Biography Of Chauhan Rani- दोस्तों प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में चौहान रानी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. परंतु इतिहास में उनके नाम की बहुत कम चर्चा हुई है. दोस्तों जो बहुत ही अच्छा प्राप्त कर लेते हैं. उन्हीं की इतिहास में चर्चा होती है. कई बार महत्वपूर्ण व्यक्तियों के नाम भी छोड़ दिए जाते हैं. दोस्तों हम यहाँ अनूप नगर की चौहान रानी का जीवन परिचय और उनके जीवन से जुड़े अनसुने किस्से आपके साथ साझा कर रहे है. इस लिए दोस्तों इस पेज को अंत तक और ध्यान से पढ़े.
चौहान रानी कौन थी?
उस समय इंदौर मध्य प्रदेश के अनूप नगर पर राजा प्रताप चंडी सिंह शासन कर रहे थे. उनकी पत्नी चौहान रानी के नाम से प्रसिद्ध हुई. प्रताप चंडी सिंह की मृत्यु के बाद रानी ने अनूप नगर का शासन प्रबंधन अपने हाथों में ले लिया। डलहौजी ने हड़प नीति के आधार पर अन्य राज्यों की भांति अनूपनगर को भी कंपनी के साम्राज्य में मिला लिया था. रानी के लिए यह बात ऐसे नियति परंतु है अवसर की तलाश में थी. जब प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम प्रारंभ हुआ तब अंतिम मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर ने इसका नेतृत्व करने का निश्चय किया. उसने भारत के अनेक राजाओं तथा नवाबों को पत्र लिखें और उन्हें क्रांति में भाग लेने हेतु प्रेरित किया.
Summary
नाम | चौहान रानी |
उपनाम | चौहान रानी |
जन्म स्थान | इंदौर |
जन्म तारीख | — |
वंश | चौहान राजपूत |
माता का नाम | — |
पिता का नाम | — |
पति का नाम | प्रताप चंडी सिंह |
भाई/बहन | — |
प्रसिद्धि | स्वतंत्रता सेनानी |
रचना | — |
पेशा | शासक, स्वतंत्रता सेनानी |
पुत्र और पुत्री का नाम | — |
गुरु/शिक्षक | — |
देश | भारत |
राज्य क्षेत्र | मध्य प्रदेश |
धर्म | हिन्दू |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
भाषा | हिंदी |
मृत्यु | 1858 ईस्वी |
जीवन काल | — |
पोस्ट श्रेणी | अनूप नगर की चौहान रानी का जीवन परिचय (Biography Of Chauhan Rani) |
1857 की क्रांति में वीरांगना चौहान रानी का क्या योगदान था?
चौहान रानी ने मुगल सम्राट बहादुरशाह की ओर से 1857 की लड़ाई में भाग लिया था. और दिल्ली में अंग्रेजो से भयंकर युद्ध हुआ था. रानी पराजय स्वीकार करने वाली महिला ने थी. एक इतिहासकार का मानना है कि रानी ने माई अट्ठारह सौ सत्तावन ईसवी में अपने खोए हुए राज्य पर पुनः अधिकार कर लिया था. अंग्रेज सिपाही मारे गए उनके राजकोष को लूट लिया गया था. रानी 15 महीने तक अनूपनगर प्रशासन करती रही. पर 1858 के अंत तक अंग्रेजों ने क्रांति को कुछ कुचलने में सफलता प्राप्त कर ली थी. अतः उन्होंने अनूपनगर को पुनः अपने साम्राज्य में मिला लिया था.
अंग्रेजों ने चौहान रानी के साथ बहुत बुरा व्यवहार किया रानी अपनी जान बचाकर अनूप नगर से भागने के लिए विवश हो गई. इस संबंध में कोई जानकारी नहीं मिलती है. कि अंग्रेजों ने रानी को पेंशन दी थी या नहीं रानी उनसे कोई संधि की थी या नहीं.
वीरांगना चौहान रानी ने अपनी वीरता पूर्ण कार्यों से यह सिद्ध कर दिया था. कि महिलाओं में भी अंग्रेजों से लोहा लेने की शक्ति है. वे केवल मनोरंजन साधन ही नहीं अपितु वीरता साहस एवं उत्साह की भी प्रतीत होती है. चौहान रानी निसंदेह एक ऐसी वीरांगना थी जिसने अपने शौर्य से अंग्रेजों को भी आश्चर्य में डाल दिया था.
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FAQs
Ans- चौहान रानी अनूपनगर की रानी थी.