यह संदेश हमारे देश की आजादी के लिए कई ऐसे व्यक्ति विशेष हुए हैं. जिनके बारे में हमें कोई जानकारी नहीं है. हम उन सभी ज्ञात अज्ञात स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति नतमस्तक हैं. जो देश की आजादी के लिए हंसते-हंसते शहीद हो गए थे. दोस्तों अधिकांश लोग की क्रांति के प्रमुख क्रांतिकारियों को जानते हैं. परंतु बहुत से ऐसे वीर तथा वीरांगना हैं जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दी. उन्ही शहीदों में से एक गोंड राजा शंकर शाह का नाम भी लिया जा सकता है. दोस्तों हम यहाँ गौर राजा शंकर शाह की जीवनी (Biography of Gond King Shankar Shah). और उनके जुड़े आश्चर्यजनक तथ्य आपके साथ शेयर करने जा रहे है.
तो दोस्तों चलते है, और जानते है राजा शंकर शाह की रोचक जानकारी. गौर राजा शंकर शाह गढ़मंडल के विख्यात गौड़ राजपरिवार के वंशज थे. जो प्रसिद्ध वीरांगना रानी दुर्गावती से संबंधित थे. राजा शंकर शाह का निवास जबलपुर के निकट पुरवा स्थान पर था.
गौर राजा शंकर शाह कौन थे?
गोंड राजा शंकर शाह गोंडवाना राज्य के राजा थे. गोंड राजा शंकर शाह गोंडवाना राज्य के राजा थे. इन पर अंग्रजो के खिलाफ विधरोइयो का साथ देने, के अपराध सवरूप इनको और इनके पुत्र को तोप के मुँह पर बांध कर उड़ा दिया गया था. 1857 ईसवी की क्रांति को भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम भी माना जाता है. अट्ठारह सौ सत्तावन के मध्य तक भारत के अधिकांश भागों में क्रांति का प्रचार हो चुका था. बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान एवं दिल्ली, हरियाणा क्रांति की चपेट में आ चुके थे. इसके प्रमुख केंद्र कानपुर लखनऊ झांसी मेरठ वाराणसी थे. जबलपुर में भी वहां की जनता ने राजा शंकर शाह के नेतृत्व में अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष प्रारम्भ कर दिया था.
राजा शंकर शाह भी जगदीशपुर के बाबू कुंवर सिंह की तरह अपने वंश पर अभिमान करते थे. उनकी तलवार में भी कुंवर सिंह की तलउनमे भी भारत माता को अंग्रेजों की दासता से मुक्त करवाने की भावना थी. जो भी व्यक्ति अपने सामर्थ्य के अनुसार देश का समाज की सेवा करता है वह निसंदेह प्रशंसनीय.
Summary
नाम | गोंड राजा शंकर शाह |
उपनाम | शंकर शाह |
जन्म स्थान | गोंडवाना |
जन्म तारीख | 1789 |
वंश | राजगोंड राजवंश |
माता का नाम | — |
पिता का नाम | सुमेर शाह |
पत्नी का नाम | फूलकुंवरि |
उत्तराधिकारी | कुंवर रघुनाथ शाह |
भाई/बहन | — |
प्रसिद्धि | स्वतंत्रता सेनानी |
रचना | — |
पेशा | राजा, क्रांतिकारी |
पुत्र और पुत्री का नाम | कुंवर रघुनाथ शाह |
गुरु/शिक्षक | सुमेर शाह |
देश | भारत |
राज्य क्षेत्र | मध्य प्रदेश |
धर्म | हिन्दू |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
भाषा | हिंदी, मराठी,आदिवासी |
मृत्यु | 18 सितंबर 1857 |
मृत्यु स्थान | जबलपुर कमिश्नरी के पास तोप के आगे बांधकर उड़ा दिया था |
जीवन काल | लगभग 68 वर्ष |
पोस्ट श्रेणी | Biography of Gond King Shankar Shah |
1857 ईस्वी की क्रांति में गोंड राजा शंकर शाह का योगदान
यद्पि यह सत्य है कि राजा शंकर सिंह की आर्थिक दशा खराब थी. कभी उनका राज्य बहुत प्रभावशाली था. परंतु सभी दिन एक जैसे नहीं होते हाथी मरा भी तो नो लाख का. वह दोपहर के सूर्य के प्रखर की तरह न होकर अस्ताचल पूर्व सूर्य के समान थे. अतः अपने क्षेत्र के लोगों पर उनका दबदबा और व्यापक प्रभाव था. अंग्रेज सरकार को उनको अपनी तरफ मिलाकर रखने के लिए पेंशन भी दी थी.
शंकर शाह चाहते तो क्रांतिकारियों का विरोध करके अपनी पेंशन में बढ़ोतरी करवा सकते थे, और कुछ भी लाभ उठा सकते थे. परंतु उन्होंने गरीबी में जीना पसंद किया. उन्होंने यह निर्णय लिया कि चाहे सरकार उनकी पेंशन बंद कर दें. परंतु वह कंपनी के शासन का विरोध करने में क्रांतिकारियों का साथ देंगे और देश के लिए मर मिटेंगे.
1857 ईस्वी क्रांति
मेरठ के सिपाहियों के विद्रोह के समाचार जबलपुर की 52वी पल्टन को मिल चुके थे. उसने भी कंपनी सरकार से संघर्ष करने का निश्चय कर लिया था. राजा शंकर शाह तथा उनके पुत्र रघुनाथ शाह को सक्रिय रूप से सहायता की यह निश्चित हुआ. कि वे लोग मोहर्रम के दिन अंग्रेजों पर आक्रमण कर देंगे पर इस चेक करवानी नहीं किया जा सका. सरकार ने एक चपरासी को फकीर के रूप में भेजा. उसने राजा की गुप्त योजना का पता लगा लिया.
इसके बाद लेफ्टिनेंट क्लार्क ने राजा शंकर शाह को उनके पुत्र तथा परिवार के अन्य 13 सदस्यों सहित 14 सितंबर 18 सो 57 ईस्वी को बंदी बना लिया. कुछ इतिहासकारों के अनुसार उन्हें 15 सितंबर को बंदी बनाया गया था. उनके घर की तलाशी ली गई जिसमें कुछ अज्ञात प्राप्त हुए समय सरकार को यह सूचना प्राप्त हुई कि कंपनी के कुछ भाई राजा को मुक्त करवाने पर तुले हुए हैं. इसलिए सिपाहियों पर सख्त निगरानी रखी गई.
गोंड राजा शंकर शाह का 1857 ईस्वी की क्रांति में बलिदान
राजा शंकर शाह और उनके पुत्र पर सैनिक न्यायालय में मुकदमा चलाया गया. जिसमें पिता-पुत्र को राजद्रोह के लिए अपराधी ठहराया गया. इसके बाद पिता-पुत्र को फांसी नहीं देकर उनको तोप के गोले से उड़ा कर उनकी जीवन लीला समाप्त कर दी गई. अंग्रेजों का यह मानना था कि शंकर शाह को दंड देने से स्थिति में परिवर्तन हो जाएगा. परंतु ऐसा नहीं हो सका 52वीं पलटन ने विद्रोह कर दिल्ली की ओर प्रस्थान किया.
उन्होंने भारत के बुड्ढे सम्राट बहादुरशाह जफर को अपनी सेवाएं अर्पित की. राजा शंकर शाह 18 सो 57 की क्रांति के प्रमुख थे. जिन्होंने भारत माता की सेवा का प्रयास किया. भारतवासी उनके के बलिदान को कभी भूल सकते. और उनकी भांति हमेशा बुराइयों में चारों खिलाफ आवाज उठाते रहेंगे हम ऐसे वीर को नमन करते हैं.
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FAQs
Ans- गोंडवाना के राजा शंकर शाह गोंड समाज से ताल्लुक रखते थे.