Karni Mata Mandir | चूहों का मंदिर कहाँ स्थित है?

By | December 6, 2023
Karni Mata Temple Deshnok
Karni Mata Temple Deshnok

दोस्तों हम यहाँ करणी माता मंदिर देशनोक बीकानेर राजस्थान के बारे में वो जानकारी साझा कर रहे हैं. जिसके बारे में शायद ही आपको आज से पहले पता होगी. दोस्तों, करणी माता के अनुयायी होने के नाते हमारे मन में कई तरह के विचार और सवाल आते है जैसे?. करणी माता मंदिर में चूहे क्यों होते हैं?. क्या चूहा दूध पी सकता है?.करणी माता किसकी कुलदेवी है?. श्री करणी माता के पति का क्या नाम था?. इंद्र बाईसा का जन्म कब हुआ था?. करणी माता (Karni Mata Temple Deshnok) का मंदिर राजस्थान के बीकानेर में ही क्यों बनाया गया आदी. ऐसे अनेक सवालो के जवाब दोस्तों आज आपको इस आर्टिकल में मिल जायेगे, तो दोस्तों बने रहे हमारे साथ अंत तक.

करणी माता मंदिर देशनोक का इतिहास?

दोस्तों, आप जानते हैं कि राजस्थान अपनी ऐतिहासिक विरासत और चमत्कारिक मंदिरों के लिए पूरे देश और विदेश में प्रसिद्ध है. राजस्थान में करणी माता का मंदिर भी बहुत प्रसिद्ध है. इस मंदिर में भक्तों की तुलना में काले चूहे अधिक देखे जाते हैं, हालांकि कभी-कभी सफेद चूहे भी दिखाई देते हैं. वैसे चूहों को यहाँ ‘काबा’ कहा जाता है. और इन काबा को दूध, लड्डू और अन्य खाद्य पदार्थों के साथ परोसा जाता है. मान्यता है कि इस मंदिर में दर्शन करने आने वाले भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है. करणी माता का मंदिर, जिसे ‘चूहों के साथ चूहे’ या ‘चूहों वाला मंदिर’ के नाम से भी जाना जाता है. यह मंदिर राजस्थान के ऐतिहासिक शहर बीकानेर से लगभग 30 किमी दूर देशनोक में स्थित है.

करणी माता मंदिर देशनोक बीकानेर में स्थित है. नवरात्रों के दिनों में यहाँ मेला भरता है. दोस्तों “देशनोक” की स्थापना स्वय करणी माता जी ने की थी. करणी माता के जन्म का नाम ‘रिद्धि” बाई था. श्री करणी माता मंदिर के मुख्य दरवाजे के पास ‘सावण-भादवा’ नामक दो कड़ाहे रखे हुए है. दोस्तों जब भी आपको करणी माता देशनोक मंदिर जाना होगा. आप माता मंदिर के सफ़ेद चूहे (काबा) और ‘सावण-भादवा’ नामक दो कड़ाहे जरूर देखना.

Karni Mata Mandir
Karni Mata Temple Deshnok

Summary

श्रेणीमंदिर
नामकरणी माता
उपनामचूहों वाली माता मंदिर, चूहों वाला मंदिर
अवतारमाँ जगदम्बा/माँ दुर्गा
जन्म तारिक1387 ईस्वी
जन्म स्थान सूआप गांव, बीकानेर राजस्थान
मंदिर का नामकरणी माता मंदिर
मंदिर स्थानNH 89, देशनोक, बीकानेर, राजस्थान 334801
स्थापितसंवत 1595 की चैत्र शुक्ल
धर्महिन्दू
मंदिर का पताराजस्थान के बीकानेर के देशनोक
भगवान/देवताकरणी माता
मंदिर का उपनामचूहों वाला मंदिर
बचपन का नाम रिघुबाई
पति का नामकिपोजी चारण
स्थापितकरणी माता जी
आधिकारिक वेबसाइटwww.matakarnitemple.com
ईमेल आईडी
संपर्क
देशभारत
राज्य/संघ राज्य क्षेत्रराजस्थान
जिलाबीकानेर
मृत्यु
पोस्ट श्रेणीKarni Mata Temple Deshnok (करणी माता मंदिर देशनोक)
Karni Mata Temple Deshnok

राजस्थान के जिलों का इतिहास और पर्यटन स्थल और रोचक जानकारी

झुंझुनू जिले का इतिहास और झुंझुनू क्यों प्रसिद्ध हैझुंझुनू के प्रसिद्ध घूमने लायक जगह
चूरू जिले का इतिहास और चूरू क्यों प्रसिद्ध हैचूरू के प्रसिद्ध पर्यटक स्थल
नागौर जिले का इतिहास और नागौर क्यों प्रसिद्ध हैबीकानेर जिले का इतिहास और बीकानेर क्यों प्रसिद्ध है
सीकर जिले का इतिहास और सीकर क्यों प्रसिद्ध हैटोंक जिले का इतिहास और टोंक क्यों प्रसिद्ध है
जोधपुर जिले का इतिहास और जोधपुर क्यों प्रसिद्ध हैकोटा जिले का इतिहास और कोटा क्यों प्रसिद्ध है
अजमेर जिले का इतिहास और अजमेर क्यों प्रसिद्ध हैबूंदी जिले का इतिहास और बूंदी क्यों प्रसिद्ध है
भीलवाड़ा जिले का इतिहास और भीलवाड़ा क्यों प्रसिद्ध हैबारा जिले का इतिहास और बारा क्यों प्रसिद्ध है
झालावाड जिले का इतिहास और झालावाड क्यों प्रसिद्ध हैश्रीगंगानगर जिले का इतिहास और श्रीगंगानगर क्यों प्रसिद्ध है
हनुमानगढ़ जिले का इतिहास और हनुमानगढ़ क्यों प्रसिद्ध हैपाली जिले का इतिहास और पाली क्यों प्रसिद्ध है
सिरोही जिले का इतिहास और सिरोही क्यों प्रसिद्ध हैशेखावाटी का इतिहास
Karni Mata Temple Deshnok

History Of Karni Mata Mandir Deshnok Bikaner

बीकानेर राजस्थान अपनी ऐतिहासिक विरासत और चमत्कारिक मंदिरों के लिए पूरे देश, दुनिया में प्रसिद्ध है. बीकानेर से करीब 30 किमी दूर देशनोक में करणी माता का मंदिर है. जिसे माता वाली मंदिर, चूहे वाला मंदिर और मूषक मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. रणी माता जिन्हे की भक्त माँ जगदम्बा का अवतार मानते है. माता करणी का जन्म 1387 में एक चारण परिवार में हुआ था. उनका बचपन का नाम रिघुबाई था.

माता रिगुबाई का विवाह सथिका गांव के किपोजी चारण से हुआ था. लेकिन शादी के कुछ समय बाद ही उनका मन सांसारिक जीवन से ऊब गया था. इसलिए, माता रिगुबाई ने अपने पति किपोजी चरण का विवाह अपनी छोटी बहन गुलाब से कर दिया था. और खुद को माँ की भक्ति और लोगों की सेवा में लगा दिया. लोक कल्याण, अलौकिक कार्यों और चमत्कारी शक्तियों के कारण स्थानीय लोग करणी माता के नाम से रिघु बाई की पूजा करने लगे. वर्तमान में, करणी माता अपनी इष्ट देवी की पूजा देशनोक बीकानेर की एक गुफा में रहा करती थी जहाँ यह मंदिर स्थित है. यह गुफा आज भी देशनोक बीकानेर मंदिर परिसर में स्थित है.

करणी माता की जीवनी (Biography of Karni Mata)

माता रिघुबाई की शादी साठिका गाँव के किपोजी चारण से हुई थी. लेकिन शादी के कुछ समय बाद ही उनका मन सांसारिक जीवन से ऊब गया .इसलिए माता रिघुबाई ने अपने पति किपोजी चारण की शादी अपनी छोटी बहन गुलाब से करवाकर खुद को माता की भक्ति और लोगों की सेवा में लगा दिया. जनकल्याण, अलौकिक कार्य और चमत्कारिक शक्तियों के कारण रिघु बाई को करणी माता के नाम से स्थानीय लोग पूजने लगे. वर्तमान में देशनोक बीकानेर में जहाँ यह मंदिर स्तिथ है वहां पर एक गुफा में करणी माता अपनी इष्ट देवी की पूजा किया करती थी. यह गुफा आज भी देशनोक बीकानेर मंदिर परिसर में स्थित है.

कहते हैं कि राव जोधा की कड़वी बातों से नाराज होकर उसके छोटे बेटे राव बीका ने मेहरानगढ़ जोधपुर छोड़ दिया. निकलते वक़्त उसने अपने पिता से कहा कि वो खुद अपना राज्य स्थापित करके दिखा देगा. साल था सन 1465 जब राव बीका जोधपुर से निकला तो उसके पास 100 घुड़सवारों और 500 पैदल की छोटी सी सेना थी. और साथ थे उसके चाचा रावत कांधल. बीका अपने लश्कर के पास फिर जांगलू पहुंचा. यहां वो फिर से उसी महिला की शरण में था जिसने किसी दौर में उसके दादा और बाद में उसके पिता को शरण दी थी. करणी माता की सलाह पर राव बीका ने धीरे-धीरे करके जांगलू के छोटे-छोटे ग्राम राज्यों पर कब्जा जमाना शुरू किया. आगे जाकर बिका ने बीकानेर की स्थापित किया था. राव बिका ने करनी माता को बीकानेर स्थापित करते समय बीकानेर बुलाया था.

करणी माता के चमत्कार

Why are there rats in Karni Mata temple?/करणी माता और उनके चूहे की कहानी?

कहा जाता है की करणी माता की छोटी बहन जिनका नाम देपा था. उनके के घर चार लड़के पैदा हुए. कहा जाता है ये बच्चे करणी माता के पास ही पले बड़े हुए. देपा के चारों लड़कों को करणी माता ने अपने बच्चों की तरह प्यार करती थीं. कालान्तर में इन चारों लड़कों के वंशज देपावत चारण के नाम से जाने गए. देपावत माने देपा के बेटे करणी माता के साथ ही रहते. करणी माता के जाने बाद यह लोग उनके मंदिर के पुजारी बने. देशनोक बीकानेर जहां करणी माता का मंदिर है वहां आज भी देपावत चारणों के चार मोहल्ले बसे हुए हैं. यहाँ के लोगो की मान्यता यह है. कि क्योंकि देपावत करणी माता के परिवार के सदस्य है.

इसलिए उन्हें स्वर्ग और नरक के चक्कर से मुक्ति मिल चुकी है. अगर कोई देपावत चारण मरता है वो करणी माता के मंदिर में चूहा बनकर पैदा होता है. इन्हें स्थानीय भाषा में काबा कहा जाता है. करणी माता के मंदिर में सैंकड़ो की तादाद में चूहें इस वहज से इसे चूहों वाली देवी के रूप जाना जाता है.

सालासर बालाजी मंदिर चुरु राजस्थान

Other Information

Temple NameKarni Mata Temple Deshnok
Temple LocationDeshnok Bikaner Rajsthan
When does Karni Mata temple fair(Mela) start?Karni Mata Fair is held twice a year during the Navratri(In the Months Of March-April And October Or November)
Karni Mata Name?Karani Mata/Her childhood name was Rihubai.
Karni Mata Husband Name?Kipoji Charan
Karni Mata Temple Deshnok

राजस्थान के प्रमुख लोक देवता और उनके मंदिर

सालासर बालाजी चुरूरानी सती मंदिर झुंझुनूं
शाकम्भरी माताकरणी माता मंदिर देशनोक
बाबा रामदेव जीदेवनारायण जी महाराज
गोगाजी महाराजहिंगलाज माता मंदिर बलूचिस्तान
पाबूजी महाराज का जीवन परिचयवीर तेजाजी महाराज

Karni Mata Temple Deshnokरानी सती मंदिर झुंझुनू राजस्थान सम्पूर्ण जानकारी

Where is the rat temple? (चूहा का मंदिर कहाँ है?)

Karni Mata Temple is also known as Rate Temple. Which is located in Deshnok town of Bikaner district of Rajasthan state, India. Because in this temple you will see rats moving everywhere. That’s why everyone knows it as a rat temple.

Where is the rat temple?
Where is the rat temple?

चूहों की पूजा किस देश में की जाती है?

भारत में करणी माता मंदिर देशनोक बीकानेर राजस्थान में चूहों की पूजा की जाती है. यहां करणी माता मंदिर में सफेद चूहों सहित हर जगह चूहे घूम होते हैं. ऐसा माना जाता है कि अगर आप करणी माता के मंदिर में सफेद चूहा देखते हैं, तो यह आपके जीवन में सुख-समृद्धि लाएगा.

क्या भारत में चूहे पवित्र हैं?

भारत में बहुत सी जगह है जहां आज में चूहा की पूजा की. लेकिन सब से बड़े चूहा के मंदिर के रूप में श्री करणी माता मंदिर फेमस हुआ है. जो की राजस्थान के बीकानेर जिले के देशनोक कबीले में है. यहाँ साल भर भगतों की लाइन लगी रहती है.

चूहों का देवता कौन है?

Who is the God of rats?. हिन्दू ग्रंथो और पुराने मान्यताओ के अनुसार धरती के रचियता श्री गणेश जी महाराज चूहों पर सवारी करते थे और उनको चूहों का देवता कहा जाता है. गणेश जी को कार्तिक ,मयूर आदि नाम से भी जाना जाता है.

Overview

करणी माता का बचपन का क्या नाम था रिघुबाई
करणी माता का जन्म कहाँ हुआ था? देशनोक बीकानेर राजस्थान
> करणी माता के कितनी बहने थी!! सात बहन थी
करणी माता किसका अवतार है?माँ दुर्गा का अवतार थी
करणी माता का ससुराल कहा था?चूरू में छोटड़िया गांव
करणी माता के पति का क्या नाम था?देवाजी बीठू (Kipoji Charan)
करणी माता की इष्ट देवी कौन थी?Update Soon
करणी माता मंदिर में सफेद चूहों को क्या कहते हैं?करणी माता मंदिर में सफेद चूहों काबा नाम से पुकारते है
करणी माता का जन्म कौन से जिले में हुआ था?बीकानेर राजस्थान
Karni Mata Temple Deshnok

Can a rat drink milk? Does the mouse drink milk?

Yes friends, rats can drink very small amounts of milk and can also eat food, but its quantity is very small. हा दोस्तों चूहे बहुत कम मात्रा में दूध पी सकते हैं और खाना भी खा सकते है लेकिन इसकी मात्रा बहुत कम होती है.

करणी माता मंदिर में क्या है खास?

बीकानेर में करणी माता के बहुत चमत्कार हुए है. जिनमे हम पूरा वर्णन नहीं कर पाएंगे. मुख्य तोर पर राजपूत समाज में बच्चे के जन्म के बाद पहली धोक करणी माता मंदिर में लगायी जाती है. इसका करण और मान्यता भी है. करणी माता बच्चो और बड़ो को बीमारी से बचाती. हाल ही सोसल मीडिया में बीकानेर में करणी माता के चमत्कार खबरे आयी थी. की श्री करणी माता के आशीर्वाद से लोगो के घर की छत पर नीम के पते मिले जो क्रोना जैसे बीमारी से रक्षा के लिए होंगे.

करणी माता किसकी कुलदेवी है?

तत्कानलीन बीकानेर के राठौड़ शासकों की कुलदेवी करणी माता जी थी जो की “चूहों वाली देवी” के नाम से भी विख्यात हुई. करणी माता जी के आशीर्वाद से ही राव बीका ने बीकानेर राज्य की स्थापना की थी. इनका जन्म सूआप गांव में चारण जाति के श्री मेंहा जी के घर जन्म 1387 हुआ था.

श्री करणी माता का मेला कब भरता है?

करणी माता जी का मेला देशनोक बीकानेर में साल में दो बार नवरात्रे के टाइम भरता है. पहला मार्च से अप्रैल महीने में और दूसरा मेला अक्टूबर/नवंबर महीने में लगता है.

करणी माता मंदिर में सफेद चूहों को क्या कहते हैं?

लोकल राजस्थानी भाषा में बीकानेर के देशनोक एरिया के आस पास के लोग सफ़ेद चूहों को काबा बोलते है. और ये चूहे काबा के नाम से फेमस हुए.

इंद्र बाईसा का जन्म कब हुआ?

वर्तमान में नागौर जिले के अन्तर्गत खुड़द नामक गाँव में श्री आवड़ जी एवं श्री करणी जी के रूप में सुश्री इन्द्र बाई अवतरित हुई थी. श्रीमती धापूबाई की कूख से वि.स. 1964 के आषाढ शुक्ला नवमी शुक्रवार के दिन पूजनीया श्री इन्द्रकुंवर बाई का अवतरण हुआ. जो दृष्टिगत एक प्रत्यक्ष रूप में देह नाम पर सुश्री इन्द्र बाई नाम से प्रसिद्ध हैं. खुड़द ग्राम फुलेरा से मेड़ता रोड जाने वाली रेलवे लाईन पर स्थित बेसरोली स्टेशन से लगभग दो मील पश्चिमोत्तर में है.

भारत के महान साधु संतों की जीवनी और रोचक जानकारी

भगवान श्री राम की जीवनीभगवान श्री कृष्ण की जीवनी
भीष्म पितामह की जीवनीराधा स्वामी सत्संग इतिहास और गुरु जीवनी
आदिगुरु शंकराचार्य जी की जीवनीकृष्णसखा सुदामा जी की जीवनी
भगवान महादानी राजा बालिक की जीवनीमीराबाई की जीवनी
राजा हरिश्चंद्र जी की जीवनीगौतम बुद्ध की जीवनी
संत झूलेलाल जी की जीवनीगुरु नानक की जीवनी और चमत्कार
महर्षि वाल्मीकि जी की जीवनीश्री जलाराम बापा की जीवनी
संत ज्ञानेश्वर जी की जीवनीरानी पद्मिनी की जीवनी
गुरु गोबिंद सिंह जी की जीवनीपन्ना धाय की जीवनी
भक्त पीपा जी की जीवनीमहाराणा कुंभा की जीवनी
गुरुभक्त एकलव्य जी की जीवनीमहाराणा सांगा की जीवनी
वेद व्यास जी की जीवनीसमर्थ गुरु रामदास की जीवनी
स्वामी हरिदास जी की जीवनीवेदव्यास जी की जीवनी
ठाकुर बिल्वमंगल की जीवनीगुरु अर्जुन देव की जीवनी
चैतन्य महाप्रभु की जीवनीदेवनारायण का जीवन परिचय
महर्षि दधीचि की जीवनीमहर्षि रमण का जीवन परिचय
स्वामी दादू दयाल की जीवनीरंतीदेव जी की जीवनी
संत नामदेव की जीवनीगोविंद गिरि की जीवनी
सन्त एकनाथ की जीवनीसन्त तुकाराम की जीवनी
संत रैदास की जीवनीसंत गुरु घासीदास जी की जीवनी
संत तिरुवल्लुवर की जीवनीसेवा मूर्ति ठक्कर बापा की जीवनी
स्वामी रामतीर्थ जी की जीवनीसंत माधवाचार्य जी की जीवनी
संत वल्लभाचार्य जी की जीवनीमत्स्येंद्रनाथ जी की जीवनी
राजर्षि अंबरीश की जीवनीदिव्यदृष्टा संजय की जीवनी
ठाकुर बिल्वमंगल की जीवनीगुरु तेग बहादुर की जीवनी
सप्तऋषियों की जीवनीमलूकदास जी की जीवनी
निम्बार्काचार्य जी की जीवनीसंत शेख सादी की जीवनी
भक्त प्रह्लाद की जीवनीमहारथी कर्ण की जीवनी
भक्त बालक ध्रुव की जीवनीजिज्ञासु नचिकेता की जीवनी
महारथी कर्ण की जीवनीगुरु भक्त अरुणी की जीवनी
भक्त उपमन्यु की जीवनीकृष्ण सखा उद्धव की जीवनी
महावीर स्वामी की जीवनीओशो की जीवनी

1857 ईस्वी क्रांति और उसके महान वीरों की जीवनी

1857 ईस्वी क्रांति के महान वीरों की गाथा1857 की क्रांति में महान रानियों का योगदान
अजीजन बेगम की जीवनीअकबर खान की जीवनी
अज़ीमुल्लाह खान की जीवनीपृथ्वीराज चौहान III की जीवनी
आनंद सिंह जी की जीवनीअवन्ति बाई लोधी की जीवनी
अमरचंद बांठिया जी की जीवनीस्वामी दयानंद सरस्वती जी की जीवनी
बंसुरिया बाबा की जीवनीतात्या टोपे की जीवनी
मंगल पांडे की जीवनीमहारानी तपस्विनी की जीवनी
बेगम हजरत महल की जीवनीगोविंद गिरि की जीवनी
भास्कर राव बाबासाहेब नरगुंडकर कौन थेकुमारी मैना की जीवनी
महारानी जिंदा कौर की जीवनीवीर सुरेंद्र साय की जीवनी
झलकारी बाई की जीवनीवृंदावन तिवारी की जीवनी
तिलका मांझी की जीवनीसूजा कंवर राजपुरोहित की जीवनी
पीर अली की जीवनीबाबू कुंवर सिंह की जीवनी
ईश्वर कुमारी की जीवनीठाकुर कुशल सिंह की जीवनी
उदमी राम की जीवनीचौहान रानी की जीवनी
जगत सेठ रामजीदास गुड़ वाला की जीवनीजगजोत सिंह की जीवनी
ज़ीनत महल की जीवनीजैतपुर रानी की जीवनी
जोधारा सिंह जी की जीवनीटंट्या भील की जीवनी
ठाकुर रणमत सिंह की जीवनीनरपति सिंह जी की जीवनी
दूदू मियां की जीवनीनाहर सिंह जी की जीवनी
मौलवी अहमदुल्लाह फैजाबादी की जीवनीखान बहादुर खान की जीवनी
गोंड राजा शंकर शाह की जीवनीरंगो बापूजी गुप्ते की जीवनी
बरजोर सिंह की जीवनीराजा बलभद्र सिंह की जीवनी
रानी तेजबाई की जीवनीवीर नारायण सिंह जी की जीवनी
वारिस अली की जीवनीवलीदाद खान की जीवनी
झांसी की रानी लक्ष्मी बाई की जीवनीनाना साहब पेशवा की जीवनी
राव तुलाराम की जीवनीबाबू अमर सिंह जी की जीवनी
रिचर्ड विलियम्स की जीवनीबहादुर शाह ज़फ़री की जीवनी
राव रामबख्श सिंह की जीवनीभागीरथ सिलावट की जीवनी
महाराणा बख्तावर सिंह की जीवनीअहमदुल्लाह की जीवनी
Karni Mata Temple Deshnok

Official Website Of Karni Mata Mandir Deshnok Bikaner Rajasthan India

भारत के प्रमुख युद्ध

हल्दीघाटी का युद्धहल्दीघाटी का युद्ध 1576 ईचित्तौड़गढ़ किला
विश्व की प्राचीन सभ्यताएंझेलम का युद्धकलिंग युद्ध का इतिहास
1845 ई. में सिखों और अंग्रेजों का युद्धभारत चीन युद्ध 1962कश्मीर का इतिहास और युद्ध 1947-1948
सोमनाथ का युद्धतराइन का प्रथम युद्धतराइन का दूसरा युद्ध
पानीपत का प्रथम युद्धपानीपत की दूसरी लड़ाईपानीपत की तीसरी लड़ाई 1761 ई
खानवा की लड़ाई 1527नादिरशाह का युद्ध 1739 ईसवीप्लासी का युद्ध 1757 ई
Karni Mata Temple Deshnok

भारत के राज्य और उनका इतिहास और पर्यटन स्थल

जम्मू कश्मीर का इतिहास और पर्यटन स्थलहिमाचल प्रदेश का इतिहास और पर्यटन स्थल
पंजाब का इतिहास और पर्यटन स्थलहरियाणा का इतिहास और पर्यटन स्थल
उत्तराखंड का इतिहास और पर्यटन स्थलपश्चिम बंगाल का इतिहास और पर्यटन स्थल
झारखंड का इतिहास और पर्यटन स्थलबिहार का इतिहास और पर्यटन स्थल
उत्तर प्रदेश का इतिहास और पर्यटन स्थलराजस्थान का इतिहास और पर्यटन स्थल
मध्य प्रदेश का इतिहास और पर्यटन स्थलछत्तीसगढ़ का इतिहास और पर्यटन स्थल
उड़ीसा का इतिहास और पर्यटन स्थलगुजरात का इतिहास और पर्यटन स्थल
Karni Mata Temple Deshnok

Frequently Asked Questions

Q- बीकानेर के किस महाराजा ने मुग़ल बादशाह के कहने पर बीकानेर में माँ भद्रकाली मंदिर की स्थापना की थी?

Ans- बीकानेर के महाराजा रायसिंह ने मुग़ल बादशाह अकबर के कहने पर बीकानेर में माँ भद्रकाली मंदिर की स्थापना की थी.

Q-where is Karni Mata mandir?

Ans- Karni Mata Temple is at Deshnok in Bikaner.

Query

Guys, If You Have Any Query Regarding This Article (Karni Mata Temple Deshnok) Feel Free To Ask Any Type Of Question. Our Team Will Reply With the Correct Answer As Soon As Possible.

.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *