दोस्तों हम यहाँ शेयर करने जा रहे है 1857 की महान योद्धा लक्मी बाई की एक सैनिक वीरांगना झलकारी बाई की जीवनी (Biography of Jhalkari Bai). और उनसे जुड़े अनकहे किस्से और उनकी वीरता की कहानी. तो दोस्तों बने रहे हमारे साथ अंत तक वीरांगना झलकारी बाई की रोचक जानकरी और कहानी के लिए.
वीरांगना झलकारी बाई कौन थी?
झलकारी बाई झांसी रियासत के एक बहादुर किसान सदोवा सिंह की पुत्री थी. आपका जन्म 22 नवंबर 1835 ईस्वी को झांसी के समीप भोजला गांव में हुआ था. आपकी माता का नाम जमुना देवी था. जिनका अधिकांश समय प्रातः जंगल में ही काम करने में व्यतीत होता था. जंगलों में रहने के कारण ही झलकारी बाई के पिता ने इनको घुड़सवारी एवं अस्त्र-शस्त्र संचालन की शिक्षा दिलवाई थी.
जब झलकारी बाई जब बच्ची थी, तब उनकी माता जमुना देवी का देहांत हो गया था. उनके पिता ने उनका पालन पोषण पुत्र की भांति किया था. दूरस्थ गांव में रहने के कारण झलकारी बाई स्कूली शिक्षा प्राप्त नहीं कर सकी थी. झलकारी के पिता ने डाकुओं के आतंक और उत्पाद होने होते रहने के कारण उनको शस्त्र संचालन की शिक्षा दी थी ताकि वह समय अपनी सुरक्षा का प्रबंध कर सकें. 04-अप्रैल-1857 को इस महान बलदानी झलकारी बाई और इनके पति पूरन कोरी ने अंग्रजो से लड़ते-लड़ते अपने प्राण त्याग दिए.
Summary
नाम | झलकारी बाई |
उपनाम | वीरांगना झलकारी बाई |
रियासत | झांसी |
जन्म स्थान | भोजला गांव, झांसी |
जन्म तारीख | 22 नवंबर 1830 ईस्वी |
वंश | कोली |
माता का नाम | जमुना देवी |
पिता का नाम | सदोवा सिंह |
पति का नाम | पूरन कोरी |
भाई/बहन | — |
प्रसिद्धि | बाहदुर सेनापति, स्वतंत्रता सेनानी |
रचना | — |
पेशा | लक्ष्मी बाई की दुर्गा सेना में सेनापति, स्वतंत्रता सेनानी |
पुत्र और पुत्री का नाम | — |
गुरु/शिक्षक | पिता सदोवा सिंह |
देश | भारत |
राज्य क्षेत्र | उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश |
धर्म | हिन्दू |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
भाषा | हिंदी, बुंदेली |
मृत्यु | 04-अप्रैल-1857 |
जीवन काल | 27 वर्ष |
पोस्ट श्रेणी | Biography of Jhalkari Bai (झलकारी बाई की जीवनी) |
झलकारी बाई क्यों प्रसिद्ध हुई?
एक दिन झलकारी बाई अपने पशुओं को लेकर जंगल में गई हुई थी. अचानक झाड़ी में छिपे हुए एक भयानक चीते ने उन पर आक्रमण कर दिया था. उस समय झलकारी बाई के पास केवल पशुओं को हांकने वाली एक लाठी ही थी. बस आनन-फानन में झलकारी बाई ने संभल कर लाठी का भरपूर चीते के के मुंह पर वार किया, उसकी लाठी चीते के नाक पर लगी जिसके कारण चिता अचेत होकर जमीन पर गिर पड़ा. इस स्थिति का लाभ उठाकर झलकारी बाई चीते पर उस समय तक प्रहार करती रही जब तक उसकी मौत नहीं हो गई. इस घटना के बाद झलकारी बाई को बहुत लोकप्रियता मिली.
झलकारी बाई की शादी किसके साथ हुई?
कालांतर में उनकी शादी महारानी लक्ष्मीबाई के तोपची पूरन सिंह के साथ हो गई थी. पूर्ण सिंह के कारण ही झलकारी बाई महारानी लक्ष्मीबाई के संपर्क में आई. महारानी लक्ष्मीबाई ने उनकी योग्यता साहस एवं बुद्धिमत्ता के कारण उसे महिला फौज में भर्ती करवा दिया. झलकारी बाई ने थोड़े ही समय में सेना के सभी कार्य विशेष दक्षता के साथ करने लगी.
अंग्रेज सेना का झांसी के किले पर आक्रमण
अंग्रेज सेना ने झांसी के किले को के रखा था, दोनों ओर से भयंकर युद्ध चल रहा था. महारानी लक्ष्मीबाई के आदेश से झांसी के तोपची फिरंगी सेना पर निरंतर अग्नि वर्षा कर रहे थे. अंग्रेज सैनिक भी शत्रुओं को अपनी बंदूक का निशाना बना रहे थे. वैसे तो अंग्रेज सेना किले के नीचे थी, तथा उनकी संख्या भी अधिक थी. उसके पास युद्ध सामग्री का विपुल भंडार था. अग्रेज सेना के तोपची झांसी के किले की दीवारों को तोड़ने के लिए उन्हें अपनी तोपों का निशाना बना रहे थे. अंग्रेजी सेना की बंदूकें भी किले के रक्षकों को पर भयंकर गोली वर्षा कर रही थी. किले के रक्षको की संख्या कम होती जा रही थी.
ऐसे समय में लक्ष्मीबाई ने युद्ध परिषद की एक आपातकालीन बैठक बुलाई. इसमें आगामी युद्ध के विषय में चर्चा की जा रही थी. इसी समय एक पहरी ने महारानी लक्ष्मीबाई को बताया कि महिला फौज की एक सैनिक झलकारी बाई आप से मिलना चाहती है. झलकारी बाई ने अभिवादन करने के बाद महारानी से निवेदन किया. बाईसाहब! एक विनम्र निवेदन करना चाहती हूं.
बाईसा! हमारे सैनिकों की संख्या में निरंतर कमी होती जा रही है. निरंतर घिरे रहने के कारण खाद सामग्री भी सीमित रह गई है. मेरे पति ने मुझे अभी बताया है कि हमारे तोपचियों में कुछ गद्दार हो सकते हैं. क्योंकि वे लोग अंग्रेजी को निशाना न बनाकर खाली स्थानों पर गोलू छोड़ रहे हैं. अग्रेज स्थिति का लाभ उठाकर और किसी स्थान पर किले की दीवार तोड़कर यदि शत्रु सेना अंदर आ गई तो हमें किले के अंदर ही आरपार की लड़ाई करनी पड़ेगी.
झलकारी बाई ने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई को क्या राय दी थी?
झांसी के किले पर अंग्रेजों का आक्रमण और तेज होता जा रहा था उस समय झलकारी बाई ने महारानी लक्ष्मी बाई से निवेदन किया. बाईसा! अब आपको इस किले से किसी भी प्रकार बाहर हो जाना चाहिए. दुश्मन को धोखे में डालने के लिए यह उचित होगा कि आप का वेश धारण करके पहले मैं छोटी सी टुकड़ी लेकर किसी मोर्चे से भागने का वेतन करूंगी. मुझको रानी समझ दुश्मन अपनी पूरी शक्ति मुझे पकड़ने या मारने पर लगा देगा.
इसी बीच दूसरी तरफ आप किले से बाहर हो जाइए शत्रु भ्रम में पड़ जाएगा कि असली महारानी कौन है. स्थिति का लाभ उठाकर आप सुरक्षित स्थान पर पहुंच सकती हैं. और फिर सैन्य संगठन करके अंग्रेजी सेना पर आक्रमण कर सकते हैं. महारानी लक्ष्मीबाई को यह कार्रवाई की योजना पसंद आ गई. वह खुद भी किले के बाहर निकलने की योजना बना रही थी.
झलकारी बाई और अंग्रेजो के मध्य युद्ध?
योजना अनुसार महारानी लक्ष्मीबाई ने अपने कपड़े और सम्मान झलकारी बाई को दिए और दोनों अलग-अलग द्वार से किले के बाहर निकली। झलकारी बाई ने काम-जाम अधिक पहन रखा था. शत्रु ने उसे ही रानी समझा और उसे ही घेरने का प्रयत्न किया. अंग्रेजी सेना से घिरी झलकारी बाई भयंकरी करने लगी एक भेदिये ने उसे पहचान लिया और उसने भेद खोलने का प्रयास किया.
वह भेद खोले इसके पहले ही झलकारी बाई ने उसे अपनी गोली का निशाना बनाया. दुर्भाग्य से वह गोली अंग्रेज सैनिक को लगी और वह गिर कर मर गया. और वहां पर झलकारी बाई को घेर लिया गया. अंग्रेज सेनापति रोज ने झपटते हुए कहा. तुमने महारानी लक्ष्मीबाई बनकर हम को धोखा दिया है. और महारानी लक्ष्मीबाई को यहां से निकालने में मदद की है. तुमने हमारे एक सैनिक की भी जान भी ली है मैं मार डालूगा.
जनरल रोज ने झलकारी बाई को एक तंबू में कैद कर लिया और उसके बाहर पहरा बिठा दिया. अवसर पाकर झलकारी बाई रात में चुपके से भाग निकली और सुरक्षित किले में जा पहुंची.
वीरांगना झलकारी बाई और उनके पति की मृत्यु कैसे हुई
अंग्रेजों की कैद से बचकर झलकारी बाई रात को झांसी के किले में पहुंची थी. सुबह होते ही अंग्रेजी गवर्नर रोज ने झांसी के किले पर जोरदार आक्रमण कर दिया. उसने देखा कि झलकारी बाई एक तोपची के पास खड़ी होकर अपनी बंदूक से गोलियों की वर्षा कर रही है. तभी अंग्रेज सेना का एक गोला झलकारी के पास वाले तोपची को लगा. वह तोपची झलकारी बाई का पति पूरन सिंह था.
अपने पति को गिरा हुआ देखकर झलकारी बाई ने तुरंत तो संचालन का मोर्चा संभाल लिया और वह अंग्रेजी सेना को विचलित करने लगी अंग्रेजी सेना भी अपनी सारी शक्ति उसकी लगा दी. इसी समय एक गोला झलकारी बाई को भी लगा. और वह जय भवानी कहती हुए भूमि पर अपने पति के शव के समीप ही गिर पड़ी. 04-अप्रैल-1857 को इस महान बलदानी झलकारी बाई और इनके पति पूरन सिंह ने अंग्रजो से लड़ते-लड़ते अपने प्राण त्याग दिए. वह अपना काम कर चुकी उसका बलिदान इतिहास में अमर रहेगा. झलकारी बाई जैसे अनेक महान योद्धाओ को हम नमन करते हैं.
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FAQs
Ans- वीरांगना झलकारी बाई का जन्म कोली समाज के एक गरीब किसान सदोवा सिंह के घर हुआ था.
Ans- वीरांगना झलकारी बाई ने लक्ष्मीबाई से उनके कपड़े और गहने की मांग की क्युकी, वह रानी लक्मी बाई को किले से बाहर निकालने के लिए खुद लक्मी बाई बन कर अंग्रेजो को ध्यान भटकाना चाहती थी और ये सफल भी हुआ.
Ans- झलकारी बाई के पति पूरन सिंह रानी लक्ष्मी बाई की सेना में तोपची थे, उनकी वजह से ही झलकारी बाई को झांसी की सेना में मौका मिला था.