राधा स्वामी सत्संग दयालबाग़ आगरा के छठे आचार्य हुए. आपका जन्म वर्तमान पंजाब के बटाला शहर में एक “मेहता पंजाबी परिवार” में दिसंबर 20 सन 1885 में हुआ था. आपका बचपन का नाम हरचरण दास मेहता था. गुरु मेहता जी महाराज के पिताजी का नाम आत्माराम मेहता साहब था. हरचरण दास मेहता जी बचपन से ही असाधारण बुद्धि और मेघावी छात्र थे. आपने गवर्मेण्ट कॉलेज लाहौर वर्तमान पाकिस्तान से बी.ए की डिग्री में द्वितीय साथ के साथ पास की. उसके बाद आपने सिविल इंजीनियरिंग की पढाई वर्तमान उत्तराखंड के रुड़की की थॉमसन कॉलेज से पास की थी.
मेहता जी ने पंजाब पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट में काम प्रारंभ किया और धीरे धीरे चीफ इंजीनियर से शासन सचिव का पद प्राप्र्त किया था. हरचरण दास मेहता जी से गुरुचरण दास मेहता बनने का भी एक दिलचस्प किसा है. छोटी उम्र में मेहताजी माहराज अपने पिताजी के संग हुज़ूर माहराज जी के सत्संग वर्तमान पीपलमंडी आगरा आये थे. तब हुज़ूर माहराज जी ने आपका नाम पूछा था, हरचरण दास से आपका नाम गुरुचरण दास मेहता कर दिया गया था.
Summary
नाम | हरचरण दास मेहता |
उपनाम | परम गुरु मेहता जी महाराज, गुरु चरण दास |
जन्म स्थान | बटाला शहर, पंजाब |
जन्म तारीख | दिसंबर 20 सन 1885 |
वंश | “मेहता पंजाबी परिवार” |
माता का नाम | — |
पिता का नाम | आत्माराम मेहता साहब |
पत्नी का नाम | — |
उत्तराधिकारी | डॉ लाल साहब जी |
भाई/बहन | — |
प्रसिद्धि | राधा स्वामी सत्संग दयालबाग के छठे आचार्य |
रचना | — |
पेशा | आचार्य, गुरु |
पुत्र और पुत्री का नाम | — |
गुरु/शिक्षक | डॉ लाल साहब जी |
देश | भारत |
राज्य क्षेत्र | पंजाब |
धर्म | हिन्दू |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
भाषा | पंजाबी,अंग्रेजी, हिंदी उर्दू |
मृत्यु | 17 फरवरी 1975 |
मृत्यु स्थान | दयालबाग़ |
जीवन काल | 90 वर्ष |
पोस्ट श्रेणी | Biography of Param Guru Mehta Ji Maharaj |
परम गुरु डॉ लाल साहब की जीवनी
राधास्वामी सत्संग दयालबाग के सातवें आचार्य परम गुरु डॉ लाल साहब जी का जन्म 31-जनवरी-1907 को गांव बिस्वा जिला सीतापुर उत्तरप्रदेश में अपने ननिहाल में हुआ था. आपके पिता जी का नाम श्री बांके बिहारी लाल था और आपके माता जी का नाम था. श्री बांके बिहारी लाल जी एक सरकारी टीचर थे और उन्होंने फैजाबाद और इलाहाबाद में अपनी सेवा देने के बाद लखनऊ में बस गए थे. डॉ लाल साहब के बड़े भाई सिंचाई विभाग में कार्यरत थे तथा छोटे भाई रसायन विज्ञान में डायरेक्टर थे. परम गुरु हुजूर डॉ लाल साहब जी की शादी प्रेमी बहन सूरत कुमारी जी से जुलाई 1932 में हुई थी. दोस्तों डॉ लाल साहब जी के ससुर जी का नाम प्रेमी भाई शम्भू नाथ जी था.
Summary
नाम | डॉ लाल साहब |
उपनाम | परम गुरु डॉ लाल साहब जी |
जन्म स्थान | गांव बिस्वा जिला सीतापुर उत्तरप्रदेश |
जन्म तारीख | 31-जनवरी-1907 |
वंश | — |
माता का नाम | — |
पिता का नाम | श्री बांके बिहारी लाल जी |
पत्नी का नाम | सूरत कुमारी |
उत्तराधिकारी | परम गुरु डॉ प्रेम सरन सत्संगी |
भाई/बहन | दो भाई |
प्रसिद्धि | राधास्वामी सत्संग दयालबाग के सातवें आचार्य |
रचना | — |
पेशा | वैज्ञानिक/गुरु |
पुत्र और पुत्री का नाम | — |
गुरु/शिक्षक | परम गुरु मेहता जी महाराज |
देश | भारत |
राज्य क्षेत्र | उत्तर प्रदेश |
धर्म | हिन्दू |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
भाषा | अंग्रेजी/हिंदी/उर्दू |
मृत्यु | सन 2002 |
मृत्यु स्थान | दयालबाग आगरा |
जीवन काल | लगभग 95 वर्ष |
पोस्ट श्रेणी | Biography of Param Guru Dr Lal Saheb |
डॉ लाल साहब जी ने 1922 में गोवेरमेंट स्कूल सीतापुर से हाई स्कूल पास की तथा क्रिश्चियन कॉलेज लखनऊ से इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की थी. उसके बाद डॉ लाल साहब जी ने जीव विज्ञानं में डिग्री लखनऊ यूनिवर्सिटी से 1926 से 1928 में प्राप्र्त की थी. आप भारत के अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक थे. आपने बहुत बार विदेशो में भारत का प्रतिनिधित्व किया था. मार्च 1946 में आप स्कॉटलैंड गए और मात्र डेढ़ साल में डायरेक्टर ऑफ़ साइंस की उपाधि प्राप्र्त कर वापस लखनऊ यूनिवर्सिटी में कार्य करने लगे. सन 1968 में लखनऊ यूनिवर्सिटी का वाईस चांसलर नियुत्क किया गया. और इस पद से आप रिटायर हुए और 1971 में आप दयालबाग़ आ गए थे. दयालबाग़ एजुकेशन इंस्टिट्यूट को डीम्ड यूनिवर्सिटी बनाने में डॉ लाल साहब का बहुत बड़ा योगदान है.
परम गुरु डॉ प्रेम सरन सत्संगी की जीवनी
आप राधास्वमी सत्संग दयालबाग़ के आठवे आचार्य हुए और वर्तमान संत सतगुरु है. आपका जन्म बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी वाराणसी के कैंपस में श्री मान कृष्ण कुमार के घर होली के दिन 9 मार्च 1937 को हुआ था. डॉ प्रेम सरन सत्संगी जी के पिता जी वनस्पति विज्ञानं के प्रोफेसर थे. डॉ प्रेम सरन सत्संगी जी ने अपनी डिग्री इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (बीएचयू) से 1957 में कम्पलीट करी थी. डॉ प्रेम सरन सत्संगी जी ने विदेश में भी पढाई की और 1960 में मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी यूनाइटेड स्टेट अमेरिका से छात्रवृत्ति स्वीकार की और यहाँ से 1961 में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग पीएचडी के साथ 1964 में भारत लोटे.
यहाँ आते ही डॉ सत्संगी जी ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली (IIT Delhi ) में अपनी नौकरी शुरू करी. प्रारंभिक वर्षों में, डॉ सत्संगी जी ने उन्होंने बुनियादी नेटवर्क सिद्धांत (विश्लेषण और संश्लेषण), नियंत्रण सिद्धांत और विद्युत कर्षण पाठ्यक्रम पढ़ाया. बाद में पदौनती होते हुए 1973 में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर के रूप में कार्य किया.
आपको कैनेडियन कॉमनवेल्थ रिसर्च फेलोशिप अवार्ड के लिए चुना गया था. आपको कैनेडियन कॉमनवेल्थ रिसर्च फेलोशिप अवार्ड के लिए चुना गया था. 1970 की गर्मियों में, वे सिस्टम डिजाइन इंजीनियरिंग और मानव-पर्यावरण अध्ययन विभाग के साथ संयुक्त शोध कार्य के लिए तीन महीने के लिए पोस्ट डॉक्टरेट फेलो के रूप में वाटरलू विश्वविद्यालय कनाडा गए.
मई 1993 में डॉ सत्संगी जी दयालबाग़ आगरा आ गए यहाँ आते ही आपने दयालबाग़ एजुकेशन इंस्टिट्यूट की बागडोर शम्भाली और DEI को एक नया आयाम पर ले कर गए. और मई 2003 में आप राधा स्वामी सत्संग दयालबाग़ के आठवे आचार्य के रूप में विराजमान हुए.
Summary
वीर तेजाजी महाराज
राधा स्वामी मत की ब्यास “पंजाब शाखा” (Radha Soami Satsang byas)
दोस्तों राधास्वामी सत्संग के पहले आचार्य परम पुरुष पूरन धनी स्वामी जी महाराज के एक शिष्य थे जिनका नाम था जयमल सिंह जी जो सेना से रिटायर थे. आपने आगरा से पंजाब के व्यास नदी किनारे सत्संग के प्रचार के लिए गए और व्यास नदी के किनारे एक छोटी सी झोपड़ी बनाई और वहां सत्संग करने लगे. साथ ही जयमल सिंह जी ने राधास्वामी सत्संग के पहले आचार्य जी निजधाम पधारने के 11 साल बाद पंजाब के व्यास नदी के किनारे राधास्वामी नाम दान देना शुरू कर दिया था. तो दोस्तों इस प्रकार राधास्वामी सत्संग व्यास की नीव रखी गयी जो आज पूरी दुनिया में जाना जाता है. राधास्वामी सत्संग की विभिन शाखाओ में राधास्वामी सत्संग व्यास के सबसे ज़्यादा श्रद्धालु है. जो की प्रेम और सेवा से हर किसी को अपनी और आकर्षित करते है.
राधा स्वामी सत्संग ब्यास के गुरुओं के नाम (Radha Soami Satsang Beas Gurus Names)
- स्वामी जी महाराज (शिव दयाल सिंह)- (1818-1878)
- बाबा जयमल सिंह जी- (1884-1903)
- महाराज सावन सिंह जी- (1903-1948)
- बाबा जगत सिंह जी- (1948-1951)
- महाराज महाराज चरण सिंह जी- (1951-1990)
- बाबा गुरिंदर सिंह जी- (1990- वर्तमान संत सतगुरु)
स्वामी जी महाराज (शिव दयाल सिंह)-(1818-1878)
राधा स्वामी सत्संग के पहले गुरु हुए थे. दोस्तों आपकी जानकारी के लिए बता दे, राधास्वामी सत्संग की स्थापना करने वाले पूर्ण गुरु स्वामी जी महाराज का जन्म और परिवार की जानकारी आपके साथ इस पेज में ऊपर कर दी गयी है. गुरु स्वामी जी महाराज का कोई गुरु नहीं थे. आप खुद मानव जाती के कल्याण के लिए 24 अगस्त 1818 सोमवार की आधी रात 12.30 बजे पन्नी गली आगरा में अवतार हुआ था.
बाबा जयमल सिंह जी की जीवनी- (1884-1903) Biography of Baba Jaimal Singh Ji
राधा स्वामी सत्संग ब्यास के दूसरे गुरु हुए थे. आपका जन्म जुलाई 1839 को गुमान, पंजाब में में हुआ था. आप बचपन से ओजस्वी गुणों के धनी थे. आपने ब्रिटिश भारतीय सेना में एक सिपाही के रूप में कार्य किया था. और बाद में हवलदार से ऊँचे पद पर आसीन हुए थे. आपन स्वामी जी महाराज के सत्संग में जाते थे. आगरा से से नाम दान लेकर और सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद आप पंजाब के ब्यास शहर के बाहर एक अलग, बंजर जगह में बस गए थे जहां लोग दिन में जाने से डरते थे. यहाँ आपने एक कच्ची झोपड़ी बनायीं अलग-थलग जगह धीरे-धीरे एक गांव में बदल गयी और आज एक शहर का रूप धारण किये हुए है.
यह जगह अब राधा स्वामी सत्संग ब्यास संगठन के रूप में दुनिया भर में प्रसिद्ध है. शिव दयाल सिंह जी ने जयमल सिंह जी को पाँच ध्वनियों के अभ्यास में आरंभ किया, जिससे जयमल सिंह जी एक साधु बन गए और वे आध्यात्मिक साधना के लिए समर्पित हो गए. आपको शिष्यों द्वारा बाबाजी महाराज के रूप में लोकप्रिय हुए.
आपने एक जीवित आध्यात्मिक मार्गदर्शक और नाम (आंतरिक ध्वनि) के अभ्यास में कुशल होने की आवश्यकता पर बल दिया था. साथ ही आपने सूरत शबद योग के संबंध में योगिक विधियों के फायदे और नुकसान का वर्णन अपनी संगत को किया. आपने निज धाम जाने की मौज 29 दिसंबर, 1903 को 64 वर्ष की आयु में पंजाब प्रांत, ब्रिटिश भारत में फ़रमाई थी.
महाराज सावन सिंह जी की जीवनी (1903-1948) | Biography of Maharaj Sawan Singh Ji – (1903-1948)
राधा स्वामी सत्संग ब्यास के तीसरे आचार्य हुए थे. आपका जन्म 02-जुलाई-1857 जटला, लुधियाना, पंजाब, ब्रिटिश भारत में हुआ था. आपका पूरा नाम सावन सिंह ग्रेवाल था, साथ ही आप एक जाट सिख परिवार में एक सूबेदार पिता के घर जन्म लिया था. आप की उच्च शिक्षा थॉमसन कॉलेज ऑफ सिविल इंजीनियरिंग, रुड़की से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और फिर मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस ज्वाइन की थी. सावन सिंह जी की शादी किशन कौर से हुई और उनके तीन बच्चे हुए. सावन सिंह जी विभिन्न धर्मों के ग्रंथों का अध्ययन करते थे लेकिन वे सिख गुरुओं के गुरबानी से बहुत मजबूती से जुड़े थे. आपने सच्चे गुरु की तलाश में पेशावर के एक बाबा से दीक्षा लेने की सोची, लेकिन उन्होंने उनके लिए ऐसा करने से मना कर दिया था.
एक बार आप मुरारी में थे, जहाँ जयमल सिंह जी से मिलने के लिए गए और 15 अक्टूबर, 1894 से सावन सिंह जी ने बाबा जयमल सिंह जी से दीक्षा लेनी शुरू कर दी थी. आप सरकारी पेंशन पर 1911 में सेवानिवृत्त हुए और डेरा बाबा जयमल सिंह को ब्यास में विकसित करना शुरू किया था. और आपने भारत के विभाजन में पीड़ित लोगों को शरण देने में बहुत मदद की थी. मित्रो जयमल सिंह जी को बडे महाराज जी के नाम से भी जाना जाता है. 2 अप्रैल, 1948 को पंजाब में आपने अपने शरीर से आत्मा का त्याग कर दिया था.
बाबा जगत सिंह जी का जीवन परिचय
बाबा जगत सिंह जी राधा स्वामी सत्संग व्यास के डेरे के चौथे गुरु हुए. आप जी का जन्म पंजाब के जालंधर शहर के पास एक छोटे से गाँव में हुआ था. आपने अपनी स्कूली शिक्षा मिशन स्कूल, जालंधर से की, और फिर एमएससी में डिग्री के साथ रसायन विज्ञान स्नातकोत्तर किया. गुरु जगत सिंह जी ने पंजाब कृषि महाविद्यालय लायलपुर में रसायन विज्ञान के सहायक प्रोफेसर के रूप में रसायन विज्ञान पढ़ाना शुरू किया और फिर वे 1943 में पीएसी से वाइस प्रिंसिपल के रूप में सेवानिवृत्त हुए.
आपने अप्रैल 1948 में राधा स्वामी सत्संग ब्यास डेरा, पंजाब की कमान संभाली और पूरी निष्ठा के साथ अपने सभी कर्तव्यों का पालन करना शुरू कर दिया था. इस तरह आप राधा स्वामी संप्रदाय के चौथे गुरु बने लेकिन उनका स्वास्थ्य दिन-ब-दिन बिगड़ता जा रहा था. जो उन्हें गुरु होने के अपने कर्तव्यों को पूरा नहीं करने दे रहा था. नतीजतन, आप राधा स्वामी सत्संग ब्यास डेरा, पंजाब में केवल 4 साल की सेवा कर सके और 23 अक्टूबर, 1951 की सुबह 67 वर्ष की आयु में अपने स्वर्गीय निवास के लिए प्रस्थान कर गए. महाराजा चरण सिंह जी महाराज को गुरु जगत सिंह जी ने राधा स्वामी सत्संग ब्यास डेरा के अगले और पांचवे गुरु के रूप में नियुक्त किया था.
महाराज चरण सिंह जी की जीवनी (1951-1990) (Biography of Maharaj Charan Singh Ji)
दोस्तों राधा स्वामी सत्संग ब्यास के पाँचवे गुरु महाराज चरण सिंह जी का जन्म दिसंबर 12, 1916, सिकंदरपुर, सिरसा, पंजाब, ब्रिटिश भारत (वर्तमान में हरियाणा) में हुआ था. आपके पिता जी का नाम सरदार हरबंस सिंह ग्रेवाल था और आपकी माता जी का नाम शाम कौर था. 22 साल की उम्र में चरण सिंह जी ने बी.ए. गॉर्डन कॉलेज, रावलपिंडी से डिग्री, और पंजाब विश्वविद्यालय, लाहौर में कानून का अध्ययन किया. आपने अपनी एलएलबी डिग्री प्राप्त करने के बाद. 1942 में अपने परिवार के अपने घर सिरसा शहर में एक वकील के रूप में अपनी प्रैक्टिस शुरू की.
1943 में ग्रेट मास्टर ने राव बहादुर शिव ध्यान सिंह की बेटी हरजीत कौर से आपकी शादी सम्पन की. 1951 में पूर्ववर्ती ब्यास गुरु महाराज जगत सिंह द्वारा आपको ब्यास सत्संग का उत्तराधिकारी नामित किया गया. चरण सिंह जी ने ब्यास के लिए गुरु के रूप में कार्य किया. चार दशकों तक संगत की सेवा करने के बाद 73 वर्ष की आयु में हृदय गति रुकने से 1 जून, 1990 ब्यास, पंजाब में आपने चोला छोड़ दिया था.
1 जून 1990 को, महाराज चरण सिंह का डेरा, ब्यास में निधन हो जाने के बाद. उन्होंने राधा स्वामी सत्संग ब्यास सोसाइटी, और महाराज जगत सिंह मेडिकल रिलीफ सोसाइटी ब्यास के संरक्षक के रूप में अपना अधिकार और जिम्मेदारी गुरिंदर सिंह ढिल्लों को सौंपी. जिन्होंने 36 वर्ष की आयु में महाराज चरण सिंह द्वारा ग्रहण की गई जिम्मेदारियों को आज तक बड़े ही आदर भाव के साथ निभाया, और निभाते आ रहे है.
राधास्वामी मत की स्वामी बाग शाखा (Radha Soami Satsang Soami Bagh Agra Branch)
दोस्तों हमारी टीम बहुत जल्दी स्वामी बाग शाखा के गुरुओं की जीवनी सत्संग की जानकारी आप के साथ यहाँ साझा करेगी। इस लिए कृपा यहाँ समय समय पर विजिट करते रहे.
राधास्वामी मत की हजूरी भवन पीपल मंडी आगरा शाखा
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दोस्तों इसके अतिरिक्त राधास्वामी मत की भारत वर्ष और विदेशों में अनेक शाखायें और उपशाखायें हैं जिनके आचार्य अलग – अलग हैं.
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FAQs
Ans- राधा स्वामी सत्संग की शुरुआत पन्नी गली आगरा से हुई थी.(Radha Swami Satsang started from Panni Gali Agra)
Note- इस आर्टिकल में दर्ज जानकारी और चित्र लेखक ने विभिन्न समाचार पत्रों, ऑनलाइन websites और कई किताबो को अध्ययन करने के बाद यहाँ पाठको के लिए उपलब्ध कराई गयी है. हम यहाँ क्या सही और क्या गलत है की पुष्टि नहीं करते है.
Very useful knowledge
Thank you
Jai radha swami ji
tnx