Biography of Bhaskar Rao Babasaheb Nargundkar | भास्कर राव बाबासाहेब नरगुंडकर

By | December 7, 2023
Biography of Bhaskar Rao Babasaheb Nargundkar
Biography of Bhaskar Rao Babasaheb Nargundkar

दोस्तों आप यहाँ जानेगे 1857 की क्रांति में दक्षिण भारत के महान क्रांति कारी भास्कर राव बाबासाहब नरगुंदकर की जीवनी (Biography of Bhaskar Rao Babasaheb Nargundkar) और उनकी संघर्ष की कहानी. तो दोस्तों बने रहे हमारे साथ अंत तक भास्कर राव बाबासाहेब के जीवनी की रोचक जानकारी के लिए.

भास्कर राव बाबासाहब नरगुन्दकर का जीवन परिचय

दोस्तों भास्कर राव बाबा साहब नरगुंदकर “नरगुंद” कर्नाटक राज्य के शासक थे. उनके कोई संतान नहीं थी अंत उन्होंने निश्चय किया किसी के बेटे को गोद लिया जाये. अतः उन्होंने धारवाड़ के कलेक्टर एवं बेलगांव के कमिश्नर को पत्र लिखकर दत्तक पुत्र लेने की अनुमति मांगी. बाबा साहब ने मुंबई की सरकार को भी इस संबंध में पत्र लिखा परंतु वहां से उत्तर नहीं में मिला. इतना ही नहीं पोलिटिकल एजेंट जेम्स मेंशन ने बाबा साहब का अपमान करते करने हेतु कटु भाषा में उन्हें पत्र लिखा. यह पत्र प्राप्त होने के बाद बाबा साहब क्रोध से तिलमिला उठे और अंग्रेजों से बदला लेने का निश्चय किया.

भास्कर राव बाबासाहब नरगुंदकर कौन थे?

राव बाबा साहब नरगुंदकर “नरगुंद” कर्नाटक राज्य के शासक थे. बा साहब वीर साहसी योद्धा थे वे अपनी जनता में बहुत लोकप्रिय थे. वे विद्वान होने के कारण विद्वानों का बहुत सम्मान करते थे. उन्होंने अपने महल में संस्कृत के 4000 ग्रंथों का संग्रह कर रखा था. उनका स्वभाव था, प्रत्येक चुनौती को स्वीकार करना इसलिए पोलिटिकल एजेंट के प्रति उनके मन में बदला लेने की भावना तीव्र हो उठी. और उस समय उत्तर भारत में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम प्रारंभ हो चुका था. अतः बाबा साहब ने सोचा यह समय अच्छा है. जब दक्षिण में भी अंग्रेजों के विरुद्ध अग्नि प्रज्वलित कर दी जाए. और दोस्तों अठारह सौ सत्तावन ईसवी की क्रांति दक्षिणी भारत में बाबा साहब ने ही प्रज्वलित की थी.

Summary

नामभास्कर राव बाबा साहब नरगुंदकर
उपनामबाबा साहब
जन्म स्थानकर्नाटक राज्य के गदग जिले के नरगुंद
जन्म तारीख
वंशभास्कर राव
माता का नाम
पिता का नाम
पत्नी का नाम
भाई/बहन
प्रसिद्धि अठारह सौ सत्तावन ईसवी की क्रांति दक्षिणी भारत में बाबा साहब ने ही प्रज्वलित की थी
रचना
पेशाशासक
पुत्र और पुत्री का नाम
गुरु/शिक्षक
देशभारत
राज्य छेत्रकर्नाटक
धर्महिन्दू
राष्ट्रीयताभारतीय
भाषाकन्नड़
मृत्यु का कारण 12-जून-1858 फांसी बेलगाम कर्नाटक
जीवन काललगभग 50 साल
पोस्ट श्रेणीBiography of Bhaskar Rao Babasaheb Nargundkar (भास्कर राव बाबासाहेब नरगुंडकर की जीवनी)
Biography of Bhaskar Rao Babasaheb Nargundkar

राव बाबासाहब नरगुंदकर ने जेम्स मेंशन से बदला कैसे लिया?

एक दिन बाबा साहब को पास ही के गांव में जेम्स मेंशन के ठहरने की सूचना मिली. तब बाबा साहब ने सोचा कि यह अपमान का बदला लेने का बहुत अच्छा अवसर है. इसलिए उन्होंने अपने 5 से 6 योद्धाओं के साथ जेम्स मेंशन पर हमला कर दिया. जेम्स मेंशन भागकर मारुति मंदिर में जाकर छिप गया. बाबा साहब ने उसे ढूंढ निकाला और यह कहकर तलवार के वार से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया. कि मारुति भगवान ने शिकार के लिए मुझे एक दानव प्रदान किया है.

इस प्रकार बाबा साहब ने जेम्स मेंशन का वध करके अपने अपमान का बदला तो ले लिया था. परंतु वह अंग्रेजों को सबक सिखाना चाहते थे. अतः उन्होंने जेम्स मेंशन के कटे हुए सिर को अपने भाले की नोक में घुसा कर उसे नरगुंद नगर में चारों तरफ घुमाया बाद में उस वाले को चौराहे पर गाड़ दिया. ताकि आसपास के गांव के लोग भी आकर देख सके. 5 दिन तक जेम्स मेंशन का सिर व दर्शन हेतु भाले में टंगा रहा.

भास्कर राव बाबासाहब नरगुंदकर और अंग्रेजो की लड़ाई

भास्कर राव बाबासाहब नरगुंदकर 1857 की क्रांति में क्यों कूदे?. अंग्रेज जेम्स मेंशन की मौत का अपमान सह नहीं पा रहे थे. अंग्रेज सेनापति मालकम ने एक विशाल सेना के साथ नरगुंद पर आक्रमण कर दिया. पहली लड़ाई में बाबा साहब को सफलता प्राप्त हुई. और उन्होंने अंग्रेजी सेना को पीछे हटने के लिए विवश कर दिया. अंग्रेजों ने अपनी सेना की संख्या में वृद्धि कर दी. अगले दिन बाबा साहब अपने कुछ साथियों को लेकर किले से बाहर चले गए ताकि वह किसी सुरक्षित स्थान पर पहुंच सके.

अंग्रेजों को इसकी जानकारी मिलने पर उन्होंने बाबा साहब का पीछा किया. और बाबा साहब को गिरफ्तार कर लिया गया. बाबा साहब के ऊपर पोलिटिकल एजेंट जेम्स मेंशन की हत्या का मुकदमा चलाया गया. न्यायालय ने इस अपराध के लिए उन्हें मृत्युदंड की सजा सुनाई. 12 जून 1858 को बाबा साहब नरगुंदकर को फांसी पर लटका दिया गया, भारत माता का यह वीर पुत्र हंसते-हंसते चिर निंद्रा में सो गया. और अपने बलिदान से देश प्रेम की भावना लोगो में छोड़ गया. उसके उपरांत कर्नाटक में अंग्रेजो के खिलाफ आन्दोलन हुए.

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FAQs

Q- भास्कर राव बाबासाहब नरगुंदकर को फांसी कब हुई?

Ans- 12 जून 1858 को बाबा साहब नरगुंदकर को फांसी पर लटका दिया गया.

मिनिस्ट्री ऑफ़ कल्चर

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