Biography of Veer Surendra Sai | वीर सुरेंद्र साए

By | December 8, 2023
Biography of Veer Surendra Sai
Biography of Veer Surendra Sai

दोस्तों यहाँ आप जानेगे भारत के महान क्रांति कारी सुरेंद्र साय की जीवनी (Biography of Veer Surendra Sai) और उनके अनसुने किस्से. सुरेंदर साय प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का एक प्रसिद्ध क्रांतिकारी थे, जो अंग्रेजों से बदला लेना चाहते थे. अतः उन्होंने उनकी आंखों के सामने ही उनके पुत्र तथा सगे संबंधियों को मौत के घाट उतार दिया. सुरेंद्र शाह के समक्ष जब उनको कत्ल किया गया तो उन्होंने अपने दोनों हाथों से आंखों को ढकने के बाद कहा. मैं अपनी आंखों से अपने रिश्तेदारों की मौत नहीं देख सकता. इस पर अंग्रेज अधिकारी ने कहा कि हम ऐसा कुछ कर देते हैं, कि तुम्हें अपनी आंखों पर हाथ नहीं रखने पड़ेंगे. तुम अपने रिश्तेदारों का कत्ल देखने से बच जाओगे पर तुम उनकी करूं आवाज अवश्य सुन सकोगे.

ऐसा करने के लिए लोहे की गर्म सलाखों से उस महान क्रांतिकारी की आंखें फोड़ दी गई. सुरेंद्र साय उसके बाद अपने रिश्तेदारों की मोत को नहीं देख सके. परंतु उनकी चीत्कारे उनके कानों में गूंजने लगी. जब उन्होंने अपने दोनों हाथ कानों पर रखे तो. अंग्रेजों ने उनके कान फाड़ दिए ताकि वे इस पीड़ा से मुक्त हो सके.

Biography of Veer Surendra Sai (सुरेंद्र साय कौन थे?)

दोस्तों सुरेंद्र सहाय का जन्म 23 जनवरी 1809 ईस्वी को उड़ीसा के संबलपुर जिले के बाबू खेड़ा गांव में हुआ था. आप राज घराने से संबंधित थे. आपकी दादी का नाम रानी राजकुमारी था जो पश्चिमी उड़ीसा की शासक थी. उस समय अंग्रेज अपने साम्राज्य विस्तार में लगे हुए थे. उड़ीसा के 26 राज्यों में से 18 राज्य अंग्रेजों की अधीनता स्वीकार कर चुके थे, शेष आठ राज्य अंग्रेजों से संघर्ष कर रहे थे.

Summary

नामसुरेंद्र साए
उपनामवीर सुरेंद्र साए
जन्म स्थानबाबू खेड़ा गांव, संबलपुर, उड़ीसा
जन्म तारीख23-जनवरी-1809 ईस्वी
वंशचौहान वंश
माता का नाम
पिता का नाममहाराजा मधुकर साई
दादी का नामरानी राजकुमारी
पत्नी का नाम
भाई/बहन
प्रसिद्धिस्वतंत्रता सेनानी, अंग्रेजो के खिलाफ गुरिल्ला पद्धति से लड़ाइयां लड़ी
रचना
पेशाविद्रोही, स्वतंत्रता सेनानी, राज वंस के उत्तराधिकारी
पुत्र और पुत्री का नामपुत्र मित्रभानु और एक पुत्री थी
गुरु/शिक्षक
देशभारत
राज्य क्षेत्रउड़ीसा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखण्ड
संबलपुर राज्य उत्तराधिकारीमोहन कुमारी
धर्महिन्दू
राष्ट्रीयताभारतीय
भाषाउड़िया, हिंदी, संथाली
मृत्यु का कारण28-फरवरी-1884 ईस्वी, असीरगढ़ मध्य प्रदेश के दुर्ग में फांसी पर लटका दिया
जीवन काल75 वर्ष
पोस्ट श्रेणीBiography of Veer Surendra Sai (वीर सुरेंद्र साए की जीवनी)
Biography of Veer Surendra Sai

सुरेंद्र साय ने अंग्रेजो का विरोध क्यों किया?

1833 ईस्वी में ब्रिटिश सरकार ने रानी राजकुमारी को पेंशन दे दी. और उसके स्थान पर नारायण सिंह को गद्दी पर बिठा दिया. रानी राजकुमारी के उत्तराधिकारी सुरेंद्र साए ने जब गद्दी पर अपना दावा प्रस्तुत किया. तो अंग्रेजों ने उसे मानने से इनकार कर दिया. विवश होकर सुरेंद्र साय को युद्ध का आशय लेना पड़ा. उन्होंने कई स्थानों पर अंग्रेजी सेना को पराजित किया. अंग्रेज बहुत ही चालाक थे उन्होंने छल का सहारा लेते हुए. सुरेंद्र साय को संधि करने के लिए बुलाया और धोखे से उन्हें गिरफ्तार कर लिया. तत्पश्चात उन्हें बिहार की हजारीबाग की जेल में रखा गया सुरेंद्र शाह की गिरफ्तारी के बाद उनकी पत्नी ने अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष जारी रखा.

उन्हीं दिनों प्रथम स्वतंत्रता संग्राम प्रारंभ हो चुका था इस लहर का लाभ उठाकर सुरेंद्र साय क्रांतिकारियों की सहायता से हजारीबाग की जेल से भाग निकला. और अपनी पत्नी के सहयोग से अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष और तेज कर दिया. इस बार सुरेंद्र साय ने अंग्रेजों के अधिकृत किलो पर अधिकार करने का प्रयास किया. माहौल सुरेंद्र साय के पक्ष में था और अंग्रेजों की पराजय निश्चित थी. इस बार भी अंग्रेजों ने चालाकी से काम लेते हुए किले पर संधि का सफेद झंडा फहरा दिया.

वीर सुरेंद्र साय के साथ अंग्रेजों ने धोखा कैसे किया?

जब सुरेंद्र साय संधि वार्ता हेतु किले के अंदर गया तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. इसके बाद उन्हें सबलपुर जेल रखा गया. सुरेंद्र शाह ने सूझबूझ से काम लिया और 3 दिन के अंदर सबलपुर जेल से भाग गए. इस बार उन्होंने 1858 से 1863 ईस्वी तक अंग्रेजों से कई मोर्चों पर युद्ध किया. और उन्हें पराजित किया उन्होंने अंग्रेजी सेना को बहुत नुकसान पहुंचाया. इस बार उनका कार्यक्षेत्र बिहार और मध्य प्रदेश था.

भारत में जहां देश की आजादी के लिए मर मिटने वाले वीर पैदा होते रहे हैं. वही एक और निकृष्ट, विश्वासघाती, देशद्रोही पैदा होते रहे हैं. सुरेंद्र साय को उसी के एक अभिन्न मित्र दयानिधि मेहा ने विश्वासघात करके उन्हें अंग्रेजों के हाथो गिरफ्तार करवा दिया। सुरेंद्र साय दो बार जेल तोड़कर भाग चुके थे. अतः इस बार उन्हें असीरगढ़ के किले में घोर पहरे में रखा गया. इसके बाद 28 फरवरी 1884 ईसवी को उन्हें फांसी पर लटका दिया गया. भारत माता का ये वीर सच्चा सपूत देश को आजाद कराने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी.

सुरेंद्र साय को फांसी कहाँ और कब दी गयी?

अंत में अंग्रेजों ने सुरेंद्र साय को अंधे तथा बहरे की पीड़ा से मुक्त करने हेतु 28 फरवरी 1884 ईस्वी में असीरगढ़ मध्य प्रदेश के दुर्ग में फांसी पर लटका दिया. यह दुर्ग खंडवा तथा बुरहानपुर के बीच जंगली इलाके में स्थित है. बस मार्ग से जाते समय यह किला दिखाई देता है. पर बहुत कम लोग यह जानते हैं कि उड़ीसा के प्रसिद्ध क्रांतिकारी सुरेंद्र सहाय को इस किले में फांसी दी गई थी.

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FAQs

Q- सुरेंद्र साय के किस दोस्त ने अंग्रेजों से मिलकर उनको गिरफ्तार करवाया?

Ans- सुरेंद्र साय को उसी के एक अभिन्न मित्र दयानिधि मेहा ने विश्वासघात करके उन्हें अंग्रेजों के हाथो गिरफ्तार करवा था.

भारत की संस्कृति

2 thoughts on “Biography of Veer Surendra Sai | वीर सुरेंद्र साए

  1. Vikrant salame

    वीर सुरेन्द्र साय जी का धर्म हिन्दू नहीं गोंड धर्म था बायोग्राफी लिखने वाले कुछ भी अपने हिसाब से उनका धर्म परिवर्तन मत करो,,,,, याद दिलाने के लिए एक बात बता दू आदिवासी गोड़ी धर्म और हिंदू धर्म में बहुत फर्क है

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    1. Team UniInfos Post author

      चौहान राजपूत शाखा में आता है सर, वीर सुरेंद्र साए जी चौहान वंश से थे

      Reply

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