Bikaner Rajasthan history tourist places amazing Facts | बीकानेर का इतिहास

By | September 10, 2023
Bikaner Rajasthan history tourist places amazing Facts
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दोस्तों हम यहाँ शेयर कर रहे है बीकानेर राजस्थान की वो आश्चर्यजनक जानकारी जिसके बारे में शायद ही आप को आज से पहले पता होगा. बीकानेर राजस्थान की विस्तृत और रोचक जानकारी के लिए इस पेज को अंत तक पढ़े. Scroll down to more updates on Bikaner Rajasthan history tourist places amazing Facts.

Summary

नामबीकानेर
उपनामजांगल प्रदेश/ ऊन का घर/राती शहर
स्थापना1488 ईस्वी
स्थापना किसने कीराव बीका
राज्यराजस्थान
जिलाबीकानेर
तहसीलबज्जू, बीकानेर, कोलायत, खाजूवाला, पूगल, छत्तरगढ़, श्रीडूंगरगढ़, नोखा और लूणकरणसर तहसील है
बीकानेर की प्रमुख झीलेंअनूप सागर, लूणकरणसर, गजनेर, कोलायत और सूरसागर बीकानेर की प्रमुख झीलें हैं
बीकानेर किस लिए प्रसिद्ध है?ऐतिहासिक किले, संग्रहालय, ऐतिहासिक इमारतों, झीलों, ऊन की फैक्टरी, ऊंट अनुसंधान केंद्र, करणी माता मंदिर, भांडा शाह जैन मंदिर
बीकानेर की घुमने लायक जगह कौन कौन सी है?लक्ष्मी निवास पैलेस, गजनेर पैलेस और झील, जूनागढ़ किला, रायसर टिब्बा, रामपुरिया हवेली, प्राचीन संग्रहालय,देशनोक करणी माता मंदिर, लालगढ़ पैलेस और संग्रहालय, भांडा शाह जैन मंदिर, कोडमदेसर मंदिर प्रमुख है.
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Bikaner History (बीकानेर का इतिहास)

बीकानेर का प्राचीन नाम जांगल प्रदेश तथा उनकी राजधानी (अहिछत्रपुर) थी. बीकानेर को ऊन का घर भी कहते है. क्यों की एशिया की सब से बड़ी ऊन की मंडी बीकानेर राजस्थान में ही है. कहा जाता है वर्तमान बीकानेर के नाम के पीछे भी बहुत ही रोचक कहानी है.

दोस्तों जब जोधपुर के राजकुमार राजा बीका करणी माता के आशीर्वाद से बीकानेर की स्थापना और अपने लिए महल की जगह पसंद करी थी. वह जगह “जाट जाती के नेरा नामक व्यक्ति जो की गोदारा गोत्र के थे का पशु का बाड़ा था. नेरा जी ने बीका जी को वह जगह एक सर्त पर दी थी की उसका नाम भी नए राज्य के नाम में हो इस प्रकार “बीका और नेरा ” से बीकानेर नाम पड़ा.

राठौड़ राजा राव बीका ने देशनोंक में करणी माता की मूूर्ति को प्रतिष्ठापित किया था. इनके पुत्र राव लूणकरण 1504-1526 ई को राजपूताने के इतिहास मेंं अपनी उदारता एवं दानशीलता के लिए याद किया जाता है. इनके नाम पर बीकानेर की तहसील लूणकरणसर भी है.

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बीकानेर जिले की सीमाएं

बीकानेर जिले के उत्तर में श्रीगंगानगर है, दक्षिण में नागौर, जोधपुर और जैसलमेर की सीमाएं लगती है. पूर्व में चूरू और हनुमानगढ़ था पच्छिम में पाकिस्तान की सीमा लगती है.

Famous tourist places of Bikaner? (बीकानेर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल)

Bikaner Rajasthan history tourist places amazing Facts

Junagarh Fort (जूनागढ़ किला)

बीकानेर का जूनागढ़ किला एक अभेद्य गढ़ है जिसे कभी कब्जा नहीं करने का गौरव प्राप्त है. इसका निर्माण 1588 ईस्वी में राजा राय सिंह द्वारा किया गया था, जो बादशाह अकबर के सबसे प्रतिष्ठित सेनापतियों में से एक थे. जूनागढ़ किले के परिसर में लाल बलुआ पत्थर और संगमरमर से निर्मित कुछ शानदार महल हैं. और आगंतुक आंगनों, बालकनियों, खोखे और खिड़कियों के आकर्षक वर्गीकरण पर अपनी निगाहें टिका सकते हैं. इसको देखने के लिए लाखो लोग बीकानेर आते है. जूनागढ़ के दुर्ग का निर्माण मुगल शैली में राजा राय सिंह ने करवाया था. इस किले को जमीन का जेवर भी कहा जाता है. इस किले के सूरजपोल दरवाजे में हाथियों पर सवार राजा जयमल राठौर और पता/फता सिसोदिया की मुर्तिया है.

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Deshnok Karni Mata Temple (देशनोक करणी माता मंदिर)

देशनोक बीकानेर में करणी माता मंदिर पत्थर और संगमरमर से बनी एक सुंदर संरचना है, जिसके अंदर करणी माता की एक मूर्ति है। मूर्ति को ‘मुकुट’ (टियारा) और माला से सजाया गया है. उनकी बहनों की मूर्तियों उनकी दोनों तरफ स्थापित है. मंदिर को काबा (चूहों) की उपस्थिति के लिए दुनिया भर में जाना जाता है. जो मंदिर परिसर के भीतर स्वतंत्र रूप से घूमते हैं. करणी माता मंदिर को चूहों का मंदिर भी कहा जाता है. करणी माता के आर्शीवाद की वजह से राव बिका ने बीकानेर की स्थापना की थी.

Lalgarh Place And Museum (लालगढ़ पैलेस और संग्रहालय)

इसका निर्माण बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह ने इस राजसी महल के निर्माण का जिम्मा लिया था. यह वास्तुशिल्पकला का चमत्कार पूरी तरह से लाल बलुआ पत्थर से बना है. और 1902 में उनके पिता महाराजा लाल सिंह की याद में बनाया गया था. इसको डिजाइन की संकल्पना सर स्विंटन जैकब ने की थी. जिन्होंने राजपूताना, इस्लामी और यूरोपीय वास्तुकला को मिलाकर इस प्राच्य कल्पना का निर्माण किया था.

Jain Mandir Bhandasar (भांडा शाह जैन मंदिर)

बीकानेर में स्थित भांडा शाह जैन मंदिर की एक विशेषता यह भी है की लगभग पांच सो वर्ष पहले जब इसका निर्माण किया किया गया था. तो पानी की कमी के कारन इसकी नीव में पानी के स्थान पर देसी घी का प्रयोग किया गया था. फलसरूप आज भी यहाँ मंदिर में देसी घी की महक का असहसास किया जा सकता है. यह जैन मंदिर भण्डासर 15 वीं शताब्दी का मंदिर है जो 5 वें तीर्थंकर (एक व्यक्ति जिसने जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म के चक्र पर विजय प्राप्त की है. और दूसरों को निर्वाण प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त किया है), सुमतिनाथजी, और बीकानेर के सबसे पुराने स्मारकों में से एक है. मंदिर के डिजाइन में जटिल दर्पण का काम, भित्ति चित्र और सोने की पत्ती के चित्र शामिल हैं. जैन मंदिर भण्डासर में देश के कोने-कोने से भक्तों की भीड़ हर साल उमड़ती है.

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Bikaner National Research Centre On Camel (ऊंट पर राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र बीकानेर)

जोधपुर के महाराजा राव जोधा के पुत्र राव बिका का जन्म जोधपुर में 1465 में ही हुआ था. राव बीका ने अपने पिता से नाराज होकर कुछ सैनिको के साथ जांगल प्रदेश के छोटे छोटे राजाओ को हराकर और माता करणी के आशीर्वाद से 1488 में वर्तमान बीकानेर स्थापित किया था. दोस्तों राठौर वंश के राजा राव बीका ने बीकानेर शहर रातीघाटी पर बसाया इस लिए बीकानेर को राती शहर भी कहतेे हैं. ऊंट पर राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र बीकानेर शहर से 8 किलोमीटर दूर है. यह ऊंट अनुसंधान और प्रजनन केंद्र एशिया में अपनी तरह का अकेला है. यह ऊंट अनुसंधान केंद्र 2000 एकड़ अर्ध-शुष्क भूमि में फैला हुआ है और भारत सरकार द्वारा प्रबंधित किया जाता है.

Kodamdesar Temple(कोडमदेसर मंदिर)

बीकानेर से 24 किलोमीटर दूर कोडमदेसर मंदिर स्थित है. कोदमदेसर भैनरू जी को राव बीकाजी ने जोधपुर से आने के पहले तीन वर्षों के दौरान स्थापित किया था. इस पूजा स्थल को शुरू में बीकानेर की नींव रखने के लिए स्थल के रूप में चुना गया था, लेकिन बाद में इसे अपने वर्तमान स्थान पर स्थानांतरित कर दिया गया था.

Rampuria Haveli (रामपुरिया हवेली)

बीकानेर में कई हवेलियाँ (कुलीन घर) हैं, लेकिन सबसे प्रसिद्ध समूह हवेलियों का रामपुरिया समूह है. क्यों की ये हवेलिया दुलमेरा (लाल) पत्थर से निर्मित, हवेलियों का हर पहलू – झरोखा (केसमेंट), प्रवेश द्वार, जालीदार खिड़कियां, दीवानखाना, गुमहरिया और तहखाना – बहुत आकर्षक है. पत्ते और फूल की कलाकारी हर झरोखे को में चार चाँद लगा देती है. इन विशाल हवेलियों को उच्चतम गुणवत्ता के सुनहरे काम से सजाया गया है. उनके दानखाने (ड्राइंग रूम) एक को वापस मुगल और राजपूत युग में ले जाते हैं. उनके डिजाइन में भी विक्टोरियन प्रभाव की प्रचुरता देखी जा सकती है. रामपुरिया हवेलियों में लकड़ी की नक्काशी अत्यंत उत्तम है. एक-दूसरे के करीब स्थित, हवेलियां वास्तव में देखने लायक होती हैं. दोस्तों बीकानेर जाये तो इन हवेलियों को जरूर देखे.

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Prachina Museum (प्राचीन संग्रहालय)

बीकानेर के महान जूनागढ़ किले में स्थित, यह संग्रहालय राजस्थानी राजघराने के शाही परिधान, वस्त्र और सहायक उपकरण का संग्रह है. यहाँ प्राचीन ‘पोषक’ (महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले वस्त्र) पारंपरिक डिजाइनों, शैलियों और कारीगरी के अब खोए हुए शिल्प की याद दिलाते हैं. यहाँ प्रदर्शन पर परिवार के चित्र इस बारे में एक कहानी बताते हैं कि कैसे बदलते सांस्कृतिक उपस्थिति ने पूर्व शासकों को अमर करने की शैली को प्रभावित किया.

Laxmi Niwas Palace Bikaner (लक्ष्मी निवास पैलेस)

वर्तमान लक्ष्मी निवास पैलेस बीकानेर के राजा महाराजा गंगा सिंह का निवास स्थान था. 1898 और 1902 के बीच ब्रिटिश वास्तुकार सर सैमुअल स्विंटन जैकब द्वारा निर्मित, यह संरचना एक इंडो-सरसेनिक स्थापत्य शैली को प्रदर्शित करती है. अब यह लक्ष्मी निवास पैलेस एक लग्जरी होटल तब्दील कर दिया गया है.

Gajner Palace And Lake (गजनेर पैलेस और झील)

बीकानेर का गजनेर पैलेस राजस्था के थार का अतुलनीय रत्न है. गजनेर पैलेस की स्थापना बीकानेर के महाराजा गज सिंह जी ने वर्ष 1784 में की थी, और फिर बीकानेर के महान महाराजा गंगा सिंह ने झील के किनारे इसे पूरा किया. यह शाही परिवार के साथ-साथ बीकानेर के माहराज के आने वाले मेहमानों के लिए शिकार और आरामदेह लॉज के रूप में काम करने के लिए था. गजनेर पैलेस को वर्तमान में हेरिटेज होटल में तब्दील कर दिया गया है.

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Raisar Dunes (रायसर टिब्बा)

रायसर टिब्बा यह स्थल बीकानेर शहर से 18 किमी दूर बीकानेर जयपुर राजमार्ग पर रायसर गांव में स्थित है. यह सबसे प्रमुख कैंपिंग और सफारी साइट के रूप में विख्यात हो गया है. जिसने डेजर्ट सफारी, ऊंट सफारी, ऊंट गाड़ी की सवारी, जीप सफारी और नाइट कैंपिंग के लिए पर्यटकों के बीच प्रतिष्ठित स्थान बन गया है.

विसरासर

विसरासर बीकानेर – यहाँ भारत की सबसे बड़ी जिप्सम उत्पाद कंपनी स्थित है.

देवकुंड

इस स्थान पर राव बीकाजी और राय सिंह की प्रसिद्ध छतरिया है.

जूनागढ़(Junagadh Fort)

जूनागढ़- बीकानेर के राजा द्वारा बनाया हुआ एक बहुत खूबसूरत किला है.

बीछवाल

बीछवाल- यहाँ केंद्रीय भेड़ व ऊन अनुसंधान संस्थान का मरू छेत्रिय परिसर का उप केन्द्र स्थित है.

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कतरियासर

कतरियासर- यहाँ जसनाथ जी जन्म हुआ था.

सोंथि -बीकानेर

सोंथि -बीकानेर के इस स्थान पर खुदाई में हड़प्पा युग के अवशेष प्रपात हुए है. यहाँ पर 1953 इ में अमलानंद घोस के नेतृत्व में की गयी थी. इसको कालीबंगा-प्रथम नाम दिया गया.

सिंहस्थल

सिंहस्थल- बीकानेर यहाँ रामस्नेही सम्प्रदाय की पीठ स्थित है. इसके सस्थापक -संत श्री हरिरामदासजी थे.

लूणकरणसर

लूणकरणसर- यहाँ स्थित खारे पानी की झील पर राज्य में सर्वप्रथम सोर ऊर्जा आधारित खारे पानी से मीठे पानी करने की मशीने लगायी गयी थी. राजस्थान में फवारा पद्द्ति की शुरुवात लूणकरणसर तहसील से मानी जाती है.

पलाना

पलाना- बीकानेर के पलाना में लिग्नाइट कोयले का सब से जायदा उत्पाद होता है. पलाना में एशिया का सर्वष्ठ लिग्नाइट पाया जाता है.

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Famous people of bikaner (बीकानेर के प्रसिद्ध व्यक्ति)

Dr Luigi Pio Tessitor (डॉ. लुइगीपियो टेस्सिटोरी)-

Dr. Luigi Pio Tessitor का जन्म 13 दिसंबर 1887 को इटली के उदीने के उत्तर-पूर्वी इतालवी शहर में हुआ था, जो गुइल्डे टेस्सिटोरी, फाउंडलिंग अस्पताल के एक कार्यकर्ता और लुगिया रोजा वेनियर रोमानो के घर में हुआ था. 22 नवम्बर 1919 को बीकानेर में इनका निधन हुआ. डॉ. लुइगी पियो टेस्सिटोरी राजस्थानी भाषा के विद्वान्, इतिहासकार और पुरातत्व के ज्ञाता थे. इन्होने(Dr. Luigi Pio Tessitor) जोधपुर और बीकानेर को अपनी कर्म स्थली बनाया. Dr. Luigi Pio Tessitori ने कालीबंगा में हड़प्पा पूर्व प्रसिद्ध केंद्र की सर्प्रथम खोज की, रंगमहल में खनन कार्य कराया। बीकानेर का म्यूजियम भी इनकी देन है.

डॉ. लुइगी पियो टेस्सीटोरी को राजस्थानी भाषा और इतिहास और मातृभाषा, साहित्य को संसार सामने लाने का श्रेय दिया जाता है. बीकानेर के महाराजा गंगासिंह ने डॉ पियो टेस्सीटोरी को ‘राजस्थान के चारण साहित्य ‘ के सर्वक्षण और संग्रह का काम सोपा था. डॉ. लुइगी पियो टेस्सीटोरी भारत के जैन धर्म में बहुत आस्था थी. उनके द्वारा तीन ग्रंथ लिखे गए-

  • “राजस्थान के चारण साहित्य एवं ऐतिहासिक सर्वे”
  • “पश्चिमी राजस्थान का व्याकरण”
  • “A Descriptive Catalogue of Bardic and Historical Manuscripts” डॉ. लुइगी पियो टेस्सीटोरी की प्रमुख पुस्तक है.

धोरा रो धोरी (टिब्बा का मसिया) – राजस्थानी कथाकार श्री नथमल जोशी द्वार लिखित उपन्यास डॉ. लुइगी पियो टेस्सीटोरी की जीवनी ओर आधारित है. डॉ. लुइगी पियो टेस्सीटोरी ने रामचरितमानस पर पीएचडी की उपाधि प्राप्त की थी.

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Maharaja Ganga Singh (महाराजा गंगा सिंह)

जनरल सर गंगासिंह जन्म 3 अक्टूबर 1880, बीकानेर के महाराजा लाल सिंह की तीसरी संतान के रूप में हुआ. सर गंगासिंह 1988 से 1943 तक बीकानेर रियासत के महाराजा थे. महाराजा गंगासिंह को आधुनिक भारत के सुधारवादी भविष्यद्रष्टा के रूप में याद किया जाता है. पहले विश्व युद्ध के दौरान ‘ब्रिटिश इम्पीरियल वार केबिनेट’ के अकेले गैर-अँगरेज़ सदस्य थे. गंगासिंह, डूंगर सिंह के छोटे भाई थे, जो बड़े भाई के देहांत के बाद 1887 ईस्वी में 16 दिसम्बर को बीकानेर के राजा बने.

जनरल सर गंगासिंह की प्रारंभिक शिक्षा पहले घर ही में, फिर बाद में अजमेर के मेयो कॉलेज में 1889 से 1894 के बीच हुई. ठाकुर लालसिंह के मार्गदर्शन में 1895 से 1898 के बीच इन्हें प्रशासनिक प्रशिक्षण मिला. 1898 जनरल सर गंगासिंह पिता के निर्देश अनुसार फ़ौजी-प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए देवली रेजिमेंट भेजे गए. जो तब ले.कर्नल बैल के अधीन देश की सर्वोत्तम मिलिट्री प्रशिक्षण रेजिमेंट मानी जाती थी. इनका पहला विवाह प्रतापगढ़ राज्य की बेटी वल्लभ कुंवर से 1897 में, और दूसरा विवाह बीकमकोर की राजकन्या भटियानी जी से हुआ जिनसे इनके दो पुत्रियाँ और चार पुत्र हुए.

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  • महाराजा गंगा सिंह प्रजावतिनियो वयम आदर्श का पालन किया. गंगा सिंह जी को आधुनिक बीकानेर का निर्माता भी कहा जाता है.
  • गंग नहर राजस्थान की प्रथम सिंचाई योजना है, इसका निर्माण भी महराजा गंगा सिंह ने कराया था.
  • जनरल सर गंगा सिंह ने काशी हिन्दू यूनिवर्सिटी के स्थापना में आर्थिक योगदान दिया था.
  • महाराजा गंगा सिंह पहले ऐसे राजा थे, जिन्होंने अलग सिविल लिस्ट पद्धति चालू की थी.
  • दमन, उत्पीड़न और निर्वासन महाराजा गंगा सिंह की शासन नीति के मूलमंत्र थे.
  • सैनिक प्रशिक्षण प्राप्त महाराजा गंगासिंह ने “गंगा रिसाला ” ऊटो के सैनिक दस्ते तैयार किया जिसका उपयोग इन्होने अरब, अफ्रीका चीन की लड़ाई में किया था.
  • महाराजा गंगा सिंह की शासन काल में लगभग सभी वायसरायों ने बीकानेर में प्रवास किया था.
  • महाराजा गंगा ने राजपूताने सबसे बड़ा रेल मार्ग बनाया जिसका आधुनकि लोको और वर्कशॉप था.
  • 1931 महाराजा गंगा सिंह ने रामदेवरा में लोक देवता रामदेव जी के मंदिर का निर्माण करवाया था.
  • 1924 में महाराजा गंगा सिंह ने राष्ट्र संघ के 5 वे सत्र में भारत का प्रतिनिधित्व किया था.
  • 8 फरवरी 1921 में ” डयूक ऑफ़ कनॉट ने चेंबर ऑफ़ प्रिंसेज का उध्गाटन दिल्ली में किया। महाराजा गंगा सिंह इसके पहले चांसलर बने थे (1921 से 1926 ).
  • 1912 महाराजा गंगा सिंह ने हिंदी को अपनी सरकारी कामकाज भाषा बनाया.
  • 24 नवम्बर 1905 को ब्रिटिश के युवराज “प्रिंस ऑफ़ वेल्स” बीकानेर आये था उन्होने “प्रिंस मेमोरियल हॉल ” की नीव रखी. राजपूताने का बीकानेर प्रथम ऐसा राज्य था जिसने कार्यपालिका और न्यायपालिका को पृथक किया.
  • 1901 में भारत से महाराजा गंगासिंह की सेना ने चीन के बॉक्सर युद्ध में भाग लिया था.
  • महाराजा गंगासिंह ने सर अल्फ्रेड के साथ पिटाग के किले पर विजय प्राप्त करि थी. ब्रटिश महारानी ने इनको KCI की उपाधि दी.

Allah Jilai Bai (अल्लाह जिलाई बाई)

अल्लाई जिलाई बाई का जन्म 1 फरवरी 1902 को तत्कालीन बीकानेर रियासत में हुआ था. प्रख्यात मांड गायिका अल्लाह जिलाई बाई ने ” केसरिया बालम आओ नी पधारो म्हारे देश” गीत को सर्वाधिक बार गाया है. केसरिया बालम आओ नी पधारो म्हारे देश राजस्थान का राज्य गीत है. प्रख्यात मांड गायिका अल्लाह जिलाई बाई ने ” केसरिया बालम आओ नी पधारो म्हारे देश” गीत को सर्वाधिक बार गाया है. केसरिया बालम आओ नी पधारो म्हारे देश राजस्थान का राज्य गीत है. हुसैनबक्श लंगड़े ने इनकी गायिकी को निखारा. मात्र तेरह वर्ष की आयु में ही इन्होने बीकानेर रियासत के राजा के यहाँ राजगायिका की पदवी प्राप्त कर ली थी. अल्लाह जिलाई बाई ने बीकानेर के राजा के समक्ष एकल गायन प्रस्तुति करने वाली एक मात्र गायिका थी.

इनको बीकानेर के राजा गंगासिंह ने अपने यहाँ आश्रय प्रदान किया. अल्लाह जिलाई बाई के गाये गीतों में “केसरिया बालम ” और “बाई सा रा बीरा”, काळी काळी काजळिये री रेख” “झाला दियो न जाय” आदी ने मांड गायकी को नया शिखर प्रदान किया. अल्लाह जिलाई बाई को राजस्थान सरकार ने 15 मई 1982 में राजस्थान श्री और 20 मई 1982 को श्री और इनको राजस्थान रत्न से सम्मानित किया गया था. जिलाई बाई मांड गायिकी के अलावा ठुमरी,ख्याल और दादरा की उम्दा कलाकार थी.

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Maharaja Sardul Singh (महाराजा सार्दुल सिंह)

महाराजा शार्दुल सिंह बीकानेर के 22वें शासक थे. वह 1943 में गद्दी पर बैठे, लेकिन 1947 तक ही राज कर सके. महाराजा सार्दुल सिंह बीकानेर के निरंकुस एव प्रतिक्रियावादी शाशक थे. इनके शाशनकाल में बीकानेर में दमन विरोधी मनाया गया. जो राजपुताना राज्य का प्रथम सार्वजनिक प्रदर्शन था. 26 जनवरी 1946 को बीकानेर राज्य में पहली बार स्वतंत्रता दिवस मनाया गया था. बीकानेर के तत्कालीन महाराजा सार्दुल सिंह ने दिल्ली में 7 अगस्त, 1947 को दिल्ली में भारत में विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए थे. राजस्थान राज्य की बीकानेर रियासत विलय पत्र पर हस्ताक्षर करने वाली पहली रियासत में एक थी.

Amarchand Bathia(अमरचंद बाठिया)

अमरचंद बाठिया – राजस्थान के प्रथम स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्हे 1857 की क्रांति के दौरान फांसी की सजा दी गयी थी.

संत लालनाथजी(Sant Lalnathji)

संत लालनाथजी- इनका “जिव-समझोतरी ” ग्रंथ जसनाथी सम्प्रदाय बहुत प्रसिद्ध है. सिद्ध रामनाथ का “यसोनाथ पुराण” ग्रंथ जसनाथी सम्प्रदाय के लिए बाइबल का स्थान रखता है. सिद्ध रुस्तमजी ने ओरंगजेब से मुलाकात की थी. वे ग्रंथ जसनाथी सम्प्रदाय को भारत में विख्यात करने वाले एक मात्र संत थे. बीकानेर के राज्य प्रतीकों में जैसे छत्र ,त्रिसूल जसनाथी के इष्ट रूप में “जाल वृक्ष को भी अपने राज्य प्रतीक में शामिल किया.

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खानवा की लड़ाई 1527नादिरशाह का युद्ध 1739 ईसवीप्लासी का युद्ध 1757 ई
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Overview

The old name of BikanerJangal Pradesh
When was Bikaner established?1488
Nickname of BikanerWool House
Who founded BikanerRao Bika had settled Bikaner in 1488
Lakes of BikanerThe main lakes of Bikaner are Anup Sagar, Lunkaransar, Gajner, Kolayat and Sursagar
River of BikanerThere is no river in Bikaner
Where is Rajasthan State Mines and Minerals Limited located?Bikaner Rajasthan
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भारत के राज्य और उनका इतिहास एवं उनकी घूमने लायक जगह

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FAQs

Q- राजस्थान के किस जिले की अंतर्राष्ट्रीय सीमा सबसे छोटी है?

Ans- राजस्थान के किस बीकानेर जिले की अंतर्राष्ट्रीय सीमा सबसे छोटी है.

Q- चारण किस देवी को अपनी कुलदेवी के रूप में पूजते है?

Ans- चारण जाती के लोग करणी माता को अपनी कुलदेवी के रूप में पूजते है.

Q- गजनेर का महल किस में स्थित है?

Ans- गजनेर का महल बीकानेर में स्थित है.

Q- जूनागढ़ का किला किस जिले में स्थित है?

Ans- जूनागढ़ बीकानेर में किला स्थित है.

Q- 1936 में बीकानेर प्रजामंडल की स्थापना कहा हुई?

Ans- बीकानेर प्रजामंडल की स्थापना 1936 में कलकता में हुई.

Q- सिंहस्थल बीकानेर में रामस्नेही सम्प्रदाय की स्थापना किसने की?

Ans- सिंहस्थल बीकानेर में रामस्नेही सम्प्रदाय की स्थापना श्री हरिरामदासजी ने की थी.

Q-राजस्थान में उस्ता कला किस जिले की प्रसिद्ध है?

Ans-उस्ता कला बीकानेर राजस्थान की प्रसिद्ध है.

Q- करणी माता मंदिर कहाँ स्थित है?

Ans-करणी माता मंदिर देशनोक बीकानेर राजस्थान में स्थित है.

Bikaner Dist Rajasthan Official Website

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