History And Tourist Places Of Bhilwara-: दोस्तों हम आज राजस्थान के छोटे से जिले भीलवाड़ा की वो रोचक जानकारी आपके साथ साझा कर रहे है. जिसके बारे में शायद ही आपको पहले पता होगी. भीलवाड़ा क्यों प्रसिद्ध है, भीलवाड़ा को और किन किन नामो से जाना जाता है. आदी समस्त जानकारी के लिए इस पेज को अंत तक देखे.
भीलवाड़ा को राजस्थान की टेक्सटाइल सिटी और राजस्थान का मेनचेस्टर और अभ्रक और वस्त्र निर्यातक शहर के नाम से जाना जाता है. राजस्थान में सर्वाधिक पीतल के बर्तन भीलवाड़ा में बनाये जाते हैं. राजस्थान में सर्वाधिक साईकिल रिक्शे भीलवाड़ा में हैं. भीलवाड़ा जिले के पूर्वी भाग में बूँदी जिला, उत्तर में टोंक व अजमेर, पश्चिम में राजसमंद तथा दक्षिण में चितौड़गढ़ एवं मध्यप्रदेश का नीचम जिला स्थित है.
राजस्थान के जिलों का इतिहास और पर्यटक स्थल और रोचक जानकारी
History Of Bhilwara (भीलवाड़ा का इतिहास)
यह रिकॉर्ड में नहीं है कि कैसे भीलवाड़ा का नाम उस जिले के नाम पर रखा गया जो अब भीलवाड़ा जिला है. परंपरा यह है कि इसे भीलवाड़ा के नाम से जाना जाने लगा क्योंकि पुराने दिनों में यह ज्यादातर भीलों द्वारा बसाया हुआ था. इन भीलों को अंततः किसान बसने वालों के पूर्वजों द्वारा पहाड़ी इलाकों और कम महत्व के आंतरिक स्थानों की ओर खदेड़ दिया गया. विडंबना यह है कि अब इस क्षेत्र में बहुत कम भील रहते हैं. एक अन्य संस्करण में कहा गया है कि वर्तमान भीलवाड़ा शहर में एक टकसाल था. जहां ‘भिलाडी’ के नाम से जाने जाने वाले सिक्के ढाले जाते थे.
और इसी संप्रदाय से जिले का नाम लिया गया था. इन वर्षों में यह राजस्थान के टेक्सटाइल सिटी के रूप में उभरा है. आजकल भीलवाड़ा को देश में टेक्सटाइल सिटी के रूप में जाना जाता है. भीलवाड़ा का नाम आदिवासी भील जाति से जोड़ा कर देखा जाता है. वैसे भीलवाड़ा में सिक्को की ढलाई होती थी जिसको स्थानीय भाषा में भिलाड़ी कहते है और कालांतर में भिलाड़ी से भीलवाड़ा नाम पड़ा.
Summary
नाम | भीलवाड़ा |
उपनाम | राजस्थान की टेक्सटाइल सिटी, राजस्थान का मेनचेस्टर |
स्थापना | 1100 ईस्वी |
स्थापना किसने की | आदिवासी भील |
राज्य | राजस्थान |
जिला | भीलवाड़ा |
तहसील | भीलवाड़ा |
किस लिए प्रसिद्ध है | अभ्रक और वस्त्र निर्यातक एवं पीतल के बर्तन, माण्डलगढ़, भिलाड़ी सिक्के, भोडल की छपाई |
भाषा | राजस्थानी, मारवाड़ी, हिंदी |
पर्यटक स्थल | त्रिवेणी चौराहा, बदनोर फोर्ट, क्यारा के बालाजी, मंडल, हरणी महादेव मंदिर, गायत्री शक्ति पीठ, धनौप माता जी मंदिर, श्री चारभुजा नाथ मंदिर, बागोर साहिब, गणेश मंदिर |
सांसद का नाम | श्री सुभाष चन्द्र बहेड़िया |
चुनावी क्षेत्र/तहसील | आसींद, बनेड़ा, शाहपुरा, बिजोलियाँ, भीलवाड़ा, सहारा, रायपुर, हरदा, जहाजपुर, कोटड़ी, माँडल, मांडलगढ़ |
पोस्ट श्रेणी | भीलवाड़ा का इतिहास और पर्यटन स्थल (History And Tourist Places Of Bhilwara) |
Famous places in Bhilwara (भीलवाड़ा के प्रसिद्ध स्थल)
धानेष्वर भीलवाड़ा में स्थित यह स्थान ‘‘लघु पुष्कर’’ के नाम से चर्चित है. गुलाबपुरा राजस्थान में सहकारी क्षेत्र की प्रथम कताई मिल की स्थापना गुलाबपुरा में हुई. राज्य में सर्वाधिक कताई के चरखे गुलाबपुरा में है.रामपुरा-आगूंचा यहाँ राज्य के सर्वाधिक सीसा-जस्ता भण्डार पाये गये है. जिनका उपयोग चंदेरिया (चितौड़गढ़) के हिन्दुस्तान जिंक उद्योग के लिए होता है. गंगापुर बाईसा महारानी मंदिर स्थित है. जहाजपुर (यज्ञपुर)पौराणिक संदर्भाें के अनुसार युधिष्ठिर के पौत्र जनमेजय ने अपना विष्व विख्यात सर्प यज्ञ इसी स्थान पर किया था. यहाँ चैहान काल के प्राचीन षिलालेख तथा महाभारतकालीन अवषेष प्राप्त हुए हैं. मेनाल मेनाल माण्डलगढ़ के निकट इतिहास, पुरातत्व, पर्यटन, प्रकृति तथा धार्मिक आस्थाओं का मिलन स्थल है. मेनाल शैव धर्म (नाथ सम्प्रदाय) का प्रमुख केन्द्र था. बरूदनी कोटड़ी तहसील के इस गांव में मुर्दे की होली निकाली जाती है.
दर्षनीय स्थल बनेड़ा महल, अमरगढ़ की छतरियाँ, बदनोर के महल, मंगरोप व हम्मीरगढ़ के दुर्ग, बनेड़ा का राजसरोवर है. बनेड़ा भीलवाड़ा का खजुराहों कहलाता है.
- Badnore Fort.
- Pur Udan.
- Kyra K Balaji.
- Madhav Gau Vigyan Research Center.
- मंडल.
- Harni Mahadev.
महाकालेश्वर शिवालय
महाकालेश्वर शिवालय बिजोलिया में स्थित इस मंदिर को हजारेष्वर महादेव का मंदिर (सहस्त्रलिंग का मंदिर ) भी कहते हैं. महासतियों का टीला बागोर में स्थित पाषाणकालीन पुरातात्विक स्थल है. डाॅ. वीरेन्द्रनाथ मित्र के नेतृत्व में इस स्थल का उत्खनन कार्य 1967 में किया गया. बागोर से उत्खन्न में सूर्य पुत्र रेवन्त की प्रतिमा मिली है. बागोर, मेवाड़ के अनेक महाराणाओं की जन्मभूमि रहा है. मेवाड़ की राजगद्दी पर बागोर से चार महाराणा गोद गये. बागोर की हवेली में पष्चिमी क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र का मुख्यालय स्थित है.
माण्डलगढ़
माण्डलगढ़ – जगन्नाथ कछवाहा (आमेर) का माण्डल के युद्ध में निधन हुआ. माण्डलगढ़ में डाॅट पद्धति से निर्मित इनकी 32 खम्भों की छतरी स्थित है.
शाहपुरा भीलवाड़ा
यहाँ सन् 1946 ई. में अखिल भारतीय कांग्रेस का प्रान्तीय अधिवेषन आयेाजित हुआ. सुदर्षनदेव ने 14 अगस्त, 1947 को (भारतीय स्वतंत्रता दिवस के एक दिन पूर्व ही) शासन सूत्र प्रजा के हाथों समर्पित किया. शाहपुरा ऐसा करने वाली राजस्थान की एकमात्र रियासत थी. राजस्थान की सबसे छोटी रियासत शाहपुरा थी.
यहाँ पोवन्या बाँध, उम्मेद सागर, नाहर सागर, अखड़ बाँध है. यहाँ श्री उम्मेद सार्वजनिक पुस्तकालय व वाचनालय स्थित है. यहाँ फूलडोल समारोह मनाया जाता है.
बिजौलिया
बिजौलिया का क्षेत्रफल लगभग एक सौ वर्गमील था. इस ठिकाने का मूल पुरूष अषोक परमार था. बिजौलिया किसान आंदोलन को भारत का प्रथम अहिंसात्मक आंदोलन माना जाता है. धाकड़-बिजौलिया में इस जाति के किसानों की जनसंख्या अधिक थी.
भीलवाड़ा की भौगोलिक विशेषताएँ (Geographical Features of Bhilwara)
भीलवाड़ा जिले की अवस्थिति 2501 से 25058 उत्तरी अक्षांश तथा 7401 से 75028 पूर्वी देशान्तर के मध्य है. भीलवाड़ा जिले के पूर्वी भाग में बूँदी जिला, उत्तर में टोंक व अजमेर, पश्चिम में राजसमंद तथा दक्षिण में चितौड़गढ़ एवं मध्यप्रदेश का नीचम जिला स्थित है.
(Bhilwara) भीलवाड़ा जिले की नदिया और बाँध
भीलवाड़ा की प्रमुख नदियों में बनास, बेड़च, कोठारी, मानसी और मेनाल है. खारी नदी अजमेर और भीलवाड़ा की सीमा बनाती है. गुलाबपुरा खारी नदी के तट पर बसा हुआ है.
त्रवेणी संग बीगोद और मांडलगढ़ के बीच बनास, बेड़च, मेनाल नदियों का संगम है. तथा बाँध में जैतपुर बाँध, खारी बाँध, मेजा बाँध, मांडललाल, सरेरी बाँध, गोवठा है.
भीलवाड़ा में मेजा बाँध मांडलगढ़ कस्बे के निकट कोठारी नदी पर 1972 में इस बाँध का निर्माण किया गया था. अगर बात करे जलाशय की तो धरमतलाई (धांधालाई), बाण माता का तालाब, सिंगोली श्याम का तालाब भीलवाड़ा में स्थित है.
राजस्थान में पीतल व तांबे उद्योग कहाँ का प्रसिद्ध है?
राजस्थान में राज्य में भीलवाड़ा, किशनगढ़ (अजमेर), भरतपुर, जयपुर तथा जोधपुर में पीतल व ताँबा उद्योग केन्द्र स्थिति है. भीलवाड़ा ताँबें व कांस्य तथा जयपुर पीतल के कार्य के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है.
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भीलवाड़ा के प्रमुख व्यक्ति (Prominent People Of Bhilwara)
भीलवाड़ा में बहुत से ऐसे व्यक्ति हुए है जिन्होंने देश विदेश में देश और राज्य का नाम रोशन किया है. हम यहाँ भीलवाड़ा के प्रमुख लोगो की सूचि और उनके कार्य शेयर कर रहे है.
केसरी सिंह बारहठ
इनका जन्म 21 नवम्बर 1872 को शाहपुरा भिलवाड़ा में हुआ था. ये भीलवाड़ा के डिंगल कवि तथा राजस्थान के महान् देषभक्त थे. केसरी सिंह बारहठ ने अभिनव भारती नामक संस्था की स्थापना की. इन्होंने प्रताप चरित, दुर्गादास चरित और रूठी राणी ग्रन्थों की रचना की. 1903 ई. में मेवाड़ के महाराणा फतेहसिंह को दिल्ली जाते समय उन्हें ‘‘चेतावनी रा चूंगटिया’’ नामक 13 सौरठें (डिंगल भाषा में) भेंट किये जिन्हें पढ़क्र महाराणा का स्वाभिमान जागृत हुआ और वे कर्जन द्वारा एडवर्ड – 7 के सम्मान में आयोजित ‘‘दिल्ली दरबार में सम्मिलित नहीं हुए. केसरीसिंह के द्वारा 1912 ई. में लहरी, नारायण सिंह, जोरावर सिंह, लक्ष्मीलाल और हीरालाल जालौरी के साथ मिलकर कोटा के महंत साधु प्यारेलाल की 25 जून 1912 को हत्या कर दी गई. इस केस में इन्हें बिहार की हजारीबाग जेल में रखा गया.
डॉ. गणपतलाल जैन
डॉ. गणपतलाल जैनइन्होंने निम्न आविष्कार किए –
- दृष्टिदोष एवं नेत्रहीनों के लिए ब्रेल डुप्लीकेषन मषीन आविष्कार किया.
- आँख की कृत्रिम पुतली (कॉर्निया).
- अस्थि रोग संबंधी विकलांगों के लिए इलेक्ट्रॉनिक कृत्रिम भुजा का निर्माण.
- शिशु को तोलने की मषीन का विकास.
जानकीलाल भांड- बहरूपिया कलाकार.
कैलाष जागेटिया- “क्लॅाथ आर्ट’’ के जन्मदाता.
श्रीलाल जोषी- भित्ति चित्रण के सिद्धहस्त कलाकार.
प्रो. गोकुल लाल असावा- शाहपुरा राज्य प्रजामण्डल के संस्थापक.
शांतिलाल जोषी
फड़ कला में हस्त सिद्धहस्त शिल्पी शाहपुरा का जोषी परिवार प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन की फड़ बनाने से चर्चा में आया.
भीलवाड़ा संस्कृति एवं अन्य तथ्य
- भिलाड़ी सिक्के- भीलवाड़ा की टकसाल में ढ़ाले जाते थे।
- भोडल की छपाई- यहाँ के छीपे अभ्रक से छपाई करते हैं जो भोडल की छपाई कहलाती है. मध्यकाल में नील की अधिक रंगाई भीलवाड़ा में होती थी.
- फड़ निर्माण- भीलवाड़ा व शाहपुरा फड़ निर्माण के प्रसिद्ध स्थल रहे है.
- देवनारायण जी– इनके बचपन का नाम उदयसिंह था, इनकी पूजा नीम की पतियों से होती है.
- स्वांग भीलवाड़ा जिले के मांडल में नाहरों (षेर) का स्वांग बहुत प्रसिद्ध है.
- अंकन चित्रकला को बढ़ावा देने वाली इस संस्था का संबंध भीलवाड़ा से है.
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FAQs
Ans- भीलवाड़ा.
Ans- भीलवाड़ा Rajasthan.
Ans-भीलवाड़ा.
Ans- भीलवाड़ा.
Ans- मेजा बाँध कोठारी नदी पर बना हुआ है.कोठारी नदी का उद्गत स्थल देवास, उदयपुर है. मेजा बांध, भीलवाड़ा शहर का मुख्य पेयजल का स्त्रोत है.
Bhilwara Dist Official Website
Name | Bhilwara |
Nickname | Textile City |
Who founded | Tribal Bhil |
when was the establishment | 11AD |
Geography and climate | Semi-Dry |
Language | Marwadi, Rajasthani, ढूंढार, Hindi Or English |
What is the district famous for | Bhilwara is the industrial city of Rajasthan, as well as known for its old history, forts, ancient buildings, and its food. |
Country | India |
Tourist Places | Banera Mahal, Amargarh’s Chhatris, Badnore’s Palace, Mangrop and Hammirgarh Forts, Bandera’s Rajsarovar. Badnore Fort. Harni Mahadev. Pur Udan. |
Population | Approx 24 Lakh |
State | Rajasthan |
Name Of Member Of Parliament | Subhash Chandra Baheria (BJP) |
Area | 69KM |
Assembly area | Asind, Bhilwara, Jahazpur, Mandal, Mandalgarh, Sahara, Shahpura |
Post Category | Bhilwara is Famous For Its History And Tourist Places |
आपके द्वारा भीलवारा में घूमने की जगह पर बहुत ही अच्छे से आर्टिकल लिखा है इसमें सभी जगह के बारे में बताया गया है मै भीलवारा घूमने जा रहा हूँ ये जानकारी मेरे लिए काफी महत्वपूर्ण राही इसके लिए मै आपका धन्यवाद करता है |
Thankyou