Biography Of Yudhishthira- धर्मराज युधिष्ठिर धर्म के अश से उत्पन्न कुन्ती के धीर, वीर, गंभीर, यसशवी पुत्र थे. युधिष्ठिर पाण्डु के पुत्र और पांच पाण्डवों में से सबसे बड़े भाई थे. वे अज्ञात शत्रु, नीतिनिपुण एवं विनयशील थे. उनमें मानवीय करुणा थी. युधिष्ठिर धर्मराज के पुत्र थे, वे सत्यवादिता एवं धार्मिक आचरण के लिए विख्यात हैं. वे हस्तिनापुर के राजा बने, जहा 36 वर्षो तक धर्मपूर्वक शासन किया. वे आदर्श सम्राट थे, महाराज परीक्षित को राज्य सौंपकर स्वर्ग चले गये. स्वर्ग के अधिपति इन्द्र स्वयं उन्हें लेने पधारे थे. हम यहाँ धर्मराज युधिष्ठिर की जीवनी (Biography Of Yudhishthira). और उनसे जुड़ी वो रोचक और अद्भुत जानकारी आपके साथ शेयर करने वाले है. जिसके बारे में आप अबसे पहले अनजान थे.
प्राचीन भारत के महाकाव्य महाभारत के अनुसार युधिष्ठिर पाण्डवों में से एक थे. यमराज इनके पिता थे और माँ कुंती के पुत्र थे. वो भाला चलाने में निपुण थे और वे कभी झूठ नहीं बोलते थे. महाभारत के अंतिम दिन उन्होंने अपने मामा शल्य का वध किया जो कौरवों की तरफ था. उनके पिता ने यक्ष बन कर सरोवर पर उनकी परीक्षा भी ली थी. महाभारत युद्ध में धर्मराज युधिष्ठिर सात अक्षौहिणी सेना के स्वामी होकर कौरवों के साथ युद्ध करने को तैयार हुए थे, जबकि परम क्रोधी दुर्योधन ग्यारह अक्षौहिणी सेना का स्वामी था.
धर्मराज युधिष्ठिर कौन थे? युधिष्ठिर का जीवन परिचय?
इनका (धर्मराज युधिष्ठिर) जन्म हस्तिनापुर में धर्मराज के संयोग से कुंती के गर्भ द्वारा हुआ था. वयस्क होने पर इन्होंने कौरवों के साथ गुरु द्रोणाचार्य जी से धनुर्वेद सीखा. समय आने पर जब इनको युवराज-पद मिला तब इन्होंने अद्भुत धैर्य, दृढ़ता, सहनशीलता, नम्रता, दयालुता और प्राणिमात्र पर कृपा आदि गुणों का परिचय देते हुए प्रजा का पालन उत्तम रीति से किया. इनकी दो रानियाँ थी जिनके नाम इस प्रकार है द्रौपदी और देविका.
इसके पश्चात् दुर्योधन आदि के षड्यंत्र से ये अपने भाइयों और माता समेत बरनावा (वारणावत) भेज दिये गये. धर्मराज युधिष्ठिर धर्म के अश से उत्पन्न कुन्ती के धीर, वीर, गंभीर, यसशवी पुत्र थे. युधिष्ठिर पाण्डु के पुत्र और पांच पाण्डवों में से सबसे बड़े भाई थे. वे अज्ञात शत्रु, नीतिनिपुण एवं विनयशील थे. उनमें मानवीय करुणा थी. युधिष्ठिर धर्मराज के पुत्र थे, वे सत्यवादिता एवं धार्मिक आचरण के लिए विख्यात हैं. वे हस्तिनापुर के राजा बने, जहा 36 वर्षो तक धर्मपूर्वक शासन किया था.
Summary
नाम | युधिष्ठिर | Biography Of Yudhishthira |
अवतार | यम का अंशावतार |
उपनाम | धर्मराज युधिष्ठिर |
जन्म स्थान | हस्तिनापुर, मेरठ, उत्तरप्रदेश |
जन्म तारीख | — |
वंश | चंद्रवंश |
माता का नाम | कुंती |
पिता का नाम | पाण्डु |
पत्नी का नाम | द्रौपदी और देविका |
उत्तराधिकारी | — |
भाई/बहन | सहदेव, भीम, अर्जुन, नकुल |
प्रसिद्धि | हस्तिनापुर का राजा, पांडव पुत्र, सहदेव, भीम, अर्जुन, नकुल को यमराज (यक्ष) से बचाया |
रचना | — |
पेशा | राजा, सदा सच बोलने वाला |
पुत्र और पुत्री का नाम | प्रतिविन्ध्य, धौधेय |
गुरु/शिक्षक | द्रोणाचार्य |
देश | भारत |
राज्य क्षेत्र | उत्तर प्रदेश |
धर्म | हिन्दू |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
भाषा | हिंदी, संस्कृत |
मृत्यु | लगभग 3000 वर्ष पूर्व |
मृत्यु स्थान | हिमालय |
जीवन काल | लगभग 100 वर्ष |
पोस्ट श्रेणी | Biography Of Yudhishthira (युधिष्ठिर की जीवनी) |
धर्मपालक धर्मराज युधिष्ठिर का आदर्श, व्यक्तित्व एवं उनकी दया भावना
वनवासकाल में जब धर्मराज दुर्योधन पाण्डवों की दुर्दशा देखने के दृष्टिकोण से द्वैत वन गया हुआ था. तब मार्ग में उनकी भेंट गन्धवों से हो गयी. किसी बात को लेकर उनसे उनकी मुठभेड हो गयी. दुर्योधन को बंदी बना लिया गया. धर्मराज युधिष्ठिर को जब यह ज्ञात हुआ, तो वह दुर्योधन को छुडाने के लिए अर्जुन और भीम से आग्रह करने लगे. उन्होंने कहा: भाइयों के बीच छोटे-मोटे मतभेद तो होते ही रहते हैं. इससे कुल के धर्म को नष्ट होने का खतरा उत्पन्न हो जाता है. कौरवों सहित हम 105 भाई हैं. शत्रु के आक्रमण के समय हमें एक होना चाहिए. धर्मराज युधिष्ठिर कोमल प्रवृत्ति एवं क्षमाशीलता के साक्षात् उदाहरण थे.
एक बार की बात है, जब जयद्रथ ने द्रौपदी के अप्रतिम सौन्दर्य से मोहित होकर उनके समक्ष विवाह का निर्लज्ज प्रस्ताव रखा, तो द्रौपदी ने इसे ठुकरा दिया था. तब जयद्रथ ने प्रलोभन तथा बल का प्रयोग कर द्रौपदी को वश में करना चाहा. जयद्रथ ने द्रौपदी को अपने रथ में बिठा लिया था. मार्ग में आश्रम की सेविका के माध्यम से यह समाचार जानकर भीम ने जयद्रथ के सिर के केश काट डाले. आहत, लज्जित, अपमानित जयद्रथ की दशा देखकर धर्मराज युधिष्ठिर को दया आ गयी और उन्होंने उससे आगे ऐसी गलती न करने का वचन लेकर बन्धन मुक्त कर दिया था.
धर्मराज युधिष्ठिर धर्म के सात्विक तेज के प्रभाव से युक्त ऐसे व्यक्ति थे. जिन्होंने धर्म को अपने जीवन में विशेष स्थान दे रखा था. धर्मराज युधिष्ठिर ने अजगर योनि में पड़े राजा नहुष को अपने धर्म तत्त्व के दर्शन कराकर मुक्ति दिलायी थी. जब धर्मराज युधिष्ठिर शासन की बागडोर संभाली, तो भीष्म से धर्म सम्बन्धी दीक्षा ली. धर्मराज युधिष्ठिर ने धर्म में हमेशा निष्ठा दिखलायी. नीति, धर्म व वंचन पाठन के लिए भाइयों, पत्नीसहित 12 वर्ष का वनवास और 1 वर्ष के अज्ञातवास का दण्ड चुपचाप सहा था.
युधिष्ठिर ने नकुल, भीम, अर्जुन, सहदेव को कैसे यमराज (यक्ष) से बचाया था?
दोस्तों कहाँ जाता है, एक बार पाण्डव जंगल में हिरण का पीछा करते-करते एक अज्ञात वन में पहुच गये थे. हिरण तो भाग गया, किन्तु प्यास और थकान के मारे पाण्डव एक बरगद की छाया में बैठ गये थे. प्यास से व्याकुल धर्मराज युधिष्ठिर ने नकुल से कहा: नकुल ! उस पेड़ पर चढ़कर देखो तो, कोई नदी या सरोवर है क्या। भीम, अर्जुन, सहदेव सभी प्यासे थे. नकुल ने एक सुन्दर जलाशय देखा। धर्मराज युधिष्ठिर की आज्ञानुसार वह जलाशय की ओर चल दिया। उसने सोचा-मैं तो चुल्लू से पानी पी लूंगा और तरकश में पानी भरकर ले जाऊंगा। नकुल ने पानी पीना ही चाहा था कि उसे एक स्वर सुनाई पड़ा: ठहरो ! पहले मेरे प्रश्नों का उत्तर दो, फिर जल पीयो.
नकुल ने उसकी परवा न करते हुए पानी पी लिया था. बस, थोड़ी ही देर बाद वह मूर्छित होकर गिर पड़ा. धर्मराज युधिष्ठिर ने एक-एक कर भीम, अर्जुन, सहदेव को भेजा. सभी का यही हाल हुआ. धर्मराज युधिष्ठिर किसी आशंका से भयभीत होकर वहां पहुंचे. तो देखा कि चारों भाई मृतप्राय पड़े हुए हैं. प्यास के मारे उनका दम निकला जा रहा था. धर्मराज युधिष्ठिर ने जैसे ही सरोवर का पानी पीना चाहा कि उन्हें भी वही स्वर सुनाई पड़ा. सावधान ! तुम्हारे भाइयों ने मेरी अनुमति के बगैर पानी पी लिया था. उनकी तरह तुम्हारा भी यही हाल होगा. तुम पहले मेरे प्रश्नों का उत्तर दो, तत्पश्चात् पानी पीना. तब धर्मराज युधिष्ठिर यक्ष के प्रश्नों का उत्तर देने को तैयार थे. उन्हें यक्ष जानकर धर्मराज युधिष्ठिर ने उनके प्रश्नों का उत्तर देना प्रारम्भ किया था.
धर्मराज युधिष्ठिर यक्ष के मध्य सवाल जवाब
धर्मराज युधिष्ठिर: परमात्मा की.
धर्मराज युधिष्ठिर – तपस्या से.
धर्मराज युधिष्ठिर – धर्म।
धर्मराज युधिष्ठिर – सन्तान गर्भ में धारण करने वाली माता.
धर्मराज युधिष्ठिर – पिता.
धर्मराज युधिष्ठिर – मन.
धर्मराज युधिष्ठिर – कर्म कौशल ही धर्म का सार तत्त्व है.
धर्मराज युधिष्ठिर – दान से.
धर्मराज युधिष्ठिर – सत्य से.
धर्मराज युधिष्ठिर – विद्या।
धर्मराज युधिष्ठिर – आरोग्य।
धर्मराज युधिष्ठिर – दया.
धर्मराज युधिष्ठिर – दरिद्र होने पर.
धर्मराज युधिष्ठिर – जब अराजकता छा जाती है.
धर्मराज युधिष्ठिर – अभिमान.
धर्मराज युधिष्ठिर – लाभ.
धर्मराज युधिष्ठिर – जो सुख-दु:ख, प्रिय-अप्रिय, भूत-भविष्य में एक-सा रहता है.
धर्मराज युधिष्ठिर – जो देवता, अतिथि, माता-पिता, सेवक का और आत्मा का पालन नहीं करता.
धर्मराज युधिष्ठिर – विदेश जाने वाले का सहयात्री, घर पर रहने वाले की स्त्री, रोगी का वैद्य, मरने वाले का मित्र दान होता है.
धर्मराज युधिष्ठिर – क्रोध.
धर्मराज युधिष्ठिर – लोभ.
धर्मराज युधिष्ठिर – निर्दय पुरुष.
धर्मराज युधिष्ठिर – इन्द्रिय निग्रह.
धर्मराज युधिष्ठिर – मानसिक विकारों का त्याग.
धर्मराज युधिष्ठिर – प्राणियों की रक्षा.
धर्मराज युधिष्ठिर – धर्मज्ञ को पण्डित, नास्तिक को मूर्ख.
धर्मराज युधिष्ठिर – वासना ही काम है, हृदय की ईर्ष्या है.
धर्मराज युधिष्ठिर – प्रतिदिन कितने ही प्राणियों को मरते देखकर भी लोग अमर रहने की इच्छा रखते हैं.
युधिष्ठिर – नकुल को.
धर्मराज युधिष्ठिर – महात्मन्! मेरे पिता की एक पत्नी कुन्ती का पुत्र मैं तो जीवित हूं. अब माद्री का एक पुत्र जीवित रहे.
इस तरह युधिष्ठिर ने यक्ष-प्रश्नों का उत्तर देकर अपने सदाचरण का उदाहरण दिया था.
युधिष्ठिर ने कुत्ते को स्वर्ग लोक कैसे पहुंचाया?
इस तरह धर्मराज युधिष्ठिर ने राजपाट, पत्नी आदि के छीने जाने पर भी अपने भाइयों को क्षमा कर दिया था. श्रीकृष्ण के स्वलोक प्रयाण के बाद हिमालय पर्वत पर मार्ग के थके हुए द्रौपदी, सहदेव, नकुल भीम, अर्जुन ने दम तोड़ दिया, तो उनके साथ चलने वाला कुत्ता ही बच गया था. इन्द्रदेव रथ स्वयं लेकर उन्हें स्वर्ग तक लेने पहुंचे, तो युधिष्ठिर ने कहा: यदि आप इस असहाय स्वामीभक्त कुत्ते को ठिठुरकर मरने के लिए यहीं छोड़ रहे हैं, तो मैं स्वर्ग नहीं जाऊंगा. वह कुत्ता धर्मराज (यम) का एक रूप था, जो प्रकाश पुंज के साथ स्वर्गलोक चला गया.
युधिष्ठिर ने पांडवों को स्वर्ग कैसे पहुंचाया?
स्वर्ग के रास्ते चलते हुए धर्मराज युधिष्ठिर ने नारकीय यातना भोग रहे द्रौपदी, सहदेव, भीम, अर्जुन, नकुल को देखा और दुर्योधन आदि को स्वर्ग में देखा, तो चीत्कार कर उठे, बोले: मेरे निर्दोष भाई और पत्नी ने धर्म का साथ न छोड्कर भी नरक पाया है और कौरवों ने स्वर्ग, तो मैं स्वर्ग नहीं जाना चाहता. धर्मराज युधिष्ठिर की यह अन्तिम परीक्षा थी. थोड़ी ही देर में उन्हें द्रौपदी, नकुल, भीम, अर्जुन, सहदेव स्वर्ग में नजर आये. महाभारत के सभी पात्रों में नि:सन्देह युधिष्ठिर का चरित्र एवं व्यक्तित्व अत्यन्त आदर्श एवं प्रेरक है, जो धीर, गम्भीर, वीर, बुद्धिमान और सात्विकता के आदर्शो से युक्त है.
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FAQs
Ans- धर्मराज युधिष्ठिर पांडव था, उसके भाई सहदेव, भीम, अर्जुन, नकुल थे.
Ans- युधिष्ठिर जो पांडव और कौरव दोनों पुरुवंशी थे, अर्थात् उनका वंश महाराजा ययाति के पुत्र पुरू से चला था, जो खुद चंद्रवंशी क्षत्रिय थेपांडव और कौरव दोनों पुरुवंशी थे, अर्थात् उनका वंश महाराजा ययाति के पुत्र पुरू से चला था, जो खुद चंद्रवंशी क्षत्रिय थे.