स्वतंत्रता सेनानी कुंज बिहारी लाल मोदी का जन्म सन् 1901अलवर राजस्थान में हुआ था. सबसे पहले खादी के कपड़े और गाँधी टोपी अपनाने वाले श्री मोदी का जन्म कठूमर ग्राम में हुआ था। बाल्यकाल में ही पिताश्री का देहान्त हो जाने के कारण श्री मोदी को शिक्षा के लिए उचित अवसर नहीं मिला और उन्हें शीघ्र ही नौकरी करनी पड़ी। आर्य समाज की सदस्यता ग्रहण करने से आप में सामाजिक सुधारों की भावनाएँ जागृत हुई। उन्होंने तत्कालीन सामाजिक बुराइयों एवं समाज सुधार विषय पर लेख और कविताएँ लिखीं। तदनन्तर आपने राष्ट्रीयता की भावनाओं के प्रचार-प्रसार में अपनी सम्पूर्ण शक्ति लगाने का निश्चय किया। राजनैतिक कार्यक्रमों में जोर-शोर से भाग लेने के कारण श्री मोदी के अधिकारी उनसे नाराज हो गये और तरह-तरह के कष्ट देने लगे। फलतः राज्य सेवा से मुक्ति प्राप्त कर वे स्वाधीनता आन्दोलन को सफल बनाने के लिए प्रयत्नशील हुए।
स्वतंत्रता सेनानी कुंज बिहारी लाल मोदी का भारतीय स्वतंत्रता में क्या योगदान था?
तत्कालीन राजस्थान में अलवर के महाराजा जयसिंह ने अपनी निर्भीकता के कारण अंग्रेजों को अपना दुश्मन बना लिया था। अंग्रेजी हुकूमत ने उन्हें देश निकाला दे दिया और रेजीडेन्ट को शासन कार्य देखने का आदेश दिया। रेजीडेन्ट आजादी के इन दीवानों को जेल में भरने के अवसर की तलाश में थी। महाराजा जयसिंह का देहान्त होने पर शहर में एक सभा का आयोजन किया गया। श्री मोदी और उनके साथियों ने इस सभा में प्रवचन दिये। रेजीडेन्ट ने मोदी और उनके साथियों को गिरफ्तार करके मुकदमा चलाया। इन लोगों को 2-2 वर्ष की सजा व कठोर कारावास का दण्ड मिला। जेल के जुल्मों के विरुद्ध आपने अनशन किया। फलतः यातनाएँ कम करके इनकी सजा एक माह बढ़ा दी गई।
जेल से छूटने पर मोदी ने अलवर राज्य प्रजामण्डल की स्थापना की और राज्य में उत्तरदायी शासन की माँग बुलन्द की। श्री मोदी राज्य प्रजामण्डल के प्रधानमंत्री बने और 1942 के आन्दोलन में जेल गये। 3 दिसम्बर, 1944 को अलवर में “राजपूताना रियासती कार्यकर्ता संघ” का प्रथम अधिवेशन सम्पन्न हुआ, जिसमें श्री जयनारायण व्यास, श्री माणिक्यलाल वर्मा, श्री हीरालाल शास्त्री कवि सुमनेश जी आदि ने भाग लिया। श्री मोदी इस सम्मेलन में स्वागताध्यक्ष थे। 1946 में आन्दोलन करने पर श्री मोदी को पुनः गिरफ्तार कर लिया गया।
कुंज बिहारी लाल मोदी जी का अंतिम समय
कुंज बिहारी लाल मोदी जी जेल की यातनाओं के परिणाम स्वरूप मोदी जी को केन्सर का आघात लग गया। अनेक उपचार करने पर भी रोग अच्छा नहीं हुआ। सवाई मानसिंह अस्पताल जयपुर में अपने अंतिम ऑपरेशन के अवसर पर वे बच नहीं सके और 4 दिसम्बर, 1953 सदा-सदा के लिए चिर निद्रा में सो गये थे।
भारत के प्रसिद्ध युद्ध
भारत के राज्य और उनका इतिहास और पर्यटन स्थल
भारत के महान साधु संतों की जीवनी और रोचक जानकारी
1857 ईस्वी की क्रांति के महान वीरों की जीवनी और रोचक जानकारी
स्वतंत्रता सेनानी कुंज बिहारी लाल मोदी
FAQs
Ans-