Tonk history & tourist places-: दोस्तों हम आज यहाँ शेयर कर रहे है टोंक राजस्थान की वो रोचक जानकारी जिसके बारे में शायद ही अब से पहले पता होगी. टोंक राजस्थान का एक छोटा सा जिला है, जिसका इतिहास में बहुत बड़ा नाम रहा है. दोस्तों भारत के इतिहास में युद्ध कौशल के लिए कई रियासतों के नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखे गए हैं. वीरों की भूमि राजस्थान की बात करें तो आज भी शेखावाटी (सीकर,चूरू,झुंझुनू) चित्तौड़गढ़, जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, उदयपुर, नागौर, अलवर, बूंदी, रणथंभौर, बीकानेर, मंडलगढ़ आदि शहरों की रियासतों के नाम हैं. लेकिन एक सच यह भी है कि टोंक रियासत के पास उस समय 200 तोपें थीं और भारी मात्रा में गोला बारूद था. जो एक सम्पन रियासत के राज को दर्शाता था.
राजस्थान के जिलों का इतिहास और पर्यटक स्थल और रोचक जानकारी
टोंक का इतिहास (History of Tonk)
दोस्तों टोंक का इतिहास बहुत पुराना है, इतिहासकार और कवि श्यामल दास जी अपनी पुस्तक जिसका नाम है विनोद में लिखते है. टोंक की स्थापना विक्रमी संवत 1003 माघ कृष्णा 24 दिसंबर 946 ई. दिल्ली के राजा खनवाद के एक मंत्री रामसिंह ने एक गांव बसा कर इसका नाम टोंक रखा था. उस समय टोंक एक नीची पहाड़ी के पास बसाया जो की एक टोकरी को प्रतीत करता था, इस लिए कुछ लोग टोंक नाम इस लिए रखा मानते है.
Summary
नाम | टोंक |
उपनाम | नवाबों का शहर |
स्थापना | 24 दिसंबर 946 ई. |
स्थापना किसने की | रामसिंह |
राज्य | राजस्थान |
जिला | टोंक |
तहसील | टोंक |
किस लिए प्रसिद्ध है | ऋषि माण्ड, बीसलपुर बांध, गारनेट का पत्थर, कीमती पत्थरों, चमड़े की कलाकारी, सुनहरी कोठी |
भाषा | राजस्थानी, ढूंढारी, मारवाड़ी, हिंदी और इंग्लिश |
पर्यटक स्थल | बीसलपुर बांध, सुनहरी कोठी, जोधपुरिया, राजमहल, डिग्गी, पचेवर, हाड़ी रानी का कुंड, रायसिंह के महल टोडारायसिंह |
सांसद का नाम | श्री सुखबीर सिंह जौनापुरिया |
चुनावी क्षेत्र/तहसील | टोंक, डॉली, मालपुरा, निवाई, पीपलू , टोडारायसिंह, और उनियारा |
पोस्ट श्रेणी | टोंक इतिहास और पर्यटन स्थल (Tonk history & tourist places) |
Tonk Famous For? (टोंक किस लिए प्रसिद्ध है?)
टोंक गारनेट का पत्थर, के अलावा बहुत कीमती पत्थरों,चमड़े की कलाकारी के साथ साथ खनिज संसाधनों के लिए बहुत प्रसिद्ध है. इसके अलावा टोंक के देवली तहसील में स्थित बीसलपुर बांध राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा बांध है. बीसलपुर प्रयोजना से लगभग पुरे जयपुर पिने का पानी इस बांध से मिलता है. टोंक राजस्थान नवाबों की नगरी के नाम से भी जाना जाता है.
Famous Places Of Tonk (टोंक के प्रसिद्ध स्थान)
- माण्डकला (Mandakala)
- सुनहरी कोठी (Sunhari Kothi)
- जोधपुरिया (Jodhpuria)
- गुमानपुरा (Gumanpura)
- नगरी Tonk (Nagri)
- निवाई (Niwai)
- टोडारायसिंह (Todarai Singh)
- डिग्गी (Diggy)
- मालपुरा (Malpura)
- पचेवर (Pachewar)
- राजमहल (Rajmahal)
माण्डकला
माण्डकला ऋषि माण्डव की तपो भूमि रहा है, जिसके साक्ष्य आज भी मौजूद है. माण्डकला को राजस्थानी की यज्ञ स्थली और मिनी पुष्क रवह स्थल के नाम से भी जाना जाता है. दोस्तों कहा जाता है यहाँ आने के बाद मनुष्य अपने मन को शांति प्राप्र्त करता है.
पचेवर
यह कस्बा पूर्व जयपुर रियासत में खंगारोत कछवाहों का प्रमुख ताजीमी ठिकाना था. चौबुर्जा किला पचेवर में स्थित है. इस किले के स्थापत्य की विशेषता यह है कि असमान तथा ऊबड़-खाबड़, भूमि पर स्थित होने के कारण शत्रु सेना द्वारा इसे लक्ष्य कर चलाये गये तोप के गोले या तो किले के ऊपर से निकल जाते थे अथवा इसकी प्राचीर में धंस जाते थे. पाड़ा चक्की पचेवर के किले में स्थित है. वर्तमान में पचेवर मत्स्य एवं सरसों उत्पादन के लिए जाना जाता है.
मालपुरा
इसे राजा मालदेव पंवार की नगरी कहा जाता है. एक समय में मालपुरा कपास उत्पादन का प्रमुख केन्द्र था. यह जयपुर रियासत को सर्वाधिक राजस्व प्रदान करने वाला परगना था. केन्द्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान केन्द्र मालपुरा में स्थित है. मालपुरा में मिल्क चिलिंग प्लांट की स्थापना की गई है. यहाँ टोरडी सागर बाँध स्थित है, इस बाँध की विशेषता यह है कि इसमें ‘‘हैड स्टोरेज नही रहता यानी बाँध की सभी मोरियाँ खोलने पर एक बूँद पानी भी बाँध में नहीं रहती है. वर्तमान में यहाँ के प्रमुख व्यक्तियों में हेमराज खरोल है. जो सांत और दिलखुश मिजाज के आदमी है.
डिग्गी
यहाँ ‘‘डिग्गीपुरी के राजा’’ श्री कल्याणजी का मंदिर है. इन्हें भगवान विष्णुजी का स्वरूप माना जाता है. इन्हें लोगों के रोग का निदान करने के कारण ‘‘कलंह पीर’’ कहते हैं. डिग्गी खंगारोत कछवाहों का प्रमुख स्थान रहा.
सुनहरी कोठी
इस कोठी के पहली मंजिल टोंक के नवाब वजीउद्दोला ने सन् 1834 में बनवाई थी. इस कोठी की दूसरी मंजिल नवाब मोहम्मद इब्राहीम अली खां ने सन् 1870 में बनवाई. नजरबाग में रत्न, कांच एवं सोने की झाल देकर बनाई गई सुनहरी कोठी शीशमहल व दीवाने खास के नाम से भी जानी जाती है.
टोडारायसिंह
यहाँ 13वीं शताब्दी में निर्मित हाड़ी रानी का कुंड सहित अन्य ऐतिहासिक स्थल स्थित है. रायसिंह के महल टोडारायसिंह में स्थित है. यहाँ जगन्नाथ कछवाहा द्वारा निर्मित बावड़ी, भोपत बावड़ी, ईसर बावड़ी, सारड़ा बावड़ी स्थित है. टोडारायसिंह अपनी सुदृढ़ सुन्दर और विशाल बावड़ियों के लिए प्रसिद्ध रहा है. टोडारायसिंह जैन धर्म और संस्कृति का प्राचीन केन्द्र रहा है यहाँ की पट्टियाँ और घट्टियाँ (चाकों) प्रसिद्ध है. यहाँ के कलात्मक नमदे (भेड़ की ऊन से निर्मित), दरियाँ एवं बीड़ी उद्योग प्रमुख हैं.
निवाई
टोंक राजस्थान के निवाई जगह पर नाथ सम्प्रदाय का प्रमुख केन्द्र है, यहाँ जालन्धरनाथ का प्राचीन स्थान है. इसके दर्सन के लिए बहुत दूर दूर से लोग यहाँ प्रति वर्ष यहाँ आते है.
गुमानपुरा
इस कस्बे में पत्थर पर उत्कीर्ण कर बनाई गई हाथी की मूर्ति को हाथीभाटा के नाम से जाना जाता है.
जोधपुरिया
इस गाँव में स्थित यह देवधाम अखिल भारतीय गुर्जर समाज का भारतवर्ष का सबसे बड़ा पौराणिक तीर्थ स्थल है. यहाँ माँसी, बाड़ी एवं खेराकसी नदियाँ स्थित है. यहाँ भगवान श्रीदेवनारायण का मंदिर है. गुर्जर समाज के भारतवर्ष में चार तीर्थ स्थल है. इन चारों धामों में से दो धाम टोंक जिले में स्थित है. इनमें से टोडारायसिंह तहसील के ग्राम दाताजी श्रीदेवधाम दाताजी के नाम से जाने जाती हैं. तथा निवाई तहसील के ग्राम जोधपुरिया में स्थित श्रीदेवनारायण मंदिर जोधपुरिया देवधाम के नाम से विश्वविख्यात हैं. अन्य धाम केशवरायपाटन (बूँदी) तथा फरणीनाथ (उज्जैन, मध्यप्रदेश) में स्थित है.
नगरी
इस स्थल की खुदाई से सिंहवाहिनी दुर्गा का प्राचीनतम अंकन मिला है.
टोंक राजस्थान की भौगोलिक विशेषताएँ (Geographical Features of Tonk Rajasthan)
यह जिला 25041 से 26024 उत्तरी अक्षांश तथा 75019 से 76016 पूर्वी देशांतर के मध्य स्थित है. टोंक की सीमाएँ टोंक जिले के उत्तर में जयपुर, पूर्व में सवाईमाधोपुर व कोटा, दक्षिण में बूँदी व भीलवाड़ा तथा पश्चिम में अजमेर जिला स्थित है. नदियाँ बनास, मासी और सोहदरा है. टोंक के प्रमुख बाँध चांदसेन, मोतीसागर बाँध है.राजमहल बनास नदी के किनारे स्थित, यहाँ बनास, डाई और खारी नदियाँ का त्रिवेणी संगम होता है, इसे टोंक जिले का प्रयाग कहते है.
गारनेट इस खनिज का उत्पादन टोंक जिले में सर्वाधिक होता है इसमें राजस्थान का एकाधिकार. बोटूंडा हमीरपुर यहाँ क्राइसोबेरिल एक्केमेरिन नामक रंगहीन बहुमूल्य पत्थर पाय जाता है. नमदा टोंक अपने खूबसूरत नमदों, बरड़ी और चमड़े की वस्तुओं के लिए प्रसिद्ध रहा है. नमदों को कई रंगों में रंग कर कढ़ाई करके सजाते हैं अथवा विभिन्न रंग के टुकड़े काट कर अलंकरण के अनुसार नमदे की जमीन पर सिल देते हैं जिसे चटापटी अथवा पेचवर्क का काम कहा जाता है. वर्तमान में भारत में कलात्मक नमदों के केवल दो विशेष उत्पाद केन्द्र हैं – श्रीनगर और टोंक.
टोंक जिले के प्रसिद्ध व्यक्तित्व (Famous Personalities of Tonk District)
संत धन्ना
इनका जन्म 15वीं शताब्दी में धुआंकला में हुआ, धुआंकला में मोती तालाब, मोती सागर बांध स्थित है. धुआंकला राष्ट्रीय राजमार्ग 12 पर स्थित है.
कर्पूरचंद कुलिश
राजस्थान पत्रिका के संस्थापक संपादक, इनका जन्म टोंक जिले के सोड़ा गाँव में हुआ. उनके द्वारा लिखित प्रमुख पुस्तकें: धारा प्रवाह, हस्ताक्षर, शब्द वेद, पोलमपोल, वेद विज्ञान, मैं देखता चला गया, दृष्टिकोण, रीकलेक्टिंग यस्टरडेज, वेदाज एज साइंस, सात सैंकड़ा है.
नवाब इब्राहिम अली खाँ
इनके शासनकाल को टोंक का स्वर्णयुग कहा जाता है. इनके कार्य काल अनगिनित काम आज भी टोंक जिले में देखने को मिलते है.
मखमूर सईदी
इन्होंने ‘‘मखमूर’’ उपनाम से शोहरत हासिल की इनकी प्रमुख किताबों में सबरंग, आते-जाते लम्हों का हिसाब, रास्ता और मैं, बांस के जंगल से जुरती हवा, सियह बर सफेद, आवाजा का जिस्म, शामिल है. इनकी कृति रास्ता और मैं के लिए केन्द्रीय साहित्य अकादमी द्वारा इन्हे पुरस्कृत किया गया.
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FAQs
Ans- नवाब मुहम्मद इब्राहिम अली खान.
Ans- राजा दिग्व (1527).
Ans- टोंक.
Ans- टोंक.
Ans- टोंक.
Tonk history & tourist places /Official Website Of Dist
Tonk history & tourist places
Name | Tonk |
Nickname | City of nawabs |
Who founded | Ram Singh |
when was the establishment? | December 945 AD |
Geography and climate | Dry or semi-dry |
Language | Rajasthani, Marwadi, ढूंढाड़ी भाषा, Hindi Or English |
What is the district famous for | Famous for garnet stone, leather art, mineral resources, Bisalpur dam, the city of Nawabs as well as historical buildings and cannon |
Country | India |
Tourist Places | मांडकला, Sunhari Kothi, Jodhpuria, Rajmahal, Diggi, Pacher |
Population | Approx 15 Lakh |
State | Rajasthan |
Name Of Member Of Parliament | Sukhbir Singh Jaunapuria (BJP) |
Area | 7194KM |
Assembly area | Deoli-Uniyara, Malpura, Niwai, Tonk |