Uttar pradesh ka itihas and ghumne layak jagah

By | September 16, 2023
Uttar pradesh ka itihas and ghumne layak jagah
Uttar pradesh ka itihas and ghumne layak jagah

Uttar pradesh ka itihas and ghumne layak jagah- उत्तर प्रदेश का स्थान भारत के प्रमुख राज्य में से है. जो जनसंख्या की दृष्टि से प्रथम स्थान पर है. यह राज्य केंद्र की राजनीति गतिविधियों में भी प्रमुख स्थान रखता है. हालांकि कुछ वर्ष पूर्व से विभाजित कर उत्तराखंड नाम से नया राज्य बनाया गया फिर भी इसका महत्व बना हुआ है. इसके उत्तर में उत्तराखंड राज्य और नेपाल पश्चिम में हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान राज्य है. तथा केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली दक्षिण में मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ राज्य तथा पूर्व में बिहार और झारखंड राज्य से घिरा है. लगभग 25000 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले इस राज्य की कुल जनसंख्या 25 करोड़ के आसपास है. तथा जनसंख्या का घनत्व 690 प्रति व्यक्ति वर्ग किमी है.

उत्तर प्रदेश का इतिहास (Uttar pradesh ka itihas and ghumne layak jagah) पर्यटक स्थलों की अद्भुत जानकारी के लिए इस पेज को अंत तक जरूर पढ़े. यहां की राज्य भाषा हिंदी है तथा उर्दू को दूसरी राज्य भाषा का दर्जा प्रदान किया गया है. 26 जनवरी सन 1950 को भारत के गणराज्य बनने पर राज्य को अपना वर्तमान नाम उत्तर प्रदेश मिला लखनऊ राज्य की राजधानी है. जो नवाबों का शहर के नाम से प्रसिद्ध है.

उत्तर प्रदेश का इतिहास (History Of Uttar Pradesh)

ऐतिहासिक दृष्टि से इस राज्य काफी महत्व है. इसका इतिहास बहुत ही पुराना है. यह राज्य प्रसिद्ध धार्मिक महाकाव्यों का प्रेरणा स्रोत भी रहा है. उत्तर प्रदेश जनसंख्या के मामले में देश का सबसे बड़ा राज्य है और क्षेत्रफल के अधार में दूसरा सबसे बड़ा राज्य हैं. राज्य का इतिहास तकरीबन 4000 साल पुराना है. कालक्रम की दृष्टि से उत्तर प्रदेश के इतिहास को 5 भागों में विभाजित किया जा सकता है. पहला प्रागेतिहासिक एवं पौराणिक काल लगभग 600 ईसवी पूर्व तक. दूसरा बौद्ध हिंदू ब्राह्मण काल लगभग 600 ईसवी पूर्व से 1200 तक. तीसरा मुस्लिम काल लगभग 1200 से 1775 इसी तक तो था, ब्रिटिश का लगभग 1775 से 1947 तक. पांचवा स्वतंत्रता पश्चात का काल संघ 1947 से वर्तमान तक गंगा के मैदानों के बीचो बीच की अपनी स्थिति के कारण उत्तर प्रदेश समूचे उत्तरी भारत के इतिहास का केंद्र बिंदु रहा है.

पुरातत्व के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन के आधार पर इस प्रदेश के इतिहास के संदर्भ में नवीन जानकारी प्रस्तुत की है. दक्षिणी जिले प्रतापगढ़ में पाई गई मानव खोपड़ियों के अवशेष लगभग 10,000 पुराने बताए गए हैं. वैदिक साहित्य और दो महाकाव्य रामायण और महाभारत से इस क्षेत्र के सातवीं शताब्दी ईश्वर पूर्व के काल की जानकारी मिलती है. जिसमें गंगा के मैदानी का जिसमें गंगा के मैदानों का वर्णन उत्तर प्रदेश के अंतर्गत किया गया है.

महाभारत की पृष्ठभूमि राज्य के पश्चिमी हिस्से हस्तिनापुर के आसपास है. जबकि रामायण की पृष्ठभूमि पूर्व उत्तर प्रदेश राज्य में भगवान श्रीराम का जन्म स्थान आयोध्या है. जो फैजाबाद जिले में पड़ता है इसको वर्तमान में योगी आदित्यनाथ ने फैजाबाद से नाम चेंज करके अयोध्या कर दिया है. राज्य में दो अन्य पौराणिक स्रोत हैं वृंदावन, मथुरा के आसपास के क्षेत्र भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था. यहीं उन्होंने अपनी बाल लीला रचाई थी.

Uttar pradesh ka itihas and ghumne layak jagahand Tourist Places of Uttar Pradesh
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उत्तर प्रदेश का बौद्ध-हिंदू ब्राह्मण काल इतिहास

इसवी पूर्व की सातवीं शताब्दी के दौरान उत्तरी भारत में 16 महाजनपद श्रेष्ठता की दौड़ में शामिल थे. इनमें से सात वर्तमान उत्तर प्रदेश की सीमा के अंतर्गत थे. महात्मा बुद्ध ने अपना पहला उपदेश सारनाथ में दिया. महात्मा बुद्ध द्वारा स्थापित बौद्ध धर्म केवल भारत में ही नहीं बल्कि सुदूर देशों चीन, जापान, श्रीलंका आदि में भी अपनाया गया. कहा जाता है कि महात्मा बुद्ध को कुशीनगर में पर निर्माण प्राप्त हुआ था. जो पूर्व जिला देवरिया में स्थित है.

पांचवीं शताब्दी ईस्वी पूर्व से छठी शताब्दी ईसवी पूर्व तक उत्तर प्रदेश अपनी वर्तमान सीमा से बाहर केंद्रित शक्तियों के अधीन रहा. पहले मगध जो वर्तमान बिहार राज्य में स्थित है. और बाद में उज्जैन जो वर्तमान मध्यप्रदेश राज्य में स्थित है. उत्तर प्रदेश राज्य पर शासन कर चुके इस काल के महान शासकों में चंद्रगुप्त मौर्य, अशोक सम्राट जो मौर्य सम्राट थे. और समुद्र गुप्त मौर्य और चंद्रगुप्त दिर्तीय हैं. जिन्हें कुछ विद्वान विक्रमादित्य मानते हैं.

एक अन्य प्रसिद्ध शासक हर्ष थे, जिन्होंने करने को कन्यकुब्ज स्थित अपनी राजधानी आधुनिक कन्नौज के निकट स्थित अपनी राजधानी से समूचे उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, पंजाब और राजस्थान के कुछ हिस्सों पर शासन किया. हर्ष अपने समय के महान शासक थे. उन्होंने इस दौरान हिंदू तथा बौद्ध दोनों धर्मों का उथान किया. 320 ईसवी से 550 ईसवी के मध्य यहां गुप्त वंश का शासन रहा.

इस दौरान हिंदू कला का भी अत्यधिक विकास हुआ. लगभग 647 ईसवी पूर्व में हर्ष की मृत्यु के बाद हिन्दुवाद का उथान और बौद्ध धर्म का धीरे-धीरे पतन होना शुरू हो गया. इस पुनःरूस्थान के प्रमुख तथा दक्षिण भारत में जन्मे शंकर थे, जिनको शंकरचार्य जी के नाम से पुकारा जाता है. जो वाराणसी पहुंचे उन्होंने उत्तर प्रदेश के मैदानों की यात्रा की और हिमालय में बद्रीनाथ में प्रसिद्ध मंदिर की स्थापना की हिंदू धर्म के तहत इसे हिंदू संस्कृति का केंद्र माना गया है.

यूपी मुस्लिम काल इतिहास

वैसे तो धीरे-धीरे इस क्षेत्र में 1000 से 1030 के बीच ही मुस्लिम शासकों का आगमन शुरू हो गया था. परंतु 12 वीं सदी के अंत में ही यहां मुस्लिम सत्ता कायम हो सकी. जब मोहम्मद गोरी ने गढ़वालो और अन्य प्रतिस्पर्धी वंशु को हराया था. लगभग 600 वर्ष तक अधिकांश भारत की तरह उत्तर प्रदेश पर भी किसी न किसी मुस्लिम वंस का शासन रहा जिनका केंद्र दिल्ली या उसके निकटवर्ती क्षेत्र में था. उत्तर प्रदेश के इतिहास में उस समय एक नया मोड़ आया जब दिल्ली के शासक इब्राहिम लोदी को 1526 ईस्वी में बाबर ने पानीपत के प्रथम युद्ध में पराजित कर दिल्ली समेत उसके पूरे शासन क्षेत्र पर अधिकार कर लिया और भारत में मुगल वंश की नींव डाली.

इस साम्राज्य ने 200 वर्षों से भी अधिक समय तक उपमहाद्वीप पर शासन किया. इस साम्राज्य का महानतम काल अकबर का काल था. जो 1556 1605 तक चला था. जिन्होंने आगरा के पास नई राजधानी फतेहपुर सीकरी का निर्माण किया. उनके पोते शाहजहां ने अपने शासनकाल के दौरान अपनी बेगम मुमताज महल की स्मृति में आगरा में ताजमहल का निर्माण कराया.1628 ए 1658 जो विश्व के महानतम वास्तुशिल्पी नमूना में से एक है.

शाहजहां ने आगरा वह दिल्ली में ही वास्तु शिल्प की दृष्टि से कई महत्वपूर्ण इमारतें बनवाई. इस वंश के शासकों द्वारा बनाई गई इमारतें आज भी दर्शनीय है दिल्ली से सटे होने के कारण उत्तर प्रदेश की तरफ मुगल शासकों का विशेष ध्यान रहा. यहां केंद्रित मुगल साम्राज्य ने एक नई मिश्रित संस्कृति के विकास को प्रोत्साहित किया. अकबर इस के महानतम प्रतिपादक थे. जिन्होंने बिना किसी भेदभाव के अपने दरबार में वास्तुशिल्प साहित्य चित्र कला और संगीत विशेषज्ञों को नियुक्त किया.

हिंदुत्व और इस्लाम के बीच के टकराव ने कई नए मतों का विकास किया. जो इन दोनों और भारत की विभिन्न जातियों के बीच आम सहमति कायम करना चाहते थे. भक्ति आंदोलन के संस्थापक रामानंद उनका दावा था कि मुक्ति की फीलिंग या जाति पर आश्रित नहीं है. और सभी धर्मों के बीच अनिवार्य एकता की शिक्षा देने वाले कबीर ने उत्तर प्रदेश में मौजूद धार्मिक असहिष्णुता के खिलाफ अपनी लड़ाई केंद्रित की. अठारवी शताब्दी में मुगलों के पतन के साथ ही इस मिश्रित संस्कृति का केंद्र दिल्ली से लखनऊ चला गया. जो अवध वर्तमान अयोध्या के नवाब के अंतर्गत था. और जहां सांप्रदायिक सद्भाव के माहौल में कला साहित्य संगीत और काव्य का विस्तार हुआ.

उत्तर प्रदेश में ब्रिटिश काल इतिहास (अंग्रेजी हुकूमत)

ईस्ट इंडिया कंपनी का प्रवेश होते ही देश में इसका प्रभाव धीरे-धीरे बढ़ने लगा. देश में कई छोटे-छोटे राज्यों की उत्पत्ति हो गई थी. जिससे उनका काम और भी आसान हो गया था. अंग्रेज संधि और युद्ध से छोटी-छोटी रियासत और राज्य पर अधिकार करने लगे. सन 1856 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने अवध पर कब्जा कर लिया और आगरा एवं अवध सयुक्त राज्य के नाम से इसे सन 1877 में पश्चिमोत्तर राज्य में मिला लिया गया.

तत्पश्चात 1902 में इसका नाम परिवर्तित करके सयुक्त राज्य कर दिया गया था. उत्तर प्रदेश ही वह क्षेत्र है जहां ब्रिटिश शासन से मुक्ति हेतु सर्वप्रथम विद्रोह की चिंगारी भड़की. 10 मई सन 1857 को मेरठ में सैनिकों के बीच भड़का विद्रोह कुछ ही महीनों में 25 से अधिक शहरों में फैल गया था. सन 18 सो 58 में विद्रोह के दमन के बाद पश्चिमोत्तर और शेष ब्रिटिश भारत का प्रशासन ईस्ट इंडिया कंपनी से ब्रिटिश ताज को स्थानांतरित कर दिया गया था.

सन 1880 के अंतिम दौर में भारतीय राष्ट्रवाद के प्रादुर्भाव के साथ संयुक्त राज्य स्वतंत्रता आंदोलन में अग्रणी रहा. मोतीलाल नेहरू, मदन मोहन मालवीय, जवाहरलाल नेहरू और पुरुषोत्तम दास टंडन जैसे महत्वपूर्ण राष्ट्रवादी राजनीतिक नेता उत्तर प्रदेश की ही देन है. सन 1922 में भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की नींव हिलाने के लिए किया गया महात्मा गांधी का असहयोग आंदोलन पूरे सूक्त राज्य में फैल गया था.

लेकिन चोरा-चोरी गांव उत्तर प्रदेश के पूर्व भाग में स्थित जगह पर हिसा के कारण गांधी ने अस्थाई तौर पर आंदोलन रोक दिया। संयुक्त राज्य मुस्लिम लिंग की राजनीति का केंद्र रहा है. ब्रिटिश काल के दौरान रेलवे, नहर और राज्य के भीतर ही संचार के साधनों का व्यापक विकास हुआ था. अंग्रेजों ने यहां शासन तो किया परंतु कुछ महत्वपूर्ण कार्य भी किए थे. उन्होंने यहां आधुनिक शिक्षा को बढ़ावा दिया और लखनऊ में सन 1921 में स्थापित लखनऊ विश्वविद्यालय और ऐसे कई महाविद्यालय स्थापित किए.

उत्तर प्रदेश का स्वतंत्रता पश्चात इतिहास

भारत की आजादी मिलने के पश्चात संयुक्त राज्य नव स्वतंत्र भारतीय गणराज्य की एक प्रशासनिक इकाई बना. दो साल बाद इसकी सीमा के अंतर्गत टिहरी, गढ़वाल और रामपुर के 7 राज्यों को सयुक्त राज्य में शामिल कर लिया गया. संग 1950 में नए संविधान को लागू होने के साथ ही राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिशों के आधार पर संयुक्त राज्य का नाम उत्तर प्रदेश रखा गया और यह भारतीय संघ का राज्य बना.

जैसा कि उत्तर प्रदेश इतिहास पर नजर डालने से यह स्पष्ट हुआ है. कि आजादी की लड़ाई में इस राज्य का योगदान महत्वपूर्ण रहा है. स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भी जवाहरलाल नेहरू और उनकी पुत्री इंदिरा गांधी सहित कई प्रधानमंत्री सोशलिस्ट पार्टी के संस्थापक आचार्य नरेंद्र देव जैसे प्रमुख राष्ट्रीय विपक्षी दलों के नेता. और भारतीय जनसंघ बाद में भारतीय जनता पार्टी व वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी जैसे नेता दिए. राज्य की राजनीति हालांकि विभाजन कारी रही है और कम ही मुख्यमंत्रियों ने 5 वर्ष की अवधि पूरी की है. हाल ही में भाजपा के योगी आदित्यनाथ जी ने अपने पांच साल मुख्य मंत्री रहते हुए पुरे किये है.

उत्तर प्रदेश जो की बहुत ही बड़े क्षेत्रफल में फैला था. इसलिए इसके उत्तरी भूभाग विशेषकर गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र से संबंधित समस्याएं उत्पन्न हुई. इस क्षेत्र के लोगों को लगा कि विशाल जनसंख्या और वृहद भौगोलिक विस्तार के कारण लखनऊ में बैठी सरकार के लिए उनके हितों की देख रेख करना संभव नहीं है. बेरोजगारी, गरीबी और सामान्य व्यवस्था व पीने के पानी जैसी आधारभूत सुविधाओं की कमी और क्षेत्र के अपेक्षाकृत कम विकास ने लोगों को एक अलग राज्य की मांग करने पर मजबूत कर दिया था.

शुरु- शुरु में नए राज्य के लिए विरोध कमजोर था. लेकिन सन 1990 के दशक में इसने जोर पकड़ा। यह आंदोलन तब और भी ऊपर हो गया, जब 2 अक्टूबर सन 1994 को मुजफ्फरनगर में इस आंदोलन के एक्शन में पुलिस द्वारा की गई गोलीबारी में 40 लोग मारे गए. अनंत नवंबर सन 2000 में उत्तर प्रदेश के पश्चिमोत्तर को मिलाकर इसमें कुमाऊं और गढ़वाल के पहाड़ी क्षेत्र भी शामिल है. उत्तराखंड राज्य का गठन किया गया फिर भी उत्तर प्रदेश का स्वरूप अभी काफी बड़ा है.

भू-आकृति

भौगोलिक संरचना की दृष्टि से उत्तर प्रदेश को दो भागों में बटा हुआ है. उत्तर प्रदेश के कुल क्षेत्रफल का लगभग 90% हिस्सा गंगा के मैदान में हैं. मैदान अधिकांशतः गंगा और उसकी सहायक नदियों द्वारा लाए गए जलोढ़ अवसादो से बने हैं. क्षेत्र के अधिकांश हिस्सों में उतार-चढ़ाव नहीं है. यदि मैदान बहुत उपजाऊ है. लेकिन उनकी ऊंचाइयों में कुछ विभिन्नता है. जो पश्चिमोत्तर में 305 मीटर और सुदूर पूर्व में 58 मीटर है. गंगा के मैदान के दक्षिणी उच्चभूमि अत्यधिक विच्छेदित और विषम विन्ध्याचल का एक भाग है. जो सामान्यतः दक्षिण पूर्व की ओर उठती चली जाती है, यहां कहीं कहीं कि 305 मीटर से ज्यादा ऊंचाई पाई जाती है.

उत्तर प्रदेश की मिट्टी

इस राज्य में कई पवित्र नदियों के अलावा अन्य नदियां भी हैं. हिमालय तथा विंध्याचल पर्वत से निकलने वाली नदियां इस प्रदेश में होकर बहती है. गंगा एवं उसकी मुख्य सहायक नदियों यमुना, रामगंगा, गोमती, घाघरा और गंडक को हिमालय के हिम से लगातार पानी मिलता है. विंध्य श्रेणी से निकलने वाली नदियों में चंबल, बेतवा और केन यमुना से पहले राज्य के दक्षिणी पश्चिमी से में बहती है. विंध्याचल पर्वत श्रेणी से निकलने वाली सोन नदी राज्य के दक्षिणी पूर्वी भाग में बहती है. और राज्य की सीमा से बाहर बिहार में जाकर गंगा नदी में समाहित हो जाती है.

उत्तर प्रदेश राज्य के समुचित क्षेत्रफल का लगभग दो तिहाई भाग गंगा तंत्र की धीमी गति से बहने वाली नदियों द्वारा लाई गई जलोढ़ मिट्टी की गहरी परत से ढका है. अत्यधिक उपजाऊ यह जलोढ़ मिट्टी कहीं रेतीली है. तो कहीं चिकनी दोमट राज्य के दक्षिणी भाग की मिटी सामान्यतः मिश्रित लाल और काली या लाल से लेकर पीली है. राज्य के पश्चिम क्षेत्र में मुर्दा ककरीली से लेकर उवर्रक दोमट तक है. जो महीन रेत और होम्स मिश्रित है. जिसकी वजह से कुछ छेत्र घने वनों से आच्छादित हैं.

उत्तर प्रदेश की जलवायु

यहां पर उष्णकटिबंधीय मानसूनी जलवायु पाई जाती है. राज्य में औसतन तापमान जनवरी में 12 से 13 डिग्री रहता है. जबकि मई-जून में यहां 35 से 45 डिग्री के बीच रहता है. राज्य में नवंबर से फरवरी तक ठंडी तथा मार्च से जून तक गर्मी और जुलाई से अक्टूबर के मध्य वर्षा ऋतु होती है. ग्रीष्म काल के मध्य में गर्मी व शीतकाल के मध्य में सदियां काफी बढ़ती है. इस राज्य के विभिन्न विभिन्न क्षेत्रों की वर्षा की दर भी अलग-अलग है.

इसके पूर्वी क्षेत्रों में 112 सेंटीमीटर से मध्यवर्ती क्षेत्र में 94 सेंटीमीटर तथा पश्चिमी क्षेत्रों में 94 सेंटीमीटर तथा पहाड़ी व पठारी क्षेत्र में कानून सेंटीमीटर तक वर्षा होती है. राज्य में लगभग 90% वर्षा दक्षिणी पश्चिमी मानसून के दौरान होती है. जो जून से सितंबर तक होती है. वर्षा इन 4 महीनों में होने के कारण बाढ़ एवं अवंती समस्या है. जिससे खासकर राज्य के पूर्वी हिस्से में फसल जनजीवन व संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचता है. मानसून की लगातार विफलता के परिणाम स्वरूप कभी-कभी सूखा पड़ता है, फसल का नुकसान भी होता है.

वनस्पति और प्राणी जीवन

इस राज्य के ज्यादातर वन ऐसे हैं, जो झाड़ीदार हैं इनका विस्तार दक्षिणी उस भूमि पर है. विविध स्थलाकृति एवं जलवायु के कारण इस क्षेत्र का प्राणी जीवन समृद्ध है. यहां शेर, तेंदुआ, हाथी, जंगली सूअर, घड़ियाल के साथ-साथ कबूतर, फाख्ता, जंगली बतख, तीतर, मोर, कठफोड़वा, नीलकंठ और बटेर आदि भी मिलते हैं. कई प्रजातियां जैसे गंगा के मैदान से शेर और तराई क्षेत्र से गैंडे अब विलुप्त हो चुके हैं. वन्य जीवन के संरक्षण के लिए सरकार ने संदर्भा वन्य जीव अभ्यारण और दुधवा अभ्यारण सहित कई अन्य अभ्यारण की स्थापना भी की है.

उत्तर प्रदेश का जनजीवन और संस्कृति

गंगा का मैदान जो सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व वाला क्षेत्र है. राज्य की लगभग 80% से भी अधिक जनसंख्या का भरण पोषण करता है. इसकी तुलना में हिमालय क्षेत्र व दक्षिणी उच्च भूमि में जनसंख्या के घनत्व काफी कम है. इस राज्य की ज्यादातर आबादी आर्य द्रविड़ जाती है. इस समूह से संबंध है यहां की जनसंख्या का लगभग 80% हिस्सा हिंदू लगभग 20% मुस्लिम वह 1% से भी कम अन्य धार्मिक समुदायों में से सिख, बौद्ध, ईसाई व जैन को मानने वाले है. हिंदी राज्य की 85% व उर्दू 15% लोगों की मातृभाषा है. लोगों द्वारा बोली जाने वाली हिंदुस्तानी भाषा में दोनों ही भाषाओं के सामान्य शब्द हैं, इसे पूरे राज्य के लोग समझते हैं.

उत्तर प्रदेश राज्य में कुल आबादी का 80% भाग गांव में निवास करती है. जिसका प्रमुख पैसा कृषि व पशुपालन है ग्रामीण आवासों की विशेषताएं हैं. राज्य के पश्चिमी हिस्से में पाए जाने वाले घने बसे हुए गांव। पूर्व क्षेत्र में पाए जाने वाले छोटे गांव और मध्य क्षेत्र में दोनों का मिला जुला रूप है. उत्तर प्रदेश में गांव के घर मिट्टी के मकानों का मिश्रित आकार हीन समूह होता है. जिसकी छत फुस या मिट्टी के कपड़ों से बनी होती है. इन मकानों में हालांकि आधुनिकरण की प्रक्रिया स्पष्ट तौर पर दिखाई देती है. सीमेंट से बने घर पक्की सड़कें बिजली रेडियो टेलीविज़न जैसी उपभोक्ता उपभोक्ता वस्तुएं पारंपारिक ग्रामीण जीवन को में पारंपारिक ग्रामीण जीवन को प्रवचन कर रही हैं. उनका प्रचार-प्रसार गांवो के क्षेत्रों में तेजी से बढ़ रहा है.

यूपी उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहर कौन-कौन से है?

राज्य में कई प्रमुख शहर भी हैं, जहां शहरी आबादी का अधिकांश भाग 1 लाख से अधिक जनसंख्या वाले शहरों में निवास करता है. कानपुर, लखनऊ, वाराणसी, बनारस, आगरा और इलाहाबाद उत्तर प्रदेश राज्य के प्रमुख व सबसे बड़े नगर हैं. कानपुर उत्तर प्रदेश के मध्य क्षेत्र में स्थित प्रमुख औद्योगिक नगर है. कानपुर के पूर्वोत्तर में 48 किमी दूरी पर राज्य की राजधानी लखनऊ स्थित है.

वाराणसी एक धार्मिक स्थल है, जो हिंदुओं का पवित्र शहर है. यह विश्व के प्राचीनतम सतत आवासीय शहरों में से एक है. राज्य के पवित्र शहरों में इलाहाबाद भी प्रमुख है. यहाँ गंगा, यमुना और पुरानी सरस्वती नदी के संगम पर स्थित है. राज्य के दक्षिणी पश्चिमी हिस्से में स्थित आगरा में मुगल बादशाह शाहजहां द्वारा अपनी बेगम की याद में बनाया गया मकबरा ताजमहल स्थित है. जो दुनिया के सात अजूबों में से एक है. जनसंख्या की दृष्टि से इस राज्य की एक विकट समस्या है. जो कि निरंतर व्यापक रूप धारण किए जा रही है.

उच्च वृद्धि दर और शिशु मृत्यु दर में उल्लेखनीय कमी के कारण राज्य में युवा वयस्कों, बच्चों के अनुपात में पर्याप्त वृद्धि हुई है. 19वीं शताब्दी के अंत में भीषण गरीबी और बेहतर अवसरों की की संभावनाओं ने राज्य के लोगों को नेपाल, दक्षिण अफ्रीका, मॉरीशस और वेस्टइंडीज जैसे सुदूर क्षेत्रों में पलायन करने को मजबूर किया है. यहाँ के लोगों का मानना है कि हिंदू धर्म की प्राचीन सभ्यता का उदय इसी राज्य में हुआ था. वैदिक साहित्य महाकाव्य रामायण और महाभारत के उल्लेखनीय हिस्सों का मूल यहाँ के आश्रमों में है. बौद्ध- हिंदू काल के ग्रंथों व वास्तुशिल्प ने भारतीय संस्कृति विरासत में बड़ा योगदान दिया है. सन 1947 के बाद से भारत सरकार का चिन्ह मौर्य सम्राट अशोक द्वारा बनाए गए चार शेर युक्त स्तम्भ वाराणसी के निकट सारनाथ में स्थित है पर आधारित है.

उत्तर प्रदेश की वास्तु कला

राज्य के वाराणसी में स्थित हजारो सालो पुराणी संस्कृति और ऐतिहासिक धरोहर का एक अलग स्थान है. मुगल शासन काल के दौरान इस राज्य में वास्तुशिल्प, चित्रकारी, संगीत, नृत्य और 2 भाषाएं हिंदी व उर्दू काफी विकसित हुई. इस काल के चित्रों में सामान्यतः धार्मिक व ऐतिहासिक ग्रंथों का चित्रण है. यदि साहित्य संगीत का उल्लेख प्राचीन संस्कृत ग्रंथों में किया गया है. और माना जाता है कि गुप्त काल मैं संगीत समृद्ध हुआ. संगीत परंपरा का अधिकांश हिस्सा इस काल के दौरान उत्तर प्रदेश में विकसित हुआ. उत्तर प्रदेश के साथ-साथ पूरे भारत में प्रसिद्ध तानसेन, बैजू बावरा जैसे संगीतज्ञ मुगल शहंशाह अकबर के दरबार में थे, जिनको आज भी पूरे देश में याद किया जाता हैं.

भारतीय संगीत के 2 सर्वाधिक प्रसिद्ध बाद, सितार वीणा और तबले का विकास इसी काल के दौरान उत्तर प्रदेश हुआ था. 18 वीं शताब्दी के दौरान इस राज्य में वृंदावन में मथुरा के मंदिरों में भक्ति पूर्ण नृत्य के तौर पर विकसित शास्त्रीय नृत्य शैली उत्तरी भारत की शास्त्रीय नृत्य शैलियों में सर्वाधिक प्रसिद्ध है. इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों के स्थानीय गीत व नृत्य भी हैं. सबसे प्रसिद्ध लोक गीतों पर आधारित है.

यूपी उत्तर प्रदेश में बोली जाने वाली भाषाएं

इस राज्य में बोली जाने वाली हिंदी भाषा राज्य की राजकीय भाषा होने के साथ-साथ ही राष्ट्रभाषा वह मातृभाषा भी है. उत्तर प्रदेश को हिंदी भाषा का उद्गम स्थल भी माना जाता है. क्यों की शताब्दियों के दौरान हिंदी के कई स्थानीय स्वरूप विकसित हुए. साहित्य हिंदी ने 19 शताब्दी में खड़ी बोली का वर्तमान स्वरूप धारण नहीं किया था. वाराणसी के भारतेंदु हरिश्चंद्र हिंदी के अग्रणी लेखकों में से एक थे. जिन्होंने हिंदी के इस स्वरूप का प्रयोग सहित एक माध्यम के रूप में किया था.

उत्तर प्रदेश में कला संग्रहालय

दोस्तों उत्तर प्रदेश में कला संग्रहालय की संख्या काफी है. जिसमें लखनऊ स्थित राज्य संग्रहालय, मथुरा स्थित पुरातात्विक संग्रहालय, बोध पुरातात्विक संग्रहालय, सारनाथ संग्रहालय, वाराणसी स्थित भारत कला भवन और इलाहाबाद स्थित नगर पालिका संग्रहालय प्रमुख हैं. लखनऊ स्थित कला एवं हिंदुस्तानी संगीत के महाविद्यालय और इलाहाबाद स्थित प्रयोग संगीत समिति ने देश में कला और शास्त्रीय संगीत के विकास में काफी सहयोग प्रदान किया है. नागरी प्रचारिणी सभा हिंदी साहित्य सम्मेलन और हिंदुस्तानी अकादमी हिंदी साहित्य के विकास में सहायक रही है. हाल ही में उर्दू साहित्य के संरक्षण व समृद्धि हेतु राज्य सरकार ने उर्दू अकादमी की स्थापना भी की है.

उत्तर प्रदेश के त्योहार

राज्य के अधिकांश पर्व व अवकाश हिंदू पंचांग पर आधारित होते हैं. यहां मनाए जाने वाले महत्वपूर्ण त्योहारों में धर्म पर बुराइयों के प्रतीक रावण पर राम की विजय का पर्व दशहरा. धन की देवी लक्ष्मी को समर्पित प्रकाश पर्व दीपावली। भगवान शिव की आराधना को समर्पित शिवरात्रि हिंदुओं के सर्वाधिक रंगारंग त्योहार होते हैं. भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है. जिसका मथुरा वृंदावन में विशेष आकर्षण है.

अली हुसैन बिन अली की शहादत का प्रतीक मोहर्रम रोजाओं का महीना रमजान और ईद उत्तर प्रदेश में मुसलमानों के महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहार हैं. गुरु पूर्णिमा महावीर जयंती, गुरु नानक का जन्मदिन और क्रिसमस कर्म से जेन, सिख क्रिश्चियन के लिए महत्वपूर्ण त्यौहार है. राज्य में वर्ष भर दो हजार से अधिक मेले लगते हैं. भारत का विशालतम कुंभ मेला हर 12 वर्ष के अंतराल पर इलाहाबाद में आयोजित किया जाता है. इस पवित्र अवसर पर आने वाले भक्त जनों की संख्या करोड़ों में होती है.

यूपी उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था

इस राज्य की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है. जो यहां के ग्रामीण इलाकों का प्रमुख व्यवसाय है. यहां की तीन चौथाई लगभग 75% से अधिक जनसंख्या कृषि कार्यों में लगी है. राज्य में औद्योगीकरण के लिए महत्वपूर्ण खनिज एवं ऊर्जा संसाधनों की कमी है. यहां केवल सिलिका, चुना – पत्थर कोयले जैसे खनिज पदार्थ ही उल्लेखनीय मात्रा में पाए जाते हैं. इसके अलावा यहां जिप्सम, मेघनासाइट, फास्टफॉरराइट और बॉक्सर साइट के अलग भंडार मिलते हैं. चावल, गेहूं, ज्वार, बाजरा, जो और गन्ना राज्य में उत्पादित की जाने वाली प्रमुख फसलें हैं. सन 1960 के दशक से गेहूं व चावल की उच्च पैदावार वाले बीजों के प्रयोग उर्वरकों की अधिक उपलब्धता और सिंचाई के अधिक इस्तेमाल से उत्तर प्रदेश खदान का सबसे बड़ा उत्पादक बन गया है.

यहां के किसानो को दो तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. पहला आर्थिक रूप से लाभकारी छोटे खेत और दूसरा बेहतर उत्पाद के लिए प्रौद्योगिकी में निवेश करने के लिए पर्याप्त संसाधन. इस राज्य के अधिकांश कृषि भूमि किसानों का मुश्किल से ही भरण पोषण कर पाती है. पशुधन व डेयरी उद्योग के आर्थिक स्रोत हैं. हालांकि प्रति गाय दूध का उत्पादन कम है, राज्य में वनों का विस्तार होने से इमारती लकड़ी इंधन प्लाईवुड कागजी जैसे औद्योगिक उत्पादों को उत्पादों के लिए कच्चा माल उपलब्ध हो जाता है. राज्य सरकार के वन लगाने के कार्यक्रम से वन क्षेत्र में बढ़ोतरी हुई है. और साथ ही औद्योगिक उपयोग के लिए अन्य उत्पादों की उपलब्धता में वृद्धि हुई है. यहाँ वस्त्र उद्योग व चीनी उद्योग राज्य में काफी समय से चल रहा है. जिसमें राज्य की कुल मिल कर्मियों का लगभग एक तिहाई सलंगन है.

यूपी की मिले

राज्य के अधिकांश मिले पुरानी वह कम है. अन्य संसाधन आधारित उद्योगों में वनस्पति तेल, जूट, सीमेंट उद्योग शामिल है. यहां भारी उपकरण मशीनें, इस्पात, वायुयान, टेलीफोन, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और उत्पाद करने वाले बहुत से बड़े कारखाने स्थापित हुए हैं. इस राज्य के मथुरा में एक तेल शुद्धिकरण और राज्य के दक्षिण पूर्व मिर्जापुर जिले में कोयला क्षेत्र का विकास केंद्र सरकार के दो प्रमुख योजनाएं हैं. जो वर्तमान के अच्छा काम कर रही है. राज्य सरकार ने मध्य और लघु उद्योगों को व्यापक रूप से प्रोत्साहित किया है. यह राज्य हस्तशिल्प, कालीन, पीतल की वस्तुएं, जूते, चप्पल, चमड़े व खेल का सामान आदि का निर्यात भी करता है. भदोही मिर्जापुर के कालीन की तारीफ पूरे विश्व में की जाती है.

वाराणसी का रेशम व जरी का काम मुरादाबाद की पीतल की खूबसूरत वस्तुएं लखनऊ की चिकनकारी नागवा का आबनूस की लकड़ी का काम फिरोजाबाद प्रकाश की वस्तुएं और सहारनपुर की नक्काशीदाल लकड़ी का कार्य काफी लोकप्रिय है. राज्य को निरंतर बिजली की कमी का सामना करना पड़ता रहा है. जो वर्तमान समय में थोड़ा कम हुआ है. सन 1951 से स्थापित बिजली की क्षमता बढ़ी है. लेकिन मांग और आपूर्ति के बीच अंतर में निरंतर वृद्धि हो रही है. भारत के विशालतम ताप विद्युत केंद्र में से एक ओबरा दक्षिणपुर उत्तर प्रदेश के कई अन्य हिस्सों में स्थित विभिन्न पनबिजली संयंत्रों और बुलंदशहर के परमाणु बिजली घर में बिजली का उत्पादन किया जाता है.

परिवहन

कुल मिलाकर राज्य के परिवहन व्यवस्था को अच्छा कहा जा सकता है. राज्य के प्रमुख शहर नगर सड़कों पर रेल रेल संपर्क से जुड़े हैं. फिर भी आमतौर पर सड़कों की स्थिति में सुधार हुआ है. और रेल की पटरियों की विभिन्न लाइनों के बीच सामान्य सामान जैसे ना होने के कारण रेल प्रणाली भी प्रभावित हुई है. लखनऊ उत्तरी नेटवर्क का मुख्य जंक्शन है. यहां के मुख्य नगर वायु मार्ग द्वारा दिल्ली व भारत के अन्य बड़े शहरों से जुड़े हैं. राज्य के भीतर परिवहन तंत्र में गंगा, यमुना, घाघरा नदियों के अंतर्देशीय जल परिवर्तन भी शामिल है.

उत्तर प्रदेश में कितने जिले हैं? 75 जिले कौन-कौन से है?

  1. वाराणसी जिला
  2. आगरा जिला
  3. इटावा जिला
  4. फैजाबाद जिला
  5. फर्रुखाबाद जिला
  6. फतेहपुर जिला
  7. अलीगढ़ जिला
  8. मऊ जिला
  9. मेरठ जिला
  10. मिर्जापुर जिला
  11. मुरादाबाद जिला
  12. मुजफ्फरनगर जिला
  13. पीलीभीत जिला
  14. प्रतापगढ़ जिला
  15. रायबरेली जिला
  16. रामपुर जिला
  17. सहारनपुर जिला
  18. सम्भल
  19. संत कबीर नगर जिला
  20. संत रविदास नगर जिला
  21. शाहजहाँपुर जिला
  22. शामली जिला
  23. श्रावस्ती जिला
  24. सिद्धार्थ नगर जिला
  25. इलाहाबाद जिला
  26. अम्बेडकर नगर जिला
  27. अमेठी जिला
  28. बलरामपुर जिला
  29. बांदा जिला
  30. बाराबंकी जिला
  31. बरेली जिला
  32. कासगंज
  33. कौशाम्बी जिला
  34. खीरी जिला
  35. कुशीनगर जिला
  36. ललितपुर जिला
  37. बस्ती जिला
  38. बिजनौर जिला
  39. बदायूं जिला
  40. बुलंदशहर जिला
  41. चंदौली जिला
  42. चित्रकूट जिला
  43. देवरिया जिला
  44. एटा जिला
  45. फिरोजाबाद जिला
  46. गौतम बुद्ध नगर जिला
  47. गाजियाबाद जिला
  48. गाज़ीपुर जिला
  49. सीतापुर जिला
  50. सोनभद्र जिला
  51. सुल्तानपुर जिला
  52. गोंडा जिला
  53. गोरखपुर जिला
  54. हमीरपुर जिला
  55. हापुड़ जिला
  56. औरैया जिला
  57. आजमगढ़
  58. बागपत जिला
  59. बहराइच जिला
  60. जौनपुर जिला
  61. झाँसी जिला
  62. अमरोहा जिला
  63. कन्नौज जिला
  64. बलिया जिला
  65. हरदोई जिला
  66. हाथरस जिला
  67. जालौन जिला
  68. कानपुर देहात जिला
  69. कानपुर नगर
  70. लखनऊ जिला
  71. महाराजगंज जिला
  72. महोबा जिला
  73. मैनपुरी जिला
  74. मथुरा जिला
  75. उन्नाव जिला

उत्तर प्रदेश में प्रमुख घूमने लायक जगह (पर्यटन स्थल)

उत्तर प्रदेश में धार्मिक महत्व बहुत ज्यादा है. यहां पर कई धार्मिक स्थल हैं, जो पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है. इसके और भी कई ऐतिहासिक इमारतें भी हैं जो पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है. यहां के कुछ पर्यटन स्थलों का संक्षिप्त विवरण निम्न प्रकार है.

Uttar pradesh ka itihas and ghumne layak jagah
Uttar pradesh ka itihas and ghumne layak jagah
  • अयोध्या- इसे राम जन्मभमि के लिए जाना जाता है.
  • पिंडारी ग्लेशियर- इसे हिमालय सौंदर्य मई-जून फूलों के लिए अल्मोड़ा से 120 किलोमीटर के लिए जाना जाता है.
  • मुरादाबाद- इसे तांबे का हस्तशिल्प के लिए जाना जाता है.
  • सिकंदराबाद- इसे अकबर के मक़बरा आगरा से 10 किलोमीटर के लिए जाना जाता है.
  • मथुरा- इसे हिंदू तीर्थ स्थल प्राचीन शहर भगवान श्री कृष्ण की जन्मभूमि मंदिर मस्जिद संग्रहालय के लिए जाना जाता है.
  • लखनऊ- इसे राज्य की राजधानी मुस्लिम संस्कृति केंद्र, बाग बगीचे ऐतिहासिक इमारत आदि के लिए जाना जाता है.
  • सारनाथ- इसे मुख्य बौद्ध तीर्थ स्थल मठ धार्मिक केंद्र संग्रहालय प्राचीन स्तूप वाराणसी से 10 किलोमीटर आदि के लिए जाना जाता है.
  • मिर्जापुर- इसे हस्तकला, मंदिर आदि के लिए जाना जाता है.
  • कुशीनगर- इसे बौद्ध तीर्थ स्थल भग्नावशेष आदि के लिए जाना जाता है.
  • पनवलोना- इसे मंदिर अल्मोड़ा से 30 किलोमीटर के लिए जाना जाता है.
  • वृंदावन- इसे हिंदू तीर्थ स्थल भगवान श्री कृष्ण की जन्म भूमि के लिए जाना जाता है.
  • फतेहपुर सीकरी- इसे अकबर की प्राचीन राजधानी, दुर्ग, महल, मकबरा, मस्जिद, हजरत सलीम चिश्ती की दरगाह के लिए जाना जाता है.
  • इलाहाबाद- इसे पवित्र नदी संगम कुंभ मेला प्रति 12 वर्ष दुर्ग, मंदिर, मस्जिद सांस्कृतिक केंद्र के लिए जाना जाता है.
  • कन्नौज- इसे प्राचीन राजधानी भग्नावशेष के लिए जाना जाता है.
  • भीटा- इसे पुरातत्व उत्खनन, इलाहाबाद से 22 किलोमीटर के लिए जाना जाता है.
  • श्रावस्ती- इसे प्राचीन बौद्ध शहर के भग्नावशेष, स्तूप, महल, तांबा के लिए जाना जाता है.
  • गढ़मुक्तेश्वर- इसे धार्मिक अध्यात्म व चिकित्सा केंद्र के लिए जाना जाता है.
  • रामनगर- इसे दुर्ग महल वाराणसी से 10 किलोमीटर के लिए जाना जाता है.
  • बटेश्वर- इसे मंदिर, मुख्य पशु मेला के लिए जाना जाता है.
  • कानपुर- इसे औद्योगिक केंद्र, मंदिर, चर्च, संग्रहालय बगीचे के लिए ये जाना जाता है.
  • अलीगढ़- मुस्लिम विश्वविद्यालय, दुर्ग के लिए जाना जाता है.
  • दुधवा- राष्ट्रीय उद्यान के लिए जाना जाता है.
  • इटावा- इसे पशु मेला अक्टूबर के लिए जाना जाता है.
  • आगरा- इसे ताजमहल, दुर्ग, महल, बाग बगीचे, मकबरा, जूता उद्योग के लिए जाना जाता है.
  • फैजाबाद- इसे मुस्लिम स्मारक के लिए जाना जाता है.
  • चुनार- इसे दुर्ग तीर्थ स्थल के लिए जाना जाता है.
  • झांसी- इसे दुर्ग के लिए जाना जाता है.
  • जौनपुर- इसे भारतीय वास्तुकला के लिए जाना जाता है.

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श्री जलाराम बापा की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=s2xbAViUlfI&t=6s
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FAQs

Q- आगरा में घूमने लायक जगह कौन-कौन सी है?.

Ans- आगरा में घूमने लायक जगह में ताजमहल, राधा स्वामी मंदिर समाध, अकबर का मकबरा, आगरा का किला, सिकंदरा, राजा मंडी, पीपल मंडी, फतेपुर सीकरी के किले और इमारते प्रमुख जगह है.

भारत की संस्कृति

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