biography of jesus christ || ईसा मसीह का जीवन परिचय

By | December 26, 2023
Eesa maseeh kee jeevanee
Eesa maseeh kee jeevanee

इस संसार में हिन्दू-मुस्लिम, सिक्ख, पारसी तथा ईसाई धर्म का विशेष महत्वपूर्ण स्थान रहा है. भारतीय समाज में ईसाई धर्म का तीसरा स्थान है. और विश्व में तो इस धर्म के अनुयायी कोने-कोने में निवास करते है. इस धर्म के पर्वतक ईसा मसीह थे. यह धर्म अपने मानवतावादी आदर्शो के कारण विश्वविख्यात है. हम यहाँ ईसा मसीह की जीवनी (Eesa maseeh kee jeevanee). और ईसा मसीह के चमत्कार, और शिक्षाएं की वो रोचक और अद्भुत जानकारी शेयर करने वाले है. जिसके बारे में आप अबसे पहले अनजान थे. तो दोस्तों चलते है और जानते है, ईसा मसीह की आश्चर्यजनक विशेष जानकारी.

ईसा मसीह कौन थे? ईसा मसीह का जीवन परिचय

यीशु या यीशु मसीह जिनको ईसा मसीह, जीसस क्राइस्ट आदि नामों से जाना जाता है. और जिन्हें नासरत का यीशु भी कहा जाता है का जन्म एक कुंवारी माँ माता मरियम की कोख़ से हुआ था. जीसस क्राइस्ट ईसाई पन्थ के प्रवर्तक हैं. ईसाई लोग उन्हें परमपिता परमेश्वर का पुत्र और ईसाई त्रिदेव परमेश्वर का तृतीय सदस्य मानते हैं. इनके जन्म की कई कहानी है, पर जो सर्व मान्य है, ईसाई धर्म के प्रवर्तक महात्मा ईसा मसीह थे ईसा का जन्म यहूदियों के वेथलेहेम में राजा हेरोध के समय हुआ था. उनकी माता मरियम की मंगनी युसूफ से हुई थी. किंतु उनके साथ रहने से पूर्व ही मरियम पवित्र आत्मा से गर्भवती हो गई थी.

उनके पति युसूफ चुपके से मरियम का परित्याग करने की सोच रहे थे. क्योंकि वे धर्मी थे, परित्यागपत्र देने हेतु कचहरी में बुलाकर बदनाम नहीं करना चाहते थे. वे मरियम की संतान के पिता बनने का सास भी नहीं कर पा रहे थे. वे इस दुविधा में थे, की स्वपन में प्रभु के दूत यह कहते हुए दिखाई दिए. युसूफ दाऊद की संतान अपनी पत्नी मरियम को अपने यहां लाने से नहीं डरे. क्योंकि उनके जो गर्भ में है वह पवित्र आत्मा है. वे पुत्र प्रसव करेगी और आप उसका नाम ईशा रखेंगे. क्योंकि वे अपने लोगों को पापों से मुक्त करेगा. नबी के मुख से प्रभु ने कहा था देखो, एक कुंवारी गर्भवती होगी और पुत्र प्रसव करेगी.

ईसा मसीह के पिता को क्या सपना आया था?

और उसका नाम एम्मानुएल रखा जाएगा, जिसका अर्थ है ईश्वर हमारे साथ है. इस प्रकार युसूफ नींद से उठ कर प्रभु के दूत की आज्ञा अनुसार अपनी पत्नी को अपने यहां ले आया. इस प्रकार ईसा मसीह का जन्म हुआ इसके बाद ज्योतिषी के यरूशलेम आये. उन्होंने देखा आकाश में तारा उदित हुआ है. जो नवजात ईसा के जन्म का सूचक व प्रतीक था. व तारा बेथलेहम की भूमि पर आगे आगे चलता रहा और जहाँ बालक था, उस जगह के ऊपर पहुंचने पर ठहर गया था. घर में प्रवेश कर उन लोगो ने बालक को उसकी माता मरियम के साथ देखा.

Summary

नामयीशु
उपनामयीशु मसीह, ईसा मसीह, जीसस क्राइस्ट, नासरत का यीशु
जन्म स्थानवेथलेहेम (बैतलहम)
जन्म तारीख4 ई.पू
वंश
माता का नाममरियम
पिता का नामयुसूफ
पत्नी का नाम
उत्तराधिकारीकोई नहीं
भाई/बहनकोई नहीं
प्रसिद्धिईसाई धर्म के पर्वतक
रचनाबाइबल
पेशाधर्म गुरु
पुत्र और पुत्री का नामकोई नहीं
गुरु/शिक्षकईसा योहन
देशयरूशलेम
राज्य क्षेत्ररोमन साम्राज्य
धर्मईसाई
राष्ट्रीयतारोमन
भाषाअंग्रेजी
मृत्यु30 ई.
मृत्यु स्थानयरुशलम
जीवन काल33 वर्ष
पोस्ट श्रेणीEesa maseeh kee jeevanee (ईसा मसीह की जीवनी)
Eesa maseeh kee jeevanee

यीशु मसीह की कहानी

ईसा मसीह के जन्म के बाद, प्रभु के दूत युसफ को स्वप्न में दिखाई दिए और बोले, बालक और की माता को लेकर मिस्र देश भाग जाइए नहीं तो राजा हैरोद उसे ढूढ़कर मरवा डालेगा. युसूफ उसी रात बालक और उसकी माता मरियम को लेकर मिस्र देश चला गया. हैरोद को यह जानकर बहुत क्रोध आया कि ज्योतिषियों ने मुझे धोखा दिया. उसने अपने सेनिको को भेजकर ज्योतिषियों द्वारा ज्ञात तिथियों के समय के अनुसार बेथलेहम और आसपास के उन सभी बालकों को मरवा डाला, जो 2 वर्ष या उससे कम थे. हैरोद की मृत्यु के बाद प्रभु के दूत को मिस्र देश में युसफ को स्वपन में दिखाई दिए. और बोले उठिए बालक और उसकी माता को लेकर इजराइल देश चले जाइए. इसके बाद यूसुफ इजराइल चला गया. फिर स्वपन दर्शन के अनुसार गलीलिया के नाजरेत नामक नगर में जा बसा.

वही प्रभु ईसा तुरंत जल से बाहर निकले स्वर्ग का द्वार खुल गया. ईश्वरीय आत्मा के प्रतिक के पास आए और स्वर्ग से यह वाणी सुनाई दी, यह मेरा प्रिय है मैं इन पर प्रसन्न हूं इसके बाद शैतान ईशा को निरंजन स्थान पर ले गए. जहां शैतान उनकी परीक्षा ले ले, ईशा 40 दिन 40 रात को उपवास करते रहे. उन्हें भूख लगी तो परीक्षकों ने कहा यदि आप ईश्वर के पुत्र हैं तो इन पत्थर को रोटियां बना दो. ईसा ने कहा मनुष्य रोटी से नहीं जीता, वह तो ईश्वर के मुख से निकलने वाले हर एक शब्द में जीता है. शैतानो ने उनकी तरह तरह के परीक्षा लेनी चाही जब वे पराजित हो गए. तो ईशा ने कहा अपने प्रभु ईश्वर की आराधना और सेवा करो, यहां से हट जाओ शैतान उन्हें छोड़ चल दिए. फिर स्वर्ग दूतों ने उनकी परिचया की.

यीशु मसीह (ईसा मसीह) के चमत्कार

इसके बाद ईसा योहन की गिरफ्तारी की खबर पाकर गलीलिया चले आये. यहां के संभागों में वे शिक्षा देते राज्य के समाचारों का प्रचार करते रहे और लोगों की हर तरह की बीमारी और निर्मलता को दूर करते हुए गलीलिया में घूमते रहे. उनका नाम सीरिया में फैल गया. उन्होंने मिर्गी, लकवा तथा अन्य रोग पीड़ितों लोगों को कल्याण किया. उनके उपदेशों और चमत्कारों से प्रेरित होकर उनके लाखों श्रद्धालु उनके पास उनके साथ चलते थे. उनके प्रमुख चमत्कारों में कोढ़ी को स्वास्थ्य लाभ, पेत्रुस की सास को चंगा करना, रक्त स्त्राव पीड़िता को ठीक करना, रेगिस्तान में उनके राज्यों के पास मात्र 5 रोगियों को अनेक रोटियों में बदलकर भूखी प्यासी जनता की रक्षा और भूख को शांत करना। और सात टोकरे को रोटी से भर देना चमत्कारी शक्ति के परिणाम थे.

ईसा मसीह का संघर्ष

ईशा की चमत्कारिक शक्ति एवं ईश्वरीय शक्ति से ईर्ष्या ग्रस्त होकर कुछ ईर्ष्यालु धर्मी लोगों ने ईशा को छल से गिरफ्तार करने का षड्यंत्र रचा. इस षड्यंत्र में उनके 12 शिष्यों में से जूदस नाम के शिष्य ने 30 चांदी के सिक्कों के बदले उन्हें पकड़वाने का दुष्कर्म किया. अपनी मृत्यु से पूर्व ईसा 12 शिष्यों के साथ भोजन करते हुए यह भविष्यवाणी भी कर गए थे. की तुम में से एक मुझे पकड़वा देगा. ईसा के विश्वासघाती जूदस ने पूछा था. कहीं वह मैं तो नहीं, ईशा ने उत्तर दिया तुमने ठीक ही कहा है. परमप्रसाद में ईशा ने प्रार्थना पढ़ने के बाद रोटी को भोजन करते समय तोडा और शिष्यों को बांटते हुए कहा था. यह मेरा शरीर है, प्याले में जल लेकर कहा था. यह मेरा रक्त है, जो विधान का रक्त है बहुतों के पाप छमा के लिए बहाया जा रहा है.

जैतून पहाड़ी पर जाते हुए उन्होंने शिष्यों को विचलित न होने हेतु कहा. ईशा की भविष्यवाणी के अनुसार जो जूदस एक बड़ी भीड़ लेकर लाठियों के साथ आ खड़ा हुआ. जिसे महायाजकों और जनता के नेताओं ने भेजा था. विश्वासघाती जूदस ने उन्हें संकेत दिया था, मैं जिसका चुंबन करूंगा उसे ही पकड़ना. विश्वासघाती जूदस ने गुरुवर प्रणाम कहकर ईशा का चुंबन किया. ईशा को गिरफ्तार कर लिया गया, महायाजकों और सारी महासभा ने ईशा को मरवाने हेतु झूठी गवाही ढूंढी. निक्षेप निरपराध ईशा को फांसी देने का फैसला किया गया. उनके विरोधियों ने उनके कपड़े उतार लिए, उनके सिर पर कांटों का मुकुट रखा. दाहिनी हाथ में सरकंडा थमा दिया, यहाँ सब उनका उपहास उड़ाते थे. सरकंडे छीन कर उनके सिर पर मारते हुए कहते थे यहूदियों के राजा प्रणाम यदि तू ईश्वर का पुत्र है तो क्रॉस से उत्तर जा.

ईसा मसीह ने ऊँचे स्वर में अपने ईश्वर को पुकारा था?

दूसरों को बचाने वाले स्वय को बचा. ईशा ने ऊंचे स्वर में अपने ईश्वर को पुकारा था. एली एली लेमा सबाख्तांइ. अथार्थ हे ईश्वर हे ईश्वर तूने मुझे क्यों त्याग दिया. ईशा ने जैसे ही प्राण त्यागे, वैसे ही मंदिर के पर्दे ऊपर से नीचे दो भागों में फट गए. पृथ्वी काँप उठी, चटाने फट गयी. और कब्रे खुल गई और बहुत संतो के शरीर पुनः जीवित हो गई. यह सब देख कर सब बोल उठे यह तो ईश्वर का पुत्र था. इसके बाद जूदस ने पश्चाताप करते हुए महायाजकों और नेताओं को चांदी के 30 सिक्के लौटाते हुए कहा. मैंने निर्दोष के रक्त का सौदा कर पापा किया है. इसके बाद उसने फांसी लगा ली. उसकी कीमत से जो कुम्हारों की जमीन खरीदी गई वह रक्त की जमीन कहलाती है.

जीसस क्राइस्ट का अंतिम समय और भविष्यवाणी

ईसा ने अपनी मृत्यु से पूर्व 3 दिन बाद पुनर्जीवित होने की भविष्यवाणी की थी. उनके विरोधियों ने कब्र के ऊपर पत्थर रखवा दिए. ताकि ईसा के शिष्य उनके शव को चुरा कर न ले जा सके. सप्ताह के प्रथम दिन पो फटते ही, प्रभु का एक दूत पत्थर लुढ़काकर उस पर बैठ गया. पहरेदार थर थर कांपने लगे, उसने बताया कि वह जी उठे. आप लोग उनके दर्शन करने के लिए गलीलिया जाइए। मार्ग में उन्होंने स्त्रियों को दर्शन दिए, इसके बाद अपने शिष्य को संदेश देकर यह कहा कि तुम लोग जाकर सब राष्ट्रों को शिष्य बनाओ. और उन्हें पिता पुत्र तथा पवित्र आत्मा के नाम पर बपतिस्मा दो. मैंने तुम्हें जो जो आदेश दिए हैं, तुम उनका पालन करना. उन्हेँ शिखावो और याद रखो मैं संसार के अंत तक तुम्हारे साथ हूं.

उपसंहार

ईसाई धर्म वस्तुतः विभिन्न मतों के संघों के रूप में एक संगठित धर्म है. चर्च संगठन में धर्म अधिकारियों के स्पष्ट पदसोपान हैं. ईसाई पादरियों और ननों ने वास्तव में समाज तथा मानव सेवा के लिए अपना जीवन समर्पित किया है. और कर रहे हैं. हालांकि समय-समय पर उन पर प्रलोभन देकर सेवा की आड़ में धर्म परिवर्तन के आरोप लगते रहे हैं. किंतु मदर टेरेसा जैसे समाजसेवियों ने अपनी सेवा से तथाकथित विरोधियों को स्पष्ट जवाब दिया है. ईसाई धर्म अपनी विभिन्न विचार धारा के कारण दो संप्रदायों १ कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट में बट गया है. भारतीय संस्कृति एवं राजनीतिक मुख्यधारा के साथ जुड़कर इस संप्रदाय ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है. इस धर्म के अनुयाई हमारे देश में काफी मात्रा में है.

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FAQs

Q- जीसस क्राइस्ट (ईसा मसीह) का जन्म कब हुआ था?

Ans- ईसा (जीसस) का जन्म संभव: 4 ई. पू. में माना गया है.

Q- ईसा पूर्व या ईसा की तारीख में क्या महत्व है?

Ans- ईसा मसीह या जीसस के जन्म के पूर्व कोई भी घटना हुई या उसके बाद कोई घटना हुई उसको अंग्रेजी क्लैंडर के अनुसार ईसा को आधार माना जाता है. जैसे हजरत मोहमद साहब का जन्म ६३२ ईसा पूर्व माना गया है.

भारत की संस्कृति

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