Biography of Damodar Das Rathi. सेठ दामोदास राठी का जन्म 8 फरवरी सन् 1884 ई. पोकरण जैसलमेर (मारवाड़) राजस्थान में सेठ खिंवराजजी राठी के घर हुआ था। आप दीक्षा से ही होनहार व मेघावी थे। मास्टर श्री प्रभुलालजी अग्रवाल की संरक्षा में व मिशन हाई स्कूल ब्यावर में आपने सामायिक तक विद्याध्ययन किया। 15-16 वर्ष की आयु में ही आप लोक हित कार्य में योग लगायें और साथ ही अपने व्यवसाय कार्य की तलाश करते रहें। आप अत्यंत कुशल थे। आपका कृष्णा मिल्स सन् 1893 ई. भारतवर्ष भर के मारवाड़ियों में सर्व प्रथम चली। भारत के प्रमुख-प्रमुख नगरों में आपके स्टूडियो जीनिंग मुलैज व पेरसेज थी।
श्री जीवराज जी पुत्र श्री दामोदर दास राठी ने मैट्रिक की परीक्षा पास करने के पश्चात् अपना पारिवारिक जीवन आरम्भ कर दिया था। अट्ठारह वर्ष की अवस्था में ही इन्होंने अपने मिल (कृष्णा मिल) ब्यावर का कार्य भार संभाल लिया था। श्याम जी कृष्ण वर्मा इस मिल के मैनेजर नियुक्त किये गये थे। श्री वर्मा की प्रेरणा से दामोदर दास राठी जी ने क्रान्तिकारी आन्दोलन में भाग लेना आरम्भ किया तथा उनकी हर सम्भव आर्थिक सहायता भी की।
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दामोदर दास का स्वतंत्रता संग्राम में क्या योगदान था?
श्री राठी कभी जेल नहीं गए। कभी उन्होंने जन सभा को सम्बोधित नहीं किया। वे अप्रत्यक्ष में क्रान्तिकारियों को हर सम्भव सहयोग देते रहते थे। श्री रास बिहारी बोस तथा कुँवर महेन्द्र प्रताप के नेतृत्व में 21 जनवरी, 1915 के दिन भारत वर्ष में एक लाख सशस्त्र क्रान्ति का आरम्भ निश्चित था। राजस्थान में राव गोपालसिंह तथा भौपसिंह (विजयसिंह पथिक) के नेतृत्व में क्रान्ति करके अजमेर, नसीराबाद और ब्यावर पर अधिकार करना तय हुआ था । क्रान्ति वाहिनी को संगठित करने के लिए अर्थ-व्यवस्था श्री दामोदरदास राठी ने ही की थी। यह क्रान्ति किन्हीं कारणों से समय पर नहीं हो पायी।
राठी जी ने शिक्षा के विकास तथा राष्ट्र भाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में भी अनुपम योगदान दिया था। आप द्वारा स्थापित ब्यावर का सनातन धर्म स्कूल तथा कॉलेज, मारवाड़ी शिक्षा मण्डल, बरवा का “नव भारत विद्यालय” आज भी सफलता पूर्वक चल रहा है। देश में अकाल, बाढ़ या भूकम्प की स्थिति में राठी जी तुरन्त वहाँ जा पहुँचते और राहत कार्यों में सहयोग किया करते थे।
स्वतंत्रता सेनानी दामोदर दास राठी को कैसा भारत चाहिए था?
श्री राठी भारतवर्ष को एक स्वावलम्बी राष्ट्र के रूप में देखना चाहते थे। उनका विचार था कि आवश्यकता की सभी वस्तुएँ अपने देश में ही उत्पन्न की जानी चाहिए। उन्होंने देशी वस्तुओं के उपयोग पर बहुत जोर दिया और राष्ट्र प्रेम और देश भक्ति की भावनाएँ फैलाने का सतुत्य प्रयत्न किया।
दामोदर दास राठी जी का राजस्थान स्वतंत्रता संग्राम में क्या योगदान था?
राजस्थान के पांच महान क्रांतिकारियों में श्री राठी का अपना महत्वपूर्ण स्थान है। श्री अर्जुनलाल सेठी, श्री केसरीसिंह बारहठ, श्री गोपालसिंह, श्री भोपसिंह (विजयसिंह पथिक) को सदैव राठी जी का सहयोग मिलता रहा। पाँचों ही साथी राजस्थान में क्रान्ति को सफल बनाने के लिए प्राण से जुटे हुए थे। श्री राठी किसी भी देश भक्त को हर सम्भव सहायता करने के लिए तत्पर रहते थे। यही कारण है कि उन्हें महान् स्वतंत्रता सैनानियों की सूची में अग्रिम स्थान प्राप्त हैं।
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FAQs
Ans- सेठ दामोदास राठी राजस्थान के पांच महान क्रांतिकारियों में गिना जाता है. श्री राठी कभी जेल नहीं गए। कभी उन्होंने जन सभा को सम्बोधित नहीं किया। वे अप्रत्यक्ष में क्रान्तिकारियों को हर सम्भव सहयोग देते रहते थे। श्री रास बिहारी बोस तथा कुँवर महेन्द्र प्रताप के नेतृत्व में 21 जनवरी, 1915 के दिन भारत वर्ष में एक लाख सशस्त्र क्रान्ति का आरम्भ निश्चित था।