दोस्तों प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में बहुत से लोगों ने प्रत्यक्ष रूप से खुलकर भाग लिया. और कुछ लोगों ने अप्रत्यक्ष रूप से छिपकर क्रांतिकारियों के उत्साह और हौसले में वर्दी की. रानी तेजबाई वैसी ही एक वीरांगना थी, जिन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से 1857 के संग्राम में भाग लिया था. इस वजह से सरकार द्वारा उन्हें 12 वर्ष का कारावास का दंड दिया गया था. दोस्तों हम यहाँ जालोन की रानी वीरांगना तेजबाई की जीवनी (Biography of Rani Tejbai). और उनसे जुड़ी वो अद्भुत जानकारी शेयर करने जा रहे है. जिसके बारे में आप आज से पहले अनजान थे. तो दोस्तों चलते है, और जानते है रानी तेजबाई के जीवनी की रोचक जानकारी.
रानी तेजबाई कौन थी?
दोस्तों भारत की आजादी की लड़ाई लगभग 200 साल तक चलती रही. कुछ लोगों ने खुलकर ब्रिटिश सरकार पर हमला किया. तो कुछ लोगों ने अप्रत्यक्ष रूप से हमला किया. कुछ लोग बिना संघ बनाएं अकेले ही लड़ते रहे. और कुछ लोगों ने अप्रत्यक्ष रूप से छिपकर क्रांतिकारियों के उत्साह और हौसले में वर्दी की थी. रानी तेजबाई एक वीरांगना थी, जो जालौन के राजा गोपाल राव को अंग्रजो द्वारा पद से हटा देने के बाद अंग्रेजो से बदला लेने के लिए अप्रत्यक्ष रूप से 1857 के संग्राम में भाग लिया था. इस वजह से सरकार द्वारा उन्हें 12 वर्ष का कारावास का दंड दिया गया था.
Summary
नाम | वीरांगना रानी तेजबाई |
उपनाम | तेजबाई |
जन्म स्थान | जालौन |
जन्म तारीख | — |
वंश | राव |
माता का नाम | — |
पिता का नाम | — |
पति का नाम | गोपालराव |
उत्तराधिकारी | — |
भाई/बहन | — |
प्रसिद्धि | क्रांतिकारी |
रचना | – |
पेशा | स्वतंत्रता सेनानी |
पुत्र और पुत्री का नाम | — |
गुरु/शिक्षक | नाना साहब |
देश | भारत |
राज्य क्षेत्र | उत्तर प्रदेश |
धर्म | हिन्दू |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
भाषा | हिंदी |
मृत्यु | 1870 ईस्वी |
मृत्यु स्थान | जालौन |
जीवन काल | लगभग 50 वर्ष |
पोस्ट श्रेणी | Biography of Rani Tejbai |
1857 ईस्वी के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में रानी तेजबाई क्यों कूदी?
ब्रिटिश सरकार ने अपने राज्य साम्राज्य विस्तार के लिए कमजोर राज्य को पहले अपने अधीन करना प्रारंभ कर दिया था. जालौन का राजा गोपाल राव भी बहुत कमजोर हो गया था अतः कंपनी की सरकार ने 1842 में उसे अपने साम्राज्य में मिला लिया था. और वहां की रानी को पेंशन दे दी गई थी. जालौन राज्य के हार जाने का रानी को बहुत दुख हुआ. परंतु उसकी शक्ति बहुत सीमित थी. अतः विवश होकर उसे कंपनी सरकार के निर्णय को स्वीकार करना पड़ा. कुछ वर्षों बाद लॉर्ड डलहौजी ने झांसी और सातारा राज्य भी हड़प लिया था.
रानी तेजबाई चुपचाप महल में बैठी रहती. दोस्तों जब 1857 ईसवी में सारे देश में प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम शुरू हो गया. तब तात्या टोपे ने रानी तेजबाई से संपर्क किया. और उनके पुत्र को जालौन का राजा बना दिया. रानी को इसके लिए नाना साहब की अधीनता स्वीकार करनी पड़ी. ईस्ट इंडिया कंपनी का ध्यान जालौन राज्य की रियासत की ओर गया. रानी तेजबाई ने कमजोर होने के कारण कोई विद्रोह नहीं किया. परंतु उसने अनेक लोगों को प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने हेतु प्रेरित किया.
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FAQs
Ans- तेजबाई जालौन की वीरांगना रानी थी.