महर्षि महेश योगी की ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन (भावातीत) ध्यान साधना एवं वैदिक शिक्षा की महत्त्वपूर्ण विशेषता प्राचीन भारतीय शिक्षा के साथ-साथ पाश्चात्य शिक्षा का इसमें अनूठा समन्वय करना है. मनुष्य अपनी समस्त शक्तियों को ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन (भावातीत) ज्ञान के माध्यम से एकीकृत चेतना में समाहित कर पूर्ण शान्ति और विकास को प्राप्त हो सकता है. विश्व-भर में भारतीय वैदिक शिक्षा का प्रचार-प्रसार करने में महर्षि महेश योगी का नाम हमेशा अमर रहेगा. हम यहाँ महर्षि महेश योगी की जीवनी (Biography of Maharishi Mahesh Yogi). और उनके कार्य और विचार की वो रोचक और अद्भुत जानकारी शेयर करने वाले है. जिसके बारे में आप अबसे पहले अनजान थे.
महर्षि महेश योगी कौन थे, महेश योगी का जीवन परिचय
तत्कालीन मध्य प्रदेश के राजिम शहर में जन्मे महर्षि योगी बचपन में महेश श्रीवास्तव के नाम से जाने जाते थे. महर्षि महेश योगी का असली नाम था महेश प्रसाद वर्मा. महर्षि महेश योगी का जन्म 12 जनवरी 1918 को वर्तमान छत्तीसगढ़ के राजिम शहर के पास पांडुका गाँव में हुआ और उन्होंने इलाहाबाद उत्तर प्रदेश से दर्शनशास्त्र में स्नातकोत्तर की उपाधि ली थी. कुछ लोगो का मत है, लोग उनका जन्म स्थान जबलपुर हैं. उनके गुरु स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती शंकराचार्य थे. गुरु की आज्ञानुसार उन्होंने समस्त विश्व में वैदिक संस्कृति का प्रचार-प्रसार करने का बीड़ा उठायाउनके देहान्त के उपरान्त महेश श्रीवास्तव महर्षि महेश योगी कहलाये. महर्षि महेश योगी 05 फरवरी 2008 में पंचतत्त्व में विलीन हो गये थे.
Summary
नाम | महर्षि महेश योगी |
उपनाम | बीटल्स के गुरु, महेश श्रीवास्तव, हंसने वाला गुरु, उड़ते हुए योगी |
जन्म स्थान | राजिम शहर, पांडुका गाँव, छत्तीसगढ़ |
जन्म तारीख | 12 जनवरी 1918 |
वंश | श्रीवास्तव |
माता का नाम | N/A |
पिता का नाम | राम प्रसाद वर्मा |
पत्नी का नाम | अविवाहित |
उत्तराधिकारी | — |
भाई/बहन | |
शिष्य | इंदिरा गांधी, मिया फारो, आध्यात्मिक गुरू दीपक चोपड़ा |
प्रसिद्धि | ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन गुरु |
रचना | — |
पेशा | धार्मिक गुरु, योगी, संत, |
पुत्र और पुत्री का नाम | कोई नहीं |
गुरु/शिक्षक | गुरु स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती शंकराचार्य |
देश | भारत |
राज्य क्षेत्र | छत्तीसगढ़ |
धर्म | हिन्दू वैदिक |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
भाषा | हिंदी, अंग्रेजी |
मृत्यु | 5 फरवरी 2008 हार्ट अटैक |
मृत्यु स्थान | वेलोड्राप, नीदरलैंड |
जीवन काल | 90 वर्ष |
पोस्ट श्रेणी | Biography of Maharishi Mahesh Yogi (महर्षि महेश योगी की जीवनी) |
महर्षि महेश योगी के विचार और प्रमुख कार्य क्या थे?
महेश योगी जी का भारत की उन आध्यात्मिक विभूतियों में से एक थे, जिन्होंने भावातीत योग ज्ञान की स्थापना की. तथा इसके द्वारा मानवीय सेवा का जो कार्य उन्होंने किया वह बहुत ही अमूल्य है. 40 और 50 के दशक में वे हिमालय में अपने गुरु से ध्यान और योग की शिक्षा लेते रहे. उसके बाद योगी जी ने भारत देश में ही नहीं, अपितु विश्व-भर में. उन्होंने इस ध्यान योग के साथ-साथ शैक्षिक संस्थाओं की स्थापना की. उत्तराखंड के बद्रीकाश्रम तथा ज्योर्तिमठों में रहकर ध्यान, योग की साधना की. दक्षिण भारत में विशेषत: उन्होंने आध्यात्मिक विकास केन्द्र की स्थापना की. दिसम्बर 1957 को आध्यात्मिक पुनरुत्थान कार्यक्रम शुरू किया. और 1960 में पश्चिमी देशों की यात्रा पर निकल पड़े.
महर्षि महेश योगी विदेशों में क्यों प्रसिद्ध हुए?
पश्चिमी देशों में रहकर उन्होंने अमेरिका में भावातीत (ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन) के रूप में मानवीय चेतना के विस्तार का कार्य किया. पश्चिम के अनेक देशों में जाकर उन्होंने रासायनिक द्रव्यों के कुप्रभाव के साथ-साथ पदार्थवादी सभ्यता से बचने हेतु सन्देश दिया. सुमरिन ध्यान पद्धति के द्वारा मादक द्रव्यों के सेवन के बिना किस तरह तनाव पर विजय प्राप्त की जा सकती है, इसका व्यावहारिक रूप उन्होंने प्रस्तुत किया. इस भावातीत ध्यान से आकर्षित होकर हालीबुड की प्रसिद्ध फिल्म स्टार मिया फारो ने महर्षि महेश योगी को अपना गुरु बना लिया था.
विदेशों में तो उनके पास रातो-रात प्रसिद्धि के साथ-साथ काफी धनराशि का ढेर-सा लग गया था. उन्होंने पश्चिम के वैज्ञानिकों को भी यह प्रमाणित करके बताया कि ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन (भावातीत ध्यान) से किस तरह मनुष्य को शान्ति प्राप्त होती है. साथ ही उन्होंने बताया ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन से बुद्धि, ज्ञान तथा योग्यता की क्षमताओं में वृद्धि होती है. आत्मा को शक्ति और आनन्द का सागर बताते हुए उन्होंने सुमरिन ध्यान को ही प्रमुख माना है. विश्वशान्ति, विश्वबन्धुत्व, पूर्ण ज्ञान की प्राप्ति, वैदिक शिक्षा का प्रचार, भावातीत ध्यान के महत्त्व को संसार में फैलाना उनका प्रमुख उद्देश्य था.
योगी महर्षि महेश जी ने वैदिक धर्म और ध्यान के प्रचार के लिए क्या-क्या किया?
महर्षि महेश योगी जी ने वैदिक शिक्षा के माध्यम से आदर्श व्यक्ति, समस्याहीन, रोगहीन, दु:खविहीन, संघर्षविहीन, आदर्श समाज, आदर्श भारत का निर्माण करते हुए भारत सहित समस्त विश्व में दिव्य जागरण लाना उनका ध्येय था. अपने 30 से भी अधिक वर्षो की भ्रमण यात्रा के दौरान उन्होंने 1975 में स्वीटजरलैण्ड में मेरू महर्षि यूरोपियन रिसर्च यूनिवर्सिटी स्थापित की थी. महेश योगी जी ने तीन अन्तर्राष्ट्रीय भावातीत राजधानियों में स्वीटजरलैण्ड में सीलिसबर्ग, न्यूयार्क में साउथ फाल्सबर्ग और ऋषिकेश में शंकराचार्य नगर की स्थापना की.
इन सब स्थानों पर विशाल भव्य भवनों की स्थापना हेतु अपार धन-सम्पदा अर्जित की. नयी दिल्ली के पास NOIDA (नोएडा) में महर्षि नगर तथा आयुर्वेद विश्वविद्यालय और वैदिक विज्ञान महाविद्यालय की भी संकल्पना की थी. महेश योगी जी ने समस्त विश्व के 150 स्थानों में 4 हजार केन्द्र उनके द्वारा संचालित हो रहे हैं.
महर्षि महेश योगी एक आध्यात्मिक गुरु थे, जो भावातीत (ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन) तकनीक विकसित करने और इसे दुनिया भर में फैलाने के लिए जाने जाते थे. वे एक भारतीय गुरु थे, जिन्हें ट्रान्सेंडैंटल मेडिटेशन तकनीक विकसित करने और विश्वव्यापी गुरु होने के लिए जाने जाते है. जिन्हें कई मायनों में विशिष्ट माना जाता है. उन्हें महर्षि के रूप में जाना जाता हैं.
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FAQs
Ans- हां.
Ans- महेश योगी जी का भारत की उन आध्यात्मिक विभूतियों में से एक थे, जिन्होंने भावातीत योग ज्ञान की स्थापना की. तथा महर्षि महेश योगी जी ने वैदिक शिक्षा के माध्यम से आदर्श व्यक्ति, समस्याहीन, रोगहीन, दु:खविहीन, संघर्षविहीन, आदर्श समाज, आदर्श भारत का निर्माण करते हुए भारत सहित समस्त विश्व में दिव्य जागरण लाना उनका ध्येय था. अपने 30 से भी अधिक वर्षो की भ्रमण यात्रा के दौरान उन्होंने 1975 में स्वीटजरलैण्ड में मेरू महर्षि यूरोपियन रिसर्च यूनिवर्सिटी स्थापित की थी.