इनका जन्म 21 दिसम्बर, 1901 को हुआ. उस्मानी मूल रूप से बीकानेर के रहने वाले थे। उस्मानी की शिक्षा बीकानेर के दरबार हाई स्कूल में और बाद में डूंगर कॉलेज में हुई. उन दिनों भारतीय युवकों का एकमात्र लक्ष्य था सोवियत यूनियन में पहुँच मजदूरों-किसानों का राज्य कायम करने के लिए सेना में भर्ती होकर प्रशिक्षण प्राप्त करना. इस इरादे से उस वक्त हजारों व्यक्ति सोवियत रूस में जाने के लिए और हथियार हासिल करने के लिए अफगानिस्तान पहुँचे उस्मानी भी उनमें से एक थे। शौकत उस्मानी ने इसके पहले भी कई बार भारत छोड़ देने की कोशिश की थी, नाकामयाब रहे। जो लोग रूस जाने के लिए अफगानिस्तान आए थे, उनमें से कोई 300 ही 1920 के दौरान अलग-अलग समय पर वहाँ पहुँचने में सफल हुए। इन 300 में से भी केवल 36 व्यक्तियों ने लाल सेना में भर्ती होकर प्रतिक्रियावादी शक्तियों के खिलाफ युद्ध किया था।
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Biography of freedom fighter Shaukat Usmani
दोस्तों स्वतंत्रता सेनानी शौकत उस्मानी का जन्म राजस्थान के बीकानेर में एक मुस्लिम चेजारा (मकान बनाने वाले कारीगर) परिवार में सन 21 दिसम्बर, 1901 को हुआ था। दरबाई हाई स्कूल और डूंगर कॉलेज में पढ़ने के बाद उस्मानी का व्यक्तित्व एक लेखक और पत्रकार के रूप में भी बेमिसाल रहा है।
दोस्तों आपको ये जानकर ताजुब होगा, शौकत उस्मानी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापकों में से एक हैं, वे देश की स्वाधीनता के लिए सन् 1947 के पहले तीन बार की जेल यात्राओं में कुल मिलाकर कम से कम 16 वर्ष तक जेलों में रहे । उन्होंने रूस की लाल सेना में भर्ती होकर क्रान्ति की दीक्षा ली, इंग्लैंड में रहकर विभिन्न विषयों पर पुस्तकों का प्रकाशन किया, काहिरा में रहकर भारतीय समाचार पत्रों का प्रतिनिधित्व किया।
शौकत उस्मानी का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में क्या योगदान था?
शौकत उस्मानी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में ही भाग नहीं लिया वरन् आपने रूस की लाल सेना के सिपाही के रूप में भी कार्य किया। श्री उस्मानी अफगानिस्तान के रास्ते से रूस गये थे। इस यात्रा के दौरान उस्मानी को मार्ग में अनेक कष्ट और जेल की यातनाएँ सहनी पड़ी। किन्तु देश की स्वाधीनता के लिए सशस्त्र युद्ध की तैयारी करने का संकल्प लेने वाले उस्मानी ने उन आपदाओं को हंसते-हंसते सहन कर लिया, किन्तु अपने लक्ष्य से विचलित नहीं हुए।
ताशकन्द में प्रशिक्षण के दौरान श्री उस्मानी का कामरेड लेनिन, स्टालिन तथा अन्य कामरेडों से परिचय हुआ। प्रशिक्षण पूर्ण करने के पश्चात् वे ताशकन्द के चीनी-भारतीय-तुर्की विश्वविद्यालय में भर्ती हो गए। 1922 में भारत लौटने पर शौकत उस्मानी ने अपना कार्य प्रारम्भ किया तो गई। कानपुर में उन्हें गिरफ्तार करके चार वर्ष कैद की सजा दी.
जेल से छूटने पर श्री उस्मानी ने पुनः पार्टी का कार्य आरम्भ किया। तदनन्तर आपने 1927 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की सदस्यता स्वीकार कर ली और मद्रास अधिवेशन में भाग लेने गये। कानपुर में रहते हुए श्री शौकत उस्मानी का परिचय हिन्दुस्तान रिपब्लिकन आर्मी के कामरेड विजयकुमार सिन्हा, भगतसिंह, चन्द्रशेखर आजाद, बटुकेश्वर दत्त आदि क्रान्तिकारियों से हुआ।
स्वतंत्रता सेनानी शौकत उस्मानी को सजा और अंतिम समय
शौकत उस्मानी जी सन 1928 के दिसम्बर में वे कलकत्ता गए और पार्टी के संगठन कार्य में लग गए। पार्टी ने उन्हें लाहौर भेजा, परन्तु कामरेड अब्दुल मजीद ने शौकत उस्मानी को वहां ज्यादा दिनों तक नहीं रहने दिया। इसके बाद मार्च 1929 की गिरफ्तारी पायी और मेरठ षड़यंत्र के मामले में शौकत उस्मानी पकड़े गये। जनवरी 1933 में केस का फैसला हुआ। उन्हें 10 साल की सजा दी गयी। अगस्त 1933 में उनकी इस सजा में 3 साल की कटौती की गयी, यद्यपि इसके लिए उन्होंने अपील नहीं की थी । मार्च 1929 से जुलाई 1935 की अवधि जेल में बिना जमानत या पैरोल के काटने के बाद वे जेल से बाहर आए. इस बीच शौकत उस्मानी की कुछ किताबें छपी. पार्टी का संगठनात्मक कार्य करते हुए 14 जुलाई, 1940 को उन्हें डिफेंस आफ इंडिया एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया।
7 जनवरी 1945 को वह जेल से रिहा हुए। जेल से रिहा होने के बाद 1945 – 1948 तक वह मुम्बई मे नेशनल सीफ्रेयर यूनियन का जनरल सेक्रेटरी बनाये गये। देश के आजाद होने पर वेलंदन चले गए और वहां 8 साल काम किया। 1964 से 1974 तक मिस्र की राजधानी काहिरा में अलफतह ( अंग्रेजी पत्र ) मे काम करते रहे। फिर भारत आ गये। 26 फरवरी 1978 राजस्थान राज्य के इस महान् स्वतंत्रता सेनानी, सर्वहारा की शोषण मुक्ति से जूझने वाला महान् क्रान्तिकारी अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त चिंतक सदा के लिए इस दुनिया से विदा हो गए थे.
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FAQs
Ans- शौकत उस्मानी स्वतंत्रता सेनानी थे, इनका जन्म राजस्थान के बीकानेर में 21 दिसम्बर, 1901 एक मुस्लिम चेजारा (मकान बनाने वाले कारीगर) परिवार में हुआ था. इनको भारत में कम्युनिस्ट पार्टी के जनक के रूप भी जाना जाता है.