Biography of 1857 Kranti Veer Vrindavan Tiwari वृन्दावन तिवारी

By | December 8, 2023
Biography of Vrindavan Tiwari
Biography of 1857 Kranti Veer Vrindavan Tiwari

दोस्तों जैसा आप जानते ही है, हिंदी में एक कहावत है “लड़े सिपाही नाम हवलदार का” अथार्त इसका अर्थ हम सब जानते हैं. की मेहनत कोई एक व्यक्ति करता है और उसका श्रेय कोई ओर व्यक्ति ले जाता है. ऐसे सौभाग्यशाली लोग लोग भी हुए हैं जिन्हें कार्यों के हिसाब से जीवन में प्रसिद्धि एवं यश प्राप्त हुआ है. दोस्तों भारतीय प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में असंख्य लोगों ने अपना सर्वस्व निछावर कर दिया था परंतु उन्हें लोग याद नहीं करते है. और जो कुछ याद करते है तो राजनीती के लिए और बाद में खुद एक संस्था बना कर बैठ जाते है. हम यहाँ ऐसे ही छुपे हुए भारत के महान क्रांति वृंदावन तिवारी जी की जीवनी (Biography of 1857 Kranti Veer Vrindavan Tiwari) पर प्रकार डाल रहे है. जिनेक बारे में शायद ही आपको आज से पहले मालूम हो.

वृन्दावन तिवारी कौन थे?

दोस्तों अट्ठारह सौ सत्तावन (1857) ईसवी के शहीदों में वृन्दावन तिवारी भी एक थे. उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के चितबड़ागाँव में उनका जन्म हुआ था. दोस्तों वर्तमान में चितबड़ागाँव उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में एक कस्बा और नगर पंचायत भी है. जिनके बारे में लोग बहुत कम जानते हैं. जैसे बिहार के बांसुरिया बाबा की भांति वृंदावन तिवारी भी अट्ठारह सौ सत्तावन के भूले बिसरे एक शहीद है. वृन्दावन लाल तिवारी एक ऐसे क्रांतिकारी थे जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी थी.

वृंदावन तिवारी अंग्रेज पुलिस में थाना बरकंदाज थे. बरकंदाज का मतलब वह सिपाही या चौकीदार आदि जिसके पास बड़ी लाठी रहती हो, या तोड़ेदार बंदूक रखनेवाला सिपाही. उनका प्रमुख कार्य नगर प्रशासन की व्यवस्था करना था. यह कहां के रहने वाले थे कार्यक्रम में शिक्षा प्राप्त की इस संबंध में हमें कोई जानकारी प्राप्त नहीं होती है.

डॉक्टर भरत मिश्र का मानना है कि वे या तो बिहार के शाहाबाद या सारण या उत्तर प्रदेश के निवासी होंगे. दोस्तों एक समय बंगाल, कलकत्ता में आधे से अधिक सिपाई बिहार तथा उत्तर प्रदेश के ही होते थे. अब तो बेरोजगारी होने के कारण बंगाली युवक भी सिपाही में भर्ती हो जाते हैं.

Summary

नामवृंदावन तिवारी
उपनाम
जन्म स्थानउत्तर प्रदेश के बलिया जिले में चितबड़ागाँव
जन्म तारीख
वंशतिवारी
माता का नाम
पिता का नाम
पत्नी का नाम
भाई/बहन
प्रसिद्धिअंग्रेजो के खिलाफ लड़ाईया
रचना
पेशास्वतंत्रता सेनानी
पुत्र और पुत्री का नाम
गुरु/शिक्षक
देशभारत
राज्य क्षेत्रउत्तर प्रदेश
धर्महिन्दू
राष्ट्रीयताभारतीय
भाषाहिंदी
मृत्यु का कारन18-जून-1857 ईस्वी को फांसी
जीवन काल
पोस्ट श्रेणीBiography of 1857 Kranti Veer Vrindavan Tiwari (1857 क्रांति वीर वृंदावन तिवारी की जीवनी)
Biography of 1857 Kranti Veer Vrindavan Tiwari

1857 की क्रांति में वृन्दावन तिवारी जी क्यों कूदे?

लेखिका उषा चंद्रा के अनुसार वृंदावन तिवारी एक साहसी व्यक्ति थे. वे मिदनापुर पश्चिम बंगाल की जेल में वहां की दुर्दशा से बहुत दुखी थे. मिदनापुर के मजिस्ट्रेट एस लुसिंगटन ने कैदियों को अपने अपने वार्ड में खाना पहुंचाने का आदेश दिया. वह सभी कैदियों को एक साथ मिलने नहीं देता था. कई बार एस लुसिंगटन बिना किसी अपराध के कैदियों को बेत से पीटता था.

वृन्दावन तिवारी जी रोज ऐसे भारतीय क्रांतिकारियों हालत देखते और मन ही मन दुःखी होते. धीरे धीरे इन्होने अंग्रेजो से बदला लेने की ठानी और 1857 क्रांति में विद्रोहियों का साथ देने लगे.

1857 ईस्वी की क्रांति में वृन्दावन तिवारी जी का क्या योगदान था?

ऊषा चंद्रा जी ने अपनी पुस्तक में लिखा है. कि वृंदावन तिवारी जी ने सैनिक शिविर में जाकर सैनिकों को जेल में होने वाले अत्याचार के बारे में बताया. उन्होंने ओजस्वी भाषण देते हुए कहा “सैनिक भाइयों कल एस लुसिंगटन एक एवं एक सेना अधिकारी कारागार में आए थे. उन्होंने बंदियों को गाय का मांस और सूअर का मांस खाने के लिए बाध्य किया। क्या आप इस अपमान को सहेंगे”. वृंदावन तिवारी ने भारतीय सैनिक और अधिकारियों को 1857 में भाग लेने के लिए प्रेरित किया.

वृन्दावन तिवारी जी ने 1857 की क्रांति में बलिदान

शेखावत बटालियन के कमांडर कर्नल फास्टर ने भारत सरकार के सचिव को वृंदावन जी की गतिविधियों के बारे में जानकारी दी. वह वृंदावन तिवारी जी को फांसी पर लटकाना चाहता था. वृन्दावन तिवारी जी ने हाथ में तलवार लेकर सिपाहियों को क्रांति में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। इसी बीच दो सिपाहियों ने उन्हें पकड़ कर अंग्रेजों को सुपुर्द कर दिया.

उन पर मुकदमा चलाया गया आरोप यह था की है, उन्होंने सैनिकों में धार्मिक भावना फैला कर उन्हें बगावत करने हेतु उकसाया है. सैनिक अदालत ने 18 जून अट्ठारह सौ सत्तावन ईसवी में वृंदावन तिवारी जी को फांसी पर लटका दिया था. तिवारी जी का त्याग और बलिदान भारतीयों को हमेशा प्रेरणा देता रहेगा, हम ऐसे वीर योद्धा को शत शत नमन करते हैं.

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FAQs

Q- 1857 के महान क्रांतिकारी वृन्दावन तिवारी का जन्म कहाँ हुआ था?

Ans- 1857 के महान क्रांतिकारी वृन्दावन तिवारी का जन्म उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के चितबड़ागांव में उनका जन्म हुआ था.

भारत की संस्कृति

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