सेठ राम जी दास गुडवाला आधुनिक भारत के भामाशाह थे. जिसके दिल में देश की आजादी के लिए तड़प थी. और जो न केवल अरबों रुपए की संपत्ति देश की आजादी के लिए निछावर कर के करने को तैयार हुआ था. अपितु उसके उर्वर मस्तिष्क में गुप्तचर विभाग और सैन्य संगठन की योजनाएं भी थी. हम यहाँ जगत सेठ रामजीदास गुड़ वाला की जीवनी (Biography of Jagat Seth Ramjidas Gurwala) और उनके जीवन के अनसुने किस्से आपके साथ साझा करने जा रहे है. इस लिए दोस्तों इस पेज को अंत तक और ध्यान से पढ़ना चाहिए.
राजस्थान के जिलों का इतिहास और पर्यटन स्थल और रोचक जानकारी
जगत सेठ क्या है? क्या जगत सेठ राजस्थानी मारवाड़ी थे?
दोस्तों “जगत सेठ” यह उपाधि सन 1723 में सेठ फ़तेह चंद (Fateh Chand) को मुग़ल बादशाह, मुहम्मद शाह ने दी थी. उसके बाद से ही यह पूरा घराना “जगत सेठ” के नाम से प्रसिद्ध हो गया. सेठ मानिक चंद (Seth Manik Chand) इस घराने के संस्थापक थे. यह घराना उस वक़्त का सबसे धनवान बैंकर घराना माना जाता था. और जगत सेठो में से एक महताब राय उस समय के पूरी दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति थे.
इन जगत सेठो ने समय समय पर अंग्रजो और मुंगलो को भी उधार में पैसा दिया था. उनकी अमीरी का अंदाजा इस बात से लगा सकते है, की उस समय की ब्रिटिश की सभी बेंको से जायदा पैसा जगत सेठो के पास था. एक कहावत ये भी मसूर है, जगत सेठो के पास इतना सोना चांदी है की उनकी दीवारो से गंगा का पानी भी रोक सकते है.
सेठ माणिकचंद 17वीं शताब्दी में राजस्थान के नागौर जिले के एक मारवाड़ी परिवार में हीरानंद साहू के घर जन्मे. माणिकचंद के पिताजी हीरानंद जी बेहतर व्यवसाय की खोज में बिहार रवाना हो गए. फिर पटना से होते हुए, बंगाल और दिल्ली और उत्तर भारत के प्रमुख बड़े शहरो में इनका बिज़नेस चलता था.
Summary
नाम | राम दास गुड वाला |
उपनाम | जगत सेठ राम दास जी गुड वाला |
जन्म स्थान | दिल्ली |
जन्म तारीख | — |
वंश | अग्रवाल बनिया |
माता का नाम | — |
पिता का नाम | माणिकचंद |
पत्नी का नाम | — |
भाई/बहन | — |
प्रसिद्धि | जगत सेठ, क्रांतिकारी, स्वतंत्रता सेनानी |
रचना | — |
पेशा | स्वतंत्रता सेनानी, व्यापारी |
पुत्र और पुत्री का नाम | — |
गुरु/शिक्षक | — |
देश | भारत |
राज्य क्षेत्र | दिल्ली |
धर्म | हिन्दू |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
भाषा | हिंदी, मारवाड़ी |
मृत्यु | 1858 ईस्वी |
जीवन काल | लगभग ५० साल |
पोस्ट श्रेणी | Biography of Jagat Seth Ramjidas Gurwala (जगत सेठ रामजीदास गुड़ वाला की जीवनी) |
जगत सेठ रामजीदास गुड़वाला कौन थे?
जगत सेठ राम दास जी गुड वाला 18 सो 57 की क्रांतिकारी एवं दानवीर थे. सेठ रामदास जी गुडवाला दिल्ली के अरबपति सेठ और बेंकर थे. और अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर के गहरे दोस्त थे. इनका जन्म दिल्ली में एक अग्रवाल परिवार में हुआ था. इनके परिवार ने दिल्ली में पहली कपड़े की मिल की स्थापना की थी. वैसे तो दोस्तों जगत सेठ रामदास जी गुडवाला की फॅमिली मूल रूप से राजस्थान के नागौर में एक मारवाड़ी अग्रवाल फॅमिली थी. पर सेठ रामजीदास का जन्म दिल्ली में हुआ था. जगत सेठ उनकी फॅमिली को मिली हुई उपाधि थी. To Know More Updates On Biography of Jagat Seth Ramjidas Gurwala, please croll down.
सेठ रामदास गुड़वाला जी ने अंग्रेजों की सेना में भारतीय सिपाहियों को आजादी का संदेश भेजा. और क्रांतिकारियों ने निश्चित समय पर उनकी सहायता का वचन भी दिया. यह भी कहा जाता है कि क्रांतिकारियों द्वारा मेरठ में दिल्ली में क्रांति का झंडा खड़ा करने में गुड़ वाला का प्रमुख हाथ था. सेठ रामदास जी गुड वाला को धोखे से पकड़ा गया. और जिस तरह मारा गया वह क्रूरता की मिसाल है. पहले उन पर शिकारी कुत्ते छुड़वाया गए. उसके बाद उन्हें उसी घायल अवस्था में चांदनी चौक की कोतवाली के सामने फांसी पर लटका दिया गया था.
सेठ रामजीदास गुड़वाला की जीवनी और परिचय (Biography of Jagat Seth Ramjidas Gur Wala)
18 सो 57 की क्रांति के समय जगत सेठ से अपने करोड़ों रुपए सहयोग के रूप में एवं अरबों रुपए खर्च के रूप में मुगल सम्राट बहादुरशाह जफर को दिए. इसके अतिरिक्त फौज को रसद पहुंचाने के लिए उन्होंने अपना भंडार हमेशा खुला रखा था. अंग्रेज अधिकारी की जगत सेठ के प्रभाव के बारे में जानते थे. कुछ अंग्रेज अधिकारी गुड वाला सेठ से धन कटने के लिए उनके घर पहुंचे. अंग्रेज अधिकारी ने सेठ जी से निवेदन किया सेठ आप तो महान दानी है. युद्ध की स्थिति के कारण हम आर्थिक तंगी में हैं. आप हमें आर्थिक सहायता करें तो ठीक रहे आप का दिया हुआ धन दिल्लीवासियों के ऊपर खर्च किया जाएगा.
1857 की क्रांति में जगत सेठ रामजीदास गुड़वाला का क्या योगदान था?
भारत का अंतिम मुगल सम्राट बहादुरशाह जफर भी जगत सेठ का बहुत सम्मान करता था. उसने जगत सेठ को बहुत सी उपाधि प्रदान की थी. दरबार में उनके बैठने के लिए विशेष आसन की व्यवस्था थी. उनके घर पर और की विशेष व्यवस्था रखी जाती थी. जगत सेठ जब भी दीपावली का जश्न मनाते थे, उसमें मुगल सम्राट बहादुरशाह जफर से उपस्थित होते थे. इस अवसर पर सेठ साहब मुगल सम्राट को दो लाख अशरफिया का नजराना भेंट करते थे.
जगत सेठ मातृभूमि को अंग्रेजों की दासता से मुक्त करवाना चाहते थे. अतः उन्होंने करोड़ों रुपए बहादुर शाह जफर को दिए ताकि वह उसकी सहायता से एक विशाल सेना का निर्माण कर अंग्रेजों से लोहा ले सके. और भारत माता को उनके चुगल से आजाद करवाएं. उन्होंने गुप्तचर विभाग का निर्माण किया था. जो अंग्रेजों और भारतीय देशद्रोहियों के समाचार ला कर देता था.
जगह सेठ रामजीदास जैन (गुड़वाला) अंग्रेजों को कैसे ललकारा?
जगत सेठ जी अंग्रेजों की चालाकी समझ गए. उन्होंने अंग्रजो को कहा आप लोग भी मेरे देश में अशांति और इसके लिए जिम्मेदार है. मैं क्रूर आक्रांताओं को धन नहीं दे सकता. आप लोगों ने नगरों को शमसान बना डाला है. इस तरह के बुरे कार्य करने वालों को देने के लिए मेरे पास फूटी कौड़ी भी नहीं है. इस प्रकार अंग्रेजों ने कई बार सेठ साहब से सहायता प्राप्त करने का प्रयास किया। परंतु सेठ जी ने उन्हें किसी भी प्रकार की सहायता नहीं दी.
जगत सेठ रामजीदास गुड़ वाला को फांसी पर क्यों लटकाया था?
सेठ रामदास गुड़वाला जी ने अंग्रेजों की सेना में भारतीय सिपाहियों को आजादी का संदेश भेजा. और क्रांतिकारियों ने निश्चित समय पर उनकी सहायता का वचन भी दिया. यह भी कहा जाता है कि क्रांतिकारियों द्वारा मेरठ में दिल्ली में क्रांति का झंडा खड़ा करने में गुड़ वाला का प्रमुख हाथ था.
दोस्तों अंग्रेज अपनी सफलता के दौर में पहला काम यह किया कि. उन्होंने दिल्ली के चांदनी चौक में जगत सेठ के पीछे शिकारी कुत्ते छोड़ दिए. जिन्होंने सेठ को बुरी तरह से नोच डाला. इसके बाद घायल अवस्था में ही जगत सेठ को चांदनी चौक में फांसी पर लटका दिया गया. हमारा आधुनिक भामाशाह देश की आजादी के लिए हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल गया. और इतिहास में अपना नाम अमर कर गया. हम ऐसे भारत के महान सपूत को नमन करते है.
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FAQs
Ans- जगह सेठ रामजीदास जैन (गुड़वाला) ने मुगल बादशा बहादुर साहा जफर को लगभग उस समय तीन करोड़ रुपए दिए थे. जो उनको आधुनिक भारत का भामा कहने को मजबूर करता है.