Biography of Dr. Zakir Hussain. डॉ. जाकिर हुसैन का जन्म 18 फरवरी, 1897 को हैदराबाद के एक सम्मानित मुस्लिम परिवार में हुआ था। इनके पिता वकील थे और साथ ही विधि सम्बन्धी एक पत्रिका के सम्पादक भी। उन्होंने इनकी आरम्भिक शिक्षा का भार एक अंग्रेज शिक्षक को सौंपा। फलस्वरूप इनके ऊपर शुरू से ही पूर्व और पश्चिम के संस्कार पड़े। जब ये केवल 9 वर्ष के थे, इनके पिता का देहान्त हो गया। पिता के देहान्त के बाद ये उत्तर प्रदेश में स्थित अपने पैतृक गांव लौट आए। फर्रुखाबाद से इन्होंने हाई स्कूल की परीक्षा पास की।
इसके बाद इन्हें मोहम्मडन एंग्लो ओरियन्टल कॉलेज, अलीगढ़, जो अब अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के रूप में प्रसिद्ध है, में भर्ती कराया गया। यहां से इन्होंने वर्ष 1920 में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। कॉलेज से निकलते ही इन्होंने सन 1920 में ही अलीगढ़ में राष्ट्रीय शिक्षा संस्था ‘जामिया इस्लामिया की नींव रखी और इसमें खुद भी शिक्षक के रूप में कार्य करने लगे। यहीं से इनके अध्यापक जीवन का शुभारंभ माना जाता है।
Summary
Name | Dr. Zakir Hussain |
Nickname | Mohandas Karamchand Gandhi |
Birthplace | Hyderabad |
Date of birth | 8 February 1897, Hyderabad |
Lineage | Muslim family |
Mother’s name | Naznin Begum |
Father’s name | Fida Husain Khan |
Wife’s name | Shah Jahan Begum |
Successor | — |
Son and daughter’s name | 2 Daughters |
Award | President Of India, Padma Vibhushan |
Profession | Economist, Political |
Author | Aala Taleem, Dusri Bunyadi Taleemi Conference, Haali Muhibb-e-Watan |
Country | India |
State territory | Telangana |
Religion | Muslim |
The nationality | Indian |
Language | Hindi, Urdu, English, Tamil |
Death | 3 May 1969, New Delhi |
Death Places | Delhi |
Life span | 72 Years |
Post category | Biography of Dr. Zakir Hussain |
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डॉ. जाकिर हुसैन का भारत के स्वतंत्र संग्राम और शिक्षा में क्या योगदान था?
उस समय भारत में महात्मा गांधी के नेतृत्व में असहयोग आन्दोलन चल रहा था। 12 अक्टूबर, 1920 को ये गांधीजी के इस आन्दोलन से जुड़ गए। इस तरह वर्ष 1920 से ही इनके राजनैतिक जीवन की शुरुआत हो गई थी। पर ये शिक्षक के रूप में निरन्तर कार्य करते रहे। वर्ष सन 1924 में ये उच्च शिक्षा प्राप्त करने हेतु जर्मनी चले गए और वहां बर्लिन विश्वविद्यालय में भर्ती हुए। जब ये बर्लिन विश्वविद्यालय में अध्ययनरत थे, इनके द्वारा अलीगढ़ में स्थापित जामिया मिलिया इस्लामिया को वर्ष 1925 में देहली में स्थानान्तरित कर दिया गया।
वर्ष 1926 में ये उच्च शिक्षा प्राप्त कर जर्मनी से भारत लौटे। यहां आते ही इन्हें ‘जामिया मिलिया, दिल्ली’ का उपकुलपति नियुक्त किया गया। वर्ष 1926 से 1948 तक ये इस संस्था के उपकुलपति रहे। इस संस्था में उपकुलपति का कार्य भार सम्भालते हुए भी ये शिक्षण कार्य से निरन्तर जुड़े रहे। सन 1937 में इन्होंने वर्धा शिक्षा अधिवेशन में हिस्सा लिया। इस अधिवेशन में इनकी अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया और समिति को गांधी जी द्वारा प्रस्तावित राष्ट्रीय शिक्षा योजना को अन्तिम रूप देने का कार्य सौंपा गया। वर्ष 1938 में इन्हें ‘हिन्दुस्तानी तालिमी संघ, सेवाग्राम’ का अध्यक्ष चुना गया। इस पद पर ये सन 1956 तक रहे और गांधी जी के शैक्षिक विचारों को मूर्त रूप देने का कार्य करते रहे।
डॉ. जाकिर हुसैन कुलपति, पद्मभूषण, राज्यपाल, भारत रत्न
उसी बीच 1948 में इन्हें ‘अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय’ का कुलपति नियुक्त किया गया। इस पद पर इन्होंने सन 1956 तक कार्य किया। यहां भी ये अध्ययन कार्य निरन्तर करते रहे। वर्ष 1954 में भारत सरकार ने इन्हें ‘पद्मभूषण’ की उपाधि से सम्मानित किया। 1955 में ये ‘विश्वविद्यालयीन सेवा, जनेवा’ के सभापति चुने गए। इस पद पर ये वर्ष 1957 तक रहे। सन 1956 में ये यूनेस्को की कार्यकारिणी के सदस्य चुने गए। इस पद पर ये 1958 तक रहे।
1957 में आपको बिहार प्रान्त का राज्यपाल नियुक्त किया गया। इस पद पर ये 1962 तक रहे। उसी वर्ष 1962 में इन्हें भारत का उपराष्ट्रपति चुना गया। इस पर पर ये 1967 तक रहे। 1963 में भारत सरकार ने इन्हें ‘भारत रत्न’ की उपाधि से सम्मानित किया। इन पदों पर रहते हुए भी ये शिक्षा के क्षेत्र से बराबर जुड़े रहे और जब कभी भी इन्हें किसी छोटी-बड़ी शिक्षा संस्था में जाने का समय मिलता उसका लाभ उठाते। 1967 में इन्हें भारत का राष्ट्रपति चुना गया। देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचने के बाद भी ये अपने को शिक्षक पहले मानते थे। इनके अपने शब्दों में-में शिक्षक के अलावा जो भी हूं वह अपनी मर्जी से नहीं, दूसरों के द्वारा बनाया गया हूँ।
जाकिर हुसैन की प्रमुख रचना और राजनीति में क्या योगदान था?
डॉ जाकिर हुसैन ने शिक्षा और राजनीति के क्षेत्र में काम करने के साथ-साथ कुछ लेखन भी किया है। इन्होंने यूनानी दार्शनिक प्लेटो की ‘द रिपब्लिक’ का उर्दू में अनुवाद किया और साथ ही कुछ मुक्त ग्रंथों की रचना की। इनके मुख्य मौलिक ग्रंथ हैं- कैपिटेलिज्म, शिक्षा, स्कोप एण्ड मैथड्स ऑफ इकानोमिक्स, इथिक्स एण्ड स्टेट, द डायनिमिक यूनिवर्सिटी और एजूकेशनल रिकन्सन्ट्रक्शन इन इण्डिया। बच्चों से इन्हें बड़ा प्रेम था। इन्होंने बच्चों के व्यक्तित्व निर्माण हेतु कई कहानियों की रचना की।
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FAQs
Ans- डॉ. जाकिर हुसैन को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय’ का कुलपति 1948 में नियुक्त किया गया था.