Biography of Maharani Tapaswini | महारानी तपस्विनी

By | December 7, 2023
Biography of Maharani Tapaswini
Biography of Maharani Tapaswini

भारतीय वाङ्मय में बताया गया है कि जननी जन्मभूमि स्वर्ग से भी श्रेष्ठ है भगवान श्रीराम ने अवध को स्वर्ग से भी बढ़कर माना है. भारती मां को अपने सपूतों पर गर्व है जिन्होंने उसकी मर्यादा की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व लुटा दिया. भारत के इतिहास में ऐसे कई लाल हुए हैं जिन्होंने अपनी जान से अधिक महत्व इस देश की आजादी को दिया यही कारण है कि कृतज्ञ भारत उन्हें हमेशा याद रखता है और आगे भी याद रखेगा. जिन महान विभूतियों ने जीवन पर्यंत अंग्रेज सरकार का विरोध किया महारानी तपस्विनी भी उनमें से एक थी. हम यहाँ महारानी तपस्विनी की जीवनी (Biography of Maharani Tapaswini) और उनके द्वारा किये गए जान चेतना के कार्य. और 1857 की क्रांति में उनके योगदान पर प्रकार डालने के प्रयास किया गया है. रोचक जानकारी के लिए इस पेज को अंत तक पढ़े.

https://www.youtube.com/watch?v=HocbwiUe2so&t=3s

महारानी तपस्विनी बाई कौन थी?

महारानी तपस्विनी बाई का झांसी की रानी लक्ष्मीबाई से निकट का संबंध था. दोस्तों आशा रानी व्योहरा ने इस संबंध में लिखा है. महारानी तपस्विनी झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की भतीजी और उनके एक सरदार पेशवा नारायण राव की पुत्री थी. वह एक बाल विधवा थी. उसके बचपन का नाम सुनन्दा था. बचपन से ही राष्ट्रप्रेम की भावना भरी हुई थी. वह विधवा होने पर भी निराशा पूर्ण तरीके से जीवन व्यतीत नहीं करती थी. वह हमेशा ईश्वर की पूजा पाठ करती है, और शस्त्र और शास्त्रों का अभ्यास करती थी. वह धैर्य तथा साहस की प्रतिमूर्ति थी.

सुनन्दा चंडी की उपासक थी. धीरे-धीरे उसमें शक्ति का संचार होता गया वह घुड़सवारी करती थी. उसका शरीर सुडौल सुंदर एवं स्वस्त था. चेहरा क्रांति का प्रतीक था उनके ह्रदय में देश की आजादी की ललक थी. किशोरी सुनन्दा अपने को शेरनी सरकार को हाथी समझती थी. और उसे सम्पात करने पर तुली हुई थी. जैसे शेर हाथियों से नहीं डरता है, वैसे सुनन्दा भी अंग्रेजो से नहीं डरती थी.

Summary

नामसुनन्दा || Biography of Maharani Tapaswini
उपनाममहारानी तपस्विनी
जन्म स्थानबेलूर, कर्नाटक
जन्म तारीख1842 ईस्वी बेलूर
वंशगौर वर्णकी
माता का नाम
पिता का नामपेशवा नारायण राव
पति का नाम
भाई/बहनरानी लक्ष्मीबाई
प्रसिद्धिअंग्रजो से खिलाफ लड़ाईया, गुप्त रूप से योजना तैयार करना
रचना/स्कूल खोलीमहाकाली पाठशाला
पेशास्वतंत्रता सेनानी
पुत्र और पुत्री का नाम
गुरु/शिक्षकसंत गौरी शंकर
देशभारत
राज्य छेत्रकर्नाटक, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, नेपाल, पश्चिम बंगाल
धर्महिन्दू
राष्ट्रीयताभारतीय
भाषाहिंदी, बंगाली
मृत्यु1907 ईस्वी
जीवन काल65 वर्ष
पोस्ट श्रेणीBiography of Maharani Tapaswini (महारानी तपस्विनी की जीवनी)
Biography of Maharani Tapaswini

1857 प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम

दोस्तों भारतीयों ने अंग्रेजों की दासता से मुक्ति पाने हेतु सर्व प्रथम प्रयास 1857 की क्रांति से शुरू किया था. जिसे प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम भी कहा जाता है. वैसे महाराणा प्रताप तथा छत्रपति शिवाजी ने मुस्लिम शासन के विरुद्ध जमकर शंघर्ष किया था. पर अंग्रेजी सरकार को नष्ट करने का पहला प्रयास 1857 में ही हुआ था. जिसमें न केवल क्रांतिकारियों ने अपितु भारतीय जनता ने भी खुलकर भाग लिया था. अंग्रेज और कुछ भारतीय चाटुकार इतिहासकारों ने ही अपनी संतुष्टि के लिए सिखाई विद्रोह मानते हो, परंतु वास्तव में यह जनमानस का विद्रोह था. इसमें असंख्य लोग मारे गए उसको भयंकर यातनाएं दी गई उसको जिंदा अग्नि को भेंट चढ़ा दिया गया परंतु मातृभूमि इससे विचलित नहीं हुई.

महारानी तपस्विनी बाई अंग्रेजो के खिलाफ क्यों हुई

अपने पिता नारायण राव की मृत्यु के बाद सुनंदा ने सव्य जागीर की देखभाल करना प्रारंभ कर दिया था. उसने कुछ ने सिपाही भर्ती किए, सुनंदा लोगों को अंग्रेजों के विरुद्ध भड़काती थी. और उन्हें क्रांति की प्रेरणा देती थी. जब अंग्रेजों को सुनंदा की गतिविधियों के बारे में जानकारी प्राप्त हुई. तो उन्होंने सुनंदा को एक किले में नजरबंद कर दिया. अंग्रेजी सरकार का मानना था कि इस कार्रवाई से यह महिला शांत हो जाएगी परंतु ऐसा कुछ नहीं हुआ दोस्तों.

महारानी सुनन्दा से तपस्विनी कैसे कहलाई?

अंग्रेज सरकार ने सुनंदा को नजरबंदी से रिहा कर दिया यहां से वह घर लौटने के स्थान पर नैमिषारण्य चली गई. और वहां रहकर संत गौरी शंकर के निर्देशन में शिव तथा शक्ति की आराधना करने लगी. सरकार ने समझा कि सुनंदा सन्यासी बन गई है. अब उससे अंग्रेजो को कोई भय नहीं है.

सुनंदा को यहां के लोग माता तपस्विनी के नाम से संबोधित करने लगे. रानी तपस्विनी अपने प्रवचनो के माध्यम से आध्यात्मिक ज्ञान देती थी. सभी वर्गों के लोगों उनके शिष्य थे. रानी तपस्विनी अपने प्रवचनों के माध्यम से जनता में क्रांति का संदेश फैलाती थी. जिस प्रकार बाँसुरिया बाबा भोजपुर के लोगों को क्रांति में भाग देने के लिए प्रेरित करते थे.

ठीक उसी प्रकार रानी तपस्विनी भी अंग्रेजी सरकार का विरोध करने एवं जनता को क्रांति करने की प्रेरणा देती थी. रानी के शिष्य साधु के रूम में विशेष प्रचार करते थे. वे कहते थे ” अंग्रेज तुम्हारा देश हड़प कर ही संतुस्ट नहो हो रहे, वे तुम्हारा धर्म भी भ्रष्ट करना चाहते है”. धीरे-धीरे सभी को ईसाई बना लेंगे. तुम्हे गंगा मैय्या की सौगंध माता तपस्विनी की सौगंध, जाग उठो और अंग्रेजों को देश से बाहर निकालने के लिए तैयार हो जाओ.

1857 की क्रांति में रानी तपस्विनी का क्या योगदान था?

दोस्तों अट्ठारह सौ सत्तावन ईसवी की क्रांति का बिगुल जब बजा. तब रानी तपस्विनी ने इस क्रांति में सक्रिय रूप से भाग लिया. उनके प्रभाव के कारण अनेक लोगों ने इस क्रांति में अहम भूमिका निभाई. रानी ने स्वय घोड़े पर चढ़कर युद्ध में भाग लिया. परंतु उसकी छोटी सी सेना अंग्रेजों की विशाल तथा संगठित सेना के समक्ष अधिक समय तक टिक नहीं सकी. इसके अतिरिक्त कुछ भारतीय गद्दारों ने भी उसके साथ विश्वासघात कर दिया था. अंग्रेजी सरकार ने रानी को पकड़ने के लिए कई बार कोसिस करी. परंतु गांव वालों की पूरी मदद से. ब्रिटिश सरकार को अपने उद्देश्य में सफलता प्राप्त नहीं हुई.

रानी ने रानी तपस्विनी ने यह महसूस कर लिया था की युद्ध के माध्यम से अंग्रेजों को पराजित करना आसान कार्य नहीं है. अंग्रेजों ने भी 18 सो 58 तक इस क्रांति का दामन थाम लिया था. अतः रानी तपस्विनी नाना सहाब के साथ नेपाल चली गई. पर वहां जाकर की रानी शांति से नहीं बैठी. रानी ने वहां अनेक मंदिरों का निर्माण करवाया. वहां से छिपे रूप में भारतीयों को क्रांति का संदेश भिजवाती थी. और उन्हें विश्वास दिलाती थी कि घबराए नहीं एक दिन अंग्रेजी शासन पूर्ण रूप से नष्ट हो जाएगा.

विदेशों में भारत की आजादी के लिए आंदोलन कहाँ-कहाँ हुए थे?

दोस्तों 18 सो 57 की क्रांति से प्रेरित होकर कुछ विदेशी भारतीयों ने भी विदेशों में रहकर भारत की आजादी के लिए आंदोलन चलाए. इनमें से रासबिहारी बोस ने जापान में तथा श्यामजी कृष्ण वर्मा ने इंग्लैंड तथा अन्य स्थानों पर भारतीयों के पक्ष में एक मजबूत आंदोलन का आरंभ कर दिया. महारानी तपस्विनी ने अंग्रेजों द्वारा भारत पर किए जा रहे अत्याचारों से नेपाल की जनता को अवगत कराया. रानी वहां पर राष्ट्रीयता की भावना का प्रसार कर रही थी. पर नेपाल के नरेश (राणा) अंग्रेजों के मित्र थे अतः उसे इच्छित सफलता प्राप्त नहीं हो सकी.

रानी तपस्विनी की मृत्यु कब और कैसे हुई?

रानी तपस्विनी क्रांति का प्रचार करते करते नेपाल से कोलकाता पहुंची. रानी के साथियों द्वारा लगातार गद्दारी करने की वजह से रानी निराश हो गई थी. उनका शरीर चिंता से दिन प्रतिदिन कमजोर होता गया. धोखेबाज एवं देशद्रोही भारतीयों से वह घबरा गई. अंत में 1907 ईस्वी में भारत की महान विदुषी, देशभक्त नारी कलकत्ता में इस संसार से चल बसी. 1905 ईस्वी में जब बंगाल विभाजन के विरोध आंदोलन प्रारंभ हुआ था. तब रानी तपस्विनी ने उस में सक्रिय रूप से भूमिका निभाई थी. त्याग और बलिदान की प्रतिमूर्ति रानी तपस्विनी हमें गर्व है.

दोस्तों भारत का दुर्भाग्य रहा है कि हर युग में यहाँ जयचंद तथा मीर जाफर जैसे देशद्रोही एवं विश्वासघाती तथा गद्दार होते रहे हैं. जो अपने स्वार्थ पूर्ति हेतु राष्ट्र का अहित करने से नहीं चूकते थे. आज भी कुछ लोग ऐसे हैं जो विदेशों से मिलकर हमारी राष्ट्रीय एकता तथा अखंडता अखंडता को नष्ट करने के प्रयास में लगे हुए हैं. देशभक्त भारतीयों को ऐसी तत्व का डटकर विरोध करना चाहिए.

भारत की प्रमुख लड़ाईया

हल्दीघाटी का युद्धहल्दीघाटी का युद्ध 1576 ईचित्तौड़गढ़ किला
विश्व की प्राचीन सभ्यताएंझेलम का युद्धकलिंग युद्ध का इतिहास
1845 ई. में सिखों और अंग्रेजों का युद्धभारत चीन युद्ध 1962कश्मीर का इतिहास और युद्ध 1947-1948
सोमनाथ का युद्धतराइन का प्रथम युद्धतराइन का दूसरा युद्ध
पानीपत का प्रथम युद्धपानीपत की दूसरी लड़ाईपानीपत की तीसरी लड़ाई 1761 ई
खानवा की लड़ाई 1527नादिरशाह का युद्ध 1739 ईसवीप्लासी का युद्ध 1757 ई
Biography of Maharani Tapaswini

भारत के महान साधु संतों की जीवनी और रोचक जानकारी

भगवान श्री राम की जीवनीभगवान श्री कृष्ण की जीवनी
भीष्म पितामह की जीवनीराधा स्वामी सत्संग इतिहास और गुरु जीवनी
आदिगुरु शंकराचार्य जी की जीवनीकृष्णसखा सुदामा जी की जीवनी
भगवान महादानी राजा बालिक की जीवनीमीराबाई की जीवनी
राजा हरिश्चंद्र जी की जीवनीगौतम बुद्ध की जीवनी
संत झूलेलाल जी की जीवनीगुरु नानक की जीवनी और चमत्कार
महर्षि वाल्मीकि जी की जीवनीश्री जलाराम बापा की जीवनी
संत ज्ञानेश्वर जी की जीवनीरानी पद्मिनी की जीवनी
गुरु गोबिंद सिंह जी की जीवनीपन्ना धाय की जीवनी
भक्त पीपा जी की जीवनीमहाराणा कुंभा की जीवनी
गुरुभक्त एकलव्य जी की जीवनीमहाराणा सांगा की जीवनी
वेद व्यास जी की जीवनीसमर्थ गुरु रामदास की जीवनी
स्वामी हरिदास जी की जीवनीवेदव्यास जी की जीवनी
ठाकुर बिल्वमंगल की जीवनीगुरु अर्जुन देव की जीवनी
चैतन्य महाप्रभु की जीवनीदेवनारायण का जीवन परिचय
महर्षि दधीचि की जीवनीमहर्षि रमण का जीवन परिचय
स्वामी दादू दयाल की जीवनीरंतीदेव जी की जीवनी
संत नामदेव की जीवनीगोविंद गिरि की जीवनी
सन्त एकनाथ की जीवनीसन्त तुकाराम की जीवनी
संत रैदास की जीवनीसंत गुरु घासीदास जी की जीवनी
संत तिरुवल्लुवर की जीवनीसेवा मूर्ति ठक्कर बापा की जीवनी
स्वामी रामतीर्थ जी की जीवनीसंत माधवाचार्य जी की जीवनी
संत वल्लभाचार्य जी की जीवनीमत्स्येंद्रनाथ जी की जीवनी
राजर्षि अंबरीश की जीवनीदिव्यदृष्टा संजय की जीवनी
ठाकुर बिल्वमंगल की जीवनीगुरु तेग बहादुर की जीवनी
सप्तऋषियों की जीवनीमलूकदास जी की जीवनी
निम्बार्काचार्य जी की जीवनीसंत शेख सादी की जीवनी
भक्त प्रह्लाद की जीवनीमहारथी कर्ण की जीवनी
भक्त बालक ध्रुव की जीवनीजिज्ञासु नचिकेता की जीवनी
महारथी कर्ण की जीवनीगुरु भक्त अरुणी की जीवनी
भक्त उपमन्यु की जीवनीकृष्ण सखा उद्धव की जीवनी
महावीर स्वामी की जीवनीओशो की जीवनी

1857 ईस्वी के स्वतंत्रता के महान सेनानियों की जीवनी और रोचक जानकारी

1857 ईस्वी क्रांति के महान वीरों की गाथा1857 की क्रांति में महान रानियों का योगदान
अजीजन बेगम की जीवनीअकबर खान की जीवनी
अज़ीमुल्लाह खान की जीवनीपृथ्वीराज चौहान III की जीवनी
आनंद सिंह जी की जीवनीअवन्ति बाई लोधी की जीवनी
अमरचंद बांठिया जी की जीवनीस्वामी दयानंद सरस्वती जी की जीवनी
बंसुरिया बाबा की जीवनीतात्या टोपे की जीवनी
मंगल पांडे की जीवनीBiography of Maharani Tapaswini
बेगम हजरत महल की जीवनीगोविंद गिरि की जीवनी
भास्कर राव बाबासाहेब नरगुंडकर कौन थेकुमारी मैना की जीवनी
महारानी जिंदा कौर की जीवनीवीर सुरेंद्र साय की जीवनी
झलकारी बाई की जीवनीवृंदावन तिवारी की जीवनी
तिलका मांझी की जीवनीसूजा कंवर राजपुरोहित की जीवनी
पीर अली की जीवनीबाबू कुंवर सिंह की जीवनी
ईश्वर कुमारी की जीवनीठाकुर कुशल सिंह की जीवनी
उदमी राम की जीवनीचौहान रानी की जीवनी
जगत सेठ रामजीदास गुड़ वाला की जीवनीजगजोत सिंह की जीवनी
ज़ीनत महल की जीवनीजैतपुर रानी की जीवनी
जोधारा सिंह जी की जीवनीटंट्या भील की जीवनी
ठाकुर रणमत सिंह की जीवनीनरपति सिंह जी की जीवनी
दूदू मियां की जीवनीनाहर सिंह जी की जीवनी
मौलवी अहमदुल्लाह फैजाबादी की जीवनीखान बहादुर खान की जीवनी
गोंड राजा शंकर शाह की जीवनीरंगो बापूजी गुप्ते की जीवनी
बरजोर सिंह की जीवनीराजा बलभद्र सिंह की जीवनी
रानी तेजबाई की जीवनीवीर नारायण सिंह जी की जीवनी
वारिस अली की जीवनीवलीदाद खान की जीवनी
झांसी की रानी लक्ष्मी बाई की जीवनीनाना साहब पेशवा की जीवनी
राव तुलाराम की जीवनीबाबू अमर सिंह जी की जीवनी
रिचर्ड विलियम्स की जीवनीबहादुर शाह ज़फ़री की जीवनी
राव रामबख्श सिंह की जीवनीभागीरथ सिलावट की जीवनी
महाराणा बख्तावर सिंह की जीवनीअहमदुल्लाह की जीवनी
Biography of Maharani Tapaswini

भारत के राज्य और उनका इतिहास और पर्यटन स्थल

जम्मू कश्मीर का इतिहास और पर्यटन स्थलहिमाचल प्रदेश का इतिहास और पर्यटन स्थल
पंजाब का इतिहास और पर्यटन स्थलहरियाणा का इतिहास और पर्यटन स्थल
उत्तराखंड का इतिहास और पर्यटन स्थलपश्चिम बंगाल का इतिहास और पर्यटन स्थल
झारखंड का इतिहास और पर्यटन स्थलबिहार का इतिहास और पर्यटन स्थल
उत्तर प्रदेश का इतिहास और पर्यटन स्थलराजस्थान का इतिहास और पर्यटन स्थल
मध्य प्रदेश का इतिहास और पर्यटन स्थलछत्तीसगढ़ का इतिहास और पर्यटन स्थल
उड़ीसा का इतिहास और पर्यटन स्थलगुजरात का इतिहास और पर्यटन स्थल
Biography of Maharani Tapaswini

FAQs

Q- रानी तपस्विनी के पिता जी का क्या नाम था?.

Ans- रानी तपस्विनी के पिता जी का नाम पेशवा नारायण राव था.

भारतीय संस्कृति

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *