Biography of Mahatma Zarathustra || महात्मा जरथुस्त्र का जन्म परिचय

By | December 26, 2023
Biography of Mahatma Zarathustra
Biography of Mahatma Zarathustra

महात्मा ज़रथुष्ट्र पारसी धर्म के संस्थापक थे, इनके नाम पर ही पारसी धर्म को ‘ज़रथुष्ट्र धर्म’ भी कहा जाता है. पारसी धर्म के प्रवर्तक महात्मा जरथुस्त्र एक लोकमंगल साधक थे. उन्हें पारसी पैगम्बर कहा जाता है. वे बड़े ईश्वरभक्त, सत्यवादी और अन्धविश्वास के प्रबल विरोधी थे. तत्कालीन सामाजिक जीवन में व्याप्त अधर्म और पापो को दूर कर उन्होंने अज्ञान व अन्धकार में डूबी हुई जनता को ज्ञान का प्रकाश दिया. उन्होंने यह बताया कि: सर्वशक्तिमान ईश्वर एक है. परोपकार तथा जीवमात्र के प्रति दया की भावना ही सदधर्म है. हम यहाँ महात्मा जरथुस्त्र की जीवनी (Biography of Mahatma Zarathustra). और उनसे जुड़ी वो रोचक और अद्भुत जानकारी शेयर करने वाले है. जिसके बारे में आप अब से पहले अनजान थे. तो दोस्तों चलते है और जानते है, पारसी धर्म के संस्थापक जरथुस्त्र की रोचक जानकरी.

संत जरथुस्त्र का जीवन परिचय (Biography of Mahatma Zarathustra)

पारसी धर्म या जरथुस्त्र धर्म विश्व के अत्यंत प्राचीन धर्मों में से एक है. जिसकी स्थापना आर्यो की ईरानी शाखा के एक धर्म दूत जरथुस्त्र ने की थी. धर्मावलंबियों को पारसी या जरथुस्त्र कहा जाता है. यह धर्म एकेश्वरवादी धर्म है. इस धर्म में ईश्वर को ‘अहुर मज़्दा’ कहाँ जाता है. जरथुस्त्र इस धर्म के संस्थापक थे. जरथुस्त्र का जन्म प्राची ईरान में स्पित्मा अजरबेजान नगर में ईसा से 600 वर्ष पूर्व हुआ था. ग्रीक भाषा में इन्हें ‘ज़ोरोस्टर’ कहा जाता है और आधुनिक फ़ारसी में जारटोस्थ. पारसी धर्म ईरान का राजधर्म हुआ करता था. क्योंकि पैगंबर ज़रथुष्ट्र ने इस धर्म की स्थापना की थी. इनकी माता का नाम दुधधोवा था जो वहां के नरेश की पुत्री थीं. और पिता बोरशसफ भी कई राज्यों के शासक थे. वे दोनों धर्मपरायण व सद्‌गुणी थे. जरथुस्त्र बाल्यावस्था से ही बड़े ही असाधारण प्रतिभा के धनी थे.

पारसी समुदाय द्वारा जरथुस्त्र का जन्म 24 अगस्त को मनाया जाता है. जरथुस्त्र प्रेम और दया की मूर्ति के समाधि से निवृत्त होकर. रोगी की परिचर्या करना, वजन डोह रहे जानवरों का वजन खुद ढोना, दृष्टिहीन को मार्ग बताना, भूखे को भोजन और प्यासे को पानी पीलाना इनकी दिनचर्या थी. महात्मा ज़रथुष्ट्र को ऋग्वेद के अंगिरा, बृहस्पति आदि ऋषियों का समकालिक माना जाता है. परन्तु ऋग्वेदिक ऋषियों के विपरीत ज़रथुष्ट्र ने एक संस्थागत धर्म का प्रतिपादन किया था.

Summary

नामज़रथुष्ट्र
उपनामज़ोरोस्टर, महात्मा जरथुस्त्र
जन्म स्थानस्पित्मा अजरबेजान नगर, ईरान
जन्म तारीख1000 ईसा पूर्व
वंश
माता का नामदुधधोवा
पिता का नामबोरशसफ
पत्नी का नाम
उत्तराधिकारी
भाई/बहन
प्रसिद्धिपारसी धर्म के संस्थापक
रचनाअवेस्ता
पेशाधर्म गुरु
पुत्र और पुत्री का नामपौरुसिस्टा, इसत वस्तर, हवारे चित्रा, उरुवत-नारा, त्रिती, फ्रेनी
गुरु/शिक्षक
देशईरान
राज्य क्षेत्रअजरबेजान
धर्मपारसी
राष्ट्रीयताईरानी
भाषाफ़ारसी, अरबी
मृत्यु
मृत्यु स्थानईरान
जीवन काललगभग 50 वर्ष
पोस्ट श्रेणीBiography of Mahatma Zarathustra (Biography of Mahatma Zarathustra)
Biography of Mahatma Zarathustra

महात्मा जरथुस्त्र की कहानी

महात्मा ज़रथुष्ट्र बाल्यावस्था से ही बड़े ही असाधारण प्रतिभा के धनी थे. धर्मशास्त्रों में उनकी गहन रुचि थी. उस समय ईरान के समाज में धर्म चर्चाओं का बड़ा ही महत्त्व था. बालक जरथुस्त्र की धर्म सम्बन्धी व्याख्या को सुनकर सभी विद्वान् दंग रह जाया करते थे. इनके पिता बोरशसफ जब वृद्ध होने लगे, तो उन्होंने अपने पांच पुत्रों में राज्य की सम्पत्ति बराबर-बराबर बांट देनी चाही, परन्तु तीसरे पुत्र जरथुस्त्र ने सम्पत्ति में हिस्सा लेने से मना कर दिया. जब इनके पिता ने उनसे इसका कारण पूछा, तो उन्होंने उत्तर दिया मैंने सुविधाभोगी जीवन त्यागकर एक ऐसे जीवन की राह चुनी है. जो अज्ञान व अन्धकार में डूबे हुए लोगों को सच्चा धर्म और शिक्षा सिखा सके. उन्होंने अपने पिता को बताया मेरे भीतर का ईश्वर मुझे इस ओर प्रेरित कर रहा है. मैं भी दीन-दुखियों की तरह जीवन जीना चाहता हूं.

महात्मा जरथुस्त्र घर से कब और क्यों निकले?

तत्कालीन ईरान में इनके राज्य का बंटवारा चार भाइयों में हो गया, जरथुस्त्र अपने शरीर पर छोटा-सा वस्त्र धारण कर महात्मा बुद्ध की तरह सत्य और ईश्वर की खोज में निरन्तर भटकते रहे. वे महात्मा तुर से मिले, जिनके स्नेह और प्रेमपूर्ण व्यवहार से दीक्षित होकर उन्होंने आत्मसाधना की. फिर एकान्त तप करने द्रोण पर्वत पर चले गये. एक गुफा में निराहार, निर्जल रहकर कठोर तप किया था. भगवान बुद्ध की तरह उन्होंने तत्त्वज्ञान प्राप्त किया, उस समय जरथुस्त्र लगभग 30 वर्ष की अवस्था में थे. उनके द्वारा प्रतिपादित सीधी-सच्ची भाषा में गाथाएं कहीं जो अवेस्ता में संग्रहित हैं.

प्रारम्भ में लोगों ने इसका मजाक उड़ाया, किन्तु उनकी वाणी का प्रभात ही कुछ ऐसा था. कि दूसरे प्रान्तों में उनके नये धर्म में लोग दीक्षित होने लगे. उनके तर्कयुक्त, ओजस्वी व्याख्यान और उपदेशों का ऐसा प्रभाव हुआ कि वे आसपास के देशों में भी फैलने लगा. उनके अनुयायियों की संख्या दिन परितदिन बढती चली गयी. अग्नि की उपासना करने वाले इस धर्म का मूल राग, द्वेष से दूर रहकर शान्ति का जीवन बिताना है. हिन्दू धर्म की भाती प्राणिमात्र के प्रति दया, करुणा का भाव तथा अन्धविश्वासों का विरोध इस धर्म का आधार है.

महात्मा जरथुस्त्र के महान् कार्य

जरथुस्त्र ने तत्कालीन ईरान (फारस) जहां अन्धविश्वासों और रूढ़ियों से जकड़े हुए समाज को ज्ञान का प्रकाश दिया. वहीं धर्म का सच्चा ज्ञान कराया. कहा जाता है कि वे इतने दयालु थे, कि एक बार उन्होंने भूख से छटपटाते हुए कुते को देखा तो दौड़कर पास की बस्ती जाकर उसके लिए खाना मांग लाये थे. किन्तु उनके पहुंचने से पहले कुत्ता दम तोड़ चुका था. इस घटना से वे इतने दुखी हुए कि कई दिनों तक उनसे खाना तक नहीं खाया था. गोदामों से भूसा-चारा निकालकर भूखे जानवरों को खिला दिया करते थे. कहाँ जाता है, जब जरथुस्त्र के घर में पर्याप्त भोजन या चारा नहीं होता था, तो वे जंगल या इधर-उधर से चारा तथा भोजन एकत्र करके बूढ़े, असहाय, लंगड़े, भूखे जानवरों को खिलाया करते थे.

उनके पास हर समय भूखे जानवरों की भीड़ सी लगा करती थी. एक बार उन्होंने एक परोपकारी गरीब को आटा बांटते देखा, तो वे भी उसके साथ आटा बांटने लगे थे. उन्हें परोपकार, दान पुर्ण्य में बड़ा आनन्द आता था. वे ईश्वर के सच्चे भक्त थे. ऐसे ही एक बार एक जादूगर को धर्म के नाम पर अन्धविश्वास फैलाते देखा, तो महात्मा जरथुस्त्र ने उसको ऐसा फटकारा कि वह उनके पैरों पर गिर पड़ा और अपने किये पर माफ़ी मांगने लगा.

महात्मा जरथुस्त्र के साथ धोखा

महात्मा जरथुस्त्र द्वारा धर्म का सच्चा स्वरूप बताने पर जरथुस्त्र को धर्म विरोधियों के छल-कपट का काफी सामना करना पड़ा. कई दुष्ट तो कुत्ते, बिल्ली, सुअर, चूहे आदि का सर कलम कर रख देते थे. और वहां के बादशाह के कान भरते थे कि यह तो जरथुस्त्र का करा धरा है. बादशाह ने प्रारम्भ में तो लोगों की इन बातों पर विश्वास कर लिया था. परन्तु बाद में उन्हें अपनी भूल का एहसास हुआ. इधर तोहरान का शासक कुमुक महात्मा जरथुस्त्र के प्रभाव से भयभीत था. उसने जरथुस्त्र के राज्य पर आक्रमण करके उस पर अपना अधिकार कर लिया था. बादशाह ने उन पर बिना किसी अभियोग के उन्हें मृत्युदण्ड दे दिया. उस समय महात्मा जरथुस्त्र की आयु लगभग 77 वर्ष की थी.

भारत के महान साधु संतों की जीवनी और रोचक जानकारी

भगवान श्री राम की जीवनीभगवान श्री कृष्ण की जीवनी
भीष्म पितामह की जीवनीराधा स्वामी सत्संग इतिहास और गुरु जीवनी
आदिगुरु शंकराचार्य जी की जीवनीकृष्णसखा सुदामा जी की जीवनी
भगवान महादानी राजा बालिक की जीवनीमीराबाई की जीवनी
राजा हरिश्चंद्र जी की जीवनीगौतम बुद्ध की जीवनी
संत झूलेलाल जी की जीवनीगुरु नानक की जीवनी और चमत्कार
महर्षि वाल्मीकि जी की जीवनीश्री जलाराम बापा की जीवनी
संत ज्ञानेश्वर जी की जीवनीरानी पद्मिनी की जीवनी
गुरु गोबिंद सिंह जी की जीवनीपन्ना धाय की जीवनी
भक्त पीपा जी की जीवनीमहाराणा कुंभा की जीवनी
गुरुभक्त एकलव्य जी की जीवनीमहाराणा सांगा की जीवनी
वेद व्यास जी की जीवनीसमर्थ गुरु रामदास की जीवनी
स्वामी हरिदास जी की जीवनीवेदव्यास जी की जीवनी
ठाकुर बिल्वमंगल की जीवनीगुरु अर्जुन देव की जीवनी
चैतन्य महाप्रभु की जीवनीदेवनारायण का जीवन परिचय
महर्षि दधीचि की जीवनीमहर्षि रमण का जीवन परिचय
स्वामी दादू दयाल की जीवनीरंतीदेव जी की जीवनी
संत नामदेव की जीवनीगोविंद गिरि की जीवनी
सन्त एकनाथ की जीवनीसन्त तुकाराम की जीवनी
संत रैदास की जीवनीसंत गुरु घासीदास जी की जीवनी
संत तिरुवल्लुवर की जीवनीसेवा मूर्ति ठक्कर बापा की जीवनी
स्वामी रामतीर्थ जी की जीवनीसंत माधवाचार्य जी की जीवनी
संत वल्लभाचार्य जी की जीवनीमत्स्येंद्रनाथ जी की जीवनी
राजर्षि अंबरीश की जीवनीदिव्यदृष्टा संजय की जीवनी
ठाकुर बिल्वमंगल की जीवनीगुरु तेग बहादुर की जीवनी
सप्तऋषियों की जीवनीमलूकदास जी की जीवनी
निम्बार्काचार्य जी की जीवनीसंत शेख सादी की जीवनी
भक्त प्रह्लाद की जीवनीमहारथी कर्ण की जीवनी
भक्त बालक ध्रुव की जीवनीजिज्ञासु नचिकेता की जीवनी
महारथी कर्ण की जीवनीगुरु भक्त अरुणी की जीवनी
भक्त उपमन्यु की जीवनीकृष्ण सखा उद्धव की जीवनी
महावीर स्वामी की जीवनीओशो की जीवनी

भारत के प्रमुख युद्ध

हल्दीघाटी का युद्धहल्दीघाटी का युद्ध 1576 ईचित्तौड़गढ़ किला
विश्व की प्राचीन सभ्यताएंझेलम का युद्धकलिंग युद्ध का इतिहास
1845 ई. में सिखों और अंग्रेजों का युद्धभारत चीन युद्ध 1962कश्मीर का इतिहास और युद्ध 1947-1948
सोमनाथ का युद्धतराइन का प्रथम युद्धतराइन का दूसरा युद्ध
पानीपत का प्रथम युद्धपानीपत की दूसरी लड़ाईपानीपत की तीसरी लड़ाई 1761 ई
खानवा की लड़ाई 1527नादिरशाह का युद्ध 1739 ईसवीप्लासी का युद्ध 1757 ई
Biography of Mahatma Zarathustra

भारत के राज्य और उनका इतिहास और पर्यटन स्थल

जम्मू कश्मीर का इतिहास और पर्यटन स्थलहिमाचल प्रदेश का इतिहास और पर्यटन स्थल
पंजाब का इतिहास और पर्यटन स्थलहरियाणा का इतिहास और पर्यटन स्थल
उत्तराखंड का इतिहास और पर्यटन स्थलपश्चिम बंगाल का इतिहास और पर्यटन स्थल
झारखंड का इतिहास और पर्यटन स्थलबिहार का इतिहास और पर्यटन स्थल
उत्तर प्रदेश का इतिहास और पर्यटन स्थलराजस्थान का इतिहास और पर्यटन स्थल
मध्य प्रदेश का इतिहास और पर्यटन स्थलछत्तीसगढ़ का इतिहास और पर्यटन स्थल
उड़ीसा का इतिहास और पर्यटन स्थलगुजरात का इतिहास और पर्यटन स्थल
Biography of Mahatma Zarathustra

1857 ईस्वी क्रांति और उसके महान वीरों की जीवनी और रोचक जानकारी

1857 ईस्वी क्रांति के महान वीरों की गाथा1857 की क्रांति में महान रानियों का योगदान
अजीजन बेगम की जीवनीअकबर खान की जीवनी
अज़ीमुल्लाह खान की जीवनीपृथ्वीराज चौहान III की जीवनी
आनंद सिंह जी की जीवनीअवन्ति बाई लोधी की जीवनी
अमरचंद बांठिया जी की जीवनीस्वामी दयानंद सरस्वती जी की जीवनी
बंसुरिया बाबा की जीवनीतात्या टोपे की जीवनी
मंगल पांडे की जीवनीमहारानी तपस्विनी की जीवनी
बेगम हजरत महल की जीवनीगोविंद गिरि की जीवनी
भास्कर राव बाबासाहेब नरगुंडकर कौन थेकुमारी मैना की जीवनी
महारानी जिंदा कौर की जीवनीवीर सुरेंद्र साय की जीवनी
झलकारी बाई की जीवनीवृंदावन तिवारी की जीवनी
तिलका मांझी की जीवनीसूजा कंवर राजपुरोहित की जीवनी
पीर अली की जीवनीबाबू कुंवर सिंह की जीवनी
ईश्वर कुमारी की जीवनीठाकुर कुशल सिंह की जीवनी
उदमी राम की जीवनीचौहान रानी की जीवनी
जगत सेठ रामजीदास गुड़ वाला की जीवनीजगजोत सिंह की जीवनी
ज़ीनत महल की जीवनीजैतपुर रानी की जीवनी
जोधारा सिंह जी की जीवनीटंट्या भील की जीवनी
ठाकुर रणमत सिंह की जीवनीनरपति सिंह जी की जीवनी
दूदू मियां की जीवनीनाहर सिंह जी की जीवनी
मौलवी अहमदुल्लाह फैजाबादी की जीवनीखान बहादुर खान की जीवनी
गोंड राजा शंकर शाह की जीवनीरंगो बापूजी गुप्ते की जीवनी
बरजोर सिंह की जीवनीराजा बलभद्र सिंह की जीवनी
रानी तेजबाई की जीवनीवीर नारायण सिंह जी की जीवनी
वारिस अली की जीवनीवलीदाद खान की जीवनी
झांसी की रानी लक्ष्मी बाई की जीवनीनाना साहब पेशवा की जीवनी
राव तुलाराम की जीवनीबाबू अमर सिंह जी की जीवनी
रिचर्ड विलियम्स की जीवनीबहादुर शाह ज़फ़री की जीवनी
राव रामबख्श सिंह की जीवनीभागीरथ सिलावट की जीवनी
महाराणा बख्तावर सिंह की जीवनीअहमदुल्लाह की जीवनी
Biography of Mahatma Zarathustra

Youtube Videos Links

आदिगुरु शंकराचार्य की जीवनीhttps://youtu.be/ChQNNnW5BpI
महादानी राजा बलि की जीवनीhttps://youtu.be/Xar_Ij4n2Bs
राजा हरिश्चंद्र की जीवनीhttps://youtu.be/VUfkrLWVnRY
संत झूलेलाल की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=oFiudeSc7vw&t=4s
महर्षि वाल्मीकि की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=PRg2D0b7Ryg&t=206s
संत ज्ञानेश्वर जी की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=-zo8M3i3Yys&t=38s
गुरु गोबिंद सिंह की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=amNaYHZm_TU&t=11s
भक्त पीपा जी की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=5MEJPD1gIJw
गुरुभक्त एकलव्य की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=jP5bUP6c2kI&t=232s
कृष्णसखा सुदामा की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=Y2hAmKzRKt4&t=217s
मीराबाई की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=d6Qe3dGN27M&t=3s
गौतम बुद्ध की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=ookD7xnURfw&t=4s
गुरु नानक जी की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=mHui7KiZtRg&t=21s
श्री कृष्ण की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=9bSOn2TiAEg&t=1s
भगवान श्री राम की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=aEaSpTMazEU&t=52s
मलूकदास जी की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=ALYqc0ByQ8g
श्री जलाराम बापा की जीवनीhttps://www.youtube.com/watch?v=s2xbAViUlfI&t=6s
Biography of Mahatma Zarathustra

FAQs

Q- महात्मा जरथुस्त्र का जन्म कहाँ हुआ था?

Ans- महात्मा जरथुस्त्र पारसी धर्म के संस्थापक थे, जरथुस्त्र का जन्म प्राची ईरान में स्पित्मा अजरबेजान नगर में ईसा से 600 वर्ष पूर्व हुआ था

भारत की संस्कृति

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *