1857 की क्रांति के प्रमुख नेताओं में नाना साहब, तात्या टोपे, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के नाम को तो हम जानते हैं. परंतु जोधारा सिंह जैसे साधारण क्रांतिकारी के बारे में हम कुछ नहीं जानते. दोस्तों अगर आप देश के महान क्रांति के इतिहास और उनके सूरवीरो की जानकारी जानना चाहते है. तो आप एक दम सही जगह पर हो. क्यों की हम यहाँ आजादी के दीवानो और आजादी के लिए मर मिटने वालो की जीवनी और उनके बहादुरी के किस्से आपके साथ साझा करने वाले है. हम आपको यहाँ वीर जोधारा सिंह जी की जीवनी (Biography of Jaudhara Singh) और उनकी जीवन की रोचक जानकारी शेयर करने जा रहे है. इस लिए दोस्तों इस पेज को अंत तक और ध्यान से पढ़े.
1857 ईस्वी की प्रथम क्रांति में असंख्य लोगों ने भाग लिया था. परंतु उन्हीं की उपलब्धियां जनता तक पहुंची जो बड़े परिवार में जन्मे थे. अथवा राजा या जमीदार थे. परंतु हमारा यह मानना है कि ऐसे बहुत से लोगों ने भारत की आजादी के लिए अपना सर्वस्व निछावर कर दिया है. जिनकी जानकारी जनता को नहीं है. अतः अज्ञात व्यक्ति की भांति अज्ञात व्यक्ति भी हमारे लिए उतनी ही श्रद्धा के पात्र हैं. संभव है उनको इतिहास में समुचित स्थान नहीं मिला हो किसी का इतिहास में उल्लेख हो या नहीं. इससे उसका त्याग और सोर्य कम नहीं हो जाता.
वे विस्मरणीय अवश्य हो जाते हैं परंतु महान आत्मा इसकी परवाह न करते हुए निरंतर अपने कर्तव्य पथ की ओर अग्रसर होती रहती है. संसार को कुछ ना कुछ देना ही अपना लक्ष्य रखते हैं बहुजन हिताय बहुजन सुखाय अर्पित हो. मेरा मनुज काय के सिद्धांत के अनुसार अपना जीवन व्यतीत करते हैं. वे जननी तथा जन्मभूमि के लिए सर झुकाने के स्थान पर सर कटवाना पसंद करते हैं.
जोधारा सिंह जी कौन थे?
दोस्तों जोधारा सिंह बिहार के गया जिला के खमीनी गांव के रहने वाले थे. उनका गांव क्रांति का केंद्र बन गया क्रांतिकारियों ने नवादा तथा शेरघाटी की चौकियों पर अधिकार कर लिया. उन्होंने गया जेल के दरवाजे तोड़कर अपने साथी कैदियों को मुक्त कर दिया. बिहारशरीफ के मुंशीफ की हत्या कर दी गई. क्रांतिकारियों के दल ने टेफारी होते हुए सोनू की ओर प्रस्थान किया.
Summary
नाम | जोधारा सिंह |
उपनाम | जोधारा सिंह |
जन्म स्थान | खमीनी गांव, गया जिला |
जन्म तारीख | — |
वंश | — |
माता का नाम | — |
पिता का नाम | — |
पत्नी का नाम | — |
भाई/बहन | — |
प्रसिद्धि | |
रचना | — |
पेशा | क्रांतिकारी |
पुत्र और पुत्री का नाम | — |
गुरु/शिक्षक | कुंवर सिंह |
देश | भारत |
राज्य क्षेत्र | गया, बिहार |
धर्म | हिन्दू |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
भाषा | हिंदी |
मृत्यु | 1857 ईस्वी |
जीवन काल | — |
पोस्ट श्रेणी | Biography of Jaudhara Singh (जोधारा सिंह की जीवनी) |
प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 की क्रांति में भारतीय रानियों का योगदान और उनकी जीवनी
1857 ईस्वी की क्रांति में जोधारा सिंह जी का क्या योगदान था?
जोधारा सिंह भारत मां को बहुत प्यार करते थे. उन्होंने उसे बेड़ियों से मुक्त करवाने की कसम खाई थी. उन्होंने साधारण ग्रामीण होते हुए भी अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष करने के लिए आवाज उठाई. उन्होंने गया के उत्तर-पश्चिम में क्रांतिकारियों का नेतृत्व किया. अंग्रेजों ने उनके विरुद्ध एक पुलिस का दस्ता भेजा जोधारा सिंह ने उस पुलिस के दस्ते को पीछे खदेड़ दिया. और इस तरह इस महान क्रांतिकारी ने घूम घूम कर आजादी की अलख गांव गांव में जगाई.
इधर कुंवर सिंह ने अरवल पर अधिकार कर लिया था. जहानाबाद के थाने पर आक्रमण किया गया और शहर में लूटमार मचा दी. सरकारी कचहरी को जलाकर राख कर दिया गया. और दरोगा की हत्या कर दी गई इतना होने पर भी कप्तान रोट्री कुछ नहीं कर सका. जोधारा सिंह रफीगंज के नजदीक पहाड़ पर चले गए वहां पर उनकी अंग्रेजों से मुठभेड़ हुई जिसमें अंग्रेज बहुत कठिनाई से विजय प्राप्त कर सकें.
विजय और पराजय का उतना महत्व नहीं है. जितना दुश्मनों के दांत खट्टे करने का है जोधारा सिंह निसंदेह एक बहादुर क्रांतिकारी थे. जिनके त्याग वीरता शोर्य और समर्पण को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता. हम ऐसे भारत माता के वीर सपूतो को नमन करते है.
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FAQs
Ans- महान क्रान्तिकारी जोधारा सिंह जी का जन्म बिहार राज्य के गया जिले के खमीनी गांव में हुआ था.