दोस्तों हम यहाँ करणी माता मंदिर देशनोक बीकानेर राजस्थान के बारे में वो जानकारी साझा कर रहे हैं. जिसके बारे में शायद ही आपको आज से पहले पता होगी. दोस्तों, करणी माता के अनुयायी होने के नाते हमारे मन में कई तरह के विचार और सवाल आते है जैसे?. करणी माता मंदिर में चूहे क्यों होते हैं?. क्या चूहा दूध पी सकता है?.करणी माता किसकी कुलदेवी है?. श्री करणी माता के पति का क्या नाम था?. इंद्र बाईसा का जन्म कब हुआ था?. करणी माता (Karni Mata Temple Deshnok) का मंदिर राजस्थान के बीकानेर में ही क्यों बनाया गया आदी. ऐसे अनेक सवालो के जवाब दोस्तों आज आपको इस आर्टिकल में मिल जायेगे, तो दोस्तों बने रहे हमारे साथ अंत तक.
करणी माता मंदिर देशनोक का इतिहास?
दोस्तों, आप जानते हैं कि राजस्थान अपनी ऐतिहासिक विरासत और चमत्कारिक मंदिरों के लिए पूरे देश और विदेश में प्रसिद्ध है. राजस्थान में करणी माता का मंदिर भी बहुत प्रसिद्ध है. इस मंदिर में भक्तों की तुलना में काले चूहे अधिक देखे जाते हैं, हालांकि कभी-कभी सफेद चूहे भी दिखाई देते हैं. वैसे चूहों को यहाँ ‘काबा’ कहा जाता है. और इन काबा को दूध, लड्डू और अन्य खाद्य पदार्थों के साथ परोसा जाता है. मान्यता है कि इस मंदिर में दर्शन करने आने वाले भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है. करणी माता का मंदिर, जिसे ‘चूहों के साथ चूहे’ या ‘चूहों वाला मंदिर’ के नाम से भी जाना जाता है. यह मंदिर राजस्थान के ऐतिहासिक शहर बीकानेर से लगभग 30 किमी दूर देशनोक में स्थित है.
करणी माता मंदिर देशनोक बीकानेर में स्थित है. नवरात्रों के दिनों में यहाँ मेला भरता है. दोस्तों “देशनोक” की स्थापना स्वय करणी माता जी ने की थी. करणी माता के जन्म का नाम ‘रिद्धि” बाई था. श्री करणी माता मंदिर के मुख्य दरवाजे के पास ‘सावण-भादवा’ नामक दो कड़ाहे रखे हुए है. दोस्तों जब भी आपको करणी माता देशनोक मंदिर जाना होगा. आप माता मंदिर के सफ़ेद चूहे (काबा) और ‘सावण-भादवा’ नामक दो कड़ाहे जरूर देखना.
Summary
श्रेणी | मंदिर |
नाम | करणी माता |
उपनाम | चूहों वाली माता मंदिर, चूहों वाला मंदिर |
अवतार | माँ जगदम्बा/माँ दुर्गा |
जन्म तारिक | 1387 ईस्वी |
जन्म स्थान | सूआप गांव, बीकानेर राजस्थान |
मंदिर का नाम | करणी माता मंदिर |
मंदिर स्थान | NH 89, देशनोक, बीकानेर, राजस्थान 334801 |
स्थापित | संवत 1595 की चैत्र शुक्ल |
धर्म | हिन्दू |
मंदिर का पता | राजस्थान के बीकानेर के देशनोक |
भगवान/देवता | करणी माता |
मंदिर का उपनाम | चूहों वाला मंदिर |
बचपन का नाम | रिघुबाई |
पति का नाम | किपोजी चारण |
स्थापित | करणी माता जी |
आधिकारिक वेबसाइट | www.matakarnitemple.com |
ईमेल आईडी | — |
संपर्क | — |
देश | भारत |
राज्य/संघ राज्य क्षेत्र | राजस्थान |
जिला | बीकानेर |
मृत्यु | — |
पोस्ट श्रेणी | Karni Mata Temple Deshnok (करणी माता मंदिर देशनोक) |
राजस्थान के जिलों का इतिहास और पर्यटन स्थल और रोचक जानकारी
History Of Karni Mata Mandir Deshnok Bikaner
बीकानेर राजस्थान अपनी ऐतिहासिक विरासत और चमत्कारिक मंदिरों के लिए पूरे देश, दुनिया में प्रसिद्ध है. बीकानेर से करीब 30 किमी दूर देशनोक में करणी माता का मंदिर है. जिसे माता वाली मंदिर, चूहे वाला मंदिर और मूषक मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. रणी माता जिन्हे की भक्त माँ जगदम्बा का अवतार मानते है. माता करणी का जन्म 1387 में एक चारण परिवार में हुआ था. उनका बचपन का नाम रिघुबाई था.
माता रिगुबाई का विवाह सथिका गांव के किपोजी चारण से हुआ था. लेकिन शादी के कुछ समय बाद ही उनका मन सांसारिक जीवन से ऊब गया था. इसलिए, माता रिगुबाई ने अपने पति किपोजी चरण का विवाह अपनी छोटी बहन गुलाब से कर दिया था. और खुद को माँ की भक्ति और लोगों की सेवा में लगा दिया. लोक कल्याण, अलौकिक कार्यों और चमत्कारी शक्तियों के कारण स्थानीय लोग करणी माता के नाम से रिघु बाई की पूजा करने लगे. वर्तमान में, करणी माता अपनी इष्ट देवी की पूजा देशनोक बीकानेर की एक गुफा में रहा करती थी जहाँ यह मंदिर स्थित है. यह गुफा आज भी देशनोक बीकानेर मंदिर परिसर में स्थित है.
करणी माता की जीवनी (Biography of Karni Mata)
माता रिघुबाई की शादी साठिका गाँव के किपोजी चारण से हुई थी. लेकिन शादी के कुछ समय बाद ही उनका मन सांसारिक जीवन से ऊब गया .इसलिए माता रिघुबाई ने अपने पति किपोजी चारण की शादी अपनी छोटी बहन गुलाब से करवाकर खुद को माता की भक्ति और लोगों की सेवा में लगा दिया. जनकल्याण, अलौकिक कार्य और चमत्कारिक शक्तियों के कारण रिघु बाई को करणी माता के नाम से स्थानीय लोग पूजने लगे. वर्तमान में देशनोक बीकानेर में जहाँ यह मंदिर स्तिथ है वहां पर एक गुफा में करणी माता अपनी इष्ट देवी की पूजा किया करती थी. यह गुफा आज भी देशनोक बीकानेर मंदिर परिसर में स्थित है.
कहते हैं कि राव जोधा की कड़वी बातों से नाराज होकर उसके छोटे बेटे राव बीका ने मेहरानगढ़ जोधपुर छोड़ दिया. निकलते वक़्त उसने अपने पिता से कहा कि वो खुद अपना राज्य स्थापित करके दिखा देगा. साल था सन 1465 जब राव बीका जोधपुर से निकला तो उसके पास 100 घुड़सवारों और 500 पैदल की छोटी सी सेना थी. और साथ थे उसके चाचा रावत कांधल. बीका अपने लश्कर के पास फिर जांगलू पहुंचा. यहां वो फिर से उसी महिला की शरण में था जिसने किसी दौर में उसके दादा और बाद में उसके पिता को शरण दी थी. करणी माता की सलाह पर राव बीका ने धीरे-धीरे करके जांगलू के छोटे-छोटे ग्राम राज्यों पर कब्जा जमाना शुरू किया. आगे जाकर बिका ने बीकानेर की स्थापित किया था. राव बिका ने करनी माता को बीकानेर स्थापित करते समय बीकानेर बुलाया था.
करणी माता के चमत्कार
Why are there rats in Karni Mata temple?/करणी माता और उनके चूहे की कहानी?
कहा जाता है की करणी माता की छोटी बहन जिनका नाम देपा था. उनके के घर चार लड़के पैदा हुए. कहा जाता है ये बच्चे करणी माता के पास ही पले बड़े हुए. देपा के चारों लड़कों को करणी माता ने अपने बच्चों की तरह प्यार करती थीं. कालान्तर में इन चारों लड़कों के वंशज देपावत चारण के नाम से जाने गए. देपावत माने देपा के बेटे करणी माता के साथ ही रहते. करणी माता के जाने बाद यह लोग उनके मंदिर के पुजारी बने. देशनोक बीकानेर जहां करणी माता का मंदिर है वहां आज भी देपावत चारणों के चार मोहल्ले बसे हुए हैं. यहाँ के लोगो की मान्यता यह है. कि क्योंकि देपावत करणी माता के परिवार के सदस्य है.
इसलिए उन्हें स्वर्ग और नरक के चक्कर से मुक्ति मिल चुकी है. अगर कोई देपावत चारण मरता है वो करणी माता के मंदिर में चूहा बनकर पैदा होता है. इन्हें स्थानीय भाषा में काबा कहा जाता है. करणी माता के मंदिर में सैंकड़ो की तादाद में चूहें इस वहज से इसे चूहों वाली देवी के रूप जाना जाता है.
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Other Information
Temple Name | Karni Mata Temple Deshnok |
Temple Location | Deshnok Bikaner Rajsthan |
When does Karni Mata temple fair(Mela) start? | Karni Mata Fair is held twice a year during the Navratri(In the Months Of March-April And October Or November) |
Karni Mata Name? | Karani Mata/Her childhood name was Rihubai. |
Karni Mata Husband Name? | Kipoji Charan |
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Where is the rat temple? (चूहा का मंदिर कहाँ है?)
Karni Mata Temple is also known as Rate Temple. Which is located in Deshnok town of Bikaner district of Rajasthan state, India. Because in this temple you will see rats moving everywhere. That’s why everyone knows it as a rat temple.
चूहों की पूजा किस देश में की जाती है?
भारत में करणी माता मंदिर देशनोक बीकानेर राजस्थान में चूहों की पूजा की जाती है. यहां करणी माता मंदिर में सफेद चूहों सहित हर जगह चूहे घूम होते हैं. ऐसा माना जाता है कि अगर आप करणी माता के मंदिर में सफेद चूहा देखते हैं, तो यह आपके जीवन में सुख-समृद्धि लाएगा.
क्या भारत में चूहे पवित्र हैं?
भारत में बहुत सी जगह है जहां आज में चूहा की पूजा की. लेकिन सब से बड़े चूहा के मंदिर के रूप में श्री करणी माता मंदिर फेमस हुआ है. जो की राजस्थान के बीकानेर जिले के देशनोक कबीले में है. यहाँ साल भर भगतों की लाइन लगी रहती है.
चूहों का देवता कौन है?
Who is the God of rats?. हिन्दू ग्रंथो और पुराने मान्यताओ के अनुसार धरती के रचियता श्री गणेश जी महाराज चूहों पर सवारी करते थे और उनको चूहों का देवता कहा जाता है. गणेश जी को कार्तिक ,मयूर आदि नाम से भी जाना जाता है.
Overview
करणी माता का बचपन का क्या नाम था | रिघुबाई |
करणी माता का जन्म कहाँ हुआ था? | देशनोक बीकानेर राजस्थान |
> करणी माता के कितनी बहने थी!! | सात बहन थी |
करणी माता किसका अवतार है? | माँ दुर्गा का अवतार थी |
करणी माता का ससुराल कहा था? | चूरू में छोटड़िया गांव |
करणी माता के पति का क्या नाम था? | देवाजी बीठू (Kipoji Charan) |
करणी माता की इष्ट देवी कौन थी? | Update Soon |
करणी माता मंदिर में सफेद चूहों को क्या कहते हैं? | करणी माता मंदिर में सफेद चूहों काबा नाम से पुकारते है |
करणी माता का जन्म कौन से जिले में हुआ था? | बीकानेर राजस्थान |
Can a rat drink milk? Does the mouse drink milk?
Yes friends, rats can drink very small amounts of milk and can also eat food, but its quantity is very small. हा दोस्तों चूहे बहुत कम मात्रा में दूध पी सकते हैं और खाना भी खा सकते है लेकिन इसकी मात्रा बहुत कम होती है.
करणी माता मंदिर में क्या है खास?
बीकानेर में करणी माता के बहुत चमत्कार हुए है. जिनमे हम पूरा वर्णन नहीं कर पाएंगे. मुख्य तोर पर राजपूत समाज में बच्चे के जन्म के बाद पहली धोक करणी माता मंदिर में लगायी जाती है. इसका करण और मान्यता भी है. करणी माता बच्चो और बड़ो को बीमारी से बचाती. हाल ही सोसल मीडिया में बीकानेर में करणी माता के चमत्कार खबरे आयी थी. की श्री करणी माता के आशीर्वाद से लोगो के घर की छत पर नीम के पते मिले जो क्रोना जैसे बीमारी से रक्षा के लिए होंगे.
करणी माता किसकी कुलदेवी है?
तत्कानलीन बीकानेर के राठौड़ शासकों की कुलदेवी करणी माता जी थी जो की “चूहों वाली देवी” के नाम से भी विख्यात हुई. करणी माता जी के आशीर्वाद से ही राव बीका ने बीकानेर राज्य की स्थापना की थी. इनका जन्म सूआप गांव में चारण जाति के श्री मेंहा जी के घर जन्म 1387 हुआ था.
श्री करणी माता का मेला कब भरता है?
करणी माता जी का मेला देशनोक बीकानेर में साल में दो बार नवरात्रे के टाइम भरता है. पहला मार्च से अप्रैल महीने में और दूसरा मेला अक्टूबर/नवंबर महीने में लगता है.
करणी माता मंदिर में सफेद चूहों को क्या कहते हैं?
लोकल राजस्थानी भाषा में बीकानेर के देशनोक एरिया के आस पास के लोग सफ़ेद चूहों को काबा बोलते है. और ये चूहे काबा के नाम से फेमस हुए.
इंद्र बाईसा का जन्म कब हुआ?
वर्तमान में नागौर जिले के अन्तर्गत खुड़द नामक गाँव में श्री आवड़ जी एवं श्री करणी जी के रूप में सुश्री इन्द्र बाई अवतरित हुई थी. श्रीमती धापूबाई की कूख से वि.स. 1964 के आषाढ शुक्ला नवमी शुक्रवार के दिन पूजनीया श्री इन्द्रकुंवर बाई का अवतरण हुआ. जो दृष्टिगत एक प्रत्यक्ष रूप में देह नाम पर सुश्री इन्द्र बाई नाम से प्रसिद्ध हैं. खुड़द ग्राम फुलेरा से मेड़ता रोड जाने वाली रेलवे लाईन पर स्थित बेसरोली स्टेशन से लगभग दो मील पश्चिमोत्तर में है.
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Frequently Asked Questions
Ans- बीकानेर के महाराजा रायसिंह ने मुग़ल बादशाह अकबर के कहने पर बीकानेर में माँ भद्रकाली मंदिर की स्थापना की थी.
Ans- Karni Mata Temple is at Deshnok in Bikaner.
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