दोस्तों हम यहाँ भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 ईस्वी की क्रांति के महान नायक राव तुलाराम की जीवनी (Biography of rao tularam). और उनसे जुड़ी अद्भुत और रोचक जानकारी हम यहाँ शेयर कर रहे है. जिसके बारे में आप आज से पहले अनजान थे. तो दोस्तों चलते है, और जानते है राव तुलाराम जी की आश्चर्यजनक जानकारी. राव तुलाराम (Biography of rao tularam) हरियाणा के प्रमुख क्रांतिकारी थे. ये रेवाड़ी के शासक थे,1857 ईस्वी के विद्रोह के दौरान इन्होने हरियाणा में विद्रोह का नेतृत्व किया था. अंग्रजो के दमनचक्र के कारण विद्रोही नेता नसीबपुर (नारनौल) के समीप इकठा हो गए थे. जिनका नेतृत्व राव तुलाराम ने किया था. इन विद्रोईयों और अंग्रजों के बीच भीषण युद्ध हुआ, जिसमे हरयाणा के राव किसनसिंह, राजकुमार, मोहम्मद आजम आदि लड़ते हुए वीर गति को प्राप्त हुए. और अंग्रेजो के सेनापति जेरड भी इस युद्ध में मारा गया था.
राव तुलाराम कौन थे?
दोस्तों राजा राव तुलाराम (Biography of rao tularam) का जन्म 9 दिसम्बर 1825 को रेवाड़ी के रामपुरा में हुआ था. आपकी माता जी का नाम रानी ज्ञान कौरी था, तथा आपके पिता जी का नाम राव पूरन सिंह था. आपके दो बड़ी बहनें भी थी. राव तुलाराम को तुलासिंह भी कहा जाता था. राव तुलाराम की शिक्षा तब शुरू हुई जब वो पांच साल के थे. साथ-साथ ही उन्हें अस्त्र-शस्त्र चलाने और घुड़सवारी की शिक्षा भी दी जा रही थी. राव तुलराम जब 14 साल के थे तब उनके पिता राव पूरन सिंह जी की निमोनिया बीमारी से मृत्यु हो गई थी.
और उनकी मृत्यु के 14 दिनों बाद उन्हें राव पूरन सिंह की रियासत का राजा चुना गया था. तब से ही तुलाराम राव राजा तुलाराम बने और कालान्तर में इस नाम से जाने गए. राजा राव तुलाराम का राज्य कनीना, बवाल, फरुखनगर, गुड़गांव, फरीदाबाद, होडल और फिरोजपुर झिरका तक फैला हुआ था. राव तुला राम 1857 ईस्वी की क्रांति के महान योद्धा थे. जिन्होंने अंग्रेजों से तकरीबन एक महीने तक लोहा लिया, और अंग्रेजों को अपने गढ़ में उलझाए रखा.
Summary
नाम | तुलाराम राव (Biography of rao tularam) |
उपनाम | राजा राव तुलाराम |
जन्म स्थान | रामपुरा रेवाड़ी हरियाणा |
जन्म तारीख | 9 दिसम्बर 1825 |
वंश | अहिरवाल (यादव) |
माता का नाम | रानी ज्ञान कौरी |
पिता का नाम | राजा राव पूरन सिंह |
पत्नी का नाम | — |
पेशा | शासन |
बेटा और बेटी का नाम | — |
गुरु/शिक्षक | राजा राव पूरन सिंह |
देश | भारत |
राज्य छेत्र | हरियाणा, रेवाड़ी और गुरूग्राम, पाटोदी,फरीदाबाद,कनीना, नारनौल |
धर्म | हिन्दू |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
मृत्यु | काबुल अफगानिस्तान (23 सितम्बर 1863) |
पोस्ट श्रेणी | Biography Of Rao Tularam (राव तुलाराम जी का जीवन परिचय) |
1857 ई. भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में राजा राव तुलाराम का क्या योगदान था?
दोस्तों जब देश में तभी 1857 की क्रांति भड़क गई थी. तब इसकी आग हरियाणा के रेवाड़ी तक फ़ैल गई. और दिल्ली से सटे अहिरवाल के इस इलाके में ये विद्रोह और भयानक रूप से भड़क गया. यादव (अहिरवाल) का नेतृत्व राव तुलराम और उनके चचेरे भाई गोपाल देव ने संभाला. तब राव तुलाराम को दिल्ली के बादशाह बहादुर शाह ज़फर का साथ मिला. मेरठ से दिल्ली तक विद्रोह भड़क चुका था. दूसरी तरफ हरियाणा में राव तुला राम ने अंग्रेजों के लिए मुसीबत खड़ी कर दी थी. अंग्रेजों को इस बात इलम हो चुका था कि अगर दिल्ली पर कब्जा करना है. तो पहले राव तुलाराम पर कंट्रोल करना होगा.
राव तुलाराम ने तात्या टोपे से भी सम्पर्क किया था. और उनके परामर्श पर वे सैनिक सहायता को प्राप्त करने के लिए ईरान और अफगानिस्तान चले गए थे. किन्तु वहाँ से उन्हें कोई सैनिक सहायता नहीं मिली. कुछ समय बाद वे पेचिस की बीमारी के कारण काबुल अफगानिस्तान में परलोक सिधार गए थे. हरयाणा में आज भी उनका नाम बड़े आदर और सम्मान लिया जाता है.
दोस्तों राव तुलाराम जी (Biography of rao tularam) ने लगभग 5000 सैनिकों का एक दल खड़ा किया. और तोपों और अन्य गोला-बारूद के निर्माण के लिए एक कार्यशाला की स्थापना की. राव तुलाराम ने दिल्ली के सम्राट बहादुर शाह और अन्य विद्रोही ताकतों की मदद की जो दिल्ली में अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध छेड़ रहे थे. तुलाराम जी ने दिल्ली के पतन से दस दिन पहले जनरल बख्त खान के माध्यम से 45000/- रुपये भेजे. और बड़ी मात्रा में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति की और साथ ही दो हजार बोरी गेहूं की आपूर्ति की थी.
राजा राव तुलाराम और अंग्रेजो के मध्य लड़ाईया
अंग्रेज समझ गए थे, अगर दिल्ली पर अपना अधिकार लम्बे समय तक रखना है. तो पहले रेवाड़ी के राजा राव तुलराम को अपने कब्जे में करना होगा. इस सोच के साथ उन्होंने रेवाड़ी के समीप राव तुलाराम को तहस-नहस करने के लिए 2 अक्टूबर 1857 को ब्रिगेडियर जनरल शोबर्स एक भारी सेना तोपखाने सहित लेकर रेवाड़ी की ओर बढ़े. तथा 5 अक्टूबर 1857 को पटौदी में उनकी झड़प राव तुलाराम की एक सैनिक टुकड़ी से हुई. अंग्रेज रावतुलाराम की सैनिक टुकड़ी की तैयारी को देखकर दंग रह गए. यह विदेशी लश्कर एक माह तक राव तुलाराम को घेरे में लेने की कोशिश करता रहा पर कामयाब नहीं हुआ था.
दोस्तों दूसरी बार बड़ी सेना और पूरी तैयारी के साथ अंग्रेजों ने 10 नवम्बर 1857 को जबरदस्त तोपखाने के साथ कर्नल जैराल्ड की कमान में राव तुलाराम के खिलाफ रवाना की. 16 नवम्बर 1857 को जैसे ही अंग्रेजी सेना नारनौल के नजदीक गांव नसीबपुर के मैदान के पास पहुंची. राजा राव तुलाराम की सेना उन पर टूट पड़ी. यह आक्रमण बड़ा भयंकर था. अंग्रेजी सेना के छक्के छूट गए. उनके कमाण्डर जैराल्ड सहित अनेक अफसर मारे गए. लेकिन इस युद्ध में राव तुलाराम जी जित नहीं पाए. दोस्तों कहाँ जाता है, इस युद्ध में विद्रोही सेना के लगभग 5000 सैनिक शहीद हुए थे.
भारत के राज्य और उनका इतिहास और पर्यटन स्थल
नारनौल के नसीबपुर मे हुए युद्ध में घायल राजा राव तुलाराम वहां से राजस्थान चले गए. राजस्थान के झुंझुनू में इलाज के बाद, सैनको की सहायता लेने के लिए पहले ईरान गए. ईरान से अफगानिस्तान गए, फिर कई शहरों से होते हुए वे काबुल पहुंचे. वहां एक बीमारी पेचिस फैली हुई थी, उससे ग्रस्त हो गए. और आजाद कराने की तड़फ लिए राजा राव तुलाराम जी ने 23 सितम्बर 1863 को काबुल में स्वर्ग सिधार गए. और वहां उनका शाही सम्मान के साथ दाह संस्कार कर दिया गया था. भारत के इस वीर को हम नमन करते है.
रेवाड़ी जिले को अहिरवाल का लंदन क्यों कहा जाता है?
दोस्तों रेवाड़ी हरियाणा राज्य का एक जिला है, इस जिले में यादव अहिरवाल के लगभग 90 गांव है. यहाँ के राजा राव तुलाराम ने 1857 ईस्वी की क्रांति में अंग्रजो से सझौता न करके उनसे युद्ध लड़े थे. कभी भी उनके पकड़ में नहीं आये. अपने देश की आजादी के लिए राव तुलाराम जी ने ईरान और अफगानिस्तान तक सैनिक सहायता के लिए कोसिस करी थी. और वहां के राजा को अंग्रजो से लड़ने और सैनिक साहयता के लिए तैयार भी कर लिया था. पर पेचिस बीमारी के कारण राजा राव तुलाराम जी काबुल अफगानिस्तान में ही भगवान के प्यारे हो गए थे. हम ऐसे वीर यादव अहिरवाल योद्धा को नमस्तक नमन करते है.
भारत के महान संतों की जीवनी और अद्भुत जानकारी
1857 ईस्वी क्रांति और उसके महान वीरों की जीवनी
भारत के प्रमुख युद्ध
FAQs
Ans- रेवाड़ी हरियाणा के राजा राव तुलाराम का जन्म रेवाड़ी के समीप रामपुरा 9 दिसम्बर 1825 राव पूरन सिंह यादव के घर हुआ था.
Ans- हरियाणा के रेवाड़ी जिले को अहिरवाल (यादव ) का लंदन कहा जाता है. क्यों की यहाँ लगभग 90 गांव अहिरवाल (यादव ) के है.