मित्रो हम यहाँ शेयर करने जा रहे है चूरू राजस्थान की वो रोचक जानकारी जिसको जानकर आप आश्चर्यचकित होंगे. और अपने दोस्तों में भी जरूर शेयर करेंगे. चूरू राजस्थान के बीकानेर संभाग का एक शुष्क जिला है. चूरू का पुराना नाम कालेरो का बास था. क्यों की चूरू को कालेर गोत्र के जाटो ने बसाया था. चूरू राजस्थान राज्य के उत्तरपूर्व दिशा में स्थित मरू भूमि वाला शुष्क जिला है. चूरू जिला गर्मी में सब से गरम और ठण्ड में सब से ठण्ड होती है. क्यों की शुष्क और बालू मिटी की वजह से ये होता है. चुरू को रेगिस्तान के प्रवेश द्वार के रूप में जाना जाता है. दोस्तों इस पेज को अंत तक पढ़े और चूरू की वो रोचक जानकारी प्रपात करे जो आज से पहले शायद ही आप को पता हो. Scroll down to more updats on Amazing Facts Of Churu.
Summary
नाम | चूरू, राजस्थान |
उपनाम | कालेरो का बास |
चूरू जिले की स्थापना किसने की | चुहरू नाम के जाट ने बसाया था |
चूरू जिले की स्थापना कब हुई | 04 May 1620 |
राजस्थान का सबसे गर्म जिला | चूरू जिला |
चूरू जिला किस लिए प्रसिद्ध है | प्रसिद्ध धार्मिक स्थल और पुरानी हवेली और उद्योगपतियों और कवियों और मेलो |
तोप से चांदी के गोले कहां बरसाए गए थे | राजा ठाकुर शिवजीसिंह ने 1814 दुश्मन सेना पर |
History of Churu (चुरू का इतिहास)
चूरू का इतिहास- चूरू जिले को चुहरू नाम के जाट ने बसाया था जो कालेर गोत्र के थे. वर्तमान में यह जगह कालेरो का बास के नाम से जानी जाती है. जाट गोत्र कालेर के वंश द्वारा 04 May 1620 ईस्वी में स्थापित राज्य के जंगलदेश क्षेत्र को चौधरी चुहारू जाट के नाम पर इस स्थान का नाम चुरू रखा गया. बाद में इस पर राठौर (बनिरोट) राजपूतों का शासन था. और 1871 की लड़ाई के दौरान यह क्षेत्र बीकानेर के प्रभुत्व में आ गया.
Churu famous for? (चुरू किसके लिए प्रसिद्ध है?)
Why is Churu famous?: चूरू जिला मुख्य रूप से अपनी भौगोलिक विशेषताओं और प्रसिद्ध धार्मिक स्थल और पुरानी हवेली और उद्योगपतियों और विदेशी पर्यटकों/सैलानियों विख्यात कवियों और मेलो और पुरानी संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है.
Churu Famous Religious Place (चूरू प्रसिद्ध धार्मिक स्थल)
सालासर बालाजी मंदिर:-चूरू जिले में स्थित भारत का एकमात्र हनुमान मंदिर है जिसमे दाढ़ी और मुछ युक्त श्री हनुमान जी की पूजा जाती है. सालार बालाजी मंदिर उत्तर भारत के अलावा पूरी देश से इनके मानने वाले भगत आते है. इस मंदिर का निर्माण और स्थापना बाबा मोहन दास ने की थी. यहाँ हर भाद्रपद,आश्विन ,चैत्र और वैशाखी की पूर्णिमा को विशाल मेला लगता है. जिसमे देश विदेश से लाखो लोग हनुमान जी से मनोकामना मांगने आते है.
Churu Famous Place? (चूरू प्रसिद्ध स्थल)
सादुलपुर: सादुलपुर चूरू जिले का प्रसिद्ध स्थल है क्यों की दुनिया के जाने माने उद्योग पति श्री लक्ष्मी निवास मितल का जन्म भी यही हुआ था. इसके अलावा भारत के प्रसिद्ध एथेलेटिक देवेंदर झाझरिया का जन्म स्थल भी सादुलपुर ही है.
ददरेवा: चूरू जिले के ददरेवा में राजस्थान और हरयाणा उत्तरप्देश के लोक देवता और सांपों के देवता के नाम से प्रसिद्ध गोगाजी माहराज का जन्म हुआ था.
ताल छापर अभ्यारण्य: राजस्थान के चूरू जिले में स्थित इस सेंचुरी में देश और विदेश से शैलानी पक्षी आते है मुख्य रूप से कजाकिस्तान और रूस से आने वाले पक्षियों का जमावड़ा ताल छापर अभ्यारण्य को खास बनाने में चार चाँद लगा देता है.
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सुजानगढ़: सुजानगढ़ के उपनाम हड़बूजी रो कोट और खरबूजी कोट के नाम से भी जाना जाता है. भारत की स्वर कोकिला स्वर की महारानी लता मंगेसकर के गुरु श्री टी खेमचंद प्रकाश का सम्बंद चूरू के सुजानगढ़ से है. सुजानगढ़ में श्री वेंकटेश्वर मंदिर है जो दक्षिण भारत में तिरुपति में स्थित वेंकटेश्वर मंदिर जो पुरे भारत में अपनी भव्यता के लिए प्रसिद्ध रहा है की तर्ज पर. चूरू के सुजानगढ़ में भी उतर भारत का एक मात्र वेंकटेश्वर मंदिर है. यह द्रविड़ शैली में बना हुआ है.
राजस्थान के प्रख्यात कवी और राजस्थानी भाषा का पितामहा कन्हैयालाल सेठिया का जन्म भी सुजानगढ़ में ही हुआ है.
Tourist Places Of Churu District (चूरू में घूमने लायक जगह)
- कन्हैयालाल बागला हवेली (Kanhaiyalal Bagla Haveli)
- सालासर बालाजी मंदिर (Salasar Balaji Temple)
- आठ कुंभ छत्री (Eight Kumbh Chhatri)
- फ्रेस्को पेंटेड हवेलियां (Fresco Painted Havelis)
- गोदिया छत्री (Godiya Chhatri)
- श्री शांतिनाथ भगवान मंदिर (Shri Shantinath Bhagwan Temple)
- मनसा देवी मंदिर (Mansa Devi Temple)
- सेठानी का जोहरा (Sethani Ka Johra)
- रतनगढ़ किला (Ratangarh Fort)
- लक्ष्मीनारायणजी मंदिर (Laxminarayanji Temple)
- कुकू फन जोन (Cuckoo Fun Zone)
- रघुनाथजी मंदिर (Raghunathji Temple)
Famous People of Churu (चूरू के प्रसिद्ध व्यक्ति)
गजानन वर्मा: राजस्थानी लोक शैली के प्रसिद्ध कवी श्री गजानन वर्मा का जन्म चूरू जिले के रतनगढ़ में हुआ था. इनके लिखे प्रमुख गीत “बाजरे की रोटी पोई ” और चमक चानणी राता में” और “फुलिये री माँ ” और ” भॅवर म्हरो सोने रो गलपटियो ” फागण आयो रे हठीला ” और पिया तो परदेश बसों काफी प्रसिद्ध हुए.
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कन्हैयालाल सेठिया:(Kanhaiyalal Sethia)
श्री कन्हैयालाल सेठिया जी का जन्म राजस्थान के चूरू जिले के सुजानगढ़ शहर में हुआ था. इनकी रचनावों की वजह से राजस्थानी भाषा का पितामहा भी कहा जाता है. इनकी प्रसिद्ध कलाकृति पीथल और पाथल है. इसके अलावा “जमीन रो घणी कुणी” और मींझर एवम रमणिया रा सोरठा, और गळगचिया,जलम भोम,लीलटांस ,मायड़ रो हेलो,सतवाणी प्रमुख है.
कन्हैयालाल सेठिया जी की रचनाओं की कुछ पंक्तियाँ इस प्रकार है-
- धरती धोरां री आ तो सुरगां न सरमावे , इ पर देव रमण न आवे ईरो जश नर नारी गावे , धरती धोरां री, धोरां री धरती धोरां री.
- मौन प्रार्थना जल्दी पहुँचती है ईश्वर तक क्यों की मुक्त होती है शब्दों के बोझ से.
- अर घास री रोटी ही जद बन बिलावड़ो ले भाग्यो. नानो सो अमरयो चीख पड्यो,राणा रो सोयो दुःख जाग्यो. एक बार जगल में महाराणा प्रताप ने अपने बेटे अमर सिंह को घास से बनी रोटी दी जैसे ही वे खाने लगे. एक जंगली बिलाव अमर सिंह से वो घास की रोटी लेकर भाग गया. तब अमर सिंह रोने लगे तो महाराणा प्रताप का मन अंदर से बहुत दुखी हुआ और उन्होने अकबर को अधीनता स्वीकार के लिए पत्र लिखा. अकबर को यकीन नहीं हुवा उसने अपने दरबार कवी पीथल को जांच करने के लिए राणा को पत्र लिखने को बोला. पीथल के उस पत्र में राणा के सोये हुए स्वाभिमान जगाने वाली बात पीथल ने लिखी और कभी नहीं झुकने वाली बात और प्रण याद दिलाया. उसके बाद महाराण प्रताप फिर से मुंगलो लोहा लेने को तैयार हो गए.
विश्व मोहन भट्ट:(Vishwa Mohan Bhatt)
मोहन भट्ट जी का जन्म शिलोंग (मेघालय) में हुआ था. लेकिन इनके पिता श्री भीमराज जी रतनगढ़ चूरू के निवासी थे. कुछ लोगो का मानना है विश्व मोहन भट्ट का जन्म जयपुर में हुआ. श्री विश्व मोहन भट्ट जी ने ” ए मीटिंग बाई दी रीवर ” नाम से कॉम्पेक्ट डिस्क बनाई। इस डिस्क के आविष्कार के 1994 में इनको विश्विख्यात “ग्रेमी” पुरुस्कार से नवाजा गया.
- विश्व मोहन भट्ट जी मोहनवीणा के जनक है. इन्होने विश्व विणा का भी निर्माण किया है.
- विश्व मोहन भट्ट जी ने एक नई राग “गोरीम्मा” का सुरजन किया किया है.
स्वामी लालगिरि– अलखिया सम्प्रदाय के पर्वतक.
ठाकुर शिवजीसिंह–(Thakur Shivjisingh)
ठाकुर शिवजीसिंह के राज में 1814 में माहराज सूरत सिंह द्वारा चूरू के किले पर चढ़ाई कर दी गयी थी. किले की घेराबंदी कई महीनो तक रहने से चूरू के किले में खाने पीने और गोला बारूद खतम हो गया था. चूरू की जनता मरने लगी तक. चूरू नगर की जनता ने ठाकुर शिवजीसिंह का खुल कर साथ दिया और अपनी चांदी राजा को सुपुर्द कर दी. राजा की सेना ने चांदी के गोले बना कर दुश्मन सेना पर हमला किया. ये घटना भारत के और पूरी दुनिया में पहली बार हुई थी. इस चूरू के युद्ध(लड़ाई) पर शंकरदान सामोर ने लिखा है-
धीरे ऊपर निबड़ी ,घिरे ऊपर टोप.
चांदी गोळा चालतां, गोरां नाख्या टोप.
बीको फीको पड़ गयो, बण गोरा हमगिर.
चांदी गोळा चालिया, चूरू री तासीर.
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रेशमा लोक गायिका (Reshma folk singer)
रेशमा लोक गायिका का जन्म 1947 में भारत राजस्थान के रतनगढ़ तहसील के लोहा गाँव में एक मुस्लिम मिरासी मंगनियार जाति (बंजारा) के परिवार में हुआ था. भारत के विभाजन के कुछ समय बाद, उनका परिवार पाकिस्तान में बस गया था. इनके प्रसिद्ध गीतों में “दमादम मस्त कलंदर” हाय ओ रब्बा ” नहियो लाग्दा दिल मेरा शामिल है. उनके द्वारा फिल्म ‘हीरो’ में उसने “लम्बी जुदाई” गाया गाना जो बहुत प्रसिद्ध हुआ था. इनका देहांत 3 नवम्बर 2013 लाहौर, पाकिस्तान में हुआ.
श्री लक्ष्मी निवास मितल
विश्व के प्रसिद्ध धन कुबेर तथा स्टील किंग के नाम से विख्यात लक्ष्मी निवास मित्तल भी मूलत: चूरू ज़िले के राजगढ़ कस्बे के रहने वाले है. और कभी कभी इनका अपने पैतृक गांव आना जाना होता रहता है.
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Ans- सालासर बालाजी मंदिर राजस्थान के चूरू जिले में सालासर गांव में स्थित है.
Ans- चूरू जिला राजस्थान का सबसे कम वन(पेड़) वाला जिला है. बहुत अधिक गर्मी और ठण्ड में ठंडी से पेड़ पौधे नही उग पाते है.
Ans- राजस्थान का सबसे गर्म स्थान चूरू है.
Ans- तालछापर वन्य जीव अभ्यारण काले हिरण और रूस और कजाकिस्तान से आने वाले पक्षीओ के लिए प्रसिद्ध है.
Ans- सड़क मार्ग से चुरू से जयपुर के बीच की दूरी 205 किमी है.
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FAQ
Ans- जयपुर के मौसम विभाग के निदेशक के अनुसार, एंटी-साइक्लोनिक सर्कुलेशन, साफ मौसम की स्थिति और पश्चिम से चलने वाली शुष्क गर्मी की हवाएं चुरू को गर्मियों में झुलसाती रहती हैं. सर्दियों में पारा कभी-कभी शून्य डिग्री सेल्सियस से नीचे चला जाता है.
Ans- चुरू भारतीय राज्य राजस्थान में एक रेगिस्तानी जिला है.
Ans- राजस्थान के चूरू जिले में एक भी नदी नहीं है.
Ans- श्री लक्ष्मी निवास मित्तल का जन्म चूरू के सादुलपुर में हुआ था.