RSS आरएसएस- दोस्तों हम आज आप के साथ वो जानकारी शेयर करेंगे जो आरएसएस के बारे में आप को आज से पहले पता नहीं होगी. दोस्तों आरएसएस एक देश भगतो का ऐसा समहू है जिसमे देश प्रेम की भावना और सहयोग संगठन की बात की जाती है. आरएसएस का उद्धोष वाक्य है- “मातृभूमि के लिए निःस्वार्थ सेवा”. आरएसएस भारत माता से प्रेम और सभी मानुस को प्रेम और भाईचारे का पाठ पढ़ाता है.
आरएसएस क्या है?
दोस्तों आरएसएस एक संगठन है. जिसमे भारत और दुनिया के लोगो को आपसी प्रेम और भाई चारे का पढ़ा पढ़ाया जाता है. इस देश भगतो के समहू में देश प्रेम की भावना और सहयोग संगठन की बात की जाती है. आरएसएस का उद्धोष वाक्य है- “मातृभूमि के लिए निःस्वार्थ सेवा”. आरएसएस भारत माता से प्रेम और सभी मानुस को प्रेम और भाईचारे का पाठ पढ़ाता है. और समय समय पर भारत और दुनिया के अनेक विपदाओं में आरएसएस संगठन के लोगो ने मानवता के लीय कार्य किया है. इस संगठन में राष्ट्र प्रेम और राष्ट्र सेवा को सर्वोपरि माना जाता है.
Summary
नाम | RSS | आरएसएस |
उपनाम | राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ |
स्थापना | 27 सितम्बर 1925, नागपुर |
संस्थापक | केशव बलिराम हेडगेवार |
धर्म | हिन्दू |
आरएसएस मुख्यालय | नागपुर, महाराष्ट्र |
आदर्श वाक्य/आरएसएस का उद्धो | “मातृभूमि के लिए निःस्वार्थ सेवा” |
आरएसएस क्या है? | आरएसएस एक संगठन है. जिसमे भारत और दुनिया के लोगो को आपसी प्रेम और भाई चारे का पढ़ा पढ़ाया जाता है. |
प्रसिद्ध | देश सेवा/विपदा में देश की सेवा/कश्मीर का विलय में योगदान |
आरएसएस का उद्देश्य | राष्ट्रप्रेम और सहयोग और सगठन |
आधिकारिक वेबसाइट | www.rss.org |
ईमेल आईडी | — |
संपर्क संख्या | — |
देश | भारत |
राज्य/संघ राज्य क्षेत्र | समस्त भारत |
जिला | समस्त भारत |
पोस्ट श्रेणी | RSS आरएसएस |
कैसे पड़ी आरएसएस की नींव (How was the foundation of RSS laid?)
दोस्तों 1925 में दशहरे के दिन डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नींव डाली थी. दोस्तों केशव राव जी बचपन से ही क्रांतिकारी प्रवृति के थे और वे अंग्रेजो से नफरत करते थे. क्यों की अंग्रेज उस समय बहुत दमनकारी निति से काम करते थे. केशव राव जी स्कूल में ही पढ़ते थे कि एक दिन अंग्रेज इंस्पेक्टर के स्कूल में निरिक्षण के लिए आने पर केशव राव (Keshav Baliram Hedgewar) ने अपने कुछ छात्रों के साथ उनका “वन्दे मातरम्” जयघोष से स्वागत किया जिस पर अंग्रेज ऑफिसर बिफर गया और उसके आदेश पर केशव राव को स्कूल से निकाल दिया गया था.
तब उन्होंने मैट्रिक तक अपनी पढाई पूना के नेशनल स्कूल में पूरी की और उसके बाद उन्होंने मन ही मन देश की रक्षा के लिए ठानी और एक संगठन की स्थापना की जो राष्ट्रप्रेम और सहयोग और सगठन के साथ देश के काम आ सके कालांतर में इस संगठन का नाम आरएसएस (RSS )के नाम से जाना जाता है.
आरएसएस का देश में क्या योगदान है?
दोस्तों आरएसएस का देश में बहुत बड़ा योगदान रहा है, जब जब देश पर विपदा आयी है आरएसएस संगठन सब से आगे खड़ा मिला है. बात आजादी के समय से करे तो. देश के बटवारे के समय पाकिस्तान से आने वाले शिखो और हिन्दुओ,जैन और पारसी,क्रिस्चन को राहत के लिए 3000 हजार से जायदा कैंप लगाए थे. और हाल ही में देश में कोरोना महामारी की आपदा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने पुरे जोश और जज़बे से देश में कैंप लगाए और जरुरतमंदो की सहायता की थी.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सेवा कार्य
बात जब सेवा कार्य की होती है तो देश में आरएसएस का नाम अग्रणी है. देश के बटवारे के समय पाकिस्तान से आने वाले शिखो और हिन्दुओ,जैन और पारसी,क्रिस्चन को राहत के लिए 3000 हजार से जायदा कैंप लगाए थे. जब 1971 में ओडिशा में आए भयंकर चंक्रवात से लेकर भोपाल (मध्य प्रदेश) की गैस त्रासदी तक, 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों से लेकर गुजरात के भूकंप, सुनामी की प्रलय, उत्तराखंड की बाढ़ और कारगिल युद्ध के घायलों की सेवा तक – संघ ने राहत और बचाव का काम हमेशा सबसे आगे होकर किया है. भारत में ही नहीं, नेपाल, श्रीलंका और सुमात्रा तक में और अफ्रीका तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सेवा करता आया है.
कश्मीर का विलय (Annexation of Kashmir)
कश्मीर के महाराजा हरि सिंह भारत में विलय का फ़ैसला नहीं कर पा रहे थे. और उधर कबाइलियों (जिहादी) के भेस में पाकिस्तानी सेना सीमा में घुसती जा रही थी. तब नेहरू सरकार तो – हम क्या करें वाली मुद्रा में – मुंह बिचकाए बैठी थी. तब तत्कालीन होम मिनिस्टर सरदार पटेल ने गुरु गोलवलकर से मदद मांगी. डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार श्रीनगर पहुंचे, महाराजा हरी सिंह से मिले. इसके बाद महाराजा हरी सिंह ने कश्मीर के भारत में विलय पत्र का प्रस्ताव दिल्ली भेज दिया. और आगे जाकर कश्मीर भारत में विलय हुआ. इस लिए कश्मीर का भारत में विलय में आरएसएस का बहुत बड़ा योगदान है.
1962 का चीन युद्ध में आरएसएस का योगदान
चीन युद्ध में भारत की सेना की मदद के लिए देश भर से संघ के स्वयंसेवक जिस उत्साह से सीमा पर पहुंचे, उसे पूरे देश ने देखा और सराहा. स्वयंसेवकों ने सरकारी कार्यों में और विशेष रूप से जवानों की मदद में पूरी ताकत लगा दी थी. आरएसएस ने सैनिक आवाजाही मार्गों की चौकसी, प्रशासन की मदद, रसद और आपूर्ति में मदद, और यहां तक कि शहीदों के परिवारों की भी चिंता. जवाहर लाल नेहरू को 1963 में 26 जनवरी की परेड में संघ को शामिल होने का निमंत्रण देना पड़ा. परेड करने वालों को आज भी महीनों तैयारी करनी होती है, लेकिन मात्र दो दिन पहले मिले निमंत्रण पर 3500 स्वयंसेवक गणवेश में उपस्थित हो गए.
निमंत्रण दिए जाने की आलोचना होने पर नेहरू ने कहा- “यह दर्शाने के लिए कि केवल लाठी के बल पर भी सफलतापूर्वक बम और चीनी सशस्त्र बलों से लड़ा सकता है, विशेष रूप से 1963 के गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेने के लिए आरएसएस को आकस्मिक आमंत्रित किया गया”.
जब आरएसएस (RSS) ने 1965 के युद्ध में कानून-व्यवस्था संभाली
जब भारत की लड़ाई 1965 में पाकिस्तान से हुई उस समय के प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री को भी संघ याद आया था. शास्त्री जी ने क़ानून-व्यवस्था की स्थिति संभालने में मदद देने और दिल्ली का यातायात नियंत्रण अपने हाथ में लेने का आग्रह किया, ताकि इन कार्यों से मुक्त किए गए पुलिसकर्मियों को सेना की मदद में लगाया जा सके. घायल जवानों के लिए सबसे पहले रक्तदान करने वाले भी संघ के स्वयंसेवक थे. युद्ध के दौरान कश्मीर की हवाईपट्टियों से बर्फ़ हटाने का काम संघ के स्वयंसेवकों ने किया था. इसके अलावा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने सेना तक खाने (रासन) पहुंचाने का काम किया था. इस लिए आज भी देश राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्य की तारीफ करते है.
गोवा का भारत में विलय में RSS स्वयंसेवकों योगदान
गोवा का भारत में विलय में स्वयंसेवकों योगदान – दोस्तों दादरा, नगर हवेली और गोवा के भारत विलय में संघ की निर्णायक भूमिका थी. 21 जुलाई 1954 को दादरा को पुर्तगालियों से मुक्त कराया गया, 28 जुलाई को नरोली और फिपारिया मुक्त कराए गए और फिर राजधानी सिलवासा मुक्त कराई गई. संघ के स्वयंसेवकों ने 2 अगस्त 1954 की सुबह पुतर्गाल का झंडा उतारकर भारत का तिरंगा फहराया, पूरा दादरा नगर हवेली पुर्तगालियों के कब्जे से मुक्त करा कर भारत सरकार को सौंप दिया. संघ के स्वयंसेवक 1955 से गोवा मुक्ति संग्राम में प्रभावी रूप से शामिल हो चुके थे.
गोवा में सशस्त्र हस्तक्षेप करने से नेहरू के इनकार करने पर जगन्नाथ राव जोशी के नेतृत्व में संघ के कार्यकर्ताओं ने गोवा पहुंच कर आंदोलन शुरू किया, जिसका परिणाम जगन्नाथ राव जोशी सहित संघ के कार्यकर्ताओं को दस वर्ष की सजा सुनाए जाने में निकला. हालत बिगड़ने पर अंततः भारत को सैनिक हस्तक्षेप करना पड़ा और 1961 में गोवा आज़ाद हुआ.
जमींदारी प्रथा का खात्मा/भारतीय मजदूर संघ/आपातकाल जमींदारी प्रथा का खात्मा/भारतीय मजदूर संघ/आपातकाल में भी आरएसएस का बहुत योगदान है.
कांग्रेस क्यों करती है RSS का विरोध?
समय समय पर कांग्रेस के नेता आरएसएस का विरोध करते है आये है. इसका मुख्य कारन है आरएसएस का अन्दुरुनी रूप से बीजेपी को समर्थन है. ऐसा कांग्रेस के नेता को इस लिए लगता है. क्यों की आरएसएस राष्ट्रवाद को सब से ऊपर रखती है. साथ ही बीजेपी के नेता भी राष्ट्रवाद का समर्थन करते है. इस लिए कांग्रेस आरएसएस संगठन का विरोध करती आयी है.
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Frequently Asking Questions
Ans- जब बापू की हत्या नाथूराम गोडसे ने की तब आरएसएस पर जांच बैठी और कुछ समय के लिए बैन कर दिया था.